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Summary: राजस्थान उच्च न्यायालय में संदर्भ श्याम बिहारी बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI)औ र अन्य रिट पिटीशन संख्या 16519/2024 मामले में याचिका प्रस्तुत की गई है, जिसमें BCI के सर्टिफिकेट और प्रैक्टिस (COP) के सत्यापन नियम, 2015 में किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि संशोधित नियम 32 BCI को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत निर्धारित कार्यकाल से अधिक राज्य बार काउंसिल के सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति देता है। वर्तमान में, बार काउंसिल के सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित है, लेकिन चुनावों में देरी होने पर इसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह 19 दिसंबर, 2023 के BCI के पत्र को रद्द करे, जिसमें कार्यकाल के विस्तार की अनुमति दी गई थी। इसके अतिरिक्त, याचिका में यह भी मांग की गई है कि राज्य बार काउंसिल के सदस्यों द्वारा 16 जनवरी, 2024 के बाद लिए गए निर्णयों को अमान्य घोषित किया जाए। अदालत ने BCI को 22 अक्टूबर 2024 तक इस मामले पर जवाब देने के लिए कहा है। इस याचिका के जरिए यह स्पष्ट किया जा रहा है कि क्या BCI के पास अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में हस्तक्षेप करने का अधिकार है। इस मुद्दे पर 14 नवंबर 2024 को निर्णय लिया जाएगा, जो अन्य राज्य बार काउंसिलों पर भी प्रभाव डालेगा।

Introduction: राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (COP) के सत्यापन नियम, 2015 के नियम 32 में 2023 में पेश किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को दिनांक 22 अक्टूबर 2024 में इस नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए 14नवंबर 2024 नियत की है। क्या बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को राज्य बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों को कुछ आकस्मिकताओं में अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत निर्धारित अवधि से अधिक पद पर बने रहने की अनुमति देने का अधिकार देता है ?

क्या BCI को राज्य बार काउंसिल का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है

स्मरण रहे कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया(BCI ) ने सर्टिफिकेट और प्रैक्टिस का स्थान(COP ) के सत्यापन नियम, 2015 (2015 नियम) का नियम 32 है, जिसे जून 2023 में संशोधित किया गया था 

जिसके द्वारा संशोधित नियम अनिवार्य रूप से बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 8 के तहत निर्धारित अधिकतम अवधि से अधिक राज्य बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार प्रदान करता है।

राजस्थान उच्च न्यायालय की बेंच न्यायमूर्ति मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार

न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 2015 के संशोधित नियम 32, अपने मूल नियम अर्थात अधिवक्ता अधिनियम, 1961 द्वारा अनुमत सीमा से अधिक है।

ताकि सनद रहें

यह कि अधिवक्ता अधिनियम की धारा 8 में राज्य बार काउंसिल के सदस्यों के लिए पांच वर्ष का कार्यकाल निर्धारित किया गया है। हालांकि, यदि आगामी बार काउंसिल के चुनावों में देरी होती है, तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा लिखित कारणों को दर्ज करते हुए इस कार्यकाल को छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है।

यह कि वर्ष 2015 के संशोधित नियम 32 में यह जोड़ा गया है कि यदि राज्य बार काउंसिल के चुनावों में देरी होती है, जैसे कि बार काउंसिल के चुनावों के दौरान वोट देने के लिए पात्र वकीलों की पहचान करने में देरी, तो मौजूदा राज्य बार काउंसिल के सदस्यों का कार्यकाल आगे बढ़ाया जा सकता है।

यह कि विस्तार सत्यापन की प्रक्रिया पूरी करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है कि कोई भी गैर-प्रैक्टिनर अधिवक्ता मतदाता या किसी राज्य बार काउंसिल का सदस्य न बने।”

इस नियम में आगे कहा गया है कि सत्यापन प्रक्रिया विस्तार की तारीख से अठारह(18) महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए, और इसके बाद छह महीने के भीतर चुनाव कराए जाने चाहिए।

यदि ऐसा समय-सीमा के भीतर नहीं किया जाता है, तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) राज्य बार काउंसिल को भंग कर सकती है और एक विशेष समिति गठित कर सकती है।

याचिकाकर्ता का आधार 

याचिकाकर्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष नियम 32 को चुनौती दी है, क्योंकि यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को अधिवक्ता अधिनियम1961 के तहत प्रावधान से अधिक राज्य बार काउंसिल के सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति देता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यदि निर्धारित अवधि के भीतर चुनाव नहीं होते हैं, तो एकमात्र वैध उपाय अधिवक्ता अधिनियम1961 की धारा 8ए के तहत एक विशेष समिति का गठन करना है।

इसलिए, याचिका के द्वारा अदालत से 19 दिसंबर, 2023 के बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के पत्र को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें अधिवक्ता अधिनियम1961 की धारा 8 द्वारा निर्धारित अवधि से अधिक राजस्थान में राज्य बार काउंसिल के सदस्यों के कार्यकाल के विस्तार की अनुमति दी गई थी।

याचिका में राजस्थान उच्च न्यायालय से यह भी अनुरोध किया है कि राजस्थान बार काउंसिल के ऐसे सदस्यों द्वारा 16 जनवरी, 2024 के बाद लिए गए किसी भी निर्णय को अमान्य घोषित किया जाए, क्योंकि उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है।इसके अलावा याचिका में उच्च न्यायालय से राजस्थान में राज्य बार काउंसिल के चुनाव बिना किसी देरी के कराने का आदेश देने का अनुरोध किया है।

टिप्पणी

 उपरोक्त रिट पिटीशन से स्पष्ट है कि क्या बार काउंसिल आफ इंडिया(BCI )को अधिवक्ता अधिनियम 1961 के अंतर्गत पारित नियमावली में हस्तक्षेप करने का अधिकार है? उपरोक्त रिट पिटीशन में दी गई चुनौती को बार काउंसिल आफ इंडिया (BCI)और राजस्थान बाहर काउंसिल द्वारा क्या रुख अपनाया जाएगा ?यह आने वाले 14 नवंबर 2024 को निर्णय से स्पष्ट हो पाएगा ,क्योंकि सभी राज्य बार काउंसिल में इसी प्रकार एक समिति द्वारा कार्यभार ग्रहण किया गया है, या वर्तमान सदस्यों को ही सर्टिफिकेट आफ प्रैक्टिस (COP) के लिए सत्यापन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक बने रहने तक धारा 8 के अंतर्गत आदेश पारित किया गया है।

यह लेखक के निजी विचार हैं।

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मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक � View Full Profile

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