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किस किसको किया जा सकता है गिरफ्तार और कब  !!!!!!!!!

जीएसटी विभाग ने हाल ही में एक रिफंड के मामले में गुरुग्राम के दो सी.ए. प्रोफेशनल्स को गिरफ्तार किया है जो इस समय प्रोफेशनल सर्किल्स में चर्चा और विवाद का एक बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ है और इस तरह से इस समय जीएसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रावधान  एक बहुत ही अधिक चर्चा का विषय बन चुके हैं और विशेष तौर पर इस समय जो प्रोफेशनल्स की गिरफ्तारी हुई है और जिसका पूरे भारत में प्रोफेशनल्स द्वारा लगातार्र विरोध किया जा रहा है इससे जीएसटी में गिरफ्तारी के प्रावधान फिर से एक बार बहुत ही बड़ा और  संवेदनशील मुद्दा बन गया है . लेकिन यह विषय इतनी अधिक चर्चा में आ जाएगा यह कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं और यह पहली बार भी नहीं हुआ है जब कि इस प्रावधान को ही शंका की नजर से देखा गया हो . जिस समय जीएसटी  भारत में लगाया गया था उस समय भी एक सवाल सबसे अधिक चर्चा का विषय था वह था क्या जीएसटी में किसी व्यक्ति गिरफ्तारी भी हो सकती है और क्या जिस व्यक्ति ने कर की चोरी की है या गलत इनपुट लिया है या गलत इनपुट के कारण रिफंड लिया है उस व्यक्ति के अलावा भी कोई इस प्रावधान के तहत गिरफ्तार हो सकता है  !!!!!!!!

क्या जीएसटी कानून बंनने के बाद गिरफ्तारी के इस प्रावधान के दायरे को क्या और भी बढाया गया है जिससे यह प्रावधान और भी विवादित हो गया है .

यहाँ हम कुछ सवाल प्रावधान को लेकर इस लेख से उठेंगे जिनका जवाब भी भविष्य के गर्भ में छुपा है .

इसके अलावा एक बड़ा सवाल यह भी है कि जीएसटी कानून अपने आप में ही एक उलझा हुआ कानून है और इसके प्रावधान जो स्वयं ही स्पष्ट नहीं है उसमें क्या किसी राजस्व अधिकारी को किसी डीलर , प्रोफेशनल या किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किये जाने से अधिकार दिए जा सकते हैं !!!!!!!!!!

आइये इस प्रावधान का एक विस्तृत अध्ययन करें …………

आइये देखें कि क्या जीएसटी कानून के तहत जीएसटी अधिकारियों को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के अधिकार भी है ? यदि हाँ तो किन परिस्तिथियों में किसी एक व्यक्ति को जीएसटी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है और क्या जीएसटी कानून की किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किये जाने पर ही किसी डीलर अथवा व्यक्ति  को जीएसटी अधिकारी गिरफ्तार कर सकते हैं या केवल कर की चोरी करने पर ही गिरफ्तारी हो सकती है … यहाँ आप मान  कर चले कि कर की चोरी के दायरे में गलत तरीके से इनपुट लेना और इसके आधार पर रिफंड लेना भी शामिल है और यदि कर की चोरी के आरोप  पर भी गिरफ्तारी हो सकती है तो फिर उस राशि की सीमा क्या होगी जिस राशि की चोरी के आरोप में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकेगा ? इसके अतिरिक्त क्या कर की चोरी करने वाले के अतिरिक्त भी किसी अन्य व्यक्ति को भी इन प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है ? क्या किसी व्यक्ति की कोई लापरवाही या गलती  भी इतनी महत्वपूर्ण हो सकती है कि उसे इस प्रावधान के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है ..

आइये सबसे पहले एक चर्चा करें कि क्या इन प्रावधानों के तहत उस व्यक्ति जिसने यह अपराध किया है या जिस पर ऐसा आरोप है के अतिरिक्त भी किसी और व्यक्ति को भी इन प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है क्यों इस समय यही सबसे बड़े विवाद और चर्चा का विषय यही है .

