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भारतीय शेयर बाजारों में आज भी आम निवेशकों को खुलेआम लूटा जा रहा है और वो भी सरकार की नाक के नीचे, आखिर निवेशक कहां निवेश करें और किस पर भरोसा रखें? आपको पिछले १५ दिवस के भीतर हुए ५ केस के माध्यम से अवगत कराना चाहुंगा कि कैसे निवेशक को लूटा जा रहा है:

१. स्टार्ट अप द्वारा लूट:

हम सबकी जानकारी में है कि किस तरह पेटीएम, नाइका, जोमेटो, मेक माई ट्रिप, गो कार, आदि जैसी नए जमाने की स्टार्ट अप कंपनियों द्वारा अत्यधिक मूल्यांकन पर अपने शेयर लाए गए और निवेशकों से खूब पैसे बटोरें. आज सभी शेयरों के दाम फर्श पर है, निवेशकों के साथ साथ यह कंपनियां भी आज तक घाटे में चल रही है तो फिर शेयर बाजार से इतने अधिक मूल्यांकन पर पैसे उगाही की इजाज़त कैसे सरकार द्वारा दी गई, यह समझ से परे है.

उसी कढ़ी में १० दिन पहले आया गोमेकैनिक नए जमाने के स्टार्ट अप द्वारा खुलासा जो आपको नए जमाने की तकनीकी कंपनियों द्वारा निवेशकों को कैसे लूटा जा रहा है, समझा देगा.

गोमेकैनिक के फाउंडर ने बही-खातों में गड़बड़ी की बात मानी, 70% स्टाफ को निकाला, इनवेस्टर कराएंगे फॉरेंसिक ऑडिट

गोमेकैनिक ने जून 2021 में कई बड़े इनवेस्टर्स से सीरीज सी फंडिंग के तहत 42 मिलियन डॉलर यानी करीब 341 करोड़ की रकम जुटाई थी.

ऑटोमोबाइल आफ्टर सेल्स सर्विस और रिपेयर स्टार्ट-अप गोमेकैनिक (GoMechanic) भारी संकट में घिर गई है.

कंपनी ने अपने 70 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जबकि बाकी 30 फीसदी से कहा गया है कि वे अगले तीन महीनों तक बिना वेतन के काम करें.

गोमेकैनिक के को-फाउंडर अमित भसीन ने कंपनी के बही-खातों में हेरा-फेरी की बात मानते हुए इसे ग्रोथ के चक्कर में ‘बहक’ जाना बताया है.

किसी भी कीमत पर ग्रोथ को कायम रखना चाहते के चक्कर में गलत फैसले हो गए, जिसमें फाइनेंशियल रिपोर्टिंग में हुई गलतियां भी शामिल हैं.

हरियाणा के गुड़गांव की इस कंपनी पर अभी करीब 120 करोड़ रुपये का कर्ज है जबकि करीब एक-तिहाई रकम का रीपेमेंट बकाया है.

कंपनी द्वारा आय न होते हुए भी बढ़ा चढ़ाकर अपनी किताबों में आय बताना ताकि निवेशकों से पैसे मिल सकें, धोखाधड़ी और ठगी से कम नहीं.

२. स्टार्ट अप कहें या युनिकार्न स्टेटस पा चुकी कंपनियां अभी भी घाटे में:

आज प्रचार प्रसार के माध्यम से, किताबों में हेरफेर करके, फेक आय और आर्डर बताकर, झूठे कस्टमर्स या सब्सक्राइबर्स बताकर घाटे में चल रही है ये कंपनियां युवा वर्ग का रोल माडल बनने का दावा करती है और वो भी खुलेआम.

सोनी टीवी पर आने वाले शार्क टेंक के शार्क अनुपम मित्तल- शादी डाटा काम, पियूष बंसल- लेंसकार्ट, विनिता सिंह- शुगर कास्मेटिक, अमित जैन- कारबेचो और नम्रता थापर- एमक्योर फार्मा के फाउंडर, जिन्हें नए व्यापार खड़ा करने में मदद करते हुए बताया जाता है एवं जो युवा वर्ग के रोल माडल बताए जाते हैं, इन सबकी कंपनियां आज भी घाटे में चल रही है.

