सरकार द्वारा समय समय पर किए गए उपायों के बावजूद सिसक सिसक कर बढ़ रहा प्रापर्टी मार्केट फिर कराहने लगा है. ऐसा नहीं की सरकारें इस क्षेत्र को उठाने और बढ़ाने का भरसक प्रयास कर रही है, लेकिन ये पर्याप्त नहीं दिख रहे हैं.
हम सभी भलिभांति परिचित है कि रीयल एस्टेट सेक्टर न केवल रोजगार का प्रमुख प्रदाता है बल्कि हमारी विकास दर और जीडीपी का भी प्रमुख हिस्सा है. हाल में ही क्रैडाई संस्था द्वारा देश में अनसोल्ड खाली आवास की संख्या में बढ़ोत्तरी की बात कही गई.
लोन की दरें कम होने और कीमतें स्थाई होने के चलते वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही से लेकर वर्ष 2021 की चौथी तिमाही तक लगातार बिना बिके इंवेंटरी (अनसोल्ड हाउसिंग स्टॉक) में गिरावट आ रही थी.
हालांकि इसके बाद कोरोना की तीसरी लहर और लॉन्च में बढ़ोतरी के चलते अनसोल्ड इंवेंटरी में बढ़ोतरी होने लगी.
ऐसे में लगातार सात तिमाही गिरावट के बाद जनवरी-मार्च 2022 में तिमाही आधार पर अनसोल्ड इंवेंटरी में 1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
जो प्रमुख कारण रीयल एस्टेट सेक्टर को बैकफुट पर ले जाते हैं:
1. अत्यधिक स्टाम्प फीस या रजिस्ट्रेशन शुल्क- हालांकि राज्य सरकारों द्वारा कमी की जा रही है लेकिन ये भी पर्याप्त नहीं लगती. पांच प्रतिशत से अधिक का स्टाम्प शुल्क इस सेक्टर को रास नहीं आता.
2. गाइडलाइन मूल्य में खामी: शहरों और गावों में जगह के हिसाब से सरकारी गाइडलाइन मूल्यों में भारी खामियां और असमानता के चलते लोग झिझकते है.
3. आयकर केपिटल गेन टैक्स: आयकर के अन्तर्गत प्रापर्टी खरीद बेच पर दीर्घ या लघु कालिक केपिटल गेन केलकुलेट करते हुए 20% से 30% टैक्स लगाना लोगों को हत्होत्साहित करता है.
4. बिल्डिंग सामाग्री के बढ़ते दाम: लोहा, सीमेंट, रेत, गिट्टी, लेबर, बिजली, लकड़ी, आदि ने ग्राहक के साथ बिल्डर का भी दम निकाल दिया है.
5. बढ़ती ब्याज दरें: बढ़ती मंहगाई को काबू करने के लिए बढ़ती ब्याज दरें, इस क्षेत्र में समस्या उत्पन्न करती जा रही है.
6. रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट एप्रूवल में देरी और बढ़ते अनुपालन: इस क्षेत्र में बढ़ते सरकारी अनुपालन और एप्रूवल मे लगता समय एवं अत्यधिक खर्च, इस क्षेत्र में प्रमोटरों का आना कठिन कर रहा है.
उपरोक्त कारणों से रीयल एस्टेट सेक्टर न पनप पा रहा है और न ही अर्थव्यवस्था में योगदान दे पा रहा है. यदि इस सेक्टर को सही रुप से बैनिफिट दिया जाए तो यह देश के राजस्व और अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने सक्षम है.
क्या किया जा सकता हैं:
1. पूरे देश में स्टाम्प शुल्क को 5% के भीतर रखना.
2. गाइडलाइन मूल्यों को युक्ति संगत बनाना.
3. केपिटल गेन टैक्स हटाकर सभी तरह की प्रापर्टी खरीद बेच पर मात्र 1% का टीडीएस दर रखना.
4. फार्म 26 क्यूबी को अनिवार्य बनाते हुए, आयकर पोर्टल पर सभी तरह के प्रापर्टी लेनदेन को रिकॉर्ड करना और उससे जैनरेट सर्टिफिकेट के आधार पर ही प्रापर्टी रजिस्ट्री होगी.
5. जिस तरह ट्रस्ट सोसाइटी द्वारा डोनेशन फाइल करके सर्टिफिकेट आयकर पोर्टल से निकाला जाना अनिवार्य है, उसी तरह हर प्रापर्टी लेनदेन को खरीददार द्वारा पोर्टल पर रिकॉर्ड करना और सर्टिफिकेट जैनरेट करना जरूरी होगा.
6. हाउसिंग सेक्टर के लिए ब्याज दरों को कम रखना और हाउसिंग आय घाटे का समायोजन आयकर नियमों के अंतर्गत 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक करना.
7. बिल्डिंग सामग्री के बढ़ते दामों पर नजर रखना और किसी भी तरह की काला बाजारी, जमाखोरी, सट्टे और व्यापारिक धांधली से दूर रखना.
8. रेरा के अन्तर्गत नियमों को व्यवहारिक बनाना और समयबद्ध तरीके से प्रोजेक्ट एप्रूवल देना.
उपरोक्त कदमों से हम न केवल इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेंगे, साथ ही मंहगाई और बेरोजगारी पर वार करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से राजस्व में बढौतरी करेंगे. काले धन में कमी आना, कैश लेनदेन में कमी आना, व्यापारिक लाभ और आय में बढौतरी, लेनदेन रिकॉर्ड पर आना, इत्यादि बैनिफिट हमें मिलेंगे जिससे सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा और विकास दर भी.
*लेखक एवं विचारक सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*