मूल कानून में गिरफ्तारी का अधिकार सिर्फ डीलर या उस व्यक्ति के लिए ही था जिस पर कर की चोरी आरोप है लेकिन बाद में वित्त विधेयक 2020 द्वारा 01-01-2021 इसका दायरा बढ़ा दिया गया आइये देखें ये मसला क्या है और किस तरह कानून में संशोधन किया गया है :-

प्रारम्भ में  धारा 132 (1) के प्रारम्भिक शब्द निम्नप्रकार से थे :-

“Whoever commits any of the following offences”

अर्थात इस समय तक यह धारा केवल उस व्यक्ति तक ही सीमित थी जो इस तरह के अपराध करता है लेकिन बाद में वित्त विधेयक 2020 के जरिये दिनांक 1-1-2021 से इसे निम्नप्रकार से कर दिया है :-

“Whoever commits,  or causes to commit and retain  the benefits arising out of , any of the following offences  namely”

अब जो इस परिवर्तन के द्वारा जो दायरा बढाया गया है वही बढ़ा हुआ दायरा इस प्रावधान को और भी अधिक विवादित भी  बनाता है क्यों “कोई अपराध करवाए और उससे होने वाले फायदों को रखेगा” क्यों कि “अपराध करवाये ” में क्या – क्या कार्य आयेंगे और उसके फायदे कितने और किस तरह अपने पास रखेगा तब उसे गिरफ्तार किया जा सकेगा इसी सीमा को किस तरह से तय किया जाएगा और ऐसा करने में जिस विवेक का इस्तेमाल किया जाएगा उसमें कोई गलती हो गई तो फिर होने वाली घटनाएं ना सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण होगीं बल्कि परेशानी का कारण भी बन सकती है .

आइये भारत सरकार के बजट साहित्य से इस प्रावधान में जो परिवर्तन हुए हैं उनका हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है :-

“कोई निम्नलिखित अपराधों में से किसी अपराध को करेगा या अपराध करवाएगा और उससे उद्भूत फायदों का प्रतिधारण करेगा”

 यहाँ नए शब्द जो जोड़े गए है वे हैं “ अपराध करवाये  और उससे उद्भूत फायदों का प्रतिधारण करेगा” इसकी यदि हम अंगरेजी देखें तो है Causes to commit and retain  the benefits arising out of…..

इस प्रकार इस संशोधन से गिरफ्तारी के दायरे में आने वाले व्यक्तियों की श्रेणी एवं दायरा  और भी बढ़ गई है और अब इस तरह के अपराध करने  के जो व्यक्ति “कारण बनते हैं” अर्थात अपराध करवाते है और उससे उत्पन्न होने वाले फायदों को रखते है उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है . अब इस बढे हुए दायरे के तहत किन व्यक्तियों को लिया जा सकता है या इस दायरे को कहाँ तक बढ़ाया जा सकता है अर्थात उन कारणों की सीमा क्या है  ये इस विवादित कानून में और भी विवाद उत्पन्न करता क्यों कि यहाँ गिरफ्तारी के आदेश देने वाले अधिकारी को अपना विवेक इस्तेमाल करना है  और यदि इन कानूनों का प्रयोग समझदारी से नहीं किया गया तो ये विवाद और भी गंभीर हो जायेंगे .

आइये इसे एक  एक स्पष्ट उदाहरण के  जरिये समझने का प्रयास करें :-

किसी प्रोफेशनल ने किसी क्लाइंट को यदि फीस लेकर कोई सर्टिफिकेट दिया है और उस डीलर पर टैक्स चोरी या गलत रिफंड लेने का आरोप है  तो क्या यह कहा जा सकेगा कि प्रोफेशनल ने उस डीलर से यह अपराध  करवाया और उससे होने वाले फायदे को अपनी फीस के रूप में रखा है ?

 “कानून की भावना को देखें तो ऐसा होना तो नहीं चाहिए” लेकिन यह सिर्फ एक सवाल और उदाहरण है और आपके लिए एक सोचने का मुद्दा भी है कि यदि ऐसा हो जाए या हो गया हो तो ……..