क्या आज मीडिया, युवा वर्ग और सरकारी एजेंसियों के लिए धोखाधड़ी और ठगी करने वाले रोल मॉडल बन गए हैं?

३. बिजनेस न्यूज चैनल के मार्केट एक्सपर्ट पर छापा:

बिजनेस चैनलों के बड़े बड़े विशेषज्ञ जो हमें बताते और ज्ञान देते हैं कि किन शेयरों में निवेश करें या किस पर नहीं. कुछ दिन पहले सेबी द्वारा इन एक्सपर्ट के ठिकानों पर छापा मारा गया, जिसने सबको चौंका दिया.

जिनकी बातों पर हम भरोसा करते हैं, उन पर इल्ज़ाम या कहें वो ऐसा करते हैं कि जिस शेयर को वो निवेशकों को खरीदने के लिए बोलते हैं, वह शेयर वे पहले से ही खरीद कर रखते हैं और जब उनके कहने पर आम खुदरा निवेशक शेयर बाजार से खरीदना शुरू करता है तो शेयर के दाम बढ़ने लगते हैं. तब यह विशेषज्ञ अपने खरीदे हुए शेयर बढ़े हुए दाम पर बेच कर एवं लाभ कमाकर निकल जाते हैं और आम निवेशक जाए भाड़ में.

यह बात आज सामने आई लेकिन आप सोच सकते हैं कि किस तरह सालों से आम निवेशकों को लूटा जा रहा है, उनके द्वारा जिन पर हम भरोसा करते हैं और शायद तभी हम कहते हैं कि धोखाधड़ी और ठगी आज एक कानूनी संज्ञा बन चुका है.

४. डेरिवेटिव ट्रेंडिंग में ९०% निवेशक घाटे में:

सेबी की कुछ दिन पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्टॉक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में पैसे लगाने वाले 10 में से नौ लोग घाटे में रहते हैं।

वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान इन लोगों को F&O ट्रेडिंग में औसतन लगभग 1.1 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

निवेशकों का घाटा बढ़ने की मुख्य वजह है विकली डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स।

रिपोर्ट बताती है कि 11 फ़ीसदी लोगों ने इस दौरान मुनाफा कमाया। इन लकी लोगों के प्रॉफिट का औसत रहा डेढ़ लाख रुपये।

साफ है सेबी खुद मानती है और उसकी जानकारी में है कि आम निवेशक लुट रहा है तो क्या आपको ऐसे प्रोडक्ट देश में ट्रेड करने की परमीशन देनी चाहिए जिससे आम निवेशक के साथ धोखाधड़ी और ठगी हो रही है.

विडंबना यही है कि आज हमने फ्राड को हटाने की बजाय उसे कानूनी रूप देकर खत्म कर दिया है और निवेशक मात्र अपनी किस्मत के भरोसे ही चल रहा है.

५. आखिर में हिंडनबर्ग के इल्ज़ाम:

अमेरिका की शेयर बाजारों के आंकलन करने वाली संस्था ने अपनी रिपोर्ट के जरिए पिछले २ दिनों से भारतीय शेयर बाजार खासकर अडानी इंटरप्राइजेज को हिलाकर रख दिया है.

आज सबेरे किए हुए ट्वीट में हिंडनबर्ग ने कहा कि उसके ८१ इल्ज़ाम में ३६ घंटों के बाद भी अडानी की तरफ से कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया जा सका और यदि वे कानूनी कार्यवाही करना चाहे तो उनका स्वागत है क्योंकि उनके द्वारा दी गई जानकारी कागजों और सबूतों के आधार पर है.

अब निवेशक किस पर भरोसा करें – सरकार पर, हमारी एजेंसियों पर, हमारे विशेषज्ञों पर, अडानी पर, सेबी पर, स्टाक एक्सचेंज पर, बैंको पर, आडिटर पर, कंसल्टेंट पर, मीडिया पर, देश के किस सिस्टम पर भरोसा करें?

