Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

जीएसटी और टैक्स ऑडिट की तारीखें बढ़ा कर सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि सरकार करदाताओं की वास्तविक समस्याओं को लेकर इस समय ना सिर्फ संवेदनशील है बल्कि अब समय पर कार्यवाही भी कर रही है . देखिये ये तारीखें आखिर बढ़नी ही थी क्यों कि इस समय कोराना समाप्त नहीं हुआ है लेकिन अंतिम समय पर तारीख बढ़ाने और समय रहते तारीख बढ़ाने में काफी फर्क है और यह सकारात्मक संकेत है कि सरकार इस समय करदाताओं और प्रोफेशनल्स को सही मायने में राहत देना चाहती है तो इससे अन्य समस्याओं के लिए भी एक उम्मीद बनती है। आइये कुछ और समस्याओं और मुद्दों पर बात करें जिनमें तत्काल राहत की आवश्यकता है .

1. आईटीसी से सम्बंधित नियमों को सरल एवं तर्कसंगत बनाएं :-

जीएसटी का नियम 36(4) और धारा 16(4) जो कि आईटीसी को क्लेम करने के सम्बन्ध में है लेकिन इसमें  भी राहत की जरूरत है क्यों इन दोनों ही मामलों में सरकार को विक्रेता से कर और ब्याज या तो मिल चुका है या मिलना ही है इसलिए क्रेता इनपुट क्रेडिट से  वंचित रखना न्यायोचित नहीं है। असल में इस सम्बन्ध में क्रेता जो एक बार कर का भुगतान कर चुका है जो कि वह विक्रेता को एक बार कर चुका है उससे फिर से यह कर वसूलना ही एक गलत नीति परिणाम है और यही वेट में होता था लेकिन आप मानिए वेट में सुधार के लिए ही तो जीएसटी लाया गया था तो फिर जीएसटी भी यदि इसी खामी के साथ चल रहा है तो फिर इस परिवर्तन का व्यापार और उद्योग को लाभ ही क्या हुआ ? कई बार व्यापर एवं उद्योग की तरफ से यह सवाल भी आता है कि यह किस तरह का सरलीकरण है .

सरकार को इस सम्बन्ध में एक न्यायोचित्त प्रावधान बनाना चाहिए और इस कर की वसूली हमेशा ब्याज समेत विक्रेता से करनी चाहिए. इसके लिए सरकार को क्रेता से उसके क्रय की लिस्ट विक्रेताओं के डिटेल्स के साथ ले और मिस्मेच होने पर इसकी वसूली विकेताओं से करे या उन्हें अपने रिटर्न सुधार का मौक़ा दे . क्रेता से इस सम्बन्ध उसकी इनपुट क्रेडिट को रोक कर उससे वसूली करना सबसे आसान तरीका  तो हो सकता है लेकिन यह तरीका ना तो व्यवहारिक है ना ही व्यवहारिक तरीका नहीं है.

2. जीएसटी एमनेस्टी स्कीम धारा 16 (4) से छूट देते हुए फिर से लायें :-

जीएसटी एमनेस्टी स्कीम का भी लाभ कोराना के चलते डीलर्स नहीं ले पाए तो 16(4) से मुक्ति देते हुए इस स्कीम का लाभ फिर से से दिया जाए तो न्यायोचित रहेगा इसके अतिरिक्त भी इस स्कीम का जीएसटी की धारा 16 (4 ) के चलते कोई ज्यादा औचित्य नहीं था लेकिन यदि सरकार इन छूटे हुए डीलर्स को मुख्यधारा में लाना चाहती है तो इस योजना को एक बार फिर से विचार करते हुए लाना चाहिए.

3. कम्पोजीशन डीलर्स को भी छुट का लाभ दें :-

GSTR-4 की तारीख भी आ रही है लेकिन इसमें खरीद की डिटेल्स की जरूरत के कारण अधिकांश डीलर्स इसे भर नहीं पाए हैं तो उचित यही होगा कि उनकी इसकी तारीख बढ़ाने और खरीद की डिटेल्स हटाने की मांग मान ली जाए क्यों कि एक कम्पोजिशन डीलर्स के लिए रिकॉर्ड रखना भी मुश्किल होता है और दूसरा जब रिवर्स चार्ज नहीं है तो फिर इस तरह से खरीद की विगत मांगने का कोई औचित्य नहीं है। एक बात और है कि जब जीएसटी के अन्य डीलर्स ही अपने वार्षिक रिटर्न्स नहीं भर पा रहे हैं तो फिर कम्पोजीशन डीलर्स जिनके साधन तो सीमित ही हैं उनसे कैसे यह उम्मीद की जा सकती है कि वे अपने वार्षिक रिटर्न्स भर इस समय भर पायेंगे.

