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आपको ध्यान होगा हम पहले शेयरों की ट्रेडिंग भौतिक रूप में करते थे. हमें न केवल शेयर सर्टिफ़िकेट सम्हाल कर रखने पड़ते थे बल्कि इसके ट्रांसफर के लिए समय और अधिक पैसे स्टाम्प फीस के रूप में खर्च होते थे. शेयर गुमने, फटने और खराब हो जाने का डर अलग. साथ ही खरीद बेच के लेनदेन की भी कोई रिकॉर्ड उपलब्धता नहीं होने के कारण राजस्व का नुकसान भी होता था.

इन्ही सब समस्या को दूर करने के लिए 1999-2000 में भारत सरकार ने एनएसडीएल के माध्यम से शेयरों का डीमेटरेलियजाईशन उर्फ डीमेट शुरू किया. डीमेट का मतलब भौतिक रूप को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलना जिससे शेयर पैसे की तरह डीमेट खाते में रख सके और सारा लेनदेन ट्रांजेक्शन स्लिप के माध्यम से हो सके और सब रिकॉर्ड पर हो.

Hand touching DIGITAL CURRENCY inscription

डीजिटल करेंसी का सिद्धांत भी कुछ ऐसा ही है. इसकी जरूरत इस समय विश्व के लगभग सभी देश इसलिए भी महसूस कर रहे हैं क्योंकि:

1. प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकाउन का वैश्विक लेनदेन में बढ़ता वर्चस्व.

2. कई कम्पनियों ने ओलंपिक में मेडल विजेता खिलाड़ियों को इनाम की राशि बिटकाउन में देने की घोषणा की.

3. प्राइवेट डिजिटल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी किसी भी सरकार के नियंत्रण में नहीं होती और इनके मूल्यों में भारी उतार चढ़ाव एवं स्पेक्यूलेशन भारी अनिश्चितता बताता है जो कि काफी जोखिमपूर्ण निवेश साबित हो सकता है.

4. क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकाउन इनक्रिपटेड होती है जो कि सिर्फ डिजिटल वालेट या कम्पयूटरिकृत खाते में होती है जिसके लेनदेन का कोई रिकॉर्ड या ट्रेल मिलना मुश्किल होता है और इसीलिए हम देखेंगे कि दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से अवैध लेनदेन हो रहे हैं. इसके अलावा बड़ी बड़ी मल्टिनेशनल कम्पनियां भी अपनी बिक्री बढाने के लिए बिटकाउन में लेनदेन कर रही है.

उपरोक्त कारणों ने विश्व के सभी देशों की आंखे खोल दी है कि सभी डिजिटल करेंसी पर काम करें और हाल में ही हमारे देश के आरबीआई ने ऐलान किया कि उसने इस पर काम शुरू कर दिया है और हमारे देश में इस साल के दिसम्बर अंत तक इसके आने की संभावना है.

हम डिजिटल करेंसी के फायदे हमारे देश के लिए समझ सकते हैं:

1. सबसे बड़ा फायदा कैश लेनदेन को कम करने का है. जैसा हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में नोटबंदी के बावजूद अर्थव्यवस्था में कैश का स्तर आज लगभग 35 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुँच चुका है.

ऐसे में डिजिटल करेंसी न केवल कैश के स्तर को कम करेगा बल्कि फर्जी लेनदेन रोकने में भी मदद करेगा.

2. यह डिजिटल करेंसी सरकार के नियंत्रण में होगी और इसका पूरा रिकॉर्ड रखना संभव होगा. यह बैंक खाते के अलावा डिजिटल वालेट और कमप्यूटरिकृत खाते में भी रखी जा सकती है.

3. सरकार नोटों की प्रिटिंग में धीरे धीरे कमी कर सकती है और कैश नोटों की संख्या कम करते हुए डिजिटल करेंसी के उपयोग को रीयल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में जरुरी कर सकती है क्योंकि कैश नोटों का इलेक्ट्रॉनिक रुप डिजिटल करेंसी होगा और आसानी से उपलब्ध होगा जिसके विरोध की संभावना आम जनता द्वारा बिलकुल भी नहीं होगी.

4. नोटों की मुद्रण, वितरण, रखने और ट्रांसपोर्ट के खर्च धटेंगे और साथ ही कैश में तो कमी आयेगी, लेनदेन के रिकॉर्ड रखने में मदद मिलेगी, काले धन पर नियंत्रण होगा और राजस्व का आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी.

5. वैश्विक लेनदेन और आर्थिक मोर्चे पर भारत की सक्रियता बनाए रखने के लिए डिजिटल करेंसी का अहम योगदान होगा और बिटकाउन जैसी जुए स्वरूप करेंसी पर रोक लग सकेगी.

ऊपर के तथ्यों से साफ है कि डिजिटल करेंसी हमारी अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सक्षम है जिससे कैश पर नियंत्रण होगा, राजस्व भी बढ़ेगा और विश्व बाजार में विश्वसनीयता भी बढ़ेगी लेकिन दो प्रमुख चुनोतियों का भी सामना करना पड़ सकता है- पहला डिजिटल करेंसी आने से बैंकों के जमा में कमी आएगी जिससे बैंकों के हालात और मुश्किल होंगे और दूसरा आनलाइन एवं साइबर फ्रॉड का असर डिजिटल करेंसी पर न हो, यह आरबीआई को सुनिश्चित करना पड़ेगा.

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*

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