हमें विदेशी एजेंसियों पर भरोसा नहीं करना और न ही उनके लगाए गए आरोप पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन क्यों शेयर बाजार गिर रहा है यदि आरोपों में कोई दम नही है?

आइए सारांश में समझते हैं हिंडनबर्ग के आरोपों को:

१. अडानी समूह शेयरों में हेरफेर करने और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी में शामिल है।

२. हिंडनबर्ग ने बताया कि यह बात दो साल की जांच के बाद सामने आई है।

३. हिंडनबर्ग ने कहा कि इसकी दो साल की जांच से पता चलता है कि 218 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाला अडानी ग्रुप स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी योजना में शामिल है।

४. उसने अडानी के भाइयों की भूमिका को बेहद संदिग्ध करार दिया है। खाड़ी में रहने वाले गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी को शेल कंपनियों और मनी लॉड्रिंग में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए चिन्हित किया है।

५. इसके साथ ही उसने कई आर्थिक अपराध के मामलों में उनके भाइयों और रिश्तेदारों के शामिल होने और फिर उनकी गिरफ्तारियों का पूरा ब्योरा दिया है।

६. हिंडनबर्ग ने कहा है कि अडानी समूह अभी भी किसी कॉरपोरेट से ज्यादा एक परिवार की कंपनी के तौर पर ऑपरेट करता है। जिसके चलते उसकी चार कंपनियां अपने अस्तित्व के लिए खतरों का सामना कर रही हैं। बेहद लंबी रिपोर्ट में उसने अडानी समूह के कई पुराने कर्मचारियों और निदेशकों से बातचीत की है।

७. अडानी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी ने मोटे तौर पर 120 बिलियन अमरीकी डालर का शुद्ध मूल्य अर्जित किया है, जो पिछले 3 सालों में 100 बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक हो गया है। इससे कंपनी को इस अवधि में 819 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है।

८. हिंडनबर्ग की जांच रिपोर्ट में अडानी की संपत्तियों का विवरण है। इसमें कैरिबियाई देशों और मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक फैले अडानी -परिवार की संस्थाओं का विवरण दिया गया है।

९. इसका दावा है कि इसका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और करदाताओं की चोरी को बढ़ावा देने के लिए किया गया था.

१०. रिसर्च समूह का कहना है कि जांच के दौरान गौतम अडानी के एक विश्वसनीय और अडानी समूह के एक पूर्व निदेशक ने बताया कि “विनोद अडानी लगातार मध्य-पूर्व में रहते हैं। वह दुबई में अडानी समूह के हितों का ख्याल रखते हैं”।

११. रिसर्च समूह का कहना है कि जांच के दौरान रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया।

१२  रिसर्च फर्म का दावा है कि अगर आप हमारी जांच के निष्कर्षों को नजरअंदाज करते हैं तो भी आप अडानी समूह की वित्तीय स्थिति को जांचने के लिए समूह की सात 7 प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों का मूल्यांकन करें तो पाएंगे कि उसके फेस वैल्यू से 85 प्रतिशत तक कम है।

१३. समूह की कंपनियों ने पर्याप्त कर्ज भी ले रखा है, इसमें ऋण लेने के लिए अपने बढ़े हुए स्टॉक के शेयरों को गिरवी रखना तक शामिल है।

१४. इसने पूरे समूह को अनिश्चित वित्तीय स्थिति में डाल दिया है।

१५. फिच ग्रुप का हिस्सा क्रेडिट साइट्स ने पिछले साल सितंबर में अडानी समूह को “ओवरलेवरेज” के रूप में वर्णित किया था। लेकिन बाद में क्रेडिट साइट्स ने कैलकुलेशन की कुछ गलतियों को ठीक किया लेकिन समूह की ऋण संबंधी चिंता को बरकरार रखा था।

१६. इसके अलावा रिपोर्ट में अडानी परिवार के अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। जिसमें अडानी समूह के खिलाफ विभिन्न दौरों में सरकारी एजेंसियों की तरफ से की गयी जांचों का हवाला दिया गया है। जिसमें भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स दाताओं के फंड की चोरी समेत तमाम क्षेत्रों का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें तकरीबन 17 बिलियन डॉलर की राशि शामिल है।

