ऑफिस ऑर्डर संख्या 22/2023 दिनांक 16 अक्टूबर 2023 द्वारा प्रिंसिपल कमिश्नर जयपुर परिक्षेत्र जयपुर द्वारा यह एक ऑफिस ऑर्डर जारी किया है ।जिसमें लंबित जीएसटी डीआरसी 03 के सत्यापन के संबंध में यह आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में कुछ तथ्य निम्न प्रकार हैं
जयपुर परिक्षेत्र में डीआरसी 03 के लगभग 80000 लंबित है। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए सभी लंबित डीआरसी 03 को सत्यापित करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 73 के अंतर्गत समय सीमा 31 दिसंबर 2023 है ।लेकिन कर अधिकारियों ने लंबित डीआरसी 03 का समाधान नहीं किया है। जिसके लिए उन्हें डीआरसी 04 जारी किया जाना था।
डीएसआर सलाहकार संख्या 01/2019/ दिनांक 1 नवंबर 2019 के साथ सीजीएसटी नियम 142 के अंतर्गत डीआरसी 03 को सत्यापित करने की एक प्रक्रिया निर्धारित की जा रही है।
यह कि आरंभ से जीएसटी डीआरसी 03 के माध्यम से करदाता द्वारा भुगतान किया गया कर, ब्याज ,जुर्माना आदि का self भुगतान निम्न कारण से हो सकता है—-
यह कि जीएसटी एक्ट की धारा 63 के प्रावधानों के अंतर्गत DGGI/कमिश्नर कार्यालय /ऑडिट/कर अधिकारी/ फॉर्म जीएसटी डीआरसी 01/ करदाता द्वारा दाखिल वार्षिक रिटर्न से उत्पन्न होने वाली देनदारी/ धारा 61 से उत्पन्न करदायित्व/ धारा 62 नियम 100 के अंतर्गत मूल्यांकन से उत्पन्न देनदारी तथा अन्य अन्य विषय से उत्पन्न कर की देनदारी द्वारा जांच करवाई के दौरान कारण बताओं नोटिस जारी करने से पहले धारा 73(5) 74(5) और कारण बताओं नोटिस जारी होने के बाद धारा 73(8), 74(8) धारा 76 ,धारा 122 से 125 या सीजीएसटी अधिनियम की धारा 127 129 या 130 के अंतर्गत उत्पन्न कर का भुगतान किया गया है।
उपरोक्त उदाहरण से स्पष्ट है। कि करदाता द्वारा दाखिल फार्म डीआरसी 03 द्वारा दाखिल कर के संबंध में फार्म डीआरसी 0 4 जारी किया जाना आवश्यक है।
इसके संदर्भ में ऑफिस सुपरीटेंडेंट डीआरसी 03 के समाधान के संबंध में तथा वित्तीय वर्ष के अनुसार डीआरसी 03 के संबंध में डीआरसी 04 के द्वारा करवाई संपन्न करेंगे।
लेखक का मत
उपरोक्त ऑफिस ऑर्डर से स्पष्ट है। कि देश के सभी आयुक्तको को ऐसे ऑफिस ऑर्डर जारी किए जाने चाहिए। ताकि करदाता के द्वारा दाखिल कर भुगतान के लिए डीआरसी 0 3 का निवारण हो सके ।इसके निवारण होने से वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए धारा 61 के नोटिस में कमी आएगी।
जीएसटी 3b और जीएसटी 2a के आधार पर आईटीसी के लिए इनकार नहीं किया जा सकता
जीएसटी R 3b और जीएसटीR 2a के आधार पर कर प्राधिकारियों द्वारा आईटीसी का इनकार किया जा रहा है। इसके संबंध में माननीय केरल हाई कोर्ट की एर्नाकुलम बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। यह निर्णय writ petition no 30660/2023सर्व श्री मेहंदी मेडिकल्स बनाम राज्य कर अधिकारी द्वितीय सर्कल राज्य माल और सेवा कर विभाग केरल के विरुद्ध दिया है ।जिसमें याचिकाकर्ता ने कर अधिकारी द्वारा जीएसटीR 2a और जीएसटीR 3b के बीच के अंतर के आधार पर कर की मांग जारी की गई ।इसके विरोध में याची ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष इस विषय को प्रस्तुत किया। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने कर्नाटक राज्य बनाम मैसेज ईकॉम गिल कॉफी ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड 2023 /246 पर भरोसा किया और जिसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्थापित किया था। कि केवल इनपुट टैक्स जीएसटी R 2a और जीएसटी R 3b के बीच के अंतर के आधार पर रिजेक्ट नहीं किया जा सकता।
माननीय न्यायालय ने सर्वश्री दिया एजेंसी बनाम राज्य कर अधिकारी रिट पिटीशन संख्या 1717/ 2023 के मामले का भी उल्लेख किया ।जहां देखा गया कि कर अधिकारी द्वारा याचिका कर्ता को आईटीसी देने से इनकार किया था। मात्र फॉर्म जीएसटी R 2a के आधार पर आईटीसी के लिए मना नहीं किया जा सकता ?क्योंकि याची के पास सेक्शन 16 के अंतर्गत लीगल डॉक्युमेंट्स /माल की सुपुर्दगी के आदि के प्रमाण उपलब्ध है ।जिनकी पहले जांच की जानी आवश्यक है ।तथा वाद को कर प्राधिकारी के पास डिमांड किया गया।
लेखक का मत
इस विषय में टैक्स प्रोफेशनल को जीएसटी विभाग द्वारा जारी सर्कुलर संख्या 183/15/2022/जीएसटी /27/12/2022 तथा 195/05/2023/जीएसटी/17/07/2023 का भी संदर्भ ग्रहण करते हुए जवाब दाखिल करना चाहिए। तथा माननीय उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए अपने जवाब को मजबूती प्रदान करें।
यह लेखक के निजी विचार है