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जीएसटी अधिनियम 2017 के अंतर्गत अभी तक जितने भी मांग आदेश पत्र डीआरसी 07 जारी किए गए हैं ।उनकी रिकवरी के संबंध में सीबीआईसी द्वारा एक दिशा निर्देश Instruction No. 01/2024-GST 30.5.2024 जारी किया है। तथा सभी उच्च अधिकारियों को निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया है ।जैसा कि सभी टैक्स प्रोफेशनल जानते हैं। कि  जब किसी करदाता का मांग आदेश पत्र डीआरसी 07 जारी किया जाता है। जारी करने की तारीख से 3 माह की अवधि उस मांग को जमा करने के लिए इस अधिनियम में व्यवस्था दी गई है। अब करदाता के पास दो विकल्प होते हैं। कि वह जीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 107 के अंतर्गत प्रथम अपील प्रस्तुत करें या फिर उसे मांग आदेश के अंतर्गत उस कर ,ब्याज और पेनाल्टी का भुगतान करें ।इस संदर्भ में CBIC  द्वारा यह दिशा निर्देश जारी किया है ।वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अध्याय संख्या 15 की धारा 79 में रिकवरी (Recovery of Tax) के प्रावधान दिए गए हैं। इस दिशा निर्देश Instruction No. 01/2024-GST दिनांक 30.5.2024 का वर्णन लेखक ने अपनी भाषा में निम्न प्रकार किया है

विषय मांग आदेश की तामील की तारीख से तीन महीने पहले वसूली कार्यवाही शुरू करने के लिए दिशानिर्देश-

केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (जिसे आगे ‘सीजीएसटी अधिनियम’ कहा जाएगा) की धारा 79 की उपधारा (1) की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है। जिसमें यह प्रावधान है। कि जहां किसी व्यक्ति द्वारा सीजीएसटी अधिनियम या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत सरकार को देय कोई राशि नहीं चुकाई जाती है। तो उचित अधिकारी उक्त उपधारा में निर्दिष्ट एक या अधिक तरीकों से राशि वसूलने की कार्यवाही करेगा। सीजीएसटी अधिनियम की धारा 78 की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया जाता है। जिसमें ऐसी वसूली कार्यवाही आरंभ करने के लिए समय का प्रावधान है। संदर्भ की सुविधा के लिए इन धाराओं को नीचे पुन: प्रस्तुत किया गया है:

धारा 78: के अंतर्गत वसूली कार्यवाही प्रारंभ करना –इस अधिनियम के अंतर्गत पारित आदेश के अनुसरण में किसी कराधीन व्यक्ति द्वारा देय कोई राशि ऐसे व्यक्ति द्वारा ऐसे आदेश की तामील की तारीख से तीन माह की अवधि के भीतर चुकाई जाएगी।अन्यथा वसूली कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी:

परन्तु जहां उचित अधिकारी राजस्व के हित में इसे समीचीन समझता है। वहां वह कारणों को लेखबद्ध करके उक्त कराधीन व्यक्ति से ऐसा भुगतान तीन मास की अवधि से कम अवधि के भीतर करने की अपेक्षा कर सकेगा।जैसा कि उसके द्वारा निर्धरित किया जाए।

धारा 79: के अंतर्गत कर की वसूली –

1. जहां किसी व्यक्ति द्वारा इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किसी उपबंध के अधीन सरकार को देय कोई राशि नहीं चुकाई जाती है, वहां समुचित अधिकारी निम्नलिखित में से एक या अधिक तरीकों से राशि वसूलने के लिए कार्यवाही करेगा, अर्थात:

1.2 उपर्युक्त धाराओं को पढ़ने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि वसूली कार्यवाही शुरू करने का सामान्य नियम यह है कि, जहां सीजीएसटी अधिनियम के तहत पारित आदेश के अनुसरण में कर योग्य व्यक्ति द्वारा देय कोई राशि ऐसे आदेश की तामील की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर भुगतान नहीं की जाती है। तो वसूली कार्यवाही तीन महीने की उक्त अवधि की समाप्ति के बाद ही उचित अधिकारी द्वारा शुरू की जाएगी।

1.3 केवलअपवादस्वरूप मामलों में, जहां यह आवश्यक है, उचित अधिकारी उक्त करयोग्य व्यक्ति से आदेश की तामील की तारीख से तीन महीने की अवधि से कम समय के भीतर राजस्व का ब्याज मांग सकता है।जैसा कि लिखित रूप में ऐसा करने के कारणों को दर्ज करने के बाद, उसके द्वारा निर्दिष्ट अवधि के भीतर उक्त राशि का भुगतान करना होगा। यदि उक्त राशि का भुगतान उक्त करयोग्य व्यक्ति द्वारा CGST अधिनियम की धारा 78 के प्रावधान के अंतर्गत उचित अधिकारी द्वारा निर्दिष्ट अवधि के भीतर या आदेश की तामील की तारीख से तीन महीने की समाप्ति के बाद भी नहीं किया जाता है। तो उसे CGST अधिनियम की धारा 79 की उप-धारा (1) के प्रावधानों के अनुसार उचित अधिकारी द्वारा वसूल किया जा सकता है।