१७. रिपोर्ट में बताया गया है कि डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस यानि डीआरआई की जांच रिकॉर्ड में गौतम अडानी के भाई ने 2004 से 2006 के बीच हीरे की एक ट्रेडिंग स्कीम की योजना बनायी थी। जिसमें उन्हें कस्टम टैक्स की चोरी, विदेशी डाक्यूमेंट में हेराफेरी और अवैध आयात के लिए गिरफ्तार किया गया था। वह आजकल अडानी समूह के एक बड़े हिस्से के प्रबंध निदेशक के तौर पर काम कर रहे हैं।

१८. गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी जो उस समय अडानी एक्सपोर्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर थे, तमाम परिवार के सदस्यों में वह भी एक अभियुक्त थे। डायमंड ट्रेडिंग और उसके आयात-निर्यात में उनकी केंद्रीय भूमिका थी।

१९. डीआरआई के मुताबिक सोने/हीरे के आयात/निर्यात संबंधी एईएल(अडानी एक्सपोर्ट लिमिटेड) और दूसरी कंपनियों से जुड़े सभी नीतिगत फैसले एईएल के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री राजेश अडानी के साथ विचार-विमर्श के बाद श्री समीर वोरा द्वारा लिए जाते थे।

२०. आपको बता दें कि राजेश अडानी को 1999 और 2010 में गिरफ्तार किया जा चुका है। जिसमें उनके ऊपर कस्टम टैक्स में चोरी और आयात सामानों को कम करके दिखाने के आरोप लगे थे।

२१. जब किसी कंपनी के कर्मचारी या अफसर पर किसी स्कीम में हेराफेरी करने या फिर सरकार के साथ फ्राड करने का आरोप लगता है या फिर उसे कई बार गिरफ्तार किया जाता है तो उसे बर्खास्त कर दिया जाता है और कुछ देशों में तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है। लेकिन अडानी समूह में उन्हें प्रमोशन मिलता है। राजेश अडानी मौजूदा समय में अडानी समूह के मैनेजिंग डाइरेक्टर हैं और उन्हें अडानी समूह के सबसे प्रमुख हिस्से के तौर पर पेश किया जाता है।

२२. जिस समीर वोरा की बात की गयी है वह गौतम अडानी के साले हैं। और उन्हें डायमंड स्कैम मामले का रिंग मास्टर माना जाता है। डीआरआई ने उनके ऊपर लगातार झूठ बोलने का आरोप लगाया था। लेकिन उसी समय कंपनी ने प्रमोशन कर उन्हें अडानी आस्ट्रेलिया का एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बना दिया। इस भ्रष्टाचार में गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नाम भी शामिल था।

२३. हालांकि अडानी अब बाहर के अपने कारोबार में विनोद अडानी की भूमिका से इंकार करते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने शेल कंपनियों का एक बड़ा अंपायर खड़ा कर दिया है। जो अडानी समूह की कंपनियों में बड़े स्तर पर पैसे डालने का काम करता है।

२४. रिपोर्ट में रिजर्व बैंक के एक पूर्व वरिष्ठ अफसर के हवाले से कहा गया है कि “इस तरह के किसी समूह की बेहिसाब बढ़त जो ऋण, अधिग्रहण और एक बढ़ा हुआ स्टॉक मूल्य पर आधारित हो, जांच होनी ही चाहिए।”

२५. रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के उच्च रैंकों और 22 मुख्य पदों में 8 पर परिवार के सदस्यों का कब्जा है। और परिवार के यही सदस्य पूरे समूह को नियंत्रित करते हैं। वह वित्तीय कारोबार हो या फिर कोई बड़ा फैसला। यही वजह है कि कंपनी के एक पूर्व अफसर ने अडानी समूह को एक ‘परिवार का व्यवसाय’ करार दिया। समूह पर अब तक चार फ्राड के आरोप लग चुके हैं।

