– सुधीर हालाखंडी
जीएसटी कौंसिल की 31वीं मीटिंग 22 दिसंबर 2018 अर्थात इससे सप्ताह में होनी है और इस समय जीएसटी जिस हालात से गुजर रहा है ,आप समझ सकते हैं कि यह मीटिंग बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण हो गई है क्यों कि हमने अपने पहले लेख में आपको बताया था कि जीएसटी में ना सिर्फ बहुत अधिक सुधार की गंजाइश है बल्कि अब यह जीएसटी के अस्तित्व के लिए अनिवार्य भी है .
जीएसटी कौंसिल कुछ वस्तुओं पर जो 28 प्रतिशत कर है उसे कम करने का निर्णय लेगी ये खबर इस समय आम है और इसके साथ ही यह खबर भी आम हो रही है कि सीमेंट और टायर के साथ कुछ और वस्तुओं पर कर की दर 28% की जगह 18% करने की सिफारिश की जायगी लेकिन कुछ और भी महत्वपूर्ण मुद्दे है जिनपर जीएसटी कौंसिल को अब इसलिए भी ध्यान देना चाहिए क्यों कि अब काफी देर हो चुकी है और इन समस्याओं के कारण गलत सन्देश भी जा रहा है कि जीएसटी प्रबंधन और कानून निर्माता इन समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है.
जीएसटी के रिटर्न में सुधार की जरुरत कितने समय से बताई जा रही है और सरकार भी इसे मानती है लेकिन सुधार करने के लिए समय मांगते हैं जो कि बहुत ही अजीब बात है . 5 करोड़ की बिक्री तक के लिए भी तिमाही रिटर्न की बात होती है लेकिन इसके लिए भी समय माँगा जाता है और यह भी तय है नहीं है कि कब किया जाएगा . रिटर्न भरने की प्रक्रिया कठिन है यह तो माना जाता है लेकिन तुरंत कोई फैसला नहीं किया जाता है .
3 बी नामक रिटर्न दो माह के लिए लागू किया गया था और इस समय वह अपने आपको को 18 माह तक लागू किये हुए है . यहाँ लगता है जीएसटी लागू करते समय पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से तैयारी नही की गई.
अब इसे दूसरी तरह से साझिये – प्रक्रियाओं की जटिलता एक बीमारी है जिसे जीएसटी प्रबंधन ने मान लिया है लेकिन वे ये कहते हैं इसका इलाज हम आने वाले समय में करेंगे. यह एक अनोखी बात है . आपको बीमारी पता है और इलाज भी . मरीज को दवा अभी चाहिए लेकिन आप कब देंगे ये समय आप भविष्य में तय करेंगे और यही प्रक्रिया जीएसटी के लिए अब ख़तरा बनती जा रही है. जीएसटी को अब तुरंत इलाज की जरुरत है.
लेट फीस एक बहुत बड़ा मसला है और डीलर्स इसकी मार सहन कर रहें है. हर रिटर्न के साथ लेट फीस लगाईं हुई है . आइये आपको एक नया उदहारण देते हैं .इस समय जिन डीलर्स ने अपने रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवा दिए है उन्हें GSTR-10 भरना है उसके लिए देरी होने पर एक दिन की लेट फीस 200 रूपये है . GSTR-10 खुद ही देरी से आया था लेकिन इस कमी को छिपा लिया गया है.
एक बहुत बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या कानून जीएसटी लगाने के लिए आया था या लेट फीस लगाने के लिए और इसके साथ एक बड़ा सवाल यह भी उत्प्पन होना है कि क्या जो भी फॉर्म्स डीलर्स को भरने थे वे समय पर उपलब्ध थे यदि नहीं तो फिर जो फॉर्म्स ही देरी से भरने के लिए उपलब्ध कराये गए उसके लिए सरकार जब स्वयं तो तारीख बढ़ा सकती है फिर ऐसे में डीलर्स अगर देरी से रिटर्न प्रस्तुत करते हैं तो फिर उन्हें लेट फीस क्यों भरनी पड़ रही है . यहाँ यह नहीं कहा जा रहा है कि डीलर्स को रिटर्न देरी से प्रस्तुत करने चाहिए लेकिन जब अभी पूरा ही सिस्टम “ट्रायल” पर था तो ऐसे में रिटर्न देरी से भरने के पर्याप्त कारण भी थे और सबसे बड़ा कारण था कि जीएसटी का सिस्टम इतने सारे डीलर्स को एक साथ झेलने को तैयार नहीं है.
जब डीलर चाहे वह रिटर्न नहीं भर सकता क्यों इस बीच कई बार सिस्टम ब्रेक हुआ . अब आप सोचिये कि डीलर अपना रिटर्न तैयार करे और भर दे ऐसी स्तिथी हो तो लेट फीस का कोई औचित्य भी है लेकिन वह यह इंतजार करे कि सिस्टम कब रिटर्न स्वीकार करेगा तो आप मान कर चलिए कहीं ना कहीं कोई गफलत तो है ही और ऐसे मैं लेट फीस के औचित्य पर भी एक बड़ा सवाल है. GSTR-9 का अभी तक ऑनलाइन जारी नहीं हो पाना यही बताता है कि जीएसटी प्रबंधन भी भ्रम और असमंजस में है. यह सब तैयारी तो जीएसटी लागू के पहले ही हो जानी चाहिए थी और यदि नहीं हुई है तो आप मान कर चलिए पूरा सिस्टम “ट्रायल एंड एरर” पर है तो ऐसे में दंडात्मक कार्यवाही का कोई औचित्य नहीं है.
