CA Sudhir Halakhandi
जीएसटी के दौरान रिटर्न देरी से पेश किये जाने के लिए लेट फीस के प्रावधान बनाये गये थे उनके बारे में जीएसटी विशेषज्ञ प्रारम्भ से ही सहमत की नहीं थे क्यों कि जीएसटी कानून नया था और ये लेट फीस के कानून ना सिर्फ सख्त थे बल्कि लेट फीस की राशि का डीलर द्वारा भुगतान किये जाने वाले कर की राशी से भी कोई संबंध नही था और इसके कारण हुआ यह कि जिन कर दाताओं के कोई कर की मांग नहीं थी उन्हें भी लेट फीस के रूप में हजारों रूपये की लेट फीस जमा करानी पड़ी थी. कम्पोजीशन डीलर्स , जिनके रिटर्न समय पर नहीं गए उन्हें भी लेट फीस के साथ अपने रिटर्न भरने पड़े और यह लेट फीस प्रारम्भ से ही डीलर्स में असंतोष का करना रही है और डीलर्स की यह मांग रही है कि यह लेट फीस जिन डीलर्स ने इसके साथ रिटर्न भरे हैं को लौटा दी जाये लेकिन अब जो ताजा जीएसटी अधिसूचनाए जीएसटी कौंसिल की हाल ही में हुई 31 वीं माटिंग के फैसलों के बाद लागू हुई है उससे इन डीलर्स की मांग और भी अधिक तार्किक हो गई है इसलिए अब सरकार को इस और ध्यान दे इस असंतोष को समाप्त करना चाहिए.
कानून को पूरा अधिकार है कि जो डीलर्स समय पर कर नहीं जमा कराये या निर्धारित रिटर्न नहीं पेश करे उन्हें दण्डित करे लेकिन जीएसटी में लगने वाली लेट फीस का मुद्दा इतना आसान नहीं है . जीएसटी एक नया कर था और डीलर्स को इसकी तैयारी के लिए समय दिया जाना चाहिए था और ऐसे समय में दंडात्मक प्रावधान थोड़े कम सख्त होने चाहिए लेकिन इस प्रक्रिया का पालन जीएसटी में नही किया गया और इसीलिये जीएसटी के पहले रिटर्न ही जब पेश किये गए थे तभी से डीलर्स में इस लेट फीस के प्रावधान को लेकर असंतोष हो गया था लेकिन डीलर्स जीएसटी रिटर्न्स समय से पेश नहीं कर पाए इसमें जीएसटी नेटवर्क का भी बहुत बड़ा हाथ था जो की प्रारम्भ से ही सही से काम नहीं कर पाया और आज भी जीएसटी नेटवर्क से जुडी समस्याएँ समाप्त नहीं हुई है . जीएसटी रिटर्न्स आज भी रिटर्न भरने के आखिरी दो – तीन दिन बड़ी ही मुश्किल से जाते हैं क्यों कि जीएसटी नेटवर्क की क्षमता सीमित है और अंतिम दिनों में भरे जाने वाले रिटर्न का बोझ उठाने में जीएसटी नेटवर्क को कठिनाई आती है जो अंतिम रुप से जीएसटी डीलर्स की लेट फीस में परिवर्तित हो जाती है . इसके अलावा भी डीलर्स अपने भी कारणों से जीएसटी रिटर्न्स समय पर नहीं भर पाते हैं और उनमें से अधिकांश ने लेट फीस के साथ अपने –अपने रिटर्न भर दिए क्यों कि लेट फीस की राशी दिन –प्रतिदिन बढ़ती जाती थी और इस तरह उन्होंने ईमानदारी से आपना कर्तव्य पूरा किया.
अब हाल ही मै जीएसटी कौंसिल के एक फैसले के अनुसार सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर उन डीलर्स की लेट फीस माफ़ कर दी है जिन्होंने जुलाई 2017 से सितम्बर 2018 तक के रिटर्न नहीं भरे हैं और अब वे रिटर्न्स 22 दिसंबर 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच भर देते हैं . यह एक स्वागत योग्य कदम है क्यों कि इन डीलर्स के भी अपने कुछ कारण होंगे जिसके कारण ये रिटर्न नहीं भर पाए लेकिन जिन डीलर्स ने अपने रिटर्न कानून का पालन करते
हुए लेट फीस के साथ भर दिए है उनके लिए यह फैसला साफ तौर पर भेदभाव पूर्ण लगता है इसलिए अब सरकार को न्याय पूर्ण कार्यवाही करते हुए इन डीलर्स से वसूली हुई लेट फीस भी इसलिए वापिस कर देनी चाहिए क्यों कि जिन डीलर्स ने रिटर्न ही नहीं भरे उन्हें तो इस लेट फीस का भुगतान ही नहीं करना है .
इससे जीएसटी कानून के प्रति जीएसटी डीलर्स का विश्वास बढेगा और यह एक न्यायपूर्ण फैसला भी होगा. जीएसटी कौंसिल की 32 वीं मीटिंग, जो कि 10 जनवरी 2019 को होनी है , में इस बारे में सकारात्मक सोच रखते हुए इस सम्बन्ध में कोई न्यायपूर्ण फैसला होना चाहिए .
sir abhi jo council meeting huyi aur jin delar ke late fee mad huyi hai cbec wale to bol rahe hai ki phele late fee bharo bad me maf hogi
sarkar me sab ek hi prakar ke deligates h,
Daaku lootere
SIR, U R RIGHT.
Agree with You… need of hour to act on refund of GST Late fees paid by obedient dealers.
Yes, agreed.
YES THIS IS ABSOLUTELY RIGHT
Late precedent must be stopped asap on the ground that with the help of computers data is ready all the time and what is late is our willingness to update the books of account. Part time accountants have hundered of clients and they perform bookeeping late hence either the community appoint qualified staff or engage CA articles intermediate of final students to do such job for timely submission of returns
LATE FEE SHOULD BE DETERMIND ACORDING TO THE GST PAYABLE AND ACCORDING TO DEALERS’ CATEGORY VIZ: NIL TURNOVER, NIL RATED TURNOVER,ZERO RATED TURNOVER AND EXEMPTED TURNOVER .BUT NOW THERE IS SO MANY DRAW BACKS IN GST WEB SITE AND SYSTEM, HENCE ,LATE FEE SHOUD BE WITHDRAWN AND THE DEALERS , THOSE ALREADY PAID THE LATE FEE. SAME SHOULD BE CREDITED INTO THEIR CASH LEDGER .
All the late fees and penalty voluntarily paid by the registered dealers should be returned without any claim lodged by the dealers. The common matter is not understandable to our so much educated GST council members and the finance minister and the honourable prime minister of India. This is a very sorry state of affair.
Hume bhi Humari Late Fees Vapis Chahiye
Barabar hai aapka, Humne bhi Late Fees Bharke Return File Kiye hai, us time Hume bhi Return ki jyada jankari nahi thi. Hume hamari late fees Vapis Milani Chahiye