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वित्तीय वर्ष 1  अप्रैल 2019  से 31  मार्च 2020  ही रहेगा – – झूठी अफवाहों ने बताया की वित्तीय वर्ष में हुआ परिवर्तन

वित्‍त मंत्रालय के राजस्‍व विभाग द्वारा 30 मार्च को एक अधिसूचना जारी की गई जो इंडियन स्‍टांप एक्‍ट के कुछ खास संशोधनों से संबंधित है। इसका उद्देश्‍य स्‍टॉक एक्‍सचेंजों के जरिये सिक्‍योरिटी मार्केट लेनदेन या स्‍टॉक एक्‍सचेंज डिपोजिटरीज द्वारा क्लियरिंग कॉरपोरेशन से होने वाले लेनदेन से स्‍टांप ड्यूटी संग्रह की प्रणाली को सक्षम बनाना है। परन्तु झूठी अफवाहों ने बताया की वित्तीय वर्ष में हुआ परिवर्तन ! इस कारण केंद्र सरकार ने स्‍पष्‍ट किया है कि वित्‍त वर्ष की समयसीमा में कोई विस्‍तार नहीं किया गया है और यह तय समय पर ही शुरू होगा। सरकार ने कहा है कि कुछ झूठी खबरें मीडिया में चल रही हैं कि वित्‍त वर्ष की समयसीमा बढ़ाई गई है। 30 मार्च 2020 को भारत सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें इंडियन स्‍टांप एक्‍ट में कुछ संशोधन किए गए थे जिसे कुछ समाचार चैनल एवं मीडिया ने गलत तरीके से चलाया था। सरकार ने स्‍पष्‍ट किया है कि वित्‍त वर्ष की समय सीमा में कोई विस्‍तार नहीं किया गया है।

भारत में अभी 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि को एक वित्तीय वर्ष कहते हैं। अंग्रेजों के भारत आने से पहले भारत में 1 मई से 30 अप्रैल का वित्तीय वर्ष होता था लेकिन ब्रिटिश काल में इस वित्तीय वर्ष को 1867 से 1 अप्रैल से 31 मार्च की अवधि का कर दिया गया थाl ज्ञातब्य है कि विश्व में बहुत से देश 1 अप्रैल से 31 मार्च वाला वित्तीय वर्ष ही मानते हैं !

 वित्तीय वर्ष में परिवर्तन के लिए संविधान से लेकर कानून तक, हर जगह संशोधन : ऐसा कुछ करने से पहले संविधान से लेकर विधान में संशोधन करना होगा। संविधान के अनुच्छेद- 112, 202 और 367 (1) में केंद्र और राज्यों के लिए वित्तीय वर्ष और बजट से संबंधित प्रावधानों का जिक्र है। अनुच्छेद-112 कहता है, ‘राष्ट्रपति हर वित्तीय वर्ष के लिए भारत सरकार के आय-व्यय का वार्षिक वित्तीय प्रतिवेदन (बजट) संसद के दोनों सदनों के सामने रखेंगे।’ इसी तरह अनुच्छेद-202 के मुताबिक, ‘राज्यपाल अपने राज्यों की सरकारों के आय-व्यय का वार्षिक वित्तीय प्रतिवेदन राज्य विधायिका के सदन/सदनों (विधानसभा और विधान परिषद के संदर्भ में) में रखेंगे।’ यानी दोनों अनुच्छेदों में वित्त वर्ष का जिक्र तो है, लेकिन वह कब से शुरू होगा इसका उल्लेख नहीं है !

 इस हिसाब से संविधान के इन हिस्सों में बदलाव की ज्यादा जरूरत शायद न पड़े, लेकिन अनुच्छेद-367 (1) में वित्तीय वर्ष से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या के लिए जनरल क्लॉज एक्ट-1897 का संदर्भ दिया गया है। इस कानून के खंड-3 के मुताबिक, ‘वित्तीय वर्ष की परिभाषा का अर्थ यह है कि वह साल जो अप्रैल के पहले दिन से शुरू होता हो।’ मतलब इस जगह पर सरकार को वित्तीय वर्ष बदलने की सूरत में अनिवार्य रूप से संविधान संशोधन करना होगा।  यही नहीं, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष करों से संबंधित तमाम कानूनों में केंद्र और राज्यों को संशोधन करना होगा। गवर्नमेंट अकाउंटिंग रूल्स-1990, जनरल फायनेंशियल रूल्स-2005 और कंपनीज एक्ट-2013 आदि में भी संशोधन करना होगा। इन सभी में वित्तीय वर्ष की शुरूआत एक अप्रैल से होने का जिक्र है।

कुछ दिनों पूर्व आरबीआई का अकाउंटिंग ईयर में परिवर्तन किया गया था तो भी सोशल मीडिया में यह झूठी अफवाह फैली की वित्तीय वर्ष में हुआ परिवर्तन, पर यह भी एक अफवाह थी ! आरबीआई का अकाउंटिंग ईयर जुलाई से शुरू होता है।

अगर आप आंख मूंदकर सोशल मीडिया पर खुद को प्राप्त संदेशों को दूसरों को भेजते हैं या उन्हें शेयर करते हैं, तो आप यह कहकर नहीं बच सकते कि आपको यह संदेश किसी और स्रोत से मिला था और आपने तो इसे सिर्फ शेयर किया है या किसी को फॉरवर्ड भर किया है। अब आपको इसके लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार माना जाएगा कि भेजे गए या शेयर किए गए संदेश के प्रति आपकी सहमति है। मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस. रामथिलगम ने अपने फैसले में कहा था, “शब्दों में हथियारों से अधिक ताकत होती है। या कहा जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है। पर, कौन कह रहा है, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि, लोग किसी व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को देखते हुए उसका आदर करते हैं। जब कोई बहुत ही प्रसिद्ध व्यक्ति इस तरह का कोई संदेश फॉरवर्ड करता है, तो आम आदमी यही सोचेगा कि इस तरह की बातें समाज में हो रही हैं।

जैसे ही यह सन्देश सोशल मीडिया पर आया तो पहले इस सत्यता की जाँच की तो यह पाया की यह अधिसूचना इंडियन स्टांप एक्ट के लिए की है तो “वितिय वर्ष में कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ है” इसका सन्देश दिया !  मेरा सुझाव है की पहले “जांचे फिर बांटें ” सभी यह सोचते है कि कोई उससे पहले नहीं आ जाये। अभी एक अफवाह और फैलने वाली है की जीएसटी की सभी रिटर्न 30 जून 2020 तक जमा करवा सकते है। वित् मंत्रालय द्वारा प्रेस रिलीज में यह स्पस्ट किया है की जिन व्यापारियों की बिक्री वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 5 करोड़ से अधिक थी उनको अपना मार्च माह का जीएसटीआर -3B 20 अप्रैल 2020 तक ही जमा करवाना होगा !  देरी से जमा करवाने पर ब्याज दर में छूट दी गयी है ब्याज की दर 18% के स्थान पर 9% की दर से लगेगा !

एडवोकेट अभिषेक कालड़ा

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