वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में जब किसी करदाता या अपंजीकृत व्यक्ति को मांग आदेश पत्र जारी किया जाता है। जिसके लिए जीएसटी DRC 07 के द्वारा यह मांग आदेश के द्वारा की जाती है ।यदि कोई करदाता या अपंजीकृत व्यक्ति मांग आदेश से असंतुष्ट होता है। तो वह वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 107 के अंतर्गत प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहां निर्धारित प्रपत्र APL 01 के द्वारा यह अपील दाखिल कर सकता है ।आज हमारा विषय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम में प्रथम अपील कैसे दायर करें , किस आधार पर दायर करें, इसकी प्रक्रिया कैसे हैं? करदाता के पक्ष में अपील आदेश पर ब्याज कैसे मिलेगा?सभी पहलुओं पर यह समीक्षा प्रस्तुत है
1. अपील दायर करने की अवधि-
किसी करदाता या अपंजीकृत व्यक्ति के विरुद्ध पारित आदेश की तारीख से 3 माह की अवधि नियत की गई है ।कि वह मांग आदेश से असंतुष्ट है।तो APL 01 के द्वारा अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील प्रस्तुत करें ।धारा 107 (4 )में यह प्रावधान किया गया है ।यदि अपील समय अवधि में प्रस्तुत नहीं की जा सकी ।तो उचित कारण के आधार पर एकमाह की देरी क्षमा स्वीकार करते हुए, अपील पंजीकृत की जा सकती है।
2. अपील की स्थिति-
जब हम प्रथम अपील प्रस्तुत करते हैं। उस स्थिति में वह विभिन्न चरणों से गुजराती है। जिसे समझने के लिए निम्नलिखित चार्ट के माध्यम से उस स्थिति का विवरण प्रस्तुत है
क्रम संख्या | विवरण | अपील का status |
1. | एपीएल 01 दाखिल किया गया | अपील प्रस्तुत की गई |
2. | एपीएल 01 स्वीकार किया गया | एपीएल 02 के द्वारा स्वीकार की गई |
3. | यदि एपीएल 01 निरस्त कर किया गया | अपील खारिज की गई |
4. | सुनवाई हेतु एपीएल 03 जारी किया गया | एपीएल 03 के द्वारा सुनवाई हेतु तारीख नियत |
5. | जब नोटिस के संबंध में प्रति उत्तर प्राप्त हुआ | प्रति उत्तर प्राप्त हुआ |
6. | यदि कारण बताओं नोटिस जारी किया गया | कारण बताओं नोटिस जारी किया गया |
7. | यदि अपील की पुष्टि/ संशोधन/ अस्वीकार की गई हो | एपीएल 04 में आदेश पारित किया गया। |
8. | यदि सुनवाई स्थगित की गई | स्थगन मंजूर किया गया |
9. | जब अपील में सुधार के लिए आवेदन दाखिल किया गया | सुधार हेतु अनुरोध किया गया |
10. | जब अपील में सुधार खारिज कर दिया गया हो या स्वीकार किया गया हो। | सुधार स्वीकार या स्वीकार किया गया |
3. अपील प्रस्तुत करने से पूर्व की स्थिति
1. कर प्राधिकारी द्वारा आदेश जारी किया जाना चाहिए।
2. दायर करने से पूर्व विवादित कर राशि का न्यूनतम 10% भुगतान करना हो
4. किसी आदेश के विरुद्ध अपील की जा सकती है?
1. धारा 62 के अंतर्गत पारित आदेश के विरुद्ध।
2. धारा 63 के अंतर्गत पारित आदेश के विरुद्ध ।
3. धारा 64 के अंतर्गत पारित आदेश के विरुद्ध।
4. धारा 64(2) के अंतर्गत पारित प्रार्थना पत्र स्वीकार/ अस्वीकार के विरूद्ध।
5. धारा 73 ,74 और 76 के अंतर्गत पर आदेश मांग पत्र डीआरसी 07 के विरुद्ध। तथा Proceedings drop के लिए।
6. धारा 125 के अंतर्गत पारित अर्थ दंड के विरुद्ध।
7. धारा 122 /125 /127 के अंतर्गत के विरूद्ध।
8. धारा 129 के आदेश के विरुद्ध कर, जुर्माना, दंड के मांग आदेश MOV 09/11 के लिए DRC 08 में सुधार संशोधन का आदेश के विरुद्ध तथा MOV 09 /11 के लिए DRC 08 वापस/शुद्धि करने के विरुद्ध।
9.आदेश सुधार हेतु। धारा 161 मे स्वीकार/ अस्वीकार के विरूद्ध।
5. क्या अपील की वापसी हो सकती है?
