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भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा मंगलवार को नई ई-कामर्स नीति पर विभिन्न हितधारकों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया ताकि सभी से आने वाली ई-कामर्स नीति पर सुझाव लिए जाए सकें.

इस मीटिंग में जहाँ एक ओर एमाज़ॉन, फ्लिपकार्ट, टाटा, रिलायंस, उड़ान, पिपरफ्राई और स्नेपडील, आदि के कंपनी पदाधिकारी मौजूद थे जो इस बात पर जोर देते रहे कि वे न केवल देश के कानून का भलीभाँति पालन कर रहे हैं बल्कि रिटेल ट्रेड और चेन, कारीगर और एमएसएमई के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं एवं उन्हें मजबूत बना रहे हैं.

वहीं दूसरी ओर कानफिडिरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स कैट, आल इंडिया कनज्यूमर प्राडक्ट डिस्ट्रिब्यूटर फेडरेशन, रिटेलर एसोसिएशन आफ इंडिया, लघु उद्योग भारती और फेडरेशन आफ स्माल इंडस्ट्री के पदाधिकारी मौजूद थे जिन्होंने ई-कामर्स कंपनियों पर नियामक बैठाने की मांग की- जिस तरह से ट्राई टेलिकॉम आपरेटरों पर नजर रखता है.

रिटेल ट्रेड संगठनों ने ई-कामर्स आपरेटरों को खरी खोटी सुनाते हुए सरकारी विभाग के अधिकारियों के समक्ष ये चिंताएँ व्यक्त की:

1. ई-कामर्स कंपनियों द्वारा खुले आम विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और पैसे का उपयोग उत्पादों को भारी डिस्काउंट में बेचने के लिए उपयोग किया जाता है.

2. गलत व्यापारिक तौर तरीकों का उपयोग कर रिटेल ट्रेड को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है जिसमें टैक्स चोरी की भी काफी संभावना होती है.

3. गलत व्यापारिक नीति और तरीकों पर लगाम कसने के लिए इन कंपनियों पर एक नियामक बैठाना जरुरी है और इनके खरीद बेच एवं निवेश संबंधित रिकॉर्ड पर पारदर्शिता बनाना जरूरी है.

4. खरीददार और विक्रेता ई-कामर्स कंपनियों की एसोसिएट कंपनी होती है, जिनका उपयोग नाम के लिए कर उत्पादों को बेचा जाता है और गलत तरीके अपनाकर आम रिटेलर्स एवं छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने का काम किया जाता है.

सरकार ने इन सभी शिकायतों को ध्यान में रखकर उपभोक्ता ई-कामर्स नियम 2020 में बदलाव किए थे, जिसमें प्रमुख है:

1. फ्लेश सेल जो किसी उत्पाद या कुछ उत्पाद से संबंधित है, उन्हें बैन कर दिया गया, हालांकि सामान्य सेल पर कोई रोक नहीं है.

2. ई-कामर्स कंपनियों को ग्राहक शिकायत निवारण विभाग बनाना होगा और नोडल आफिसर बैठाना होगा.

3. ई-कामर्स कंपनियों की एसोसिएट कंपनी किसी भी तरह से व्यापारिक लेनदेन में भाग नहीं ले सकते.

सभी को सुनने के बाद सरकार अब नई ई-कामर्स नीति में क्या प्रावधान लाएगी, ये तो वक्त बताएगा. आम रिटेलर्स और छोटे व्यापारी को राहत मिलेगी कि ई-कामर्स कंपनियों के रुतबे और वर्चस्व के आगे सरकार झुकेगी- यह देखना होगा.

पर ये तो तय है कि जिस प्रकार रीटेल ट्रेड संगठनों ने अपनी बात रखी – सरकार को नई ई-कामर्स नीति में इन प्रावधानों को रखना ही होगा:

1. एसोसिएट कंपनियों का उपयोग अब ई-कामर्स कंपनियों द्वारा करना वर्जित होगा और कड़े नियम होंगे.

2. विदेशी प्रत्यक्ष  निवेश के उपयोग को लेकर रिकॉर्ड सरकार के समक्ष रखने होंगे और ज्यादा पारदर्शिता होगी.

3. नियामक का गठन तय है जो ई-कामर्स कंपनियों द्वारा अपनाई जा रही व्यापारिक नीतियों पर नजर रखेगा.

4. एक समान व्यापारिक अवसर बनेंगे चाहे वो आनलाइन हो या आफलाइन, सिर्फ आपके द्वारा दी जा रही क्वालिटी और सेवाएं ही आपको ज्यादा अवसर और व्यापारिक वृद्धि देंगे.

इस मीटिंग से ये तो साफ है कि सरकार आफलाइन रीटेल ट्रेडर्स की मदद करना चाहती है लेकिन अब वो राहत नई ई-कामर्स नीति में मिलेगी या नहीं, इंतज़ार करना होगा.

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*

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