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सुधीर हालाखंडी द्वारा जीएसटी प्रावधानों का सरल हिन्दी भाषा में विवेचन

जीएसटी इंस्पेक्शन , सर्च एवं सीजर के प्रावधान

जीएसटी कानून की धारा 67 एवं जीएसटी अधिनियम के नियम संख्या 139 से 141

इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर के प्रावधान तो हर कर कानून में होते ही हैं लेकिन पता नहीं क्यों मैंने कभी बहुत अच्छी तरह से पढ़ें ही नही या आप कह सकते हैं कि मै इन्हें कभी समझ ही नही पाया . ये प्रावधान वेट में भी थे , सर्विस टैक्स में भी थे और आयकर में भी हैं और इन तीनों करों से सम्बंधित विभिन्न विषयों के बारे में मैंने बहुत लिखा है लेकिन किसी भी कानून में मैं यह प्रावधान ढंग से पढ़ ही नहीं पाया और धीरे – धीरे यह हुआ कि मेरा ध्यान ही इनसे हट गया. जब जीएसटी आया तब भी इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर के प्रावधान मैंने देखे तो थे लेकिन फिर वही कमजोरी रही कि मैं ढंग से पढ़ ही नहीं पाया समझना तो दूर की बात है . आइये अब थोडा समय है तो यह कमी भी पूरी करने की कोशिश कर लेते हैं.

मुझे जब कानून का कोई प्रावधान समझ नहीं आये तो एक रास्ता है कि इसके प्रावधानों का हिन्दी में अनुवाद खुद ही कर दो और इसके बाद इसको सरल भाषा में लिख दो . देखिये कानून हिन्दी में सरकार भी जारी करती हैं लेकिन वो जिस तरह क्लिष्ट हिंदी में लिखा जाता है कि उसे समझना बहुत ही मुश्किल होता है और यह वर्षों से चला आ रहा है और सरकारी अनुवाद से हमें कोई मदद नहीं मिलती है . इस बारे में मै कई बार लिख चुका हूँ कि इस क्लिष्ट भाषा को छोड़कर यदि थोड़ी सरल हिंदी भाषा में कानून का अनुवाद हो काफी उपययोगी साबित हो सकता है देखें कब यह पूरा होता है.

आइये आज इस डर और कमजोरी से बाहर आते हैं कि मुझे इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर के प्रावधान समझ ही नहीं आयेंगे और यह और इसे समझने की कोशिश करते हैं कि जीएसटी के दौरान इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर के क्या प्रावधान है .

क्या है इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर

इंस्पेक्शन का आम बोलचाल की भाषा में हिंदी अर्थ है निरिक्षण . सर्च यानी तलाशी सीजर का अर्थ है जब्त करना . इस हमारी आज के लेख में हम देखेंगे की जीएसटी के तहत निरिक्षण , तलाशी और किसी माल को , माल या सेवा से सम्बंधित दस्तावेजों , लेखों को जब्त करने के क्या प्रावधान है . चूँकि हम किसी कानून को समझने का प्रयास कर रहें है तो आपके आसानी से समझने के लिए और आपको कानून से जोड़ने के लिए हम निरिक्षण, तलाशी और जब्त करने के लिए इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर शब्दों भी का प्रयोग कहीं-कहीं करेंगे.

इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर जीएसटी कानून के 14 वें अध्याय में है और इस अध्याय में कुल 6 धाराएं है जिनमें से धारा 67 ही हमारे आज के विषय से सम्बंधित है और इस धारा के लिए कानून में केवल 3 पेज ही है और इससे जुड़े तीन नियम है जो कि नियम संख्या 139 , 140 और 141 है इसलिए यह तो तय है कि कानून के कुल पृष्ठ कोई बहुत ज्यादा नहीं है.

कानून सरल भाषा में भी लिखा जा सकता है चाहे वो अंगरेजी में हो या हिंदी में और हमारे देश के संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि कर कानून कठिन भाषा में ही होंगे और जीएसटी तो लाया ही सरलीकरण के लिए गया था लेकिन हमारे कानून निर्माताओं का अलिखित संविधान भी है जिसमें शायद यह लिखा है कि जितनी कठिन भाषा में कर कानून लिखा जाएगा उतना ही अच्छा वो बनेगा . देश में लागू और कानूनों का तो मैने ज्यादा अध्ययन नहीं किया है लेकिन मेरे इन कानूनो से जुड़े मित्र बताते हैं कि सभी कानूनों में यही स्तिथी है .

देखें धारा 67 और इससे जुड़े नियमों का जो सरकारी हिंदी अनुवाद है उसमें कुछ शब्द काम में लिए है जिनका जिक्र उदाहरण के लिए मैं यहाँ कर रहा हूँ जिससे आपको हमारे कानून निर्माताओं की क्लिष्ट हिदी के बारे में पता लग सकें :- प्रदाय , प्रत्यय , अपवंचन , तदधीन , भांडागार , प्रचालक , अनिम्न , सन्देय , अधिहरण ,सुसंगत , अभिग्रहण , अभिरक्षक , विहित , निर्मुक्त, परिसंकटमय . ये तो एक धारा का ऊदाहरण है और यदि इन शब्दों के साथ ही कानून का अनुवाद सरकार को करना है तो फिर ऐसे क्लिष्ट अनुवाद की उपयोगिता क्या है ?

