एक सफल व्यापारी जब अपने व्यापार में तरक्की करना चाहता है तो वह व्यापार के सभी दावपेच सीख लेता है और उन दांव पेचो से समस्याओं को ख़त्म करता है और तरक्की की राह में आगे बढ़ता चला जाता है ! उसी प्रकार एक सफल रजिस्टर्ड करदाता जीएसटी के विभिन नियमो को ध्यान में रखते हुए अपना कारोबार उन नियमो के अनुसार चलाता है ! जिससे उसे केवल टैक्स ही भरना होता है, जबकि एक अन्य करदाता जो जीएसटी के विभिन नियमो को ध्यान में न रखते हुए अपना कारोबार करता है तो उसे टैक्स के साथ ब्याज पेनल्टी भी भरनी पड़ती है और कभी कभी विभागीय नोटिसों का सामना भी करना पड़ता है ! जीएसटी में रजिस्टर्ड करदाता के दायित्व कभी ख़त्म नहीं होते, आखिर एक करदाता क्या सावधानिया रखे की उसे किसी प्रकार की परेशानी न उठानी पड़े ! इसके लिए एडवोकेट अभिषेक कालड़ा से कुछ सवाल जवाब किये जो आपके लिए बहुत महवपूर्ण है :-
सवाल :- जीएसटी में हर माह कौनसी रिटर्न और कब विभाग में जमा करवाई जाती है ? और एक सफल रजिस्टर्ड करदाता को यह कब तक जमा करवानी चाहिए ?
एडवोकेट अभिषेक कालड़ा :- मासिक करदाता यह ध्यान रखे की आपकी फर्म की जीएसटीआर -1 माह ख़त्म होने के अगले महीने की 10 तारीख तक विभाग के पोर्टल में अपलोड करनी होती है ! विभाग के पोर्टल की आज तक की कार्यशैली के अनुसार अंतिम दो दिनों में जीएसटी रिटर्न पोर्टल में अपलोड नहीं होती है ! करदाता को इसकी अंतिम तारीख 7 मान लेनी चाहिए तभी आप स्वयम या टैक्स प्रॉफेश्नल इसे सही समय से भर सकेंगे और 200 रुपए रोजाना के जुर्माने से बच सकेंगे !
सवाल :- जीएसटी में टैक्स कब जमा करवाया जाता है ? और एक सफल रजिस्टर्ड करदाता को यह कब तक जमा करवानी चाहिए ?
एडवोकेट अभिषेक कालड़ा :- जीएसटीआर -3B में यदि आपका टैक्स बनता है तो उसे आप अगले माह की 20 तारीख तक जमा करवा सकते है मगर वैट कार्यप्रणाली के अनुसार 14 तारीख तक इसे जमा करवा देवें ! अंतिम दिनों में जिन करदाताओं ने टैक्स जमा करवाया है उन्हें पता होगा की ज्यादातर के करदाताओं का टैक्स अगले दिन विभाग के पोर्टल में आता है और उस पर ब्याज एवं जुर्माने के प्रावधान लागु होते है !
सवाल :- जीएसटी में जीएसटीआर-3B कब जमा करवाई जाती है ? और एक सफल रजिस्टर्ड करदाता को यह कब तक जमा करवानी चाहिए ?
एडवोकेट अभिषेक कालड़ा :- करदाता यह ध्यान रखे की आपकी फर्म की जीएसटीआर -3B माह ख़त्म होने के अगले महीने की 20 तारीख तक विभाग के पोर्टल में अपलोड करनी होती है ! विभाग के पोर्टल की आज तक की कार्यशैली के अनुसार अंतिम दो दिनों में जीएसटी रिटर्न पोर्टल में अपलोड नहीं होती है ! करदाता को इसकी अंतिम तारीख 17 मान लेनी चाहिए तभी आप स्वयम या टैक्स प्रॉफेश्नल इसे सही समय से भर सकेंगे और 50 रुपए रोजाना के जुर्माने से बच सकेंगे ! जीएसटी के नए प्रावधानों के अनुसार यदि एक करदाता अपनी फर्म की बिक्री की डिटेल जीएसटीआर-1 सही समय पर जमा करवाता है तो खरीददार के जीएसटीआर-2 में वह इनपुट आ जाता है और उसे इनपुट मिल जाता है, इसके विपरीत यदि विक्रेता करदाता अपनी फर्म की जीएसटीआर-1 सही समय पर नहीं जमा करवाता है तो खरीददार जब अपनी फर्म की जीएसटीआर-3B भरता है तो इनपुट लेने पर विभाग द्वारा नोटिस दिया जाता है और उस नोटिस में विभाग उस टैक्स पर ब्याज लगाता है !
