वित्त मंत्रालय भारत सरकार ने नोटिफिकेशन संख्या 10 / 2023 सेंट्रल टैक्स दिनांक 10 मई 2023 के द्वारा 1 अगस्त 2023 से टर्नओवर रुपए 5 करोड़ से अधिक के जीएसटी करदाता को अपने invoice की e-invoicing करनी होगी। मित्रों सूचना क्रांति का युग है । शायद आने वाले समय में e- invoicing का प्रावधान सभी जीएसटी करदाता पर लागू किया जा सकता है । अतः आज हम e invoice पर चर्चा करेंगे
E INVOICING का का प्रावधान – जीएसटी एक्ट 2017 के अंतर्गत नियम 48 उप नियम 4 के अंतर्गत है। जो नोटिफिकेशन संख्या 13 /2020 से लाया गया था और समय-समय पर इनवॉइस के लिए टर्नओवर की सीमा को कम करते गए हैं। जो अब 1 अगस्त 2023 से 5 करोड रुपए से अधिक टर्नओवर वाले करदाता के लिए भी अनिवार्य किया गया है।
E invoicing क्या है?
जिन जीएसटी करदाताओं पर e-invoicing का प्रावधान है। वे पहले इनवॉइस बनाकर IRP अर्थात INVOICE REPORTING PORTAL पर इनवॉइस की सभी डिटेल का उल्लेख करेंगे तथा IRP से डीलर को IRN अर्थात INVOICE REFERENCE NUMBER जनरेट होगा। जिसे वह अपने इनवॉइस पर अंकित करेगा। यह e-invoicing एक वैलिड इनवॉइस कहलाएगा।
शुरू शुरू में यह प्रक्रिया कठिन लगेगी लेकिन धीरे-धीरे यह आसान प्रक्रिया हो जाएगी।
E -invoicing किस सप्लायर पर लागू होगी –
जीएसटी विभाग द्वारा समय-समय पर E INVOICING के लिए टर्नओवर घटाई जा रही है वर्तमान में यह सीमा रुपए 5 करोड से अधिक होने पर 1 अगस्त 2023 से लागू की जा रही है ।जीएसटी एक्ट 2017 के अनुसार यदि किसी करदाता का टर्नओवर फाइनेंसियल ईयर 2017-18 से वर्तमान तक किसी भी वर्ष में रुपए 5 करोड़ से अधिक का है ।तो उसे E INVOICING के नियमों का पालन करना होगा। यदि आपकी टर्नओवर 5 करोड रुपए से कम भी हो जाए तो भी आप E-INVOICING के नियमों का पालन करेंगे अर्थात एक बार E INVOICE शुरू करने के बाद इस नियम से आप बाहर नहीं जा सकते।
एग्रीगेट टर्नओवर का अभिप्राय
जीएसटी एक्ट 2017 के सेक्शन 2उप धारा 6 में संकलित TURNOVER अर्थात एग्रीगेट टर्नओवर का उल्लेख है।
AGGREGATE TURNOVER=Taxable Turnover +Exempt Turnover+Export Turnover
Exempt Turnover को जीएसटी एक्ट में सेक्शन 2(47) मे है। यहां EXEMPT टर्नओवर से आशय है कि जिस पर जीएसटी ना लगा हो यह भी एग्रीगेट टर्नओवर का पार्ट होगा।
यदि एक पेन पर कई स्थानों पर जीएसटीएन है। उस सभी का टर्नओवर जोड़कर एग्रीगेट टर्नओवर का मूल्यांकन किया जाएगा।
Aggregate Turnover मे जिस पर RCM, लगा हो। उस TURNOVER को नही जोड़ा जायेगा। साथ ही सीजीएसटी एसजीएसटी आईजीएसटी TAX एग्रीगेट टर्नओवर का भाग नहीं होगा।
E INVOICING किस पर लागू नहीं होगा
1. B to C की सप्लाई पर क्योंकि b2c की सप्लाई एक unregistered सप्लाई होती है धारा 48 धारा 4 के अंतर्गत।
2. Exempt supply पर भी e-invoicing लागू नहीं होगा। इसी प्रकार non-taxable वस्तुओं पर भी जो कर मुक्त की श्रेणी में आती हैं ।e-invoicing का नियम लागू नहीं होता है जैसे शराब और पेट्रोलियम पदार्थ आदि।
E INVOICING के लिए DOCUMENTS
1. INVOICE
2. CREDIT NOTE
3. DEBIT NOTE
4.
E INVOICING के नियम का पालन ना करने का परिणाम
1. यदि कोई डीलर e-invoicing का पालन नहीं करता है तो उसके द्वारा जारी इनवॉइस VAILD श्रेणी में नहीं आएगा।
2. खरीदार को इनवॉइस की आईटीसी नहीं मिलेगी।
3. जीएसटी एक्ट की धारा 122 के अंतर्गत टैक्स का 100% या रुपए 10000 जो अधिक होगा उसका अर्थ दंड लगाया जाएगा।
E-invoicing के लिए अन्य प्रावधान
1. ई इन्वॉइसिंग के लिए DSC की आवश्यकता नहीं है अर्थात E INVOICE बनाने के लिए डिजिटल सिग्नेचर की आवश्यकता नहीं है।
2. Invoicing Portal द्वारा जारी IRN और INVOICE के नंबर अलग अलग होगे। IRN को INVOICE पर अंकित किया जायेगा।
3. उपरोक्त प्रक्रिया के बाद E WAY BILL GENERATE किया जायेगा।
अर्थात् INVOICE- E INVOICE REPORTING- IRN INVOICE REFERENCE NUMBER- E WAY BILL GENERATE
4. QR CODE के द्वारा ऑफलाइन सत्यापन किया जा सकता हैं।
क्या IRN कैंसिल किया जा सकता है
जी हां ,कुछ अपवादों को छोड़कर जैसे इनमेंe invoiceका IRN नंबर 24 घंटे के अंदर कैंसिल किया जा सकता है।
अपवाद यदि सप्लायर द्वाराE INVOICING के बाद ई वे बिल जेनरेट करके माल का परिवहन किया जा रहा है ।और यदि किसी अधिकारी द्वारा उस माल को रोका जाता है। IRN कैंसिल नहीं किया जा सकता। इसके लिए डीलर को डेबिट नोट /क्रेडिट नोट जारी करने होंगे।