निरीक्षण

(INSPECTION)

धारा 67(1)

धारा 67 इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर के सम्बन्ध में जीएसटी अधिकारियों के अधिकारों की बात करता है और धारा 67 (1) इंस्पेक्शन अर्थात निरिक्षण के सम्बन्ध में हैं और इस धारा के अनुसार इंस्पेक्शन का फैसला लेने का अधिकार एक ऐसे समुचित अधिकारी (Proper Officer) को हैं जो कि संयुक्त आयुक्त है या इससे ऊपर का अधिकारी है अर्थात सयुक्त आयुक्त से नीचे के अधिकारी इंस्पेक्शन का फैसला नहीं ले सकते हैं . अब सवाल उठता है कि इंस्पेक्शन करेगा कौन ? इंस्पेक्शन वो अधिकारी करेगा जिसे सयुक्त आयुक्त या उससे ऊपर का अधिकारी लिखित रूप में अधिकृत करेगा. आइये इस संम्बंध में इंस्पेक्शन का फैसला कब लिया जा सकता है .

यदि संयुक्त आयुक्त या इससे ऊपर के अधिकारी के पास यह विश्वास करने के कारण है कि

(a). किसी करयोग्य व्यक्ति (Taxable Person) ने निम्न में से कोई कार्य किये हैं :-

किसी बिक्री या सप्लाई के व्यवहार जो कि माल , सेवा या दोनों के संम्बंध में है को छिपाया है .

अपने पास रखे स्टॉक के सम्बन्ध किसी व्यवहार को छिपाया है.

अपनी कानून के अनुसार पात्रता अधिक इनपुट क्रेडिट ली है अर्थात कानूनी प्रावधानों के तहत जो इनपुट क्रेडिट उचित रूप से उसे मिलनी थी उससे ज्यादा इनपुट क्रेडिट ले ली है .

कर चोरी के उद्देश्य से जीएसटी कानून के विभिन्न प्रावधानों एवं बने हुए नियमों का उल्लंघन में शामिल रहा हो.

(b). किसी ट्रांसपोर्टर या किसी गोदाम, भण्डारण या किसी अन्य स्थान के मालिक या संचालक ने निम्न में से कोई कार्य किया हो :-

1. ऐसा माल रखते है जिस पर कर का भुगतान नहीं किया गया है अर्थात कर बचाया गया है .

2. अपना हिसाब , रिकार्ड्स या कोई माल इस तरह से रखा है कि जिससे कर की चोरी होने की संम्भावना बनती है .

आइये यहाँ यह देख लें कि करयोग्य व्यक्ति की परिभाषा कानून में क्या दी हुई है . जीएसटी कानून की धारा 2(107) में Taxable Person की परिभाषा दी गई है . आइये इसे भी देख लेते है :-

Taxable Person means a person who is registered or liable to be registered under section 22 or Section 24 . – Section 2(107)

करयोग्य व्यक्ति से यहाँ अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो कि इस अधिनियम की धारा 22 या 24 के तहत रजिस्टर्ड है या रजिसट्रेशन के लिए उत्तरदायी है .

अब यहाँ हमें समुचित अधिकारी (Proper Officer) की परिभाषा भी देख लेनी चाहिये :-

Proper officer” in relation to any function to be performed under this Act, means the Commissioner or the officer of the central tax who is assigned that function by the Commissioner in the Board;- Sec 2(91).

समुचित अधिकारी का आशय उस अधिकारी से आशय कमिश्नर या उनके द्वरा अधिकृत कोई अधिकारी जिसे समुचित अधिकारी के रूप में कमिश्नर द्वारा अधिकृत किया गया है

यहाँ यह ध्यान रखे जहां धारा 67 के अधिकारों का प्रयोग करने का मामला है वहां समुचित अधिकारी सयुंक्त आयुक्त के नीचे के पद का अधिकारी नहीं हो सकता है .

क्या इस प्रकार के जो कारण है उन्हें दर्ज करना जरुरी है तो आप याद रखें ऐसा करना अनिवार्य नहीं है क्यों कि कानून में विशवास करने के कारण को लिखना जरुरी नहीं है लेकिन इस सम्बन्ध में CBIC की साईट इस सम्बन्ध में जो सामग्री उपलब्ध है उसमें से एक पश्न यहाँ दे रहे हैं जिससे इस सम्बन्ध में स्तिथी कुछ ज्यादा स्पष्ट हो जायेगी .

प्रश्न :- निरीक्षण या तलाशी और जब्ती की प्राधिकृति जारी करने से पहले, क्या कथित “विश्वास करने के कारण” को उचित अधिकारी द्वारा लिखित रूप में दर्ज किया जाना अनिवार्य है?

