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Summary: जीएसटी एक्ट 2017 के तहत अगस्त 2024 से लागू होने वाली नई एमनेस्टी स्कीम, वित्त (सं. 2) अधिनियम 2024 के तहत है, जो 16 अगस्त 2024 को संसद द्वारा पारित हुई। इस स्कीम के तहत, पूर्व कर अवधि के लिए ब्याज और जुर्माना छूट प्राप्त करने के लिए, करदाताओं को पूरे कर की राशि का भुगतान 31 मार्च 2025 तक करना होगा। इस योजना में एससीएन (SCN), न्यायिक आदेश, और अपील आदेश शामिल होंगे, लेकिन रिफंड मामलों को कवर नहीं किया जाएगा। योजना की तैयारी के लिए, व्यापार और उद्योग को सीजीएसटी और एसजीएसटी विभाग द्वारा जारी नियमों और परिपत्रों का पालन करना होगा। यह योजना उन करदाताओं के लिए है जिन्होंने पहले से कर, ब्याज, और जुर्माना चुका दिया है, लेकिन रिफंड की संभावना नहीं है। उद्योग ने योजना में कुछ विशेष मामलों को शामिल करने का अनुरोध किया है, जैसे ट्रांजिशनल क्रेडिट विवाद और लंबे समय की एससीएन/आदेश। इसलिए, करदाताओं को इस योजना के तहत शामिल होने से पहले सभी मुद्दों की समीक्षा करनी होगी और उचित कार्रवाई करनी होगी।

Introduction: जीएसटी एक्ट 2017 के अंतर्गत एक एमनेस्टी स्कीम वित्त (सं. 2) अधिनियम 2024 (सं. 15, 2024) संसद द्वारा दिनांक 16 अगस्त, 2024 के अंतर्गत लागू की गई है। आने वाले महीनों में अधिसूचित किया जाएगा और इस संबंध में CGST और SGST विभाग द्वारा नियम और परिपत्र जारी किए जाएंगे। हालांकि, व्यापार और उद्योग जगत और टैक्स प्रोफेशनल को अभी से इस योजना के लिए तैयारी करने की आवश्यकता है। ताकि सही समय पर कार्रवाई की जा सके और योजना का अधिकतम लाभ लिया जा सके।

इस लेख के माध्यम से हमने योजना से संबंधित विषय और इसके लिए की जाने वाली तैयारियों का सारांश निम्न है-

A. जीएसटी एमनेस्टी स्कीम का आधार ।

B. जीएसटी एमनेस्टी स्कीम अगस्त 2024 से लागू की जाएगी ।

C. जीएसटी एमनेस्टी स्कीम की तैयारी और उससे जुड़े विषय ।

उपरोक्त बिंदु पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत हैं –

A. जीएसटी एमनेस्टी स्कीम का आधार= 

कुछ कर अवधि के लिए धारा 73 के तहत उठाई गई मांगों से संबंधित ब्याज या जुर्माना या दोनों की छूट। जीएसटी एक्ट में धारा 128A के अंतर्गत-धारा 128A.

 (1) इस अधिनियम में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, जहां कर की कोई रकम किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा देय है जो निम्नलिखित के अनुसार कर से प्रभार्य है,-

(क) धारा 73 की उपधारा (1) के अधीन जारी किया गया नोटिस या धारा 73 की उपधारा (3) के अधीन जारी किया गया विवरण, और जहां धारा 73 की उपधारा (9) के अधीन कोई आदेश जारी नहीं किया गया है; या

(ख) धारा 73 की उपधारा (9) के अधीन पारित आदेश, और जहां धारा 107 की उपधारा (11) या धारा 108 की उपधारा (1) के अधीन कोई आदेश पारित नहीं किया गया है; या

(ग) धारा 107 की उपधारा (11) या धारा108 की उपधारा (1) के अधीन पारित कोई आदेश, और जहां 1 .07. 2017 से 31 .03.2020  तक की अवधि या उसके किसी भाग से संबंधित धारा 113 की उपधारा (1) के अधीन कोई आदेश पारित नहीं किया गया है, और उक्त व्यक्ति, यथास्थिति, खंड (क), खंड (ख) या खंड (ग) में निर्दिष्ट नोटिस या कथन या आदेश के अनुसार देय कर की पूरी रकम, परिषद की सिफारिशों पर सरकार द्वारा अधिसूचित तारीख को या उससे पूर्व चुका देता है, वहां धारा 50 के अधीन कोई ब्याज और इस अधिनियम के अधीन कोई जुर्माना देय नहीं होगा और, यथास्थिति, उक्त नोटिस या आदेश या कथन के संबंध में सभी कार्यवाहियां, ऐसी शर्तों के अधीन, जो विहित की जा सकें, समाप्त मानी जाएंगी:

