जीएसटी कौंसिल की 49 वीं मीटिंग दिनांक 18 फरवरी 2023 को हुई जिसका प्रेस रिलीज भी आ चुका है लेकिन कुछ मुद्दों पर जितना प्रेस रिलीज में है उससे ज्यादा तो वित्त मंत्री महोदया की प्रेस कांफ्रेंस में कहा गया है जैसे जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल और उसकी संरचना के सम्बन्ध में दिये गए तथ्य एवं बयान जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है.
इस 49 वीं मीटिंग में विशेष तौर पर जीएसटी के वार्षिक रिटर्न के देरी से भरने पर लगने वाली लेट फीस को कम करना , पुराने वर्षों के रेगुरल एवं कम्पोजीशन डीलर्स के वार्षिक रिटर्न नहीं भरने पर लगने वाली लेट फीस को माफ़ करने या कम करने के सम्बन्ध में एमनेस्टी स्कीम , रद्द हुए रजिस्ट्रेशन को पुन : नियमित करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के सम्बन्ध में समय बढ़ाना , सर्वोत्तम निर्णय के आधार पर किये गए कर निर्धारण को निरस्त करने हेतु रिटर्न भरने का समय बढ़ाना , पहले से रद्द हुए रजिस्ट्रेशन को नियमित करने एवं सर्वोत्तम निर्णय के अनुसार हुए पुराने कर निर्धारण को निरस्त करने हेतु एमनेस्टी स्कीम इस जीएसटी कौंसिल मीटिंग के मुख्य निर्णय थे.
कुछ एक वस्तुओं पर कर की दर को कम किया गया है लेकिन ये बहुत ही कम वस्तुएं है जिनकी चर्चा हम आगे करेंगे लेकिन आश्चर्य की बात है “पेन्सिल शार्पनर” जैसी वस्तु पर कर की दर के लिए कौंसिल में चर्चा कर कम की गई है . चलिए इससे कम से कम बच्चे तो खुश होंगे ही. इसके अलावा “राब” – तरल गुड (Liquied Jaggery) पर कर की दर कम की गई है.
लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि सीमेंट की कर की दर को कम करने मामला फिटमेंट कमिटी में अब ही तक आया ही नहीं है और यह एक बड़ी ही निराशाजनक खबर है. वाहनों में SUV पर MUV की तरह कर लगाने के मामले में फिटमेंट कमिटी किसी निर्णय पर नहीं पंहुची है . ऑनलाइन गेमिंग पर अभी कोई सहमती नही हुई है .
पान मसाला , गुटका और तम्बाकू के लिए भी मंत्रियों के समूह की सिफारिशों को मान लिए है जिसमें मुख्य है कि क्षमता आश्रित कर व्यवस्था नहीं लाई जायेगी , कर चोरी एवं कर रिसाव को रकने के लिए “ट्रैकिंग उपाय” जैसी व्यवस्थाएं और इन वस्तुओं का निर्यात सिर्फ “LUT” के आधार पर किया जाएगा इत्यादि. इन वस्तुओं पर प्रथम स्टेज पर कंपनसेशन सेस एकत्र करने के लिए मूल्यानुसार लेवी की व्यवस्था को भी बदनले- “Ad valorem to Specfic Duty” का प्रस्ताव शामिल है.
राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति का वायदा पूरा करने के लिए वित्तमंत्री महोदया ने बताया है कि इसका बहुत बड़ा हिस्सा भुगतान कर दिया गया है एवं शेष उन राज्यों का है जिनके AG सर्टिफिकेट नहीं आये उन्हें भी इन सर्टिफिकेट के आने पर भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन रोकी हुई राशि सिर्फ 10 प्रतिशत ही है और 90 प्रतिशत राशि का भुगतान सभी राज्यों को किया जा चुका है .
यहाँ यह बात विशेष तौर पर बताई गई है कि केंद्र सरकार के क्षतिपूर्ति कोष में धन नहीं होते हुए भी इस राशि का कॉमन फंड से भुगतान किया जा रहा है जिसे बाद में वसूल की गई इस सम्बन्ध में लागू “कंपनसेशन सेस” की वसूली से बराबर कर लिया जायेगा.
