Follow Us :

14 सितंबर 2023 को वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) द्वारा एक अधिसूचना S.O. 4073(E) दिनांक 14 सितंबर 2023 के द्वारा पूरे देश में प्रदेश स्तर पर न्याय पीठ स्थापित करने के संबंध में अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना में पूर्व में जारी किए गए अनेक कार्यालय आदेशों को शामिल करते हुए, नया कार्यालय आदेश 4073(E) जारी किया है। यह न्याय पीठ जीएसटी एक्ट 2017 के सेक्शन 109 उप धारा 4 के अंतर्गत स्थापना की गई है।

यदि हम अधिसूचना का मूल्यांकन करेंगे तो कलम 2, 3, और 4 में क्रमश प्रदेश का नाम, न्याय पीठ की संख्या और स्थान इंगित किए गए हैं। अर्थात कल 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 न्याय पीठ जो कुल 46 स्थान पर कार्यरत होगी

सेक्शन 109 उप धारा 4 के अनुसार

 राज्य के अनुरोध पर सरकार अधिसूचना द्वारा ऐसे स्थान पर और ऐसे क्षेत्राधिकार के साथ न्याय पीठों की ऐसी संख्या का गठन कर सकती है ।जो परिषद द्वारा अनुशंसा की जाए ।जिसमें दो न्यायिक सदस्य, एक तकनीकी सदस्य (केंद्र) और एक तकनीकी सदस्य (राज्य )शामिल होंगे।

उपरोक्त धारा द्वारा स्पष्ट है कि सरकार द्वारा धारा 109उपधारा 4 के अनुसार 31 न्यायापीठों की स्थापना पर अधिसूचना जारी की है।

उपरोक्त अधिसूचना जारी होने के पश्चात टैक्स प्रोफेशनल, चार्टर्ड अकाउंटेंट और करदाता के मन में अभी कई प्रश्न विराजमान है ।विभाग द्वारा अधिसूचना तो जारी कर दी है ।लेकिन अभी तक पोर्टल पर सेक्शन 109 का कोई विवरण नहीं है ।तथा न्याय पीठ के अध्यक्ष की भी नियुक्ति नहीं हुई है। जिससे स्पष्ट है । कि  न्याय पीठ की स्थापना में अभी समय लगेगा ।जैसा की विगत समय में स्पष्ट किया गया था । कि न्याय पीठ की स्थापना के तीन माह में पुरानी अपील फाइल की जा सकती हैं । अर्थात समय देरी के लिए अधिसूचित हैं।जैसा की स्पष्ट है। कि न्याय पीठ की स्थापना के लिए 14 सितंबर 2023 की तिथि से 3 माह का समय अपील दाखिल करने के लिए होगा ।लेकिन जब न्याय पीठ के अध्यक्ष की नियुक्ति होगी ।तभी न्याय पीठ कार्य शुरू करेगी ।इसलिए हम इस अवधि को अध्यक्ष, न्याय पीठ के नियुक्ति  से स्वीकार करेंगे। सेक्शन 109 और 110 न्याय पीठ के संबंध में परिभाषित है। सेक्शन 110 के अनुसार न्याय पीठों का संचालन अध्यक्ष में निहित है। इस अधिसूचना में एक दो उदाहरण से मैं स्पष्ट करना चाहता हूं । कि जीएसटी एक्ट में किस प्रकार न्यायपीठों का गठन और क्षेत्राधिकार रखा गया है। जैसे क्रम संख्या 1 पर आंध्र प्रदेश में न्याय पीठ की संख्या 1रखी गई है ।जबकि उसकी सुनवाई हेतु दो स्थान विशाखापट्टनम और विजयवाड़ा रखा गया है। इसका अर्थ यह है । कि आंध्र प्रदेश में न्याय पीठ की संख्या एक होगी तथा वह समय-समय पर विशाखापट्टनम और विजयवाड़ा में कार्यरत रहेगी ।इसी प्रकार दूसरा उदाहरण हरियाणा प्रदेश से है। जहां पर न्याय पीठ की संख्या 1 रखी गई है ।लेकिन उसकी सुनवाई के लिए तो गुरुग्राम और हिसार रखा गया है ।अर्थात यह पीठ गुरुग्राम और हिसार में समय-समय पर अपीलों की सुनवाई करेगी ।एक अन्य उदाहरण उत्तर प्रदेश से संबंधित है ।जिसमें न्याय पीठों की संख्या तीन है ।लेकिन सुनवाई के लिए पांच स्थान जैसे लखनऊ, वाराणसी ,गाजियाबाद ,आगरा और प्रयागराज नियत किए गए हैं ।  स्पष्ट है। कि उत्तर प्रदेश में राज्य स्तर पर तीन न्यायपीठों का स्थापना की गई है।जो विभिन्न क्षेत्राधिकार के हिसाब से पांच स्थानों पर समय-समय पर सुनवाई की जाएगी।

उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है। कि जीएसटी एक्ट में जो न्याय पीठों की स्थापना की जा रही है। वह केंद्रीय करण की ओर जा रही है ।हम उदाहरण के तौर पर बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश/ मध्य प्रदेश पर ध्यान देते हैं ।तो स्पष्ट होता है । कि जीएसटी काउंसिल, विभाग और सरकार द्वारा सस्ता और सुलभ न्याय की स्थापना नहीं की है। मेरा मत है । कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश में जो न्याय पीठ वेट अधिनियम के अंतर्गत कार्यरत थी। उन्हीं को जीएसटी एक्ट के अंतर्गत बहाल किया जाना चाहिए था। यदि हम उदाहरण के रूप में उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में जैसे कानपुर और मेरठ का उदाहरण पेश करते हैं ।दोनों ही शहरों में जीएसटी के करदाता की संख्या काफी है। जिससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है । ऐसी परिस्थितियों में ऐसे शहरों को छोड़ना एक गंभीर विषय है ।जीएसटी एक्ट में जिस तरीके से न्याय पीठ का गठन किया जा रहा है ।वह उचित प्रतीत नहीं हो रहा है।

निष्कर्षण:

यद्यपि ये लेखक के व्यक्तिगत दृष्टिकोण हैं, तो जीएसटी अधिनियम के तहत न्याय पीठों की स्थापना के संबंध में उठाए गए सवालों और चुनौतियों को ध्यान में रखकर, इस प्रक्रिया में सुधार का विचार करना आवश्यक हो सकता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्याय पीठों की स्थापना को न्यायमूलक और सुलभ बनाया जाता है, विशेष रूप से बड़े राज्यों में, ताकि गीएसटी करदाताओं को न्याय के लिए उचित समय पर सुनवाई मिल सके।

Author Bio

मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक View Full Profile

My Published Posts

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 की समीक्षा जीएसटी एक्ट के इतिहास की व्याख्या 3 अपराधिक कानूनों का विश्लेषण जीएसटी परिषद की 53 सी मीटिंग के प्रस्ताव और विश्लेषण डीआरसी 03 अपडेट और नई रिटर्न जीएसटी 01 ए की समीक्षा View More Published Posts

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search Post by Date
July 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031