1.अब जीएसटी पोर्टल पर DRC 03 में कई नए प्रावधान किए गए हैं ।जैसे पहले वॉलंटरी टैक्स जमा करने का प्रावधान था ।उसमें अब परिवर्तन कर धारा 129 मे अंडर प्रोटेस्ट /ऑडिट धारा 65 के अंतर्गत ऑडिट में डिमांड के संबंध के प्रावधान लागू हो गयाहैं ।उदाहरण के रूप में जब कोई माल परिवहन किया जाता था। तो उसे जीएसटी अधिकारी रोक कर वॉलंटरी टैक्स जमा करने के लिए कहते थे ।टैक्स जमा करने के बाद उसका माल छोड़ा जाता था ।जब उसे पर विवाद होता था ।तो कई बार यह कहा जाता था ।DRC 03 वॉलंटरी टैक्स पैड करने का साधन है। आपके द्वारा वॉलंटरी टैक्स जमा किया गया है। इसलिए अंडर प्रोटेस्ट कैसे माने। कई हाईकोर्ट ने इस विषय में टीका टिप्पणी की गई थी। तो उसी को देखते हुए जीएसटी पोर्टल में अब उपरोक्त को शामिल किया गया है।
2. यह कि ई वे बिल में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया जा रहा है। अभी तक हम इनवॉइस जनरेट करने के बाद ई वे बिल जेनरेट करते थे। और उसमें एचएसएन कोड नहीं भी डालते थे ।लेकिन यदि आपने इनवॉइस और ई वे बिल में एचएसएन कोड नहीं डाले हैं ।तो ई वे बिल जनरेट नहीं होगा ।जो करदाता रुपए 5 करोड़ से कम टर्नओवर के थे ।उन्हें चार डिजिट का एचएसएन कोड इस्तेमाल करना होगा जब रुपए 5 करोड़ से काम का करदाता b2b सप्लाई करेगा तो इनवॉइस पर चार डिजिट का एचएसएन कोड दर्ज करना होगा उसी से ई वे बिल जनरेट होगा यदि 5 करोड रुपए से कम का करदाता b2c ई वे बिल बनाता है ।उस स्थिति में एचएसएन कोड की आवश्यकता नहीं होगी और जिस करदाता का टर्नओवर 5 करोड़ से अधिक होगा। उन्हें 6 डिजिट का एचएसएन कोड इस्तेमाल करना होगा। उनका भी ई वे बिल जनरेट नहीं होगा तथा जो करदाता एक्सपोर्ट इंपोर्ट का काम करते हैं। उन्हें 8 डिजिट का एचएसएन कोड इस्तेमाल करना होगा।
3. यह कि जीएसटी पोर्टल पर डीआरसी 01C आ गया है। हमें डीआरसी 01C क्या है ?नियम 88D डीआरसी 01C के लिए है ।जब हम अपना 3b फाइल करते हैं ।तो उसमें जो 2B की आईटीसी क्लेम करते है । और यदि उसमें मिसमैच है ।अर्थात हमने 2b से अधिक आईटीसी क्लेम की है ।तो विभाग डीआरसी 01Cजनरेट करेगा ।जिसकी सूचना हमारे मोबाइल ,ईमेल, और पोर्टल पर उपलब्ध होगी ।उसका जवाब हमें 7 दिनों में देना है ।यदि हम 7 दिन में डीआरसी 01C के द्वारा उसका जवाब दाखिल नहीं करेंगे ।
नियम 88D का महत्व: नियम 88D का नियम 3B और 2B के साथ महत्वपूर्ण संबंध होता है। अगर किसी महीने में किसी करदाता द्वारा 2B से अधिक आईटीसी का दावा किया गया है, तो विभाग अनुशासित रिफंड मंजूरी (DRS) शुरू करेगा जिसका पालन ITC क्लेम किया गया है ।2B से अधिक आईटीसी के संबंध में। 7 दिनों के अंदर प्रतिक्रिया न देने या स्थिति में अधिक आईटीसी का दावा करने से अगले महीने की जीएसटी R1 फ़ाइल को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। यह विविधता नियम 88D में विशिष्ट है और इसे करदाता को ईमेल अधिसूचनाओं के माध्यम से सूचित किया जाता है।
यह कि डीआरसी 01C में को दो भागों में विभक्त किया गया है ।जिसमें पार्ट A में 9 बिंदुओं के अंतर्गत अधिक आईटीसी लेने के संबंध में सूचित किया गया है। करदाता को drc01 C के पार्ट B में उसका जवाब दाखिल करना होगा। यदि करदाता drc01C के पार्ट B में उसका स्पष्टीकरण दाखिल नहीं करता है तो 7 दिनों बाद drc01 D के द्वारा धारा 79 के अंतर्गत रिकवरी का प्रावधान किया गया है ।तथा अगले माह की हम जीएसटी R 1 भी दाखिल नहीं कर सकेंगे। इसलिए करदाता को विशेष रूप से प्राप्त होने वाले संदेशों पर ध्यान देना होगा अन्यथा जीएसटी-R1 और रिकवरी की प्रकिया शुरू हो जाएगी।
4. यह कि जीएसटी एक्ट में रजिस्टर्ड करदाता को जो रेगुलर डॉलर की श्रेणी में है ।उन्हें नियम 18 के अंतर्गत अपने संस्थान के साइन बोर्ड पर GSTIN दर्ज करना होगा ।साथ ही नियम 18 में एडिशनल बिजनेस पैलेस पर भी GSTIN दर्ज होना जरूरी है। रेगुलर डीलर के लिए साइन बोर्ड के अतिरिक्त अपने व्यापार स्थल के अंदर जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर का प्रमाण पत्र भी लगाना होगा।
नियम 5 (1 )g के अंतर्गत जिस डीलर ने समाधान योजना के पात्र है ।उन्हें अपने साइन बोर्ड पर GSTIN के अतिरिक्त कंपोजिशन डीलर भी दर्ज करना होगा। तथा एडिशनल बिजनेस पैलेस या गोदाम भी है ।उस पर भी जीएसटीएन साइन बोर्ड पर और व्यापार स्थल के अंदर भी जीएसटी का सर्टिफिकेट लगाना होगा।
यह कि हाल में ही जीएसटी विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं
कि वह प्रत्येककरदाता के व्यापार स्थल की जांच करें। GSTIN का साइन बोर्ड और व्यापार स्थल में जीएसटी का सर्टिफिकेट मौजूद है या नहीं की जांच करें ।यदि किसी करदाता के यहां साइन बोर्ड और सर्टिफिकेट नहीं है या गलत तरीके से लगाया गया है ।तो उसके लिए जीएसटी की धारा 125 के अंतर्गत सामान्य अर्थ दंड केअन्तर्गत केंद्र और राज्य कर में अधिकतम 25000=00/ 25000 =00रुपए के अर्थ दंड का प्रावधान है । करदाता को सुनवाई का अवसर देते हुए लगाए जाने का प्रावधान है। अतः सभी करदाताओं को साइन बोर्ड जिस पर GSTIN स्पष्ट रूप से अंकित हो ।तथा व्यापार स्थल में जीएसटी का सर्टिफिकेट लगाया जाना आवश्यक है
यह लेखक निजी विचार है।