आइये कुछ मुख्य फैसलों को थोड़े विस्तार से देखते हैं :-
1. |
वार्षिक रिटर्न की लेट फीस में कमी – वित्तीय वर्ष 2022-23 के रिटर्न के लिए
GSTR-9 को फ़ाइल करने पर लगने वाली लेट फीस को घटा दिया गया है . यह घटी हुई लेट फीस अब वितीय वर्ष 2022-23 और उसके बाद के वर्षों के के लिए लागू होगी . जो रेगुरल डीलर्स हैं और जिनका टर्नओवर 5 करोड़ रूपये तक है उनकी वार्षिक रिटर्न GSTR-9 की लेट फीस 50 रूपये प्रतिदिन होगी जो कि अधिकतम कुल टर्नओवर को 0.04 प्रतिशत तक हो सकती है . जिन रेगुरल डीलर्स का वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रूपये से अधिक है लेकिन 20 करोड़ रूपये तक है उनके लिए यह लेट फीस 100 रूपये प्रतिदिन होगी जो कि अधिकत्तम कुल टर्नओवर के 0.04 प्रतिशत तक हो सकती है . 20 करोड़ के ऊपर टर्नओवर पर सामान्य लेट फीस जो अभी जारी है वही लगेगी . अभी यह लेट फीस 200 प्रतिदिन एवं अधिक्तम कुल वार्षिक टर्नओवर का 0.5% प्रतिशत है. |
2. | बकाया वार्षिक रिटर्न के लिए सशर्त एमनेस्टी स्कीम
जो वार्षिक रिटर्न अर्थात GSTR-9 (रेगुलर डीलर्स) , GSTR-4 (कम्पोजीशन डीलर्स) एवं GSTR-10 (रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद अंतिम रिटर्न ) जो पिछले वर्षों के अभी तक भी नहीं भरे गए हैं उनके लिए एक सशर्त माफ़ी या कमी की एमनेस्टी स्कीम लाई जा रही है . आपको याद होगा कि पिछली एमनेस्टी स्कीम में कम्पोजीशन डीलर्स के GSTR-4 को छोड़ दिया गया था और इस GSTR-4 भी एमनेस्टी में शामिल होगा तो आइये इस एमनेस्टी स्कीम का इंतजार करें. |
3. | रजिस्ट्रेशन रद्द होने पर फिर से शुरू करवाने में राहत
इस समय रद्द या कैंसिल रजिस्ट्रेशन को फिर से शुरू करवाने का प्रार्थना पत्र 30 दिन के भीतर लगाना होता है . अब इसमें और अभी तक रद्द हुए सभी रजिस्ट्रेशन को फिर से शुरू करने के लिए राहत दी जा रही है . इस समय को अब 30 दिन से बढ़ा कर 90 दिन किया जा रहा है और इस 90 दिन बीत जाने के बाद भी आयुक्त या उनके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी को यह समय 180 दिन तक बढाने का अधिकार होगा. ऐसा परिवर्तन धारा 30 एवं नियम 23 में संशोधन कर किया जाएगा. आइये अब देखने की अब तक जो रजिस्ट्रेशन रिटर्न दाखिल नहीं करने के कारण कैंसिल हो चुके हैं और उनके फिर से नियमित करवाने का समय भी बीत गया है उनके लिए क्या राहत दी जा रही है . इस सभी कैंसिल रजिस्ट्रेशन को अब एक नियत तिथि दी जायेगी जहां कुछ शर्तों के साथ इन्हें अर्थात , रिटर्न दाखिल नहीं करने के कारण केंसिल रजिस्ट्रेशन को नियमित करने का प्रार्थना पत्र लगाया जा सकेगा. |
4. | बेस्ट जजमेंट असेसमेंट को निरस्त करने का समय बढ़ाया जा रहा है और पुराने मामलों के लिए एमनेस्टी लाई जा रही है
जीएसटी कानून की धारा 62 में भी एक संशोधन किया जा रहा है . यह धारा रिटर्न नहीं भरने पर किये गए सर्वोत्तम निर्णय के अनुसार किये गए फैसलों के सम्बन्ध में है . इस समय यदि इस फैसले के सर्विस होने के 30 दिन के भीतर बकाया रिटर्न भर दिए जाते हैं तो सर्वोत्तम निर्णय के आधार पर किया गया फैसला स्वत: ही रद्द हो जाता है . अब इस समय को 60 दिन तक किया जा रहा है जिसे कुछ शर्तों के साथ एक और 60 दिन तक बढाया जा सकेगा. अभी जो सर्वोत्तम निर्णय के अनुसार फैसले हो चुके हैं लेकिन उसके बाद भी सम्बंधित रिटर्न निर्धारित समय तक नहीं भरे जा सके हैं उनके लिए भी एक एमनेस्टी स्कीम लाई जा रही है जिसके अनुसार कुछ शर्तों के साथ एक नियत तिथि तक रिटर्न मय ब्याज और लेट फीस के यदि भर किये जाए तो यह फैसले निरस्त हो जायेंगे. इस सम्बन्ध में ध्यान रखें कि यदि ऐसे मामलों में अपील दायर की गई हो या नहीं अथवा अपील का फैसला हो गया हो या नहीं इसका कोई फर्क नही पडेगा और यह एमनेस्टी उपलब्ध रहेगी. |
5. | कुछ वस्तुओं पर कर की दर में कमी
कुछ वस्तुओं में कर की दरों में भी संशोधन का फैसला किया गया है जैसे – पेंसिल शार्पनर पर कर की दर 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत . इसके अलावा राब – तरल गुड ( Liquid Jaggery) पर 18 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत कर की दर लगाईं जा रही है जब कि वह पेक किया हुआ और लेबल किया हुआ हो. लेकिन यदि यह पेक किया हुआ और लेबल किया हुआ नहीं है तो यह राब – तरल गुड ( Liquid Jaggery) करमुक्त होगा. . इसके अतिरिक्त असमंजस के कारण अब तक “राब” पर जो कर चुका दिया गया है उसे ही सही मान लिया जाएगा.