सवाल :- जीएसटी में रिवर्स टैक्स कब कौनसी वस्तुओ एवं सेवाओं पर लगता है ?
एडवोकेट अभिषेक कालड़ा :- जब एक रजिस्टर्ड करदाता जब बिना रजिस्टर्ड करदाता से कोई वस्तु या सेवाएं लेता है तो उस पर रिवर्स टैक्स लगता है ! रजिस्टर्ड करदाता को एक बिल स्वयं को काटना होता होता है जिसमे उस माल या सेवा की डिटेल देते हुए उस पर जीएसटी की दर लगाते हुए रिवर्स टैक्स यस करना होता है ! आमतौर पर रिवर्स टैक्स माल भाड़ा, एडवोकेट फीस और नरमा-कपास एवं कॉटन पर लागु है ! माल भाड़ा पर 5 प्रतिशत की दर से, एडवोकेट फीस पर 18 प्रतिशत की दर से, एवं नरमा-कपास एवं कॉटन पर 5 प्रतिशत की दर से लगता है ! और इसे चालान द्वारा जमा करवाया जाता है ! जो रजिस्टर्ड करदाता के द्वारा जीएसटीआर-3B रिटर्न भरने पर कैश लेजर से क्रेडिट लेजर में आ जाता है !
सवाल :- रिवर्स टैक्स जमा करवाकर वापिस मिल जाता है तो ज्यादातर करदाता इसकी पालना क्यों नहीं करते है ?
एडवोकेट अभिषेक कालड़ा :- असल में ज्यादातर करदाता इस बारें में अनजान है और जो जानकर भी है तो वे यह देखते है की अन्य करदाता इसकी पालना नहीं कर रहे है तो वे यह सोचते है की जो सबके साथ होगा वो मेरे साथ भी हो जायेगा इस कारण रिवर्स टैक्स के नियमो की पालना नहीं करते है ! इसके साथ साथ हर एंट्री का अलग अलग रिवर्स टैक्स का बिल काटना भी एक उबाऊ प्रक्रिया है ! जीएसटी विभाग को चाहिए की इसके लिए व्यापारियों के साथ मिलकर चर्चा करें और उन्हें इसके फायदों के बारे में बताना चाहिए !
सवाल :- आपने अभी बताया की विक्रेता द्वारा जीएसटीआर -1 सही समय पर भरने पर है खरीददार करदाता इसका इनपुट प्राप्त होगा, तो क्या इसका मतलब एक खरीददार को केवल मासिक विक्रेता से ही माल ख़रीद करनी चाहिए ?
एडवोकेट अभिषेक कालड़ा :- जीएसटी एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है की खरीददार को केवल मासिक विक्रेता से ही माल ख़रीदना चाहिए परन्तु नोटिफिकेशन के अनुसार विक्रेता द्वारा जब जीएसटीआर -1 विभाग के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है तो ही खरीददार करदाता को इसका इनपुट ले सकेगा ! इसे हम एक उदहारण से समझ सकते है माना राम एक खरीददार करदाता है उसने तीन करदाताओं 40 हजार रुपए, 20 हजार रुपए, और 50 हजार रुपए इनपुट का माल ख़रीदा और तीसरा करदाता तिमाही जीएसटीआर -1 भरने वाला है ! राम ने जब खरीद का इनपुट जीएसटीआर -2A चैक किया तो उसे 60 हजार रुपए का ही इनपुट मिला तो वह ज्यादा से ज्यादा 60 हजार रुपए + 10% का ही इनपुट ले सकता है न की 1 लाख 10 हजार रुपए का ! 50 हजार रुपए इनपुट का राम को तिमाही के अंतिम माह में ही मिलेगा ! 1 अप्रैल 2020 से जीएसटी रिटर्न के नए फॉर्म आ रहे है उसमे इन नियमोँ के अनुसार है इनपुट मिलेगा !
सवाल :- इसके आलावा आप कोई सुझाव देना चाहेंगे !
एडवोकेट अभिषेक कालड़ा :- एक करदाता को जीएसटी में रहते हुए अपने व्यापार को सफलता ही ऊंचाइयों को छूना है तो आपको जीएसटी के नियमो को ध्यान में रखते हुए ही कारोबार करना चाहिए ! और जीएसटी के नित नए नियमो के लिए ज्ञानवर्धक पढ़ना चाहिए और जीएसटी के अच्छे जानकर से समय समय पर रॉय लेती रहनी चाहिए !