ऐसा नहीं है कि इन परिस्तिथियों में डीलर्स ने रिटर्न ही नहीं भरे हैं , अधिकाँश डीलर्स ने विपरीत परिस्तिथियों में रिटर्न भरे हैं लेकिन उनमें से भी बहुत से डीलर्स को लेट फीस का दंड भरना पडा है और इनमें से भी कुछ ऐसे भी है जिन्हें शून्य बिक्री पर भी बड़ी लेट फीस भरनी पड़ी है. कर देरी से भरने पर ब्याज का भुगतान तो करना ही है लेकिन भ्रम और असमंजस से भरे इस माहौल में ली गई लेट फीस तो डीलर्स को अब लौटानी देनी चाहिए.
रिवर्स चार्ज का प्रावधान भी इसी असमंजस और भ्रम का ही परिणाम है और हमारे जीएसटी प्रबन्धन ने स्थगन को इसका एक उपाय मान रखा है . इस प्रावधान को लागू करने में ही खामियां है और स्थगन की जगह इसे समाप्त कर देना चाहिए.
सिस्टम को लेकर सबसे मुख्य बात यह है कि जीएसटी प्रबंधन इसके लिए सुचना तंत्र को दोषी ठहराता है तो दूसरी और इस तंत्र से जुड़े लोग कठोर कानून और प्रक्रिया को. अब समय आ गया है कि इस मुद्दे की भी पड़ताल हो जानी चाहिए कि गलती कहाँ हुई है जिसका खामियाजा डीलर्स को भुगतना पडा.
इन मुख्य बातों को लेकर अब जीएसटी कौंसिल को अब एक सकारात्मक और कठोर निर्णय लेना चाहिए क्यों कि अब डीलर्स और कर दाताओं को जीएसटी कौंसिल से ही उम्मीद है .
- सुधीर हालाखंडी
late fee ki sima 10000.00 se kum karke 2000.00 hona chahiya 3b end hona chahiya har form me late fee nahi lgni chahiye
What can u expect from a person (P.M.) who has no educational & social background.?
Is Fin. Minister right candidate to hold such post?
Just wait & watch worst is yet to come .
Nice articles in short.
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YOUR ARTICLE IS VERY GOOD AMENDMENTS ARE REQUIRED THERE IS PROBLEM IN FILLING GSTR-10 HAVE FILED GRIEVANCES BUT NO RESPONSE SINCE LAST (6) DAYS
Sir, Your article is good , we support with you. There are many possibilities to rectify the GST return and make easy to file . GST annual return is
not completely on portal. Thanks
hope tax rate will be reduced and late filling charges will be eliminated
BILKUL SAHI HAINE
Sir, very true picture you have show and thanks to write in hindi. very appreciating your effort.
Sir your article is observation of GST portal and GST Law. you are voice of industry. thanks a lot for this article.
The information shared are useful and informative. Almost every month server collapse and dealers are unable to file returns on time and then they have to pay penalties. The overall system is too tedious to comply specially by MSMEs.
R/SIR,
I READ YOUR ARTICAL.YOU WRITE DEEPLY AND VERY GOOD.
SO MANY PROBLEM IN GST PORTAL AND GST
ACT/RULES INTERPRITATION.
IN ASSESMENT STAGE VERY SUFFERING ON GST ACT/RULES.
THANKYOU SUDHIRJI,GOVT HAVE NO PREPARATION AT ALL,THEY ARE NOT GIVEN TIME ACTUALLY THEY ARE ASKING TIME FROM TAX PAYERS, TO PREPARE ,STILL ANNUAL RETURN NOT ON GST PORTAL
This is how Modi Works and get credit. Media is in full support because of revenue received from BJP.
When he was CM he was in opposition to bring GST because of Infrastructure not available in Country.
As soon as he got the power India is fully equipped with infrastructure and results is in-front all of us.
Some of Modi bhakt wont like my comment its ok.
There are lot of possibilities to make change a system should stabilize very shortly.
Sir, Very nice and real facts you have presented , and I think this all matter should be go through supreme court as earliest
VERY GOOD AND USEFUL ARTICLE.RECTIFICATIONS ARE REQUIRED TO BE DONE .
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सुधीर जी, आपके टैक्स संबंधित कई लेख पढे। हिंदी में लिखने के लिए धन्यवाद। यदि भविष्य में भी इसी तरह हिंदी में जानकारी दे तो आम जनता को कानून के विषय में अच्छी जानकारी मिल सकती है।हिंदी में लिखने के लिए पुनः धन्यवाद ।
अरविन्द अग्रवाल फैज़ाबाद यूपी 9129190111