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यूनियन बजट 2024 – पार्टनर भुगतान पर टीडीएस – इनकम टैक्स एक्ट में, एक नई सेक्शन, सेक्शन 194T

यूनियन बजट 2024 में, इनकम टैक्स एक्ट में, एक नई धारा, धारा 194T शामिल करने का प्रस्ताव है। इस नई धारा के अंतर्गत, पार्टनरशिप फर्म द्वारा अपने पार्टनर्स को किए गए पेमेंट्स पर टीडीएस काटने का प्रावधान है। यह टीडीएस लायबिलिटी फर्म द्वारा अपने पार्टनर्स को किए जाने वाले प्रत्येक प्रकार के पेमेंट पर नहीं है। बल्कि यह लायबिलिटी केवल फर्म द्वारा अपने पार्टनर्स को दिए जाने वाले वेतन, रेम्यूनरेशन, कमीशन, बोनस, और इंटरेस्ट पर ही है।

यदि सैलरी, इंटरेस्ट इत्यादि के नेचर का कोई पेमेंट फर्म द्वारा अपने पार्टनर्स को किसी अन्य नाम से भी किया जाता है, तो भी ऐसे अमाउंट पर टीडीएस की लायबिलिटी होगी। इसके अतिरिक्त, फर्म द्वारा अपने पार्टनर्स को दिए जाने वाले किसी अन्य प्रकार के अमाउंट पर टीडीएस की लायबिलिटी नहीं होगी। उदाहरण के लिए, पार्टनर का फर्म के प्रॉफिट में शेयर, गुडविल, यदि फर्म ने पार्टनर से किसी प्रकार की कोई खरीदी की हो तो उसका भुगतान, पार्टनर द्वारा फर्म में अपने कैपिटल अकाउंट या करंट अकाउंट से किए जाने वाले विड्रोल इत्यादि। इन पर टीडीएस की लायबिलिटी नहीं होगी।

उक्त टीडीएस लायबिलिटी के संबंध में, पार्टनर द्वारा फर्म से किए जाने वाले विड्रोल के संबंध में क्या सावधानियाँ रखनी होंगी, इस बारे में हम आगे इसी आर्टिकल में अलग से चर्चा करेंगे।

इंटरेस्ट के बारे में एक बात ध्यान रखने योग्य है कि इंटरेस्ट चाहे पार्टनर के कैपिटल बैलेंस पर हो, अथवा पार्टनर द्वारा फर्म को दिए गए किसी प्रकार के लोन पर हो, अथवा किसी अन्य कारण से हो, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। टीडीएस लायबिलिटी फर्म द्वारा अपने पार्टनर्स को दिए गए प्रत्येक प्रकार के इंटरेस्ट पर होगी।

टीडीएस, सैलरी, इंटरेस्ट आदि की पूरी राशि पर काटना होगा। हालांकि इसमें ₹20,000 प्रति वर्ष प्रति पार्टनर की थ्रेशोल्ड लिमिट दी गई है। यदि किसी पार्टनर की पूरे वर्ष की इंटरेस्ट इत्यादि की राशि ₹20,000 से ऊपर हो जाती है, तो फिर कुल राशि पर टीडीएस काटना है। ऐसा नहीं है कि कुल राशि में से ₹20,000 छोड़कर बचे हुए पर टीडीएस काटना है। यदि कुल राशि ₹20,000 अथवा इससे कम है, तो फिर कोई टीडीएस नहीं काटना है।

₹20,000 की थ्रेशोल्ड लिमिट सभी प्रकार के पेमेंट, सैलरी, इंटरेस्ट इत्यादि की टोटल लिमिट है। अलग-अलग प्रकार के पेमेंट के लिए ₹20,000-₹20,000 की अलग-अलग लिमिट नहीं है। टीडीएस सैलरी, इंटरेस्ट इत्यादि की पूर्ण राशि पर (थ्रेशोल्ड लिमिट को ध्यान में रखते हुए) काटना है। ऐसा नहीं है कि जितना अमाउंट पार्टनर के हाथ में टैक्सेबल हो, केवल उसी पर टीडीएस काटना हो और बाकी पर नहीं। कई मामलों में ऐसा होता है कि फर्म से मिले हुए ब्याज, वेतन इत्यादि की पूरी राशि पार्टनर के हाथ में टैक्सेबल नहीं होती है। पार्टनर के हाथ में केवल उतनी ही राशि टैक्सेबल होती है, जितनी का डिडक्शन फर्म को अपनी टैक्सेबल इनकम कैलकुलेट करने में मिला हो। पार्टनर के ब्याज, वेतन इत्यादि का कितना डिडक्शन फर्म को मिलेगा, उसका आधार इनकम टैक्स की धारा 40 के क्लॉज (बी) में दिया गया है।

उदाहरण के लिए, यदि पार्टनरशिप डीड में पार्टनर की पूंजी पर ब्याज की दर 18% दी गई है और पार्टनर को उसी अनुसार ब्याज भी दिया गया है, ऐसे में फर्म को उक्त धारा के अनुसार केवल पूंजी पर 12% ब्याज की ही छूट मिलेगी और पार्टनर के हाथ में केवल 12% की दर से कैलकुलेट किए गए ब्याज पर ही टैक्स लगेगा। बाकी बचे हुए ब्याज पर फर्म को ही टैक्स देना है। परंतु ऐसी स्थिति में भी पार्टनर को 18% दर से दिए गए ब्याज की संपूर्ण राशि पर (थ्रेशोल्ड लिमिट का ध्यान रखते हुए) टीडीएस काटना होगा। यही स्थिति पार्टनर वेतन के संबंध में भी बनेगी। अर्थात वेतन, ब्याज इत्यादि के नॉन-टैक्सेबल कंपोनेंट पर भी टीडीएस काटना होगा।