2.  बोर्ड के ध्यान में लाया गया है। कि कुछ क्षेत्रीय कार्यालय आदेश की तामील की तिथि से तीन महीने की निर्दिष्ट अवधि से पहले ही वसूली शुरू कर रहे हैं। यहां तक कि ऐसे मामले भी जहां कर योग्य व्यक्ति को उचित अधिकारी द्वारा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से आदेश की तामील की तिथि से तीन महीने की अवधि से कम अवधि के भीतर ऐसी राशि का भुगतान करने के लिए विशेष रूप से आवश्यक नहीं किया गया है। ताकि देश भर में कानून के प्रावधानों के कार्यान्वयन में एकरूपता सुनिश्चित की जा सके। इसलिए, सूचना के अनुसार, बोर्ड, सीजीएसटी अधिनियम की धारा 168 द्वारा प्रदत्त अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए। राजस्व के हित में निम्नलिखित निर्देश जारी करता है।ताकि आदेश की तामील की तिथि से तीन महीने की अवधि से पहले वसूली शुरू की जा सके।

परन्तु जहां समुचित अधिकारी राजस्व के हित में इसे समीचीन समझता है, वहां वह कारणों को लेखबद्ध करके उक्त कराधीन व्यक्ति से ऐसा भुगतान तीन मास की अवधि से कम अवधि के भीतर करने की अपेक्षा कर सकेगा, जैसा कि उसके द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए।

निम्नलिखित निर्देश जारी करता है, ताकि आदेश की तामील की तिथि से तीन महीने की अवधि से पहले वसूली शुरू की जा सके।

3.1 5 जुलाई 2017 के परिपत्र संख्या 3/3/2017- जीएसटी के अनुसार , सीजीएसटी अधिनियम की धारा 79 के अंतर्गत वसूली के लिए उचित अधिकारी क्षेत्राधिकार प्राप्त केंद्रीय कर उप या सहायक आयुक्त है। यह भी उल्लेख किया गया है कि धारा 78 के प्रावधान के अंतर्गत उचित अधिकारी क्षेत्राधिकार प्राप्त केंद्रीय कर प्रधान आयुक्त/आयुक्त है ।

3.2 इसलिए, जबकि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 79 की उप-धारा (1) के तहत वसूली की कार्यवाही क्षेत्राधिकार प्राप्त उप या सहायक आयुक्त, केन्द्रीय कर द्वारा की जानी अपेक्षित है।तथापि, ऐसे मामलों में, जहां यह महसूस किया जाता है। कि किसी आदेश के अनुसरण में कर योग्य व्यक्ति द्वारा देय राशि की वसूली की कार्यवाही, आदेश की तामील की तारीख से तीन महीने पूरे होने से पहले राजस्व पर ब्याज के संबंध में आरंभ किए जाने की आवश्यकता है। ऐसे मामले को क्षेत्राधिकार प्राप्त उप या सहायक आयुक्त, केन्द्रीय कर द्वारा क्षेत्राधिकार प्राप्त प्रधान आयुक्त/केन्द्रीय कर आयुक्त के समक्ष, ऐसी कार्रवाई के कारणों/औचित्य के साथ प्रस्तुत किए जाने की आवश्यकता है। क्षेत्राधिकार प्राप्त प्रधान आयुक्त/केन्द्रीय कर आयुक्त क्षेत्राधिकार प्राप्त उप आयुक्त या सहायक आयुक्त द्वारा दिए गए कारणों/औचित्य की यथाशीघ्र जांच करेंगे और यदि वे संतुष्ट हैं। कि उक्त कर योग्य व्यक्ति से सेवा लिखने की तिथि से तीन महीने पूरे होने से पहले उक्त राशि का भुगतान करने के लिए कहना समीचीन है। तो उन्हें आदेश में उन कारणों को दर्ज करना होगा। कि संबंधित कर योग्य व्यक्ति को ऐसी राशि का भुगतान तीन महीने से कम की अवधि के भीतर करना आवश्यक है । जैसा कि उनके द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है। ऐसे कारणों को लिखित रूप में दर्ज करने के बाद, वे संबंधित कर योग्य व्यक्ति को उसके द्वारा निर्दिष्ट अवधि के भीतर उक्त राशि का भुगतान करने के निर्देश जारी कर सकते हैं । ऐसे निर्देशों की प्रति उक्त निर्देशों के क्षेत्राधिकार प्राप्त उप आयुक्त या सहायक आयुक्त को भी भेजी जानी चाहिए। सूचना के लिए प्रति केन्द्रीय कर ।