उत्तर :- हालांकि अधिकारी को तलाशी के लिए एक प्राधिकृति जारी करने से पहले इस तरह के विश्वास के लिए कारणों को व्यक्त करना आवश्यक नहीं है, उसे वह सामग्री जिस पर उसका विश्वास आधारित था उसे विश्वास है उसका खुलासा करना होगा। विश्वास करने का कारण’ प्रत्येक मामले में निरपवाद रूप से दर्ज किये जाने की जरूरत नहीं है। हालांकि, यह बेहतर होगा यदि सामग्री/ जानकारी आदि सर्च वारंट जारी करने से पहले या तलाशी की कार्यवाही से पहले दर्ज की जाएं।

तलाशी और जब्ती

Search and Seizer

धारा 67(2)

ऊपर वर्णित निरिक्षण की रिपोर्ट के आधार पर या अन्य किसी आधार पर यदि सयुंक्त आयुक्त या उनसे ऊपर का अधिकारी को ऐसा विश्वास करने का कारण है कि ऐसे माल जो जब्ती(Confiscation) के योग्य है या ऐसे दस्तावेज , बहियाँ या वस्तुएं जो इस कानून के तहत किसी प्रक्रिया में उपयोगी या महत्वपूर्ण होंगी को छिपाकर रख दिया गया है तो वह ऐसे माल , दस्तावेज , बहियाँ या वस्तुओं की तलाशी एवं जब्ती (सीजर) के लिए किसी जीएसटी अधिकारी को अधिकृत कर ऐसा करने के आदेश दे सकते है .

इसके साथ ही सयुक्त आयुक्त या उनसे ऊपर के अधिकारी स्वयंम भी चाहे तो तलाशी और जब्ती की कार्यवाही स्वयं भी कर सकते हैं.

यहाँ यह स्वाभाविक ही है कि तलाशी के आदेश उसी जगह के लिए दिए जायेंगे जिस जगह के बारे में इस अधिकारी अर्थात सयुक्त आयुक्त या उनसे ऊपर के अधिकारी को कुछ कारणों के चलते विश्वास है कि उपरोक्त वर्णित माल , बहियाँ , दस्तावेज या वस्तुएं छिपाया गया है .

जब माल की जब्ती व्यवहारिक रूप से संभव नही हो

कई बार ऐसा भी होता है कि जो माल जब्त करना है उसे जब्त करना व्यवहारिक रुप से संभव नहीं होता है तो संयुक्त आयुक्त या उनके ऊपर का अधिकारी अथवा उनके द्वारा अधिकृत किये हुए अधिकारी ऐसे माल के मालिक या उस माल का संरक्षक को ऐसा आदेश देंगे कि वे बिना ऐसे अधिकारी की आनुमति के वह ऐसे माल को किसी भी प्रकार से वहां से हटाये नहीं , अलग नहीं करे या उसके सम्बन्ध में किसी भी तरह से व्यवहार नहीं करे.

कब तक रखे जा सकेंगे जब बहियाँ और दस्तावेज

यहाँ ध्यान रखे कि तलाशी और जब्ती के दौरान जब्त किये दस्तावेज , बहियाँ और अन्य वस्तुएं तब तक ही अपने कब्जे में रखेगा जब तक कि जीएसटी कानून की किसी भी प्रक्रिया के उनकी जांच के लिए जरुरी हो. अब कब तक जरुरी है इसका फैसला भी तो वाही अधिकारी करते हैं जो कि जांच करते हैं अत: व्यवहारिक रूप से आप मान लें कि यह अधिकारियों के विवेक पर निर्भर हैं कि वे कब इन दस्तावेजों की जांच पूरी कर इन्हें सम्बंधित व्यक्क्ति को लौटाते हैं.

नियम संख्या 139

व्यवसायिक स्थल या अन्य स्थान पर माल , दस्तावेज , बहियां व अन्य सामग्री के निरिक्षण , तलाशी एवंम जब्ती के लिए सयुंक्त आयुक्त या उससे ऊपर का अधिकारी जीएसटी के किसी अधिकारी को फॉर्म संख्या GST INS-01 के जरिये नियुक्त करेगा.- 139(1)

किसी भी माल , दस्तावेज , बहियां या वस्तुओं को यदि जब्त किया जाना है तो समुचित अधिकारी या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी द्वारा इसका आदेश फॉर्म संख्या GST INS-02 में जारी किया जायेगा. -139(2)

समुचित अधिकारी या अधिकृत अधिकारी जिस व्यक्ति से माल या वस्तुएं जब्त की गई है उसे ही उनकी सुरक्षा का भार देते हुए इस निर्देश के साथ सौंप सकता है कि वह इस माल या वस्तु को बिना उक्त अधिकारि की अनुमति के किसी भी तरह से हटाएगा नहीं या अन्य किसी प्रकार से कोई व्यवहार इस माल के सम्बन्ध में नही करेगा.-139(3)

यदि किसी माल को व्यवहारिक रूप से जब्त करना संभव नहीं हो तो उस माल के मालिक या संरक्षक को वह माल इस निर्देश के साथ सौंप दिया जाएगा कि वह इस माल को बिना उक्त अधिकारि की अनुमति के किसी भी तरह से हटाएगा नहीं या अन्य किसी प्रकार से कोई व्यवहार इस माल के सम्बन्ध में नही करेगा. इस प्रकार का आदेश GST INS-03 में दिया जाएगा . 139(4)

