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हाल में ही प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना लांच की है जिसकी प्रस्तावना, नोटिफिकेशन, आदि अभी प्रशासन को प्राप्त नहीं हुई है.

यह मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का नया स्वरूप होगी जो कि फिसड्डी साबित हुई और उसके ये प्रमुख कारण है:

1. स्वरोजगार योजना में वित्त की उपलब्धता न होना जिस कारण से बैंकों का सहयोग न मिलने से उद्यम कागजों की शोभा बढ़ाते रह गए.

2. उद्योग विभाग द्वारा प्रस्तावित योजना की वेटिंग या आंकलन न होना जिस कारण से बेकार प्रोजेक्ट अनुमोदित हुए और उन पर दिया गया लोन एनपीए हो गया.

3. जो प्रोजेक्ट शुरू हुए उन्हें समय पर बैंक से वित्त न मिलना, सब्सिडी मिलने में देरी होना, अधिक ब्याज लगना जिससे अच्छे प्रस्ताव भी खराब हो गए.

4. लोन किन लोगों को अनुमोदित किए गए, उनका बैकग्राउंड, व्यापार की स्थिति, धंधा वाकई चालू हुआ या नहीं, मशीनरी लगी या नहीं, कितने प्रोजेक्ट लगे, कितने सफल, कितने असफल, आदि सरकार प्रशासन के पास कोई जानकारी न होना और न ही इस बात की कोशिश करना कि सब्सिडी का उपयोग सही जगह हुआ की नहीं.

5. कुल मिलाकर शासन प्रशासन और बैंकों के उदासीन रवैये से स्वरोजगार योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और प्रदेश के करदाताओं का पैसा डूबा.

अब आई है उद्यम क्रांति योजना और यह देखना एवं इसका क्रियान्वयन चुनौतियों से भरा होगा ताकि जमीनी स्तर पर जन सामान्य को इसका लाभ मिल सकें.

इसके सफल क्रियान्वयन के लिए शासन प्रशासन बैंक व्यापारिक चैंबर्स सभी को सहयोग देना होगा और सबकी सहभागिता जरूरी होगी तभी उद्यम क्रांति संभव है. इसके लिए ये उपाय होने जरूरी है:

1. विनिर्माण क्षेत्र में अच्छे प्रस्ताव के लिए लोन की लिमिट को 2 करोड़ रुपये तक लाना होगा, इसी तरह व्यवसाय और सेवा क्षेत्र के प्रोजेक्ट के लिए 1 करोड़ रुपये की लिमिट होनी चाहिए जो कि अभी मात्र 50 लाख एवं 25 लाख रुपये है.

2. प्रस्तावों के आंकलन के लिए अनुभवी पैशेवर, व्यापारी, उद्योगपति, व्यापारिक चैम्बर्स के सदस्य, बैंक अधिकारी और विभागीय एव प्रशासनिक अधिकारी की कमिटी बनानी होगी जिससे सही व्यक्ति और सही पर प्रोजेक्ट का अनुमोदन हो सकें और पैसों एवं सब्सिडी का सदुपयोग हो सकें.

3. विभाग की एक टीम यह सुनिश्चित करेगी कि प्रस्ताव के अनुसार प्रोजेक्ट स्थापित हो और समयबद्ध तरीके से शुरू हो सकें.

4. ब्याज सब्सिडी के लिए वित्त की उपलब्धता तैयार और समय पर हो ताकि बैंक या उद्यमी को किसी भी तरह की फंड प्राब्लम का सामना न करना पड़े.

5. समयानुसार कार्यक्रम का होना इस योजना का अभिन्न अंग होना चाहिए और साथ ही इसकी तिमाही रिपोर्ट लगाए गए प्रोजेक्ट की स्थिति पर सरकार और आंकलन समिति के समक्ष विभाग को प्रस्तुत करनी होगी ताकि डिविएशन को सुधारा जा सकें.

6. आंकलन समिति की महत्वपूर्ण भूमिका रखने से यह योजना न केवल सफल होगी बल्कि जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन संभव होगा. इसके लिए आंकलन समिति सदस्यों को मीटिंग फीस और उनके कार्य के रूल्स तैयार करने होंगे और हर मीटिंग के मिनिट्स रिकॉर्ड करने होंगे.

*उद्यम क्रांति तभी संभव है जब सरकार नौकरशाहों के साथ व्यापारिक चैंबर्स को भी जोड़े और सलाह लें. सभी हितधारकों से मिलें इनपुट पर नीति निर्धारण करें नहीं तो हर बार नई बोतल में पुरानी शराब परोसी जाएगी और परिणाम वही शून्य का शून्य.*

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*

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