Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

क्या ऐसे बनेगी डिजिटल अर्थव्यवस्था, जहां व्यक्ति की पर्सनल सूचना की कोई सुरक्षा नहीं?

१. आप बैंक से लोन ले या खाता खोलें

२. आप वित्तीय संस्थानों से कोई भी तरह का वित्तीय लेनदेन करें

३. आप किसी भी एजेंसी के माध्यम से निवेश करें

४. आप किसी भी प्रकार का बीमा कराएं

५. आप किसी भी होटल, ट्रेवल एजेंसी से बुकिंग कराएं

६. आप किसी भी वेबसाइट या पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराएं

७. आप किसी भी सेवा एजेंसी से काम कराएं

इन सभी जगह आपकी केवायसी ली जाती है जैसे कि आपका पेन, आधार, मोबाइल, परिवार की सूचना, जन्मतिथि, शादी की तिथि, बच्चे, आदि. कहने का तात्पर्य यह है कि हमारी सारी निजी सूचना इन एजेंसियों के पास होती है और जिनका कर्तव्य इसे सुरक्षित रखना होता है, लेकिन इसके उलट इनका खुलेआम शेयरिंग होना या लीक होना आज एक आम बात हो गई है.

आज हर व्यक्ति अनचाहे फोन काल से परेशान हैं. समझ में नहीं आता कि कैसे हमारी निजी सूचना आम हो गई है और विभिन्न मार्केटिंग उत्पाद बेचने के लिए हमारे निजी नम्बर पर काल आते हैं. जहां तक आप अंडर गारमेंट कौनसा उपयोग करें, उस बारे में भी बताया जाता है.

बैंको, वित्तीय संस्थानों और बीमा कंपनियों द्वारा खुलेआम कस्टुमर का पर्सनल डाटा किया जा रहा लीक

हाल में ही संसद में बताया गया कि बैंको द्वारा २४८ मामले निजी सूचना हनन के अप्रैल १८ से मार्च २२ तक आरबीआई के सामने आए जिसमें २०३ निजी बैंकों द्वारा किए गए थे और ४५ सरकारी बैंकों द्वारा हुए थे. आरबीआई द्वारा इस पर नियंत्रण की चेतावनी बैंको को दी गई है.

इसके अलावा लोकल सर्वे नामक संस्था के अनुसार लगभग लोन लेने वाले ६०% लोगों को अलग अलग संस्थान से लोन टेकओवर के काल गए, जो कि साफ दर्शाता है कि किस स्तर पर हमारी निजी सूचना की चोरी और उपयोग किया जा रहा है.

ऐसे में हम कैसे डिजिटल लेनदेन में अपने आपको सुरक्षित महसूस करें, इसका जवाब सरकार और आरबीआई को तुरंत देना होगा.

आज डिजिटल रूपया भी लांच हो गया है लेकिन साइबर सुरक्षा और निजी सूचना में चूक हमारी अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो रही है.

क्या करना चाहिए:

१. मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए डाटा प्रोटेक्शन एक्ट को तुरंत फाइनल कर लागू करना होगा.

२. किसी की भी निजी सूचना देशद्रोह कानून के अलावा किसी भी सूरत में शेयर नहीं की जा सकेगी.

३. कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों से बांड भरवाना होगा कि निजी सूचना का उपयोग किसी भी सूरत में लीक करने या किसी थर्ड पार्टी को उपयोग में देने पर दंडित किया जाएगा.

४. भारतीय नागरिक का आधार नंबर ही ग्लोबल आइडेंटिटी नंबर घोषित किया जावे और किसी भी संस्थान को इसके अलावा कोई भी सूचना मांगने का हक नहीं होगा.

५. आजकल वित्तीय संस्थानों और बैंको में चलन है कि ग्राहक या उधार कर्ता का इनकम टैक्स और जीएसटी पोर्टल का पासवर्ड मांगा जाता है ताकि वेरिफिकेशन किया जा सके जो कि पूर्णतः गलत है और निजी सूचना का हनन है.

६. सरकारी एजेंसी का गठन हो जो सभी संस्थाओं को ग्राहक के बारे में खुद के लेटरहेड में लिखित सूचना प्रदान करेगी, ग्राहक संबंधित कोई भी कागजात किसी भी एजेंसी को नहीं दिया जायेगा.

७. ग्राहक से आधार के अलावा कोई भी सूचना मांगना दंडनीय अपराध होगा और जो ग्राहक इसमें मदद करेगा वह भी दंड का सहभागी होगा.

निजी सूचना की संवेदनशीलता और इसकी सुरक्षा न होना न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि इन सूचनाओं का उपयोग विदेशी देश करके हमें पीछे धकेल रहे हैं. आज जरूरत है हम भी ट्विटर और वाट्सऐप जैसा देशी सरकारी प्लेटफार्म तैयार कर आत्मनिर्भरता का परिचय दें.

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Ads Free tax News and Updates
Sponsored
Search Post by Date
February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728