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भारत देश टेक्सटाइल क्षेत्र मे रेशे (फ़ाइबर) से लेकर परिधान (अपारेल) तक विश्व मे अग्रणी है। हमारा देश कपड़े और गारमेंट उत्पादन मे दुनिया मे द्वितीय तथा टेक्सटाइल एक्स्पोर्ट्स मे पांचवे क्रमांक पर है । भारत के इंडस्ट्रियल, एक्स्पोर्ट्स और रोजगार क्षेत्र मे टेक्सटाइल इंडस्ट्री का बहुत बड़ा योगदान है ।

केंद्रीय सरकार ने टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए कई प्रकार की प्रोत्साहन योजनाए जारी की है – जैसे की प्रॉडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम ,सुधारित टेक्नालजी अपग्रेडेसन स्कीम (ए – टफ़्फ़्स) इत्यादि। इसके अलावा पोवरलूम, इंटेग्रटेड टेक्सटाइल पार्क, टेक्निकल टेक्सटाइल , हंडलूम, हंडिक्राफ्ट्स के लिए भी योजनाएँ चालू है ।

महाराष्ट्र यह टेक्सटाइल पावरहाउस है । कृषि के बाद टेक्सटाइल राज्य मे सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है । हमारा राज्य भारत के कुल टेक्सटाइल उत्पादन का १०.४ % तथा कुल रोजगार का १०.२ % योगदान करता है । यह देश मे धागे के कुल उत्पादन का १२ % उत्पादन करता है (२७२ मिलियन किलोग्राम) ।

राज्य सरकार ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री की प्रगति और उसको सहायता प्रदान करने के लिए २०१८ मे टेक्सटाइल पॉलिसी बनाई थी जो की मार्च २०२३ मे खतम हो गयी ।

आज के इस तेजी से बदलते वैश्विक व्यापार मे टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भी विकसित होना पड़ेंगा एवं नए अवसरों पर कब्जा करना होंगा । इसी को ध्यान मे रखते हुए राज्य सरकार नयी टिकाऊ (ससटेनबल) एवं एकीक्रत (इंटीग्रटेड) टेक्सटाइल नीति लेकर आई है।

इसका कार्यकाल २०२८ तक रहेंगा । इसके मुख्य लक्ष्य इस प्रकार है : प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देना,स्टेट ऑफ आर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नालजी अपग्रेडेसन को बढ़ावा देना ,कौशल्य और क्षमता बढ़ाना , निजी निवेश के जरिये ६ नए टेक्निकल पार्क का विकास करना ,रिसर्च ,विकास ,इनोवसन , इन्फोर्मेसन टेक्नालजी पर ज़ोर देना,परंपरागत टेक्सटाइल को बढ़ावा ।

इस नीति के अंतर्गत महाराष्ट्र को ४ क्षेत्रो मे विभाजित किया गया है । विदर्भ ( नागपुर और अमरावती डिवीजन के साथ ) को क्षेत्र ( ज़ोन ) १ मे रखा गया है ।

कुछ मुख्य परिभाषायेँ :

*मौजूदा टेक्सटाइल : इस नीति के लागू होने के पहले मौजूद प्रकल्प

*विस्तारित ( एकष्पान्सन ) इकाई : कोई भी मौजूदा प्रकल्प अगर अपनी फ़िक्स्ड कैपिटल इनवेस्टमेंट और उत्पादन क्षमता २५% से अधिक बढ़ता है तो उसे विस्तारित प्रकल्प कहा जाएंगा । ऐसे प्रकल्प को अपने प्रकल्प मे रोजगार भी १०% से बढ़ाना होंगा ।

*नए प्रकल्प : इस पॉलिसी अवधि ( २०२३ – २०२८ ) मे स्थापित एवं उत्पादन शुरू करने वाले प्रकल्प

*बेसिक वैल्यू : सिर्फ मशीनरी की लागत – टैक्स,ड्यूटि,अन्य चार्जेस के सिवा

*कैपिटल इनवेस्टमेंट सब्सिडि : कैपिटल इनवेस्टमेंट की निर्धारित प्रतिशत पर टेक्सटाइल इंडस्ट्री को अपग्रेडेशन/विस्तार के लिए मिलने वाली सब्सिडि

*योग्य ( एलीजीबल ) मशीनरी : सेंट्रल्ली स्पोंसर्ड टफ़्फ़्स स्कीम या राज्य सरकार द्वारा योग्य निर्धारित नयी मशीनरी

*महा – टफ स्कीम : महाराष्ट्र सरकार की अनेक बार सुधारित महा टफ स्कीम

*फ़िक्स्ड कैपिटल इनवेस्टमेंट : प्लांट एवं मशीनरी का बेसिक मूल्य ( ४ मेगा वाट तक सोलर पावर प्लांट सहित ) – इसमे जमीन एवं इमारत की लागत नहीं पकड़ी जाएंगी ।

