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जीएसटी फर्जी बिलिंग से फर्जीवाड़ा सरकार और विभाग के लिए सरदर्द बना हुआ है. यह इतने व्यापक स्तर पर फैल चुका है कि सरकार जब तक इन लोगों तक पहुँचती है तब तक करोड़ों रुपये की कर चोरी हो जाती है.

इसके लिए पूरी तरह से सिर्फ और सिर्फ जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रणाली की खामियां है जहाँ आनलाइन तंत्र पर भरोसा किया जाता है.

फिजिकल वैरिफिकेशन के अभाव में सरकार को करोड़ों का चूना लग रहा है. यह बात सरकार को समझ नहीं आ रही कि हमारे देश में करोड़ों लोग अभी भी इंटरनेट से कोसों दूर है और न ही उन्हें अपने केवाइसी की संवेदनशीलता का ज्ञान है. देश में जितनी आईडी चाहिए आसानी से उपलब्ध है और आधारभूत ढांचे की कमी से जीएसटी एक्ट आज भी सहज और सरल नहीं बन पाया है. इसीलिए इस कानून में आनलाइन और आफलाइन दोनों प्रक्रिया का समावेश होना जरूरी है.

किस तरह जीएसटी का फर्जी रजिस्ट्रेशन और फर्जी कंपनियां एवं फर्में बनाना आनलाइन तंत्र के कारण आसान और फर्जीवाड़े का साधना बन गया है:

1. विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन के समय फिजिकल वैरिफिकेशन न होना और सिर्फ कागजों के आधार पर अपनी जिम्मेदारी निभाना सबसे बड़ी समस्या बन गया है. अधिकारी कागजों के आधार पर अपनी जबाबदारी से बचते हुए विजिट नहीं करते और रजिस्ट्रेशन अनुमोदित कर देते हैं और आज लगभग हर सरकारी विभाग की यही कहानी है. आनलाइन गलत लोगों के लिए अच्छा साधन बन गया है और अधिकारी अपनी कुर्सी पर आराम फरमाना चाहता है.

2. फर्जी किरायानामा वो भी घर के बाहर लगें बिजली के मीटरों का उपयोग कर बनाया जाता है. बिजली मीटर से उसके मालिक का नाम पता निकालकर उसके नाम उपयोग कर कंपनी या फर्म के नाम पर किरायानामा बना दिया जाता है.

3. इस किरायेनामें के आधार पर और बिजली का डुप्लीकेट बिल निकलवाकर जीएसटी रजिस्ट्रेशन और कंपनी रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर अपलोड कर प्रक्रिया कानून के तहत पूरी कर ली जाती है और इसकी जानकारी न असली मकान मालिक और न ही फर्म या कंपनी के मालिक को पता होती है.

4. अब बात रही फर्म या कंपनी के मालिक की बनाने की तो मजदूरों, कर्मचारी, फेरीवाले, ठेले वाले, घर में काम करने वाले, कंपनी में काम करने वाले, आसानी से लोगों की केवाइसी का उपलब्ध होना- फर्जी मालिक बनाना आसान बना देता है.

5. और फिर शुरू होता है फर्जीवाड़े का खेल. इन रजिस्टर्ड फर्म या कंपनी लाखों करोड़ों की फर्जी बिलिंग कर करोड़ों की कर चोरी करती है और जब तक पकड़ी जाती है तब तक असली अपराधी भाग चुका होता है और कानूनी चक्कर बेचारा ईमानदार व्यक्ति विभागों के लगाता रहता है कि अपने को निर्दोष साबित कर सकें.

सही मायनों में देखा जाए तो गलती विभागीय और सरकारी प्रक्रिया की है, कानून की खामियां की है जिस कारण फर्जी रजिस्ट्रेशन आसानी से दिए जा रहे हैं बिना फिजिकल वैरिफिकेशन प्रक्रिया के.

जब तक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को मजबूत, पारदर्शी, व्यापक और आफलाइन नहीं बनाया जाएगा तब तक किसी भी कानून के अन्तर्गत रजिस्ट्रेशन देना खतरे से खाली कम से कम हमारे देश में तो नहीं है और फिर ईमानदार व्यापारी को कोसना एवं परेशान करना लकीर पीटने के समान होता है.

पहला कदम रजिस्ट्रेशन का यदि फुल प्रूफ होगा तो 90% तक फर्जीवाड़े को रोका जा सकता है और यह सिर्फ जीएसटी विभाग के साथ ही नहीं अन्य विभागों के साथ भी हो सकता है. इसके साथ ही विभिन्न सरकारी विभागों का जैसे आयकर, जीएसटी, कंपनी कानून, फर्म रजिस्ट्रेशन विभाग, बिजली विभाग, नगर निगम, स्थानीय प्राधिकरण, प्रशासन एवं पुलिस विभाग का तालमेल होना जरूरी है ताकि आनलाइन प्रक्रिया फर्जीवाड़े का अड्डा न बनें.

*कहते हैं अच्छी शुरुआत आधा काम पूरा कर देती है, इसलिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की मजबूती फर्जीवाड़े को रोक सकती है एवं सरकारी राजस्व बढाने में सटीक कदम साबित होगी.*

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*

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One Comment

  1. Shashank Tripathi says:

    I do agree with view to make it offline. Here you need understand in offline also such situation was exist. Hence offline is not soluation .To mkae it more robost there should be some additional features like place of business owner addhar card to be added for verfication a confirmation from bank regading bank account to be added, electricity board need to bring in loop for confirmation. Thereafter their income tax returns to be tracked and annual KYC and selection basis verfication need to be undertaken. On Risk Management system to be made more effective. Going back stone age can not be understand.

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