यह एक बहुत ही  महत्वपूर्ण और संवेदनशील प्रश्न है  जिसका जवाब ना सिर्फ भविष्य की घटनाओं में छुपा है बल्कि आने वाले न्यायालयों के फैसलों में भी इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन मिलेगा .

क्या गिरफ्तारी अपराध का अंतिम प्रमाण है !!!

गिरफ्तारी किसी अपराध का अंतिम प्रमाण नहीं है यह अपराध साबित करने की राह में मात्र एक प्रक्रिया है  लेकिन हमारा सामाजिक ढांचा ही इस तरह का है कि किसी व्यक्ति के गिरफ्तार होते ही उसकी इतनी बदमानी और दुष्प्रचार हो चुका होता है कि यदि बाद में वो आरोप से बरी भी हो जाए तो भी उसकी भरपाई नहीं हो सकती है इसलिए यदि ये प्रावधान कानून में हैं भी तो इनका प्रयोग बहुत ही सावधानी से किया जाना चाहिए कि अभी इनके दुरूपयोग का आरोप ही नहीं लगे.

 भारत का उध्योग एवं व्यापार प्रारम्भ से ही इन प्रावधानों का कानून का हिस्सा बनाने पर ही सशंकित था और अब प्रोफेशनल्स भी इन प्रावधानों से अब असंतुष्ट ही नजर आ रहें है . व्यापार और उद्योग  प्रारम्भ से ही इन प्रावधानों के दुरूपयोग की शकाओं को लेकर इसका विरोध करते रहें हैं लेकिन फिर भी ये कानून का हिस्सा है तो इनका अध्धयन होना ही चाहिए  .

आइये देखें कि क्या है जीएसटी कानून में गिरफ्तारी की प्रावधान और  आम आदमी , डीलर एवं प्रोफेशनल इनसे लगभग किस तरह प्रभावित हो सकते हैं  .

Provisions for arrest under GST - Section 69

 कब लागू होंगे जीएसटी में गिरफ्तारी के प्रावधान

जीएसटी में गिरफ्तारी के प्रावधान जीएसटी कानून की धारा 69 में दिए गए हैं  जिसे हम धारा 132 के साथ पढेंगे तो यह पायेंगे कि यह प्रावधान केवल विशेष प्रकार की  कर की चोरी पर ही लागु है और तभी लागू होंगे जब कि कर की चोरी की रकम 2 करोड़ रुपये से अधिक हो तो आप यह मान कर चलिए आम करदाता का इस प्रावधान से सामान्य तौर पर कोई सम्बन्ध नहीं है क्यों कि 2 करोड़ कर की रकम कोई कम रकम नहीं होती है .

एक और बात जो इस प्रावधान के साथ जुडी है वह अहम है कि स्थानीय जीएसटी अधिकारीयों को गरफ्तारी का अधिकार प्राप्त नहीं है और यह गिरफ्तारी  जरूरी है या नहीं है इसका फैसला लेने का अधिकार सिर्फ जीएसटी आयुक्त को ही है  “जिनके पास किसी के भी बारे में अपनी राय बनाने के पर्याप्त कारण होने चाहिए कि उस व्यक्ति ने वांछित  अपराध किया है” और ऐसा फैसला लेने के बाद आयुक्त ही किसी अधिकरी को इस गिरफ्तारी के लिए अधिकृत करेंगे.

आइये इन प्रावधानों का अध्ययन करें जो कि जीएसटी कानून की धारा 69 में दिये गये हैं :-

