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आपको जानकर हैरानी होगी कि इस महामारी वाले काल में रिहायशी भूखंड या जमीन की मांग में जबरदस्त उछाल आया है.

हाउसिंग डाटकाम द्वारा देश के 8 बड़े शहरों में किए गए सर्वे में यह बात सामने आई जिसके अनुसार रिहायशी प्लाट की बिक्री में उछाल अपार्टमेंट के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है.

लोग स्वतंत्र मंजिल या मकान या प्लाट जिस पर अपनी चाहत के अनुसार मकान बना सकें, उस ओर झुकाव दिखा रहे है. फिर चाहे वह शहर से दूर ही क्यों न हो. बिल्डर भी इसी जरुरत के अनुसार प्रोजेक्ट लान्च कर रहे हैं.

यह समय के अनुसार जरुरी भी है क्योंकि व्यक्ति अब यह तो समझ रहा है कि वक्त आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा घर पर बिताना पड़ेगा और सबके लिए अलग कमरे और अलग काम करने की जगह समय की जरूरत और मांग है.

जीवनचर्या में यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है और सरकार को भी रीयल एस्टेट खासकर रिहायशी क्षेत्र में बूस्ट देने के लिए इस बजट में तुरंत कदम उठाने होंगे ताकि अर्थव्यवस्था को वृद्धि दे सकें.

बड़े शहरों में बड़े भूखंडों की कमी से जमीन की सीमित आपूर्ति होती है, इसलिए कंपनियां बड़े शहरों के बाहरी क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं को शुरू कर इस मांग को पूरा करने की कोशिश कर रही है.

गुरुग्राम, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई में 2018 के बाद आवासीय जमीन की कीमतों में दहाई अंक में वृद्धि हुई है। इन शहरों में जमीन की कीमतें 13-21 प्रतिशत की दर में बढ़ी हैं, वहीं पिछले तीन साल में अपार्टमेंट की कीमतों में वृद्धि 2-6 प्रतिशत रही हैं.

साफ है इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए इस बजट में ये महत्वपूर्ण कदम अपेक्षित है:

  1. शहर से बाहर स्थित परियोजना पर होने वाले लाभ को आयकर के अन्तर्गत धारा 80 में 50 प्रतिशत छूट प्रदान करना.
  1. ऐसी परियोजना को जीएसटी मुक्त करना, जहाँ अभी 5% की दर है.
  1. रिहायशी भूखंड खरीदने के लिए बैंकों द्वारा आसान लोन सुविधा हो, इसके प्रावधान करना.
  1. रिहायशी भूखंड के लिए गए लोन पर दिए गए ब्याज और मूलधन को आयकर के अंतर्गत हाउस प्रापर्टी जैसे ही ट्रीट करना.
  1. केपिटल गेन टैक्स बचाने के लिए घर में निवेश के साथ रिहायशी भूखंड में निवेश को भी शामिल करना.
  1. ऐसी परियोजना के अन्तर्गत आने वाले घरों के लिए एक कमरे को व्यवसायिक उपयोग चुनने का मापदंड बनाना, जिसमें होने वाले सभी खर्च को व्यापारिक खर्च मानना और वेतनभोगी के लिए वर्क फ्राम होम का अलाउंस बनाना.
  1. शहरीकरण को नए सिरे से परिभाषित करते हुए, निगम कर, जल कर, प्रापर्टी टैक्स, आदि को ऐसी परियोजना में कम से कम लगाना. इसी तरह बिजली बिलों में सरचार्ज की छूट प्रदान करना.

उपरोक्त कदमों से न केवल रिहायशी रीयल एस्टेट क्षेत्र को एक बूस्ट मिलेगा बल्कि इस महामारी के दौर में शहरीकरण, रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी उछाल मिलेगा.

सरकार का राजस्व तो बढ़ेगा ही अर्थव्यवस्था को गति मिलने से, साथ ही शहर की व्यवस्था पर बढ़ता बोझ भी कम होगा और प्रशासनिक कसावट और सुविधाएं बढ़ेंगी सो अलग.

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965

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