२६. रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने मारीशस से आपरेट की जाने वाली 38 शेल कंपनियों को चिन्हित किया है। और इसको संचालित करने का काम कोई और नहीं बल्कि गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी करते हैं। फर्म का कहना है कि विनोद साइप्रस, यूएई, सिंगापुर और बहुत सारे कैरेबियन द्वीप समूहों से संचालित होने वाली शेल कंपनियों के भी सूत्रधार हैं।

२७. इस तरह की किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी में प्रमोटर के अलावा कम से कम 25 फीसदी शायर धारक बाहरी होने चाहिए। लेकिन अडानी समूह की चार ऐसी कंपनियां हैं जो इस बुनियादी शर्त का भी पालन नहीं करतीं। जिसके चलते उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। और सेबी ने उन सभी को नोटिस दिया हुआ है।

२८. फर्म की ओर से भेजे गए आरटीआई के जवाब में सेबी ने इस बात की पुष्टि की कि बाहर से आने वाले फंड की जांच हो रही है। और यह मीडिया तथा संसद में उठाए गए सवालों के बाद पिछले डेढ़ साल से जारी है।

२९. समूह को यहां तक पहुंचाने में दो बदनाम शख्स केतन पारेख और धर्मेश दोषी की भूमिका बतायी गयी है। केतन पारेख को स्टॉक एक्सचेंज में मैनिपुलेशन के लिए जाना जाता है और उन पर प्रतिबंध भी लग चुका है। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि अभी भी स्टॉक एक्सचेंज में उनका दबदबा बना हुआ है। इसके अलावा धर्मेश दोषी भगोड़े हैं और वह देश से बाहर रह कर अडानी समूह के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

३०. फर्म के मुताबिक एक दौर में मोंटरेसा फंड्स द्वारा अडानी पावर और अडानी एंटरप्राइजेज में बड़े स्तर पर निवेश किया गया जो अडानी समूह और बाहर से मिलने वाले उसे संदिग्ध फंड की ओर इशारा करता है।

३१. इसी तरह से साइप्रस आधारित एक फर्म न्यू लिएना का जून 2021 तक अडानी ग्रीन एनर्जी में  420 मिलियन डॉलर का स्टेक था। जो तकरीबन कंपनी के 95 फीसदी शेयर का निर्माण करता है। फर्म की मानें तो संसदीय रिकॉर्ड में इस विदेशी शेल कंपनी का अडानी की दूसरी कंपनियों में भी निवेश है।

३२. फर्म का मानना है कि अडानी समूह दिन के उजाले में बड़ा और खुला फ्राड करने में सक्षम है। क्योंकि निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहां तक कि राजनेता भी बदले की कार्रवाई के डर से उसके खिलाफ बोलने से डरते हैं।

३३. फर्म ने अडानी समूह द्वारा किए गए 88 अधिग्रहणों को चिन्हित किया है।

३४. रिपोर्ट के आखिर में फर्म ने अडानी समूह से कई सवाल पूछे हैं। और उन पर उससे जवाब की अपेक्षा की है।

हिंडनबर्ग की पूरी रिपोर्ट में उपयोग किया गया यह वाक्य हम सभी को झकझोर रहा है – “अडानी समूह दिन के उजाले में बड़ा और खुला फ्राड करने में सक्षम है। क्योंकि निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहां तक कि राजनेता भी बदले की कार्रवाई के डर से उसके खिलाफ बोलने से डरते हैं।”

उपरोक्त ५ केस हमारे वित्तीय सिस्टम की खामियों को उजागर करते हैं और इसी लिए आम निवेशक की सुरक्षा हेतु और भारतीय वित्तीय सिस्टम एवं शेयर बाजार की विश्वसनीयता हेतु सरकार को सामने आकर कड़े शब्दों में स्पष्टीकरण जारी करना होगा क्योंकि इल्ज़ाम देश के एक ऐसे ग्रुप पर लगा है जो न केवल केन्द्र सरकार बल्कि सभी राज्य सरकारों के साथ देश की प्रगति के लिए कंधा से कंधा मिलाकर चल रहा है.

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