जो मामले धारा 69 में गिरफ्तारी के लिए बताये गए हैं वे धारा 132(1) की

 उपधारा (a) , (b) , (c) और (d) में उल्लेखित  हुए कर चोरी , गलत इनपुट और रिफंड  के मामले हैं आइये देखें कि ये क्या मामले हैं जिनमें यदि जीएसटी आयुक्त, यदि उनके पास ऐसा विश्वास करने के कारण है कि व्यक्ति ने निम्नलिखित अपराध किये हैं या जो इस तरह के अपराध का कारण  भी है अर्थात जिसमे  “इस तरह का अपराध करवाया है  और इससे होने वाले फायदे अपने  पास रखेगा  और इनमें कर चोरी/गलत इनपुट क्रेडिट  की रकम एक निश्चित सीमा से अधिक है  तो वे  तो उस व्यक्ति या उस व्यक्ति को जो इस अपराध को करवाता है और इसके बाद इसके होने फायदों को अपने पास रखता है   की गिरफ्तारी की आदेश दे सकते हैं . सीधे -सीधे जिस व्यक्ति पर यह आरोप लगे है उसके साथ इस प्रक्रिया में सहयोग देने वाले पर भी गिरफ्तारी के प्रावधान लागू होते हैं और यह इस प्रावधान को और भी विवादित बनाता है .

आइये देखें कि धारा 132 (1) में उल्लेखित वे अपराध कौनसे है :-

धारा 132 के वे मामले जिनमें जीएसटी आयुक्त धारा 69 के तहत गिरफ्तारी के आदेश दे सकते हैं
धारा 132 की उपधारा अपराध का विवरण
(a). कर चोरी के उद्देश्य से कोई भी व्यक्ति जीएसटी कानूनों का उल्लंघन करते हुए बिना बिल जारी किये किसी भी माल या सेवा की सप्लाई करता है .
(b) कोई भी व्यक्ति जीएसटी प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए किसी माल या सेवा अथवा दोनों  की सप्लाई किये बिना ही बिल जारी  करता है जिससे कोई गलत इनपुट ली गई हो या किसी प्रकार का रिफंड लिया गया हो.
(c) कोई भी बिना माल या सेवा अथवा दोनों की सप्लाई हुए बिना जारी किये गए ऐसे बिल जिनका उल्लेख ऊपर (b) में किया गया है के आधार या कपटपूर्ण तरीके से बिना किसी बिल या इनवॉइस के इनपुट क्रेडिट लेता है .
(d) कोई भी व्यक्ति यदि जीएसटी कर अपने ग्राहक से एकत्र करता है और उसके जमा कर ने की नियत तिथी से तीन महीने तक उसे जमा नहीं कराता है .

उस व्यक्ति जिस पर इस तरह के आरोप है के साथ इसमें वे व्यक्ति भी शामिल है जो इस अपराध के कारण है अर्थात “जिन्होंने यह अपराध करवाया है और उससे होने वाले फायदे को रखा है” .

अब इस  सहयोग का प्रकार , मात्र तय नहीं है और उससे मिलने वाले फायदे की सीमा तय नहीं है  तो यह इस प्रावधान के साथ बड़े विवाद का कारण बन सकता है यदि बहुत ही विवेकपूर्ण तरीके से इस प्रावधान का उपयोग नहीं किया जाता है . अब से हम जब व्यक्ति का जिक्र करेंगे तो उसमें इस तरह से सहयोग देने वाले व्यक्ति को भी आप शामिल समझ लें .

इन 4 प्रकार के अपराधों पर जीएसटी आयुक्त किसी व्यक्ति  की गिरफ्तारी का फैसला ले सकते हैं यदि वे जरुरी समझे तो लेकिन यह फैसला लेने के पहले यह भी देखना होगा कि यह अपराध धारा 132(1) की उपधारा (i) अथवा (ii) के तहत दंडनीय हैं और यदि ऐसा नहीं है तो फिर गिरफ्तारी के आदेश नहीं दिए जा सकते हैं.

आइये इस प्रावधान का आगे और अध्ययन करते हैं :-

132(1) की उपधारा  (i) या (ii) का अध्ययन करने पर ये पता लगता है कि उपधारा (i) तो 5 करोड़ से ऊपर की कर चोरी को संबोधित करती है और उपधारा (ii) 2 करोड़ से 5 करोड़ की कर चोरी के लिए है यहाँ आप ध्यान रखे कि हम यहाँ गिरफ्तारी के प्रावधान जो कि धारा 69 में दिए हैं उनका अध्ययन कर रहें हैं ना कि इन अपराधों पर सजा के प्रावधानों का. 2 करोड से ऊपर की चोरी पर गिरफ्तारी का प्रावधान तो है ही लेकिन इससे नीचे के अपराध भी तय हो जाने पर भी सजा का प्रावधान तो है ही लेकिन इनमें धारा 69 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार गिरफ्तारी के आदेश नहीं दिये जा सकते है. इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि किन अपराधों के लिए गिरफ्तारी के आदेश देने के अधिकारों का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन यह भी ध्यान रखें इन प्रकरणों में टैक्स की चोरी की रकम 2 करोड़ से अधिक होनी चाहिए .