फर्म से मिला हुआ प्रॉफिट का संपूर्ण शेयर पार्टनर के हाथ में कर मुक्त होता है, क्योंकि उस पर फर्म द्वारा ही टैक्स दिया जाता है। अतः शायद इसी कारण से प्रॉफिट शेयर पर टीडीएस की लायबिलिटी नहीं है।

टीडीएस वेतन, ब्याज इत्यादि के वास्तविक भुगतान के समय अथवा पार्टनर के खाते में क्रेडिट के समय, दोनों में से जो भी पहले हो, तब किया जाना है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि राशि को पार्टनर के पूंजी खाते में क्रेडिट किया गया है अथवा अन्य किसी खाते में।

यहां एक बड़ा महत्वपूर्ण विषय है कि वेतन, ब्याज आदि पार्टनर के खाते में सामान्य तौर पर वर्ष के अंत में क्रेडिट किए जाते हैं। पार्टनर के द्वारा सामान्य तौर पर अनेक बार वर्ष के दौरान अपने पूंजी इत्यादि खाते से अमाउंट विड्रोल किए जाते हैं। सामान्य तौर पर यह आइडेंटिफिकेशन नहीं होता है कि जो अमाउंट विड्रॉ किया जा रहा है, वह वर्तमान वर्ष की सैलरी, इंटरेस्ट इत्यादि के अगेंस्ट है या कैपिटल कंट्रीब्यूशन के अगेंस्ट है या पुराने वर्षों के प्रॉफिट, सैलरी, इंटरेस्ट वगैरा के अगेंस्ट है। ऐसे में यदि विभाग द्वारा यह ओपिनियन ले ली जाती है कि वर्ष के दौरान जो अमाउंट विड्रॉ किए हैं, वह वर्तमान वर्ष की सैलरी और इंटरेस्ट के अगेंस्ट है, तो ऐसे में टीडीएस के लेट डिडक्शन का मामला बनने की संभावना हो सकती है। क्योंकि ऐसे में टीडीएस भुगतान के समय न होते हुए बाद में खाते में अमाउंट को क्रेडिट करते समय किया गया हो सकता है।

ऐसे मामलों में, सावधानी के तौर पर अपनी अकाउंट बुक्स में वर्तमान वर्ष का वेतन देय खाता, ब्याज देय खाता इत्यादि अलग से खोला जा सकता है और उक्त राशि वहां अलग से क्रेडिट की जा सकती है और वास्तविक भुगतान के समय राशि को वही अलग खाते में डेबिट किया जा सकता है। भुगतान अथवा क्रेडिट दोनों में से जो पूर्व में हो, उसी समय टीडीएस बराबर तौर पर काटा जा सकता है।

यदि पार्टनरशिप डीड में ब्याज, वेतन इत्यादि का उल्लेख है और इस बाबत कोई राशि का भुगतान पार्टनर को नहीं किया जाता है और साथ ही इस राशि को पार्टनर के खाते में क्रेडिट भी नहीं किया जाता है, ऐसे में ऐसी राशि को पेबल मानकर उस पर टीडीएस की लायबिलिटी शायद नहीं आएगी, क्योंकि हो सकता है की म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग से पार्टनरों ने यह तय किया हो की ब्याज, वेतन इत्यादि नहीं देना है।

टीडीएस की दर 10% है। उक्त प्रावधान दिनांक 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। उक्त प्रावधान प्रोसीजरल प्रावधान है। अतः किस एसेसमेंट ईयर से संबंधित ब्याज, वेतन इत्यादि है, इससे कोई संबंध नहीं है। उक्त दिनांक के पश्चात दिए जाने वाले समस्त उक्त प्रकार के भुगतान पर यह टीडीएस की लायबिलिटी लागू होगी। पुराने वर्षों का यदि कोई वेतन, ब्याज इत्यादि किसी कारणवश उक्त दिनांक के बाद के प्रॉफिट लॉस अकाउंट में फर्म द्वारा डेबिट किया जाता है और पार्टनर को दिया जाता है, तो ऐसे में उस पर भी टीडीएस की लायबिलिटी आ सकती है। परंतु यदि पुराने वर्षों में वेतन, ब्याज इत्यादि पहले से पार्टनर के खाते में क्रेडिट किया जा चुके हैं और उनका भुगतान उक्त तिथि के बाद किया जाता है, तो फिर शायद उस पर टीडीएस की लायबिलिटी लॉजिकल तौर पर देखा जाए तो नहीं होगी।

आशा और उम्मीद है कि युक्त जानकारी उपयोगी सिद्ध होगी।

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One Comment

  1. SATISH GAUTAM says:

    DEAR SIR,
    I READ YOUR ARTICLE. AND I LIKED YOUR ARTICLE IN HINDI VERY MUCH. ALL THE INFORMATION RELATED TO TDS IN RELATION TO PARTNERSHIP FIRM HAS BEEN RECEIVED WITH ADSOLUTE ACCURACY FROM YOR ARTICLE.
    THANKS & REGARDS

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