3.3 यह भी उल्लेख किया गया है। कि क्षेत्राधिकार वाले प्रधान आयुक्त/केन्द्रीय कर आयुक्त को कर योग्य व्यक्ति से उक्त राशि का शीघ्र भुगतान करने के लिए कहने के लिए विशिष्ट कारण(कारण) प्रदान करने चाहिए। तथा ऐसी शीघ्र कार्रवाई के लिए प्रेरित करने वाली परिस्थितियों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करना चाहिए। ऐसे कारणों में तीन महीने की अवधि पूरी होने तक प्रतीक्षा करने में शामिल राजस्व का उच्च जोखिम शामिल हो सकता है। क्योंकि इस आशंका के कारण कि संबंधित कर योग्य व्यक्ति निकट भविष्य में व्यवसाय संचालन बंद कर सकता है। या कर योग्य व्यक्ति द्वारा अपनी गिरती वित्तीय स्थिति या आसन्न दिवालियापन के कारण डिफ़ॉल्ट की संभावना के कारण, या संभावित हो सकता है।

दिवाला और दिवालियापन अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही शुरू करना  आदि। राजस्व जोखिम की आशंका के लिए विश्वास करने के कारण विश्वसनीय साक्ष्य पर आधारित होने चाहिए।जिन्हें यथासंभव रिकॉर्ड पर रखा जा सकता है। ऐसे किसी भी निर्देश को जारी करते समय, उचित अधिकारी को कर योग्य व्यक्ति की वित्तीय स्थिति, व्यवसाय संचालन की स्थिति, बुनियादी ढांचे और विश्वसनीयता पर उचित रूप से विचार करना चाहिए। और राजस्व के हित और व्यापार करने में आसानी के बीच संतुलन बनाना चाहिए। यह निहित है। कि पुष्टि की गई मांग के शीघ्र भुगतान के लिए ऐसे निर्देश यांत्रिक तरीके से जारी नहीं किए जाने चाहिए। और केवल उन मामलों में जारी किए जाने चाहिए जहां उक्त मामले में विशिष्टआशंका/परिस्थितियों के कारण राजस्व के हितों की रक्षा करना आवश्यक है।

3.4 जहां भी ऐसे निर्देश सी.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 78 के प्रावधान के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुसार क्षेत्राधिकार वाले केन्द्रीय कर के प्रधान आयुक्त/आयुक्त द्वारा जारी किए जाते हैं, और जहां कर योग्य व्यक्ति उक्त निर्देशों में निर्दिष्ट अवधि के भीतर उक्त राशि का भुगतान करने में विफल रहता है , वहां क्षेत्राधिकार वाले केन्द्रीय कर के उप या सहायक आयुक्त सी.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 79 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार उक्त राशि वसूलने के लिए आगे बढ़ेंगे।

4. यदि इन अनुदेशों के कार्यान्वयन में कोई कठिनाई हो तो बोर्ड (gst-cbec@gov.in) को सूचित किया जाए।

विशेष

उपरोक्त दिशा निर्देशों से स्पष्ट है ।कि जीएसटी विभाग ने रिकवरी ऑफ टैक्स के लिए ऐसी गाइडलाइन पूर्व में भी जारी की है ।जिनका संदर्भ ग्रहण करना भी आवश्यक है

सीबीआईसी ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 79 के अंतर्गत वसूली के लिए दिशानिर्देश जारी किए

निर्देश संख्या 01/2022- जीएसटी, दिनांक 7 जनवरी 2022 के माध्यम से, सीबीआईसी ने सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 79 के तहत वसूली कार्यवाही के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। जहां मामले सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 75 की उप-धारा (12) के स्पष्टीकरण के अंतर्गत आते हैं। दिशानिर्देश इस प्रकार हैं:

धारा 75 की उप-धारा (12)

धारा 73 या धारा 74 के अंतर्गत स्वयं कर निर्धारण धारा 39 के अधीन प्रस्तुत रिटर्न में घोषित टैक्स  या उसका कोई भाग या कोई ब्याज की रकम जमा करने से रह गई है ।तो उसकी वसूली जीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 79 के अधीन की जाएगी।

इस दिशा निर्देश से स्पष्ट है। कि  मांग आदेश पत्र डीआरसी 07 में निर्धारित टैक्स ,ब्याज और अर्थ दंड के लिए तीन माह की अवधि एक्ट में निर्धारित की गई है। यदि विशेष परिस्थिति में इस समय अवधि को कम करना है ।तो उचित अधिकारी को अपने उच्च अधिकारियों से लिखित में प्रत्यावेदन करना होगा ।तथा करदाता के संबंध में संपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत करना होगा। तत्पश्चात उच्च अधिकारी द्वारा लिखित आदेश जारी करते हुए  उन विशेष तथ्यों का उल्लेख करेगा। कि यह रिकवरी ऑफ टैक्स धारा 78 के अंतर्गत वसूल की जाए। धारा 78 का प्रयोग ज्यादातर धारा 64 के अंतर्गत पारित आदेश  के संदर्भ में किया जाता है ।

ये लेखक के निजी विचार है।

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मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक View Full Profile

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