जो भी अधिकारी माल , दस्तावेज , बहियां या वस्तुओं को जब्त करता है वह अधिकारी उसकी एक सूची जिसमें जब्त किये गये माल , दस्तावेज , बहियां या वस्तुओं की विवरण संख्या या मात्रा,उसका मार्क एवं मॉडल(जहाँ भी संभव हो ) के साथ लिखना होगा एवं उस व्यक्ति से उस पर दस्तखत लेने होंगे जिससे इसे जब्त किया गया है .-139(5)

किसी अधिकारी को तलाशी के लिए अधिकृत करने हेतु जो फॉर्म GST INS-01 दिया गया है उसमें निम्न सूचनाएं दर्ज करनी होती है :-

क्र . सं. विवरण
1. कानून के उल्लंघन का विवरण – इस फॉर्म में करयोग्य व्यक्ति , ट्रांसपोर्टर एवं किसी गोदाम , व्यक्ति के लिए तलाशी हेतु जो कानून के उल्लंघन के रूप जो धारा 67 में बताये गए हैं वे सभी दर्ज है . समुचित अधिकारी को उन कारणों में से चुनना होगा.
2. वह व्यक्ति/फर्म का नाम , परिसर का स्थान जहां की तलाशी होनी है . यह स्थान व्यवसाय स्थल, गोदाम या रिहायशी स्थान कोई भी हो सकता है . यह इस अधिकृत करने वाले फॉर्म में दर्ज होना चाहिए.
3. अधिकारी जिसे अधिकृत किया गया है उसका नाम एवं पद.
4. जारी करने का स्थान एवं तारीख .
5. कितने दिनों के लिए वैध है अर्थात 1 दिन या दो दिन ..
6. जारी करने वाले अधिकारी नाम , पता एवं दस्तखत .
7. अधिकृत किये गये अधिकारियों के हस्ताक्षर

कौनसे दस्तावेज , बहियाँ पहले लौटानी होंगी धारा 67 (3)

वे दस्तावेज , बहियाँ और अन्य वस्तुएं जो जब्त की गई है या किसी भी व्यक्ति द्वारा पेश की गई है लेकिन इस कानून के प्रावधानों और नियमों के तहत किसी प्रकार का नोटिस जारी करते समय इन दस्तावेजों , बहियों और अन्य वस्तुओं पर कोई भरोसा नहीं किया गया या ये नोटिस जारी करने के दौरान इन्हें आधार नहीं बनाया गया तो नोटिस जारी करने के 30 वें दिन तक लौटा दिया जाएगा . सीधी सी बात यह है कि जिन दस्तावेजो , बहियों और वस्तुओं के आधार पर कोई कर चोरी का या कोई नोटिस जारी ही नहीं किया गया है तो फिर उनका विभाग के लिये कि उपयोग ही नहीं होगा फिर उन्हें अपने पास रखने का कोई औचित्य नहीं है.

सील करने एवं ताला इत्यादि तोड़ने के अधिकार धारा 67(4)

यदि तलाशी के दौरान अधिकारी को उस किसी परिसर,अलमारी , इलेक्ट्रॉनिक साधन , बॉक्स या संदूक में जाने से या खोलने से रोका जाता है जहाँ उसे यह शक है कि कोई माल , बहिया , दस्तावेज , रजिस्टर्स छिपाए गए हैं , में जाने से रोका जाता है तो उस अधिकारी के पास उसे सील करने या तोड़ने का अधिकार होगा . यहाँ तोड़ने से आशय अन्दर घुसने के लिने ताला तोड़ना , पास्वोर्ड तोड़ना इत्यादि है . ये एक स्वाभाविक प्रावधान जिससे अधीकृत अधिकारी तालाशी के दौरान अपना कार्य पूरा कर सके यदि सामान्य तरीके से उस अधिकारी को परिसर,अलमारी , इलेक्ट्रॉनिक साधन , बॉक्स या संदूक तक जाने से या खोलने से रोका जाता है.

जिस व्यक्ति से दस्तावेज, लेखे जब्त किये गए हैं क्या उसे उनकी प्रति या नक़ल लेने का अधिकार है धारा 67 (5)

यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है जो हर बार वहां विवाद का कारण बनता है जहाँ जब्ती और तलाशी की कार्यवाही होती है . आइये देखें कि इस जीएसटी कानून क्या कहता है इस सम्बन्ध में . जिस व्यक्ति से कोई भी बहियाँ , दस्तावेज इत्यादि जब्त किये जाते हैं वह अधिकृत अधिकारी की उपस्तिथी में उनकी कॉपी ले सकता है या नक़ल कर सकता है . इसके लिए अधिकृत अधिकारी तय करेंगा कि कॉपियां एवं नक़ल कब , किस संमय और कहाँ से ली जा सकती है .