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6. | प्रवेश परीक्षाओं की फीस पर लगने वाले जीएसटी से छूट के दायरे को बढाया
प्रवेश परीक्षाओं के लिए ली जाने वाली फीस पर छूट के दायरे को और भी बढ़ाया गया है और अब इसमें नेशनल टेस्टिंग एजेंसी सहित केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश परीक्षा करवाए जाने के लिए बनाये गए सभी प्रकार के प्राधिकरण , बोर्ड एवं स्थापित किये गए निकाय को भी शामिल कर लिया गया है और अब इसके द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के लिए ली गई फीस पर भी जीएसटी नहीं लगेगा. ध्यान रहे की अभी तक यह छूट शिक्षण संस्थाओं को , राज्य और केंद्र के शिक्षा बोर्ड्स को उपलब्ध थी अब छात्रों को राहत देने के लिए इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है. |
7. | जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना की और एक और कदम
जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना की और एक कदम और बढ़ाया गया है और इसके लिए पेश की गयी मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट को , कुछ परिवर्तनों के साथ कौंसिल ने अपनी सहमती दे दी. प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि ट्रिब्यूनल एक ही होगा जो कि नईं दिल्ली में होगा और राज्यों में इसकी बेंच होंगी . ट्रिब्यूनल में कितने ससद्य होंगे इसके लिए भी प्रेस कांफ्रेंस में ही बताया गया है ट्रिब्यूनल में 4 मेंबर होंगे जिसमें से 2 न्यायिक सदस्य होंगें और 2 तकनीकी सदस्य . तकनीकी सदस्यों में से 1 सीजीएसटी से और 1 एसजीएसटी से होगा. एक राज्य में ट्रिब्यूनल की कितनी बेंच होंगी ये राज्य अपने व्यापार की जरुरत को देखते हुए तय करेंगे और इस तरह से एक राज्य में एक से ज्यादा भी बेंच हो सकती है और इसी तरह से यदि राज्य छोटे हों , जैसा कि उत्तर पूर्व के राज्य हैं, तो फिर एक से अधिक राज्यों के लिए एक ही बेंच भी हो सकती है . राज्य अपनी जरुरत के अनुसार अपनी रिपोर्ट देंगे और फिर इसके लिए उन्हें जीएसटी कौंसिल की अनुमति लेनी होगी. अब ट्रिब्यूनल की स्थापना होने और काम शुरू होने में कितना समय लगेगा इसके लिए वित्त मंत्री महोदया ने बताया है कि अभी उन्हें राज्यों के समूह से जो रिपोर्ट मिली है उसमें कुछ परिवर्तन के साथ तुरंत राज्यों को भेज दिया जाएगा जिसे उन्हें 7 दिन में अंतिम ड्राफ्ट बना कर भेजना होगा. इसके बाद इसे इस तरह से पूर्ण किया जाएगा कि यह मार्च के प्रथम सप्ताह में वित्त विधेयक के साथ रखा जा सके. ट्रिब्यूनल की स्थापना में लगातार देरी एक गंभीर विषय था अब लगता है की यह एक और कदम होगा लेकिन देखना यह होगा कि व्यवहार में ट्रिब्यूनल की स्थापना कब तक होती है जो कि इस समय एक बहुत बड़ी जरुरत है . चलिए अब इस बारे में सार्थक शुरुआत हो चुकी है . |
सुधीर हालाखंडी
I am interested
I can understand what gst council wants to show by reducing tax on pencil sharpener, if council is wants to some thing for the poor students of our country they should lower gst on exercise books to 0 .