आइये इस सम्बन्ध में धारा 69 जो कि जीएसटी आयुक्त के गिरफ्तारी के अधिकारों के सम्बन्ध में है के अन्य प्रावधानों का अध्ययन करें :-

क्र. संख्या प्रावधान
1. यदि जीएसटी आयक्त के पास ऐसे कारण है जिनसे उन्हें यह विश्वास होता ही कि एक व्यक्ति  ने  धारा 132 की उपधारा (a) , (b) , (c) और (d) में उल्लेखित कर चोरी का अपराध किया है या वह उसका एक कारण है अर्थात “उसने अपराध करवाया है और उससे होने वाला फायदा अपने पास रखा है”   तो जीएसटी आयुक्त ऐसे  विशिष्ट मामलों में जहां कर चोरी की रकम 2 करोड़ रूपये से अधिक हो गिफ्तारी के आदेश दे सकते हैं .  अब इस दायरे में ऐसे डीलर की मदद करने वाले व्यक्ति जो इस तरह की चोरी का कारण बनते हैं उन्हें भी ले लिए गया है .

इसी तरह का अपराध यदि एक बार सजा पाने के बाद  दूसरी बार किये जाते हैं और जिनमें धारा 132 के तहत “फिर से सजा हो सकती है” तो आयुक्त 2 करोड़ की कर चोरी की सीमा को ध्यान में रखे बिना गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं.

आयुक्त ऐसे हर मामले में गिरफ्तारी की आदेश देंगे ही ऐसा भी कानून में नहीं लिखा है वे गिरफ्तारी के आदेश दे सकते हैं और यह जीएसटी आयुक्त के विवेक पर छोड़ा गया है कि वे इस बारे में क्या ऐसा आदेश देना चाहते हैं .

2. यदि जीएसटी आयुक्त गिरफ्तारी का आदेश देते हैं तो वे इसके लिए अधिकारी को अधिकृत करेगे. यहाँ ध्यान रखे गिफ्तारी तो अधिकृत अधिकारी करेगा लेकिन उसे गिरफ्तारी का फैसला लेने का अधिकार नहीं है.
3. गिरफ्तारी के लिए दो तरह के मामले होंगे . एक तो वह जिनमें जमानत मिल सकती है और दूसरे वे जिनमें गैर –जमानती होंगे . इन दोनों का विवरण इस लेख में आगे दिया जा रहा है.
4. जिस भी व्यक्ति को इस कानून के तहत गिरफ्तार किया जाता है उसके अधिकारों की रक्षा का भी प्रबंध इस कानून में है . जिस व्यक्ति को इस धारा के तहत गिरफ्तार किया जाता है जहाँ उल्लेखित अपराध की श्रेणी गैर जमानती है तो उस डीलर को गिरफ्तारी के कारण बताने होंगे और और गिरफ्तारी के 24 घंटे के अन्दर मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करना होगा.

गैर जमानती अपराध वे होंगे जिनमें कर चोरी का आरोप 5 करोड़ से अधिक है.

4. जहां उल्लेखित अपराध जिसके लिए गिरफ्तारी की गई है जमानती है अर्थात कर चोरी की आरोपित  रकम 5 करोड़ रूपये से कम है वहां डीलर को जमानत दे दी जाएगी और यदि जमानत में कोई व्यवधान आता हैं तो उसे मजिस्ट्रेट को सुपुर्द करना होगा.
5. जमानती मामलों के संम्बंध में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत  पर या किसी अन्य तरीके से छोड़ने के  जीएसटी के सहायक आयुक्त एवं उपायुक्त को वही अधिकार प्राप्त हैं जो कि एक पुलिस स्टेशन के इंचार्ज को इस सम्बन्ध में प्राप्त है .