लेकिन यहाँ भी कानून ने एक और विवेकाधिकार अधिकृत अधिकारी को दे दिया है कि यदि वह ऐसा समझता है कि इस तरह से ली गई नक़ल एवं कॉपियां आगे होने वाली जाँच पड़ताल के लिये हानिकारक होंगे तो वे इसके लिए मना कर सकते हैं

जहाँ भी इस तरह के प्रावधान बना कर अधिकृत अधिकारी को विवेकानुसार निर्णय लेने का अधिकार दिया जाता है उसमें परेशानी तो कर दाता को ही होती है .

तत्कालिक रूप से जब्त किये हुए माल को छोड़ना धारा 67(6)

जब्त किये हुए माल को नियमानुसार बांड भरने और वांछित जमानत देने के बाद या फिर वांछित टैक्स , ब्याज और पेनाल्टी भरने के बाद तात्कालिक आधार पर (on provisional basis) छोड़ दिया जाएगा. लेकिन इस प्रावधान को समझने के लिए इस सम्बन्ध में बनाये गए नियम अवश्य देख लें जो कि नीचे दिए गए हैं

नियम 140

नियम 140(1). जब्त किये हुए माल को तत्कालिक आधार पर (on provisional basis) लिए दो दस्तावेज लेने होंगे . एक तो सिक्यूरिटी बांड और उसके साथ ही बैंक गारंटी . जब्त किया हुआ माल प्रोविजनल आधार पर छोड़ने के लिए एक सिक्यूरिटी बांड जो कि माल की कीमत के बराबर होगा और फॉर्म संख्या GST INS – 04 में होगा लिया जाएगा और इसके साथ ही एक बैंक गारंटी भी ली जाएगी जो कि उस माल पर लगने वाले कर , ब्याज और पेनाल्टी के बराबर होगी .

नियम 140 (2). तत्कालिक आधार पर (on provisional basis) पर छोड़ा गया माल यदि वह व्यक्ति जिस व्यक्ति से यह वसूला गया है उक्त अधिकारी द्वारा नियत की गई तिथी या स्थान पर पेश नहीं किया जाता है तो बैंक गारंटी को कैश कर उसे रकम को कर, ब्याज एवं पेनाल्टी के साथ समायोजित कर दिया जाएगा.

यहाँ एक और बात ध्यान रखें कि यदि कोई माल जो तात्कालिक आधार पर छोड़े जाने के योग्य है और सम्बंधित व्यक्ति उसे बांड भरने के 30 दिन के भीतर इस तरह से नहीं छुडाता है तो समुचित अधिकारी को ऐसे माल को धारा 67 (8) के तहत निपटाने का अधिकार मिल जाएगा. इसके लिए आप नीचे धारा 67 (8) शीर्षक में दिया हुआ विवरण ध्यान से पढ़े .

धारा 67 (8) के तहत एक अधिसूचना जारी की गई है जिसमें ऐसे माल का जिक्र है जिसका निपटारा तुरंत करना हूआ है और यह सूचि जो दिनांक 13/06/2018 को अधिसूचना 27/2018 के जरिये जारी की गई है उसकी प्रविष्टी संख्या 17 में ऐसे माल का जिक्र है जो कि तात्कालिक रूप से छोड़ा जा सकता है लेकिन सम्बंधित व्यक्ति ने उसे सिक्यूरिटी बांड देने के 30 दिन के भीतर प्राप्त नहीं किया है .

यदि माल जब्ती के बाद नियत अवधि में नोटिस ही जारी नहीं हो ?

धारा 67(7)

कानून की इस धारा के तहत यदि कोई माल जब्त किया गया है और ऐसी जब्ती के 6 माह तक इस माल के सम्बन्ध में कोई नोटिस नहीं जारी नहीं किया जाता है तो जब्त की गई तारीख से 6 माह बीत जाने के बाद वह माल छोड़ दिया जाएगा .

यहाँ एक और बात है जो कि ध्यान रखने के योग्य है और वह है कि यदि पर्याप्त कारण प्रदर्शित किये जाते हैं तो यह 6 माह की अवधि समुचित अधिकारी द्वारा 6 माह तक के लिए और बढाई जा सकती है .

अधिसूचित माल जिसका तुरंत निपटारा करना होगा

धारा 67(8)

आइये देखें कुछ माल या परिस्तिथियाँ ऐसी हो जहाँ माल जब्त करने के बाद रखना संभव नहीं हो तब क्या होगा ? पहले तो ये देखें कि ये माल और परिस्तिथियां कौनसी हो सकती है :-

जब माल शीघ्र नष्ट होने वाला हो.
जब माल खतरनाक प्रवृति का हो.
जब माल की उपयोगिता या मूल्य शीघ्र ख़त्म होने वाले हो
माल के लिए भण्डारण का स्थान ना हो .
अन्य कोई कारण जिसे सरकार उचित समझें .

लेकिन कौनसे माल या माल की श्रेणी ऐसी होगी इसका फैसला करने का अधिकार, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार को है. सरकार ऐसे माल या माल की श्रेणी को अधिसूचित करेगी और ऐसे माल को उक्त अधिकारी द्वारा कानून द्वारा निर्धारित विधी से निपटाया जाएगा .