4. डीलर्स को ऐसी गलतियां जिन में कर चोरी नहीं है सुधारने का एक मौक़ा दिया जाए :-

डीलर्स को अनजाने में हुई गलतियां जिनमें कर चोरी नहीं है उन्हें प्रारम्भ से ही सुधारने का मौका दिया जाए और GSTR-3B में रिवीजन की सुविधा दी जाए। जीएसटी का यह रिटर्न जीएसटी की मूल स्कीम में नहीं था और इसे सिर्फ दो माह के लिए लाया गया था लेकिन 40 माह बाद भी यह रिटर्न वहीँ का वहीं बना हुआ है लेकिन सिस्टम की तकनीकी खामियों के कारण इस रिटर्न में परिवर्तन या संशोचन की सुविधा नहीं दी गई है जब कि कानून में रिटर्न संशोधन पर कोई रोक नहीं है .

जीएसटी का यह रिटर्न GSTR-3 B केवल एक रिटर्न ही है लेकिन इस रिटर्न में संशोधन का प्रावधान नहीं होने के कारण जीएसटी कर समायोजन की कई समस्याएं उत्पन्न हो गई है और यदि जुलाई 2017 से ही इस रिटर्न में संशोधन का एक मौक़ा दे दिया जाये तो जीएसटी समायोजन से जुडी अधिकांश समस्याएं हल हो जायेगी और इस तरह से लाखों की संख्या में दिए जाने वाले नोटिस भी रुक जायेंगे.

5. जीएसटी लेट फीस की वसूली को तर्कसंगत बनाया जाए :-

जीएसटी लेट फीस को उस अवधि में भुगतान किए जाने वाले कर से कम रखा जाए और जिन डीलर ने लेट फीस का भुगतान उस समय अवधि के लिए कर दिया है जिस अवधि के लिए  सरकार ने बाद में उसे माफ कर दिया तो उन्हें वह लेट फीस लौटा दी जानी चाहिए।

जीएसटी सरल होगा तो ही जीएसटी सफल होगा।

6. जीएसटी नेटवर्क में सुधार किया जाए :-

जीएसटी नेटवर्क अपने स्वयं के कितने भी दावे कर ले लेकिन अभी तक 40 माह बीत जाने के बाद भी इसकी स्तिथी में कोई सुधार नहीं हुआ और यह नेटवर्क इस समय भी डीलर्स और प्रोफेशनल्स के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है लेकिन इस नेटवर्क की तरफ से हमेशा यही ख़बरें आती है कि सब कुछ ठीक ही नहीं बेहतर भी है और यही जीएसटी नेटवर्क का तरीका सुधार में सबसे बड़ी बाधा है .

7. जीएसटी के वार्षिक रिटर्न को व्यवहारिक रूप से उपयोगी बनाया जाए :-

जीएसटी का वार्षिक रिटर्न जिस तरह से ड्राफ्ट किया गया है वह ज्यादा उपयोगी नहीं है और एक तरह से यह रिटर्न भी डीलर को उलझाने वाला ही है इसलिए इस रिटर्न को फिर से ड्राफ्ट करने की जरुरत है . इस रिटर्न को भी बदलने की सख्त जरुरत है . यदि इस रिटर्न को व्यवहारिक बनाना हो तो सबसे पहले डीलर को उन गलतियों को बताने की सुविधा दी जानी चाहिए जो वो GSTR -3 B में सुधार की सुविधा नहीं होने के कारण डीलर का आउटपुट एवं उसका सेट ऑफ सही नहीं हो पा रहा है और यही कठिनाई एक हेड से दूसरे हेड में गलत ली गई इनपुट के बारे में भी लागू होती है . सरकार को इस वार्षिक रिटर्न को इस तरह से बनाना चाहिए कि डीलर की वास्तविक कर देयता तथा उसे किस तरह से उसने भुगतान किया है के लिए उपयोगी हो सके और यही उद्देश्य इस रिटर्न का होना चाहिए .

8. जीएसटी को लाने के उद्देश्य एक बार फिर से देख लें :-

सरकार जीएसटी के मूल उद्देश्यों को एक बार फिर से देख लेवे कि जीएसटी अप्रत्यक्ष कर प्राणाली में सरलीकरण और उससे जुड़े हुई प्रक्रियाओं को आसान बनाना होता था लेकिन अब 40 माह के बाद एक बार देख लेना चाहिए कि इन उद्देश्यों में कितनी सफलता प्राप्त हुई है. आम राय इस बारे में यह है कि जीएसटी लगने के बाद अप्रत्यक्ष कर प्रणाली और भी मुश्किल हो गई है और प्रक्रियाएं भी काफी जटिल हो गई है . सरकार अपनी और से यह मालुम करे कि जीएसटी इस समय किस स्तिथी में है और यदि इसमें इस तरह से कमियाँ है तो फिर तुरंत सुधार की कार्यवाही प्रारम्भ करे अन्यथा अर्थव्यवस्था के लिए जीएसटी जो एक विकास का परिचायक बनना था वह स्वयं ही एक परेशानी का कारण नहीं बन जाए.

सुधीर हालाखंडी
[email protected]

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

3 Comments

  1. NIRAV says:

    GSTR 2 IS HEART OF GST ACT.
    IT SHOULD BE IMPLIED AS SOON AS POSSIBLE TO AVOID FURTHER MISTAKES.
    IN OLD RETURNS FILED THERE SHOULD BE LOW PENALTY AND CHANCE TO RECTIFY MISTAKE.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Sponsored
Search Post by Date
August 2024
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031