*माइक्रो ,स्माल , मीडियम एंटरप्राइज़ ( एम एस एम ई ) : प्लांट एवं मशीनरी मे लागत ५० करोड़ तक या एम एस एम ई डी एक्ट के द्वारा निर्धारित

*लार्ज एंटरप्राइज़ : १०० करोड़ से नीचे के फ़िक्स्ड कैपिटल इनवेसमेंट के प्रकल्प

*मेगा एंटरप्राइज़ : १०० करोड़ से ऊपर एवं १००० करोड़ से नीचे या कम से कम १००० व्यक्तियों को रोजगार

*अल्ट्रा मेगा एंटरप्राइज़ : १००० करोड़ से ऊपर या २००० से अधिक व्यक्तियों को रोजगार

इस पॉलिसी के अंतर्गत विदर्भ ज़ोन को मिलने वाले प्रोत्साहन इस प्रकार है :

१. कैपिटल इनवेस्टमेंट सब्सिडि ( फ़िक्स्ड कैपिटल निवेश – एफ सी आई के अनुपात मे )

सैक्टर :

जिनिंग प्रेसिंग , स्पीनिंग , पोवेरलूम , प्रोसेसिंग (डाइंग ,प्रिंटिंग ,उत्पादन के पहले कपड़े की तयारी ), निटिंग ,होजिएरी,गारमेंटिंग , उलन , अपारंपरिक धागा , सिंथेटिक धागा उत्पादन , टेक्निकल टेक्सटाइल

सब्सिडि प्रतिशत ( एफ सी आइ का ) :

एम एस एम ई (मीडियम स्माल माइक्रो एंटरप्राइज़) –

४५ %
लार्ज प्रकल्प – ४० %
मेगा प्रकल्प – ५५ %

अल्ट्रा मेगा प्रकल्प – स्पेशल पैकेज ऑफ इन्सेंटिव – चीफ़ सेक्रेटरी के अंतर्गत एक हाइ पावर कमेटी द्वारा अनुमोदित किए जाएँगे ।

२. ईलेक्ट्रिसिटी सब्सिडि दर :

श्रेणी

टेक्सटाइल सब्सिडि (रुपये प्रति यूनिट)
एल टी पोवरलूम – ०-२० किलो वाट ३.७७
२० किलो वाट से अधिक
एल टी निटिंग,होजिएरी और गार्मेंट्स ०-२० किलो वाट ३.७७
२० किलो वाट से अधिक ३.४०
एल टी को-ओप सुत गिरनी ३.००
एल टी नॉन को-ओप सुत गिरनी २.००
एल टी प्रोसैस इंडस्ट्री एवं अन्य १०७ एच पी से अधिक २.००
एच टी को-ओपरेटिव सुत गिरणी ३.००
एच टी अन्य इंडस्ट्री २.००

कैपिटल सब्सिडि एवं महा टेक्नालजी अपग्रेडेसन स्कीम की अदायगी : इन दोनों स्कीम की अदायगी उत्पादन शुरू होने के बाद इस प्रकार होंगी –

पहली किश्त ( योग्य अमोऊंट का ६०% ) – १२ माह के बाद

दूसरी किश्त ( योग्य अमोऊंट का ४०% ) – २४ माह के बाद

मौजूदा प्रकल्प की इस्तीथी : मौजूदा इकाइयों को पिछली पॉलिसी ( २०१८ – २०२३ ) मे स्वीक्र्त लाभ मिलते रहेंगे । इलेक्ट्रिसिटि सब्सिडि ऊपर लिखे दरों के हिसाब से सिर्फ २ वर्षों के लिए ही मिलेंगी।

३.महाराष्ट्र टेक्नालजी अपग्रेडेसन फ़ंड स्कीम ( महा- टफ़्स )

स्पीनिंग,पावरलूम प्रकल्पों के लिए राज्य सरकार द्वारा योग्य मशीनरी मे किए गए कैपिटल इनवेस्टमेंट सब्सिडि की अदायगी – योग्य मशीनरी की बेसिक कॉस्ट का ४०%

कृपया ध्यान रखे की कुल सब्सिडि ( राज्य एवं केंद्र मिलाकर ) फ़िक्स्ड कैपिटल निवेश के १००% से अधिक नहीं मिलेंगी

अभी विस्तार ( एक्सपानसन) इकाइयों को मिलने वाली सब्सिडि के बारे मे कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है । आशा है की सरकार इस बारे मे शीघ्र ही स्पष्टीकरण देंगी ।

विदर्भ के उध्यमि इस टेक्सटाइल पॉलिसी का अच्छे से अध्यन कर के पूरा लाभ उठाना चाहिए ।

*****

संकलन : सी ए सतीश गिरधरलाल सारडा | मोबा .9822229601, ईमेल – satishsardanagpur@gmail.com

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