परंतु जहां धारा 74 की उपधारा (1) के अधीन कोई नोटिस जारी किया गया है, और धारा 75 की उपधारा (2) के उपबंधों के अनुसार अपील प्राधिकरण या अपील अधिकरण या किसी न्यायालय के निदेश के अनुसरण में उचित अधिकारी द्वारा कोई आदेश पारित किया जाता है या पारित किया जाना अपेक्षित है, वहां उक्त नोटिस या आदेश, यथास्थिति, इस उपधारा के खंड (क) या खंड (ख) में निर्दिष्ट नोटिस या आदेश माना जाएगा:

बशर्ते कि इस उपधारा के तहत कार्यवाही का निष्कर्ष, उन मामलों में जहां धारा 107 की उपधारा (3) के तहत या धारा 112 की उपधारा (3) के तहत आवेदन दायर किया जाता है या धारा 117 की उपधारा (1) के तहत या धारा 118 की उपधारा (1) के तहत केंद्रीय कर के अधिकारी द्वारा अपील दायर की जाती है या जहां धारा 108 की उपधारा (1) के तहत कोई कार्यवाही शुरू की जाती है, खंड (बी) या खंड (सी) में निर्दिष्ट आदेश के खिलाफ या अपीलीय प्राधिकरण या अपीलीय न्यायाधिकरण या पहले परंतुक में संदर्भित न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ, इस शर्त के अधीन होगा कि उक्त व्यक्ति अपीलीय प्राधिकरण या अपीलीय न्यायाधिकरण या न्यायालय या पुनरीक्षण प्राधिकरण के आदेश के अनुसार देय कर की अतिरिक्त राशि, यदि कोई हो, का भुगतान करता है, जैसा भी मामला हो, उक्त आदेश की तारीख से तीन महीने के भीतर:

बशर्ते कि जहां ब्याज और जुर्माना पहले ही चुकाया जा चुका है, वहां उसकी वापसी उपलब्ध नहीं होगी

(2) उपधारा (1) में निहित कोई भी बात गलत वापसी के कारण व्यक्ति द्वारा देय किसी भी राशि के संबंध में लागू नहीं होगी।

(3) उपधारा (1) में अंतर्विष्ट कोई बात उन मामलों के संबंध में लागू नहीं होगी जहां उक्त व्यक्ति द्वारा दायर अपील या रिट याचिका, यथास्थिति, अपील प्राधिकरण या अपील अधिकरण या किसी न्यायालय के समक्ष लंबित है और उक्त व्यक्ति द्वारा उपधारा (1) के अधीन अधिसूचित तारीख को या उससे पूर्व वापस नहीं ली गई है।

(4) इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, जहां उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट कोई रकम संदत्त कर दी गई है और कार्यवाही उक्त उपधारा के अधीन समाप्त समझी जाती है, वहां, यथास्थिति, धारा 107 की उपधारा (1) या धारा 112 की उपधारा (1) के अधीन कोई अपील, उपधारा (1) के खंड (ख) या खंड (ग) में निर्दिष्ट किसी आदेश के विरुद्ध नहीं होगी ।

B. जीएसटी एमनेस्टी स्कीम अगस्त 2024 से लागू की जाएगी-As Per Finance Bill 2024(Pass 16.08.2024)-

1. यह कि वित्तीय वर्ष 2017-18, 18-19 एवं 19-20 के लिए जारी एससीएन(SCN)/न्यायिक आदेश/अपील आदेश शामिल किए गए।

2. यह कि  एससीएन(SCN)/आदेश सीजीएसटी अधिनियम की धारा 74 के तहत है, लेकिन यदि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 75(2) के तहत अपीलीय प्राधिकारी का मानना है कि धारा 73 लागू है, तो भी धारा 73 के तहत परिणामी आदेश लागू होगा।

3. यह कि कर की पूरी राशि(Tax Amount) के भुगतान पर ब्याज और जुर्माने की छूट

4. रिफंड के मामले इस योजना के अंतर्गत कवर नहीं किए गए हैं।

5. योजना के अंतर्गत कवर होने के लिए 31 मार्च 2025 के भीतर भुगतान करना होगा

6. योजना के अंतर्गत एक बार बंद किए गए मामलों के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकेगी।

7. योजना में शामिल होने के लिए अपील या न्यायालय में लंबित मामलों को वापस लेना होगा।

C. जीएसटी एमनेस्टी स्कीम की तैयारी और उससे जुड़े विषय- 

1. यह योजना आगामी अक्टूबर/नवंबर 2024 से या उसके बाद आधिकारिक अधिसूचना जारी होने पर शुरू हो सकती है। पहले CGST और राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया जाएगा। और नोटिफिकेशन जारी किए जाएंगे।

2. यह कि  सुनिश्चित करें ,कि ऐसी अपील समय पर दायर की जाए। अन्यथा, योजना के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।

