Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन ऑफ दिल्ली के राउज एवेन्यू जिला अदालत की मान्यता पर विवाद पर बार कौंसिल ऑफ इंडिया,(BCI) से राय मांगी

(संदर्भ राउज एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम दिल्ली बार काउंसिल एवं अन्य, डायरी नंबर 31378-2024)

पृष्ठभूमि:

यह विवाद तब सामने आया जब चार बार एसोसिएशन- सेंट्रल दिल्ली कोर्ट बार एसोसिएशन, राउज एवेन्यू बार एसोसिएशन, दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट बार एसोसिएशन और राउज एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन ने 2019 में राउज एवेन्यू जिला अदालत की स्थापना के बाद मान्यता मांगी। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने तीनों संघों की याचिका खारिज कर दी और सेंट्रल दिल्ली कोर्ट बार एसोसिएशन को मान्यता दे दी। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने अन्य संघों की सदस्यता नामांकन प्रक्रियाओं में गंभीर उल्लंघनों को उनके आवेदनों को खारिज करने का कारण बताया।

राउज एवेन्यू बार एसोसिएशन ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अप्रैल 2023 में, हाईकोर्ट ने बार काउंसिल के फैसले को बरकरार रखा, यह देखते हुए कि हालांकि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(c) के तहत एक संघ बनाने का मौलिक अधिकार मौजूद है, यह अधिकार स्वचालित रूप से किसी भी संघ को अदालत-संलग्न या आधिकारिक बार बॉडी के रूप में मान्यता देने का अधिकार नहीं देता है।

दिल्ली हाई कोर्ट  ने माना था कि संघ बनाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, लेकिन कानूनी  मान्यता एक अलग विषय है, जिसे विशिष्ट कानूनों और विनियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। मान्यता प्राप्त करने के लिए संघों को निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होगा, और मान्यता स्वतः या केवल संघ के गठन के आधार पर गारंटीकृत नहीं होती है। कानून के तहत मान्यता प्राप्त करने और संबंधित लाभों तक पहुँचने के लिए कानूनी आवश्यकताओं का अनुपालन आवश्यक है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हमें आश्चर्य है कि  दिल्ली हाई कोर्ट को यह तय करने के लिए रिट क्यों स्वीकार करनी चाहिए कि कौन सी बार एसोसिएशन असली है? उच्च न्यायालय को बार के सदस्यों की ऐसी याचिकाओं पर क्यों विचार करना चाहिए?

दिल्ली हाईकोर्ट ने आगे कहा कि अन्य संघों की सदस्यता नामांकन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण उल्लंघन थे, जो बार काउंसिल ऑफ दिल्ली की अस्वीकृति को उचित ठहराते हैं।

राउज एवेन्यू बार एसोसिएशन ने इस आदेश के विरुद्ध माननीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है,जिसकी सुनवाई शुक्रवार 3 अक्टूबर 2024 को हुई जिस पर मान्य न्यायालय ने इस स्टे देने से इनकार किया।सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार(03 अक्तूबर 2024)को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील पर नोटिस जारी किया , जिसमें सेंट्रल दिल्ली कोर्ट बार एसोसिएशन को राउज एवेन्यू जिला अदालत के आधिकारिक बार निकाय के रूप में मान्यता दी गई थी।

जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI)को नोटिस जारी किया गया है,क्योंकि इससे जुड़े मुद्दे के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया की सहायता की आवश्यकता होगी. नोटिस 18 नवंबर 2024 अगली सुनवाई हेतु नियत की गई है।

जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ राउज एवेन्यू अदालत बार एसोसिएशन द्वारा सेंट्रल दिल्ली कोर्ट बार एसोसिएशन के साथ एक विवाद में राउज एवेन्यू अदालत को मान्यता देने के लिए दायर अपील को ठीक कर रही थी।

जस्टिस अभय ओका ने आज बार काउंसिल आफ दिल्ली(BCD) की भूमिका के बारे में चिंता व्यक्त की। जस्टिस ओका ने टिप्पणी की, “हम बार काउंसिल ऑफ इंडिया से पूछना चाहते हैं कि बार काउंसिल कैसे हस्तक्षेप कर सकती है, जिसमें अदालत का बार एसोसिएशन होना चाहिए।

सुनवाई के दौरान राउज एवेन्यू जिला अदालत बार एसोसिएशन के वकील ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने एसोसिएशन को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि नियामक प्राधिकारी बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने खुद ही एक अन्य बार एसोसिएशन (सेंट्रल दिल्ली बार एसोसिएशन) बनाया है। याचिका कर्ता के वकील ने तर्क दिया कि बार काउंसिल को बार एसोसिएशन के गठन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

याचिका कर्ता के वकील ने अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई पहले की जाए, लेकिन जस्टिस ओका ने कहा कि ऐसे मामले में कोई तात्कालिकता नहीं है जहां दो बार एसोसिएशन संघर्ष में थे, और अदालत हाईकोर्ट और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) की भूमिका के व्यापक मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेगी। खंड पीठ ने कहा कोई तात्कालिकता नहीं है जब बार में दो समूह लड़ रहे हैं और अपना सिर तोड़ रहे हैं। केवल व्यापक मुद्दा हम तय करना चाहते हैं – क्या दिल्ली हाईकोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है, बार काउंसिल क्या भूमिका निभा सकता है, इन मुद्दों को तय करना होगा।खडपीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया(BCI )को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 18 नवंबर2024 तक दिया जा सकता है।

दिल्ली बार काउंसिल (BCD) की तरफ से सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली बार काउंसिल (BCD) किसी भी प्रकार से मान्यता नहीं चाहता था। हालांकि, याचिकाकर्ता र्के वकील ने आरोप लगाया कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) अपने स्वयं के संघ को बढ़ावा दे रहा है। जिसका दिल्ली बार काउंसिल (BCD) की तरफ से सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने इस दावे को  झूठा बताया। अब 18नवंबर 2024 को सुनवाई होगी।

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख से स्पष्ट है कि किसी भी संगठन का निर्माण एक मौलिक अधिकार है जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(c) के अंतर्गत निर्मित किया जा सकता है ,लेकिन मान्य दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट किया गया है कि  यदि नियामक संस्था द्वारा कोई नियमावली गठित की गई है, तो किसी संस्था को मान्यता उसकी नियमावली  के अंतर्गत ही जारी की जा सकती है ।जिस पर अब माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय दिया जाएगा । बार काउंसिल के द्वारा स्थानीय संघ में हस्तक्षेप नहीं किया जाता है। लेकिन उनके द्वारा निर्मित नियमों का पालन करना बार एसोसिएशन के लिए अनिवार्य है ।क्योंकि बार संघ बार  काउंसिल से संबद्ध होते हैं ।आशा है कि उपरोक्त विवाद में भी कोई सर्व सम्मति से हल निकल पाएगा।

यह लेखक के निजी विचार हैं जो उपरोक्त विवाद के आधार पर यह लेख लिखा गया इसका वैधानिक प्रयोग निषेध है।

Sponsored

Author Bio

मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक � View Full Profile

My Published Posts

जीएसटीइन एडवाइजरी: इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) की व्याख्या जीएसटी में एमनेस्टी स्कीम के संबंध में प्रकिया। E इन्वॉइसिंग और ई-वे बिल की संयुक्त समीक्षा। GSTN की 5 नवंबर 2024 की एडवाइजरी: डीआरसी-03ए और ई-इनवॉइसिंग जीएसटी अधिनियम की धारा 16 के नए स्पष्टीकरण View More Published Posts

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Sponsored
Search Post by Date
November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930