यदि किसी करदाता या अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा अपील वापसी क एमएमकर सकता है । जी हां उसे जीएसटी पोर्टल के केस डिटेल में जाकर एप्लीकेशन सेलेक्ट करनी होगी ।तथा ड्रॉप डाउन मेनू में अप्लाई करना होगा ।यहां विशेष तथ्य यह है ।कि अपील में कोई नोटिस जारी हो गया है या अपील का आर्डर पास हो गया है ।ऐसी स्थिति में अपील वापसी नहीं हो सकती है ।यहां एक विशेष तथ्य है। कि अपील एप्लीकेशन को हम दो बार वापस कर सकते हैं। उसके बाद दोबारा फाइल करने पर ऑर्डर आईडी वही रहेगी ।तथा न्यू ARN जनरेट होगा।
यदि अपील एडमिशन स्टेज पर निरस्त हो जाती है। दोबारा से न्यू एप्लीकेशन सबमिट करनी होगी ।जिसके लिए ऑर्डर आईडी वही रहेगी और नया ARN जनरेट होगा।
6. अपीलीय आदेश पर ब्याज
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत अपीलीय प्राधिकारी और अपीलीय न्यायाधिकरण के यहां अपील में पूर्व जमा पर ब्याज का लाभ उठा सकते हैं! जानिए कैसे ? वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 115 सरकार के लिए भारी पड़ सकती है। धारा 115 में कहा गया है ।कि सरकार को पूर्वजमा राशि की वापसी पर ब्याज देना होगा। ऐसा माना जाता है। कि एक करदाता (अपीलकर्ता) कर अधिकारियों द्वारा किए गए निर्णय से असहमत होता है और प्रथम अपीलीय/ न्यायधिकरण के पास अपील करता है। अपील पुनर्स्थापन के लिए, करदाता को वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 107(6) या धारा 112(8) के अनुसार एक निश्चित राशि जमा करने की आवश्यकता हो सकती है। वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 115 यदि अपीलीय प्राधिकारी या अपीलीय न्यायधिकरण करदाता के पक्ष में निर्णय सुनाता है।, तो जमा की गई राशि वापस करनी होगी। वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम, 2017 की धारा 115 करदाताओं द्वारा अपीलों से उत्पन्न होने वाले निवेशकों से संबंधित है। धारा 115 में कहा गया है। कि सरकार को इस पर ब्याज देना होगा। बंधक पर ब्याज दर के लिए जीएसटी अधिनियम की धारा 56 के तहत मान्य दर के समान है। यह दर सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है और समय के साथ बदली जा सकती है। वर्तमान में बंधक के लिए ब्याज दर 6% प्रति वर्ष या 0.5% प्रति माह है । ब्याज की गणना करदाता द्वारा अपील राशि जमा करने की तिथि से लेकर निर्णय की तिथि तक की जाती है। करदाता के पक्ष में ऐसा एक मामला इस प्रकार है: माउंट एवरेस्ट ब्रुअरीज को राहत: मध्य प्रदेश HC ने एसएलपी को 6% ब्याज के साथ पूर्व-जमा राशि वापस लेने के निर्देश दिए प्रस्तुत किया गया था। कि लाभांश देय राशि पर ब्याज का उल्लेख नहीं किया गया है ।क्योंकि राजस्व पर वैट अधिनियम के भुगतान के लिए राजस्व किसी विशेष प्रावधान के तहत नहीं है। हालाँकि सरल शब्दों में कहें तो यदि आप अपील करते हैं और आपके द्वारा कर जमा किया जाता है। और आप अपील जीतते हैं। तो आपको अपना पैसा ब्याज सहित वापस मिल सकता है। यह धारा115 केवल अपीलों से उत्पन्न निर्णयों पर लागू होती है।
लेखक का विचार
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में जब करदाता या अपंजीकृत व्यक्ति धारा 62/ 63/ 64 /64 2/73/ 74/76 और 129 आदि के निर्णय से असंतुष्ट होता है। तो उसे धारा 107 में प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहां अपील दाखिल करने का अधिकार दिया गया है। जिसमें उस आदेश के विरुद्ध 10% की धनराशि (विवादित कर राशि का) उसे अपने लेजर से जमा करनी होगी तथा अपने अपील के आधार को प्रस्तुत करते हुए उपस्थित होकर या बिना उपस्थित हुए ऑनलाइन अपनी अपील की सुनवाई करा सकता है। वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम में अपील वापस ली जा सकती है ।तथा निर्धारित अवधि में पुनः दाखिल की जा सकती है ।तथा वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 115 के अंतर्गत करदाता या अपंजीकृत व्यक्ति यदि अपील में जीतता है ।तो वह धारा 56 के अंतर्गत जमा राशि पर ब्याज की मांग कर सकता है।
यह लेखक के निजी विचार है।