ये कानून इसलिए बनाया गया है कि कुछ हालात में माल की जब्ती के बाद इसे रखना संभव नहीं होता है तो फिर ऐसे माल का क्या किया जाए इसके लिए अभी स्पष्ट निर्देश कानून में देने जरुरी थे इसीलिये इस प्रकार के माल की एक लिस्ट भी जारी की गई है तथा इनके निपटाने की एक विधी भी नियमों में बताई गई है .

पहले हम देख लें कि ये अधिसूचित माल कौनसे है :-

यह सूचि अधिसूचना संख्या 27/ 2018 के द्वारा जारी की गई है जिसमें 17 प्रकार के माल है :-

क्रम संख्या माल का विवरण
1. लवण और आद्रता ग्राहीपदार्थ – Salt and Hygroscopic Substances.
2. कच्चे आद्र और लवणीय खाल और चर्म – Raw (wet and Salted) hides and Skins.
3. समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ .
4. मेंथॉल, कपूर, केसर.
5. बाल पॉइंट पेन की रिफिल.
6. लाइटर, ईंधन जिसके अंतर्गत रिफिल ना हो सकने वाले गैस लाइटर प्रभावी पदार्थ भी है .-Lighter fuel, including lighters with gas, not having arrangement for refilling.
7. सैल, बैटरी और रिचार्जबल बैटरी.
8. पेट्रोलियम उत्पाद
9. खतरनाक औषधियां और मन: प्रभावी पदार्थ -(9) Dangerous drugs and psychotropic substances (10)
10. सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम 1975 (1975 का 51) पहली अनुसूची के खंड 4 के अधीन आने वाली थोक औषधियां और रसायन – Bulk drugs and chemicals falling under Section VI of the First Schedule to the Customs Tariff Act, 1975 (51 of 1975)
11. सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम 1975 (1975 का 51) पहली अनुसूची के अध्याय 30 के तहत आने वाले औषधीय उत्पाद -(11) Pharmaceutical products falling within Chapter 30 of the First Schedule to the Customs Tariff Act, 1975 (51 of 1975)
12. आतिशबाजी
13. लाल चन्दन
14. चन्दन की लकड़ी
15. सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम , 1975 (1975 का 51 ) की पहली अनुसूची के अध्याय 1 से 24 के भीतर आने वाले सभी कराधेय माल – All taxable goods falling within Chapters 1 to 24 of the First Schedule to the Customs Tariff Act, 1975 (51 of 1975)
16. ऐसा सभी अदावाकृत / परीत्यक्त माल जो प्रौद्योगीकी में त्वरित परिवर्तन या नवीन मॉडलों आदि के कारण मूल्य में त्वरित अवक्षवण के योग्य है .- All unclaimed/abandoned goods which are liable to rapid depreciation in value on account of fast change in technology or new models etc.
17. उक्त अधिनियम की धारा 67 के अधीन उचित अधिकारी द्वारा अभिगृहीत कोई ऐसा माल जिसे उक्त अधिनियम की धारा 67 की उपधारा (6) के अधीन अंनतिम रुप से निर्मोचित किया गया है किन्तु सम्बंधित व्यक्ति द्वारा , अंनतिम रूप से , निर्मोचन के लिए बंधपत्र के निष्पादन की तारीख से एक मास की अवधि के भीतर निर्मोचन नहीं लिया गया था . – Any goods seized by the proper officer under section 67 of the said Act, which are to be provisionally released under sub-section (6) of section 67 of the said Act, but provisional release has not been taken by the concerned person within a period of one month from the date of execution of the bond for provisional release.

ये लिस्ट इस अधिसूचना से ली गई है लेकिन जहाँ भी इसकी जो हिन्दी भाषा के शब्द या वाक्य काम में लिए गए है वे आसानी से समझ में आने योग्य नहीं वहां मैंने इसके मूल अंग्रेजी अधिसूचना के शब्द या वाक्य साथ में लिख दिए हैं ताकि आप अच्छी तरह से इसे समझ सकें .

आइये देखें कि इस तरह के माल को निपटाने की विधी क्या होगी. यह विधी नियम 141 में दी गई है .

नियम संख्या – 141

करयोग्य व्यक्ति स्वयम इस माल की कीमत चुका दे

यदि इस तरह का माल है जो कि इस तरह शीघ्र नष्ट होने वाला है या खतरनाक प्रवृति का है तो यदि करयोग्य व्यक्ति यदि एक ऐसी रकम चुका देता है, जो कि ऐसे माल पर लग सकने वाले कर, ब्याज या पेनाल्टी की रकम या माल के बाजार भाव दोनों में से कम हो, तो तुरंत यह माल उसे व्यक्ति को दे दिया जाएगा. इसके लिए नियम 141 (1) के तहत वर्णित फॉर्म संख्या GST INS – 05 में आदेश जारी किया जाएगा.