3. यह कि देखा जाता है, कि एमनेस्टी स्कीम में शामिल होने के लिए व्यक्ति को कर राशि का भुगतान करना पड़ता है और उसके बाद ही उसे ब्याज में छूट मिलती है। इसलिए संबंधित आदेश/एससीएन के विरुद्ध भुगतान योजना के तहत किया जा सकता है। इससे पहले उक्त आदेश के लिए अग्रिम जमा के साथ अपील दायर की जा सकती है।

4..  यह  कि अगर केवल ब्याज और/या जुर्माना(Interest  and Penalty)की मांग है तो क्या इसे बिना किसी कर भुगतान (Tax Payment) के कवर किया जाएगा। उद्योग ने इसे योजना में शामिल करने के लिए आवेदन किया है।

5. यह कि धारा 74 के तहत दिए गए आदेशों को चुनौती दी जा सकती है, और यदि 31 मार्च 2025 तक धारा 73 के तहत आदेश बंद कर दिए जाते हैं, तो वे भी इस योजना के अंतर्गत आ सकते हैं। इसलिए, करदाता उक्त आदेशों की भी समीक्षा कर सकते हैं।

6. यह कि योजना एस.सी.एन(SCN)./ऑर्डर के अनुसार है। इसलिए, यदि कोई करदाता इस योजना में शामिल होना चाहता है, तो उसे एस.सी.एन(SCN)./ऑर्डर के सभी मुद्दों पर विचार करना होगा।

7. यह कि क्या ट्रांजिशनल क्रेडिट विवाद(Trans Dispute) इस योजना के अंतर्गत आते हैं? उद्योग जगत ने TRAN ऑर्डर को भी इस योजना के अंतर्गत लाने का अनुरोध किया है।

8. यह  कि यदि एससीएन(SCN)/आदेश एक बार में 4-5 साल के लिए जारी किए जाते हैं, तो क्या 3 साल के लिए माफी दी जा सकती है और शेष वर्षों के लिए क्या होगा। उद्योग जगत ने एससीएन(SCN)/आदेश से संबंधित वित्तीय वर्षों को अलग करने और योजना के तहत लाने के लिए आवश्यक प्रस्ताव दिया है।

9. यह कि क्या योजना के अंतर्गत देय कर(Payable Tax)का भुगतान आईटीसी के माध्यम से किया जा सकता है या केवल नकद खाता बही के माध्यम से भुगतान करना ह।

10. यह कि. जहां करदाता ने पहले ही कर, ब्याज और जुर्माना(Tax, Interest and Penalty)स्वीकार कर ली है।और उसका भुगतान कर दिया है , ऐसे मामलों में कोई रिफंड नहीं दिया जाएगा।

11. यह कि. पिछली अवधि के लिए यदि वित्तीय वर्ष 2017-18, 18-19 और 19-20 के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16(4) के तहत आईटीसी की समय-बाधित अवधि के लिए विवाद हैं , जिसमें आईटीसी अब धारा 16(5) और 16(6) के तहत उपलब्ध होगी, तो यह देखने की जरूरत है कि एससीएन/आदेश के इस हिस्से को योजना के तहत एससीएन(SCN)/आदेश के शेष हिस्से को लाने के लिए कैसे तैयार किया जाएगा।यह कि करदाताओं को सावधान रहना होगा कि वे जीएसटीआर-3बी के माध्यम से देय कर(Tax Payable) का भुगतान न करें ।क्योंकि यह योजना के अंतर्गत कवर नहीं हो सकता है। टीआरएएन(TRAN )योजना सहित पिछली योजनाओं में, यह भी देखा गया है कि  चूक के मामले में विवाद होते हैं।

निष्कर्ष 

उपरोक्त लेख के माध्यम से लेखक द्वारा जीएसटी एमनेस्टी स्कीम के संबंध में उसके आधार, लागू होने तथा तैयारी और सावधानी बरतने की आवश्यकता पर बल दिया है। क्योंकि व्यवसाय, उद्योग जगत तथा टैक्स प्रोफेशनल को इस एमनेस्टी स्कीम का काफी इंतजार है। तथा सभी विषय पर जिज्ञासा है ,कि इस स्कीम के अंतर्गत सीजीएसटी और SGST  विभाग द्वारा क्या नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा?क्या इसकी प्रक्रिया निर्धारित की जाएगी ?लेकिन करदाता को सावधान रहना होगा, क्योंकि सरकार कभी भी छूट नहीं देती है ?निश्चित रूप से ऐसी शर्ते बांधी जाएगी, जिससे करदाता से ज्यादा से ज्यादा कर वसूला जा सके ।

आशा करता हूं, कि इस लेख के माध्यम से सभी को इस स्कीम के संबंध में लाभ होगा।

 यह लेखक के निजी विचार है।

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