यहाँ यह ध्यान रखें कि गिरफ्तारी का आदेश देने के पहले जीएसटी आयुक्त को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास यह विश्वास करने के कारण हैं कि उस व्यक्ति ने , ये अपराध जो ऊपर उल्लेखित हैं, किये हैं जिनका जिक्र धारा 132 (1) (a) , (b), (c) और (d) में है और कर चोरी की रकम 2 करोड़ रूपये से अधिक है  . डीलर या किसी भी व्यक्ति जिसमें प्रोफेशनल भी शामिल है  की गिरफ्तारी एक बहुत ही संवेदनशील विषय है और इसलिए कानून में इस प्रावधान को बहुत ही सावधानी के साथ बनाया गया है .

यहाँ यह ध्यान रखे कि 5 करोड़ से ऊपर की कर चोरी के अपराध गैर जमानती है और इससे नीचे के अपराध में जमानत उसी समय मिल सकती है .

 गिरफ्तारी कब की जानी चाहिए

आइये अब यह देखें कि गिरफ्तारी व्यवहारिक रूप से कब होनी चाहिए तो यहाँ यह विशुद्ध रूप से आयुक्त के विवेकाधीन निर्णय पर आधारित है लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी लिखा है गिरफ्तारी और वह भी एक कर कानून के तहत यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है अत: इन अधिकारों का प्रयोग बहुत ही सावधानी से किया जाना चाहिए । निर्णय लेने के दौरान सामान्य  रूप से  निम्नलिखित कारकों को ध्यान में लेने के बाद ही  शक्ति का उपयोग किया जाना चाहिए: –

1. अपराध की उचित जांच।
2. फरार होने से व्यक्ति को रोकने के लिए
3. सबूतों के साथ छेडछाड होने की संभावना को रोकने के लिए।
4. गवाह या गवाहों को डरा देने या प्रभावित करने से रोकने के लिए।

पहले ही जैसा कि लिखा गया है कि गिरफ्तारी एक बहुत ही संवेदनशील विषय है  और दूसरा इसे किसी अधिकारी के विवेक पर छोड़ा गया है , तो फिर जरुरत यह है वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों ना हो इस विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए यदि सावधानी नहीं बरती गई तो जीएसटी में इससे बड़ा विवाद हो ही नहीं सकता .

देखिये किसी अपराध को करना या किसी व्यक्ति पर ऐसे अपराध का आरोप लगना तो एक प्रक्रिया का अंग हो सकता है लेकिन कोई व्यक्ति किसी अपराध का कारण हो या “उसने अपराध करवाया हो और उसका फायदा अपने पास रखा हो” यह एक ऐसा प्रश्न है जिसे व्यवहार में लागू करना बहुत ही मुश्किल है कि इस सहयोग की मात्रा कितनी हो , उठाये जाने वाले फायदे की मात्रा कितनी है जिसके लिए उस गिरफ्तार भी किया जा सकता है इसकी सीमाएं तय होना भी जरुरी है .

क्या किसी व्यक्ति के एक कार्य को जो पूरी कर चोरी का पूरा आधार नहीं है या आधार हो ही नहीं सकता तब भी उसे गिरफ्तार किया जा सकता है !!!!!! क्या कर चोरी करने वाले व्यक्ति को पकड़ने के लिए भी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है इन सभी प्रश्नों के जवाब हमें तब मिलेंगे जब यह विवाद आगे माननीय न्यायालयों के समक्ष जाएगा . ये कई विचारणीय प्रश्न हैं जो इस विवाद से जुड़े हैं .

आशा है आपको जीएसटी के तहत गिरफ्तारी के प्रावधान जिन्हें यहाँ विस्तार से समझाया गया है समझ आ गए होंगे .

जीएसटी के इस गिरफ्तारी की प्रावधान के साथ और इसमें बाद में किये गए संशोधन की अभी और भी व्याख्या होना जरुरी है और इसमें स्पष्टीकरण के लिए सरकार को भी पहल करनी चाहिए .

जीएसटी कानून को समझने के हमारे प्रयास जारी रहेंगे ….

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