यदि ऐसा नहीं होता है तो जीएसटी आयुक्त इस माल को बेच दें

यदि करयोग्य व्यक्ति ऐसा भुगतान नहीं करता है तो जीएसटी आयुक्त उक्त माल को बेच कर जो धन वसूल होगा उसे उस माल के सम्बन्ध में कर, ब्याज , पेनाल्टी को समायोजित करेंगे .

जब्त किये गए अधिसूचित माल की सूचि बनाना

धारा 67 (9)

जब भी कोई अधिकारि इस तरह के अधिसूचित माल को जब्त करेगा तो वह नियमानुसार उसकी एक सूचि बनाएगा. वैसे आप ध्यान रखें कि जब्त किये सभी माल , दस्तावेज , बहियां या अन्य वस्तुएं जो जब्त की सूचि बनानी ही है और इसके लिए नियम संख्या 139 (5) बना हुआ है जिसमें माल , दस्तावेज , बहियां या वस्तुओं की विवरण संख्या या मात्रा , उसका मार्क एवं मॉडल (जहाँ भी संभव हो ) के साथ लिखना होगा एवं उस व्यक्ति से उस पर दस्तखत लेने होंगे जिससे इसे जब्त किया गया है . अब अधिसूचित माल की सूचि भी इसी तरह ही बनेगी या किसी अलग तरह से यह यहाँ स्पष्ट नहीं है लेकिन यदि इन अधिसूचित माल के लिए कोई अलग से सूचि बनाने का कोई नियम शायद अभी नहीं बनाया गया है .

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रावधान लागू होना

धारा 67(10)

भारतीय दंड संहिता प्रक्रिया के तलाशी एवं जब्ती के सम्बन्ध में जो भी प्रावधान है, वे जहाँ तक हो सके, वह जीएसटी के दौरान की गई तलाशी एवं जब्ती पर भी लागू होंगे . लेकिन इसमें सिर्फ एक ही फर्क होगा कि जहाँ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 165 (5) में जहाँ मजिस्ट्रेट शब्द प्रयोग किया गया है वहां जीएसटी में इसकी जगह आयुक्त शब्द का प्रयोग होगा.

जीएसटी के दौरान तलाशी और जब्ती की कार्यवाही पूरी तरह से व्यवस्तिथ तरीके से हो और इसमें पारदर्शिता भी रहे इसलिए यह प्रावधान किये गए है कि तलाशी और जब्ती के जो प्रावधान भारतीय दंड संहिता प्रक्रिया में दिए गए हैं उनका यथासंभव पालन किया जाये अर्थात इस कार्य में लगे अधिकारी अपना परिचय अपने साथ रखें , तालाशी यदि घर में हो रही है तो महिला अधिकारी साथ हो , तलाशी दो स्वत्रन्त्र गवाहों के सामने हो और इसकी रिपोर्ट आयुक्त तक भेजी जाए.

इस सम्बन्ध में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 165 (5) को यहाँ दिया गया है . इसके अनुसार धारा में जहां भी मजिस्ट्रेट शब्द का प्रयोग किया गया है वहां आयुक्त शब्द आयेगा और तालाशी और जब्ती की जो रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को भेजने होती है वह जीएसटी में होने वाली तलाशी के दौरान जीएसटी आयुक्त को भेजनी है .

आइये भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 165(5) भी देख लें :-

165(5) Copies of any record made under sub- section (1) or sub- section (3) shall forthwith be sent to the nearest Magistrate empowered to take cognizance of the offence, and the owner or occupier of the place searched shall, on application, be furnished, free of cost, with a copy of the same by the Magistrate.

करावंचन में लिप्त व्यक्ति के लेखे , दस्तावेज इत्यादि जब्त करना

धारा 67(11)

यदि समुचित अधिकारी के पास यह विश्वास करने के कारण है कि किसी व्यक्ति ने कर की चोरी की है या वह कर चोरी करने के प्रयास कर रहा है तो ये अधिकारी ऐसे कारणों को पहले रिकॉर्ड करेंगे और उसके समक्ष ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत लेखों , रजिस्टर और दस्तावेज को जब्त करेंगे औ इसकी रसीद उस व्यक्ति को देंगे. इस तरह जब्त किये गए लेखों , रजिस्टर और दस्तावेज तब तक रोके रखेंगे जब तक कि उनकी जरुरत इस अधिनियम या उसके तहत बनाये गये नियमों के तहत किसी अभियोजन की कार्यवाहियों के लिए आवशयक है .

आइये देखें कि यह धारा 67 (11) क्यों बनाई गयी है ?

यह धारा किसी भी व्यक्ति पर लागू हो सकती है उस व्यक्ति का करयोग्य व्यक्ति होना , ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर होना या किसी गोदाम या भण्डारघर का मालिक आ संचालक होना आवश्यक नहीं है यह प्रावधान सभी व्यक्तियों पर लागू है.

जीएसटी अधिकारी द्वारा जांच के लिए माल खरीदना

धारा 67(12)

जीएसटी आयुक्त या उनके द्वारा अधिकृत किये गए अधिकारी बीजक या बिल से जुड़े मामलों की जाँच करने हेतु अपने द्वारा अधिकृत किये हुए किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी करयोग्य व्यक्ति के कारोबार परिसर से माल या सेवा या दोनों के सेवा या माल को खरीद कर सकेंगे. ऐसे ख़रीदे गए माल को बेचने वाले व्यक्ति को वापिस लेना होगा और इस सम्बन्ध में जारी बिल को निरस्त कर वह राशि लौटानी होगी .

जीएसटी अधिकारी जीएसटी डीलर्स के द्वारा जारी किये जाने वाले बिलों की जाँच कर सके इसलिए यह प्रावधान बनाया गया है इसके लिए आम तौर पर जरुरत पड़ने पर जीएसटी अधिकारी अपने द्वारा एक व्यक्ति को अधिकृत करते है जो कि डमी खरीददार बनाकर माल या सेवा की खरीद करता है .

ANNEXURE-1

आइये एक बार जीएसटी में इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर के सम्बन्ध में कानून की धाराओं , बनाए गए नियमों और इस संम्बंध में जारी किये गए फॉर्म्स की सूचि भी बना लें .

इंस्पेक्शन , सर्च और सीजर के सम्बन्ध में कानून की धाराओं की सूचि

इंस्पेक्शन , सर्च , सीजर संबंधी कानून

धारा विवरण
67(1) निरिक्षण की आवश्यकता एवं इसके लिए अधिकारी को अधिकृत करना.
67(2) तलाशी एवं जब्ती.
67(3) माल, दस्तावेज को 30 दिन में छोड़ना जब कोई नोटिस जारी करते समय इन्हे आधार नहीं बनाया गया हो.
67(4) सील करने या तोड़ने के अधिकार.
67(5) जब्त दस्तावेज, बहियों की प्रतिया या नक़ल लेने का अधिकार.
67(6) तात्कालिक रूप से माल छोड़ना.
67(7) नोटिस जारी करने की समयावधि.
67(8) जब्त अधिसूचित शीघ्र नष्ट होने वाले या खतरनाक माल का निपटारा शीघ्र करना.
67(9) जब्त अधिसूचित शीघ्र नष्ट होने वाले या खतरनाक माल की सूचि बनाना.
67(10) भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान लागू होना.
67(11) व्यक्तियों के लेखों , रजिसटर्स इत्यादि जब्त करना.
67(12) जीएसटी अधिकारीयों को बिल या बीजक की जांच हेतु माल या सेवा या दोनों खरीदने का अधिकार.

सर्च , सीजर संबंधी नियम

139 (1) समुचित अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारि को निरीक्षण , तलाशी एवंम जब्ती के लिए फॉर्म नम्बर GST INS-01 में अधिकृत करना
139(2) अधिकृत अधिकारी द्वारा माल, दस्तावेज , लेखे इत्यादि जब्त करने का आदेश GST INS-02 में देना
139(3) अधिकृत अधिकारी द्वारा माल, दस्तावेज , लेखे इत्यादि सबंधित व्यक्ति को सुरक्षित रखने के लिए सौंपना .
139(4) माल जिसे जब्त करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं हो उसे GST INS-03 में प्रतिबंधित आदेश के साथ सौंपना.
139(5) अधिकृत अधिकारी द्वारा जब्त किये गए माल, दस्तावेज , लेखे इत्यादि की एक सूचि तैयार करना
140(1) माल को बांड GST INS-04 एवं बैंक गारंटी के दिए जाने पर तात्कालिक आधार पर छोड़ना
140(2) तात्कालिक आधार पर छोड़े गए माल को नियत तिथी पर अधिकारी के समक्ष पेश नहीं करने पर कार्यवाही
141(1) अधिसूचित शीघ्र ख़राब होने वाले या खतरनाक माल को संबधित व्यक्ति से वसूली कर GST INS-04 मेनन आदेश कर छोडना .
141(2) अधिसूचित शीघ्र ख़राब होने वाले या खतरनाक माल को संबधित व्यक्ति तत्काल नहीं छुडवा पाए तो आयुक्त द्वारा इसका निपटारा करना .

फॉर्म्स का विवरण

फॉर्म नंबर विवरण
GST INS-01 इंस्पेक्शन एवं सर्च के लिए अधिकृत करना
GST INS-02 सीजर का आदेश
GST INS-03 माल के स्वामी या संचालक को निषेध आदेश
GST INS-04 बांड एवम गारंटी पर तात्कालिक रूप से माल छोड़ने का आदेश
GST INS-05 शीघ्र नष्ट होने वाले या खतरनाक माल को छोड़ने का आदेश

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4 Comments

  1. sanjiv sharma says:

    sib adhikari dwara vyapar isthal ki janch krte samy kuch document seiz kiye the. vyapari dwara sib adhkari k yha hearing krbaye gye. sbi adikari dwara apni report sectror adhikari ki bhej di gye. sector adhikari dwara ex party krte hue case dipose kr diya . vyapari dwara 1st appeal ki gye. sib adhikari ko jb seiz document reced. krne k liye application de gye to unke dwara original document return nhi kiye j rhe. unka khna h ki photo copy di jyegi. ..pls suggest kre.

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