आइये सबसे पहले देखें कि दाल मिलों के बचे हुए छिलके/ चुरी पर कर का क्या मामला है . अभी तक यह ‘पशु आहार’ मान कर कर मुक्त माना जा रहा था. लेकिन सीबीआईसी ने 3 अगस्त 2022 को एक सर्कुलर जारी कर इस बारे में जो स्पष्टीकरण जारी किया है उसके अनुसार यह दाल मिलों के बचे हुए छिलके/ चुरी पशु आहार बनाने में ही काम ही आता है लेकिन यह स्वयम पशु आहार नहीं है अर्थात इस सर्कुलर के हिसाब से इनका सीधा प्रयोग पशुओं के खाने के लिए नहीं होता है इसलिए ये पशु आहार नहीं है . सर्कुलर में यह माना गया है ये वस्तुएं अर्थात दाल मिलों के बचे हुए छिलके/ चुरी/ खांडा पशु आहार बनाने के काम आता है इसका अर्थ यह है कि यह बाय प्रोडक्ट पशु आहार बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री है इसलिए इस पर 5 प्रतिशत कर देय है. इसके लिए इस सर्कुलर में अपने तर्क दिए गए है जिसमें यह भी बताया गया है कि पशु आहार बनाने के लिए इन बाय प्रोडक्ट्स को कुछ प्रोसेस से गुजरना पड़ता है और इसके अतिरिक्त इस सर्कुलर के अनुसार भारतीय मानक 2052: 2019 भी उनकी इस राय का समर्थन करता है . इस प्रकार इस सर्कुलर के अनुसार यह बाय प्रोडक्ट्स दाल मिलों के बचे हुए छिलके/ चुरी पर कर योग्य वस्तुओं की सूचि 1 की प्रविष्टी संख्या 103A के अनुसार 5 प्रतिशत की दर से कर योग्य है.
इस प्रकार से इस सर्कुलर के अनुसार दाल मिलों के बचे हुए छिलके/ चुरी/खांडा पर कर योग्य वस्तुओं की सूचि 1 की प्रविष्टी संख्या 103A के अनुसार 5 प्रतिशत की दर है . इसी सर्कुलर में यह लिखा है कि इस सर्कुलर के जारी होने के पहले जो भी इस सम्बन्ध में हुआ उसे भी अब तक के लिए नियमित मान लिया जाए .
यह तो हुई इस सर्कुलर की बात जो जैसा इस सर्कुलर में लिखा है वैसा मैंने आपको सरल भाषा में समझा दिया है लेकिन यह सर्कुलर अपने आप में भी एक सवाल खडा करता है और वह यह है कि पशु आहार को कुछ सोचकर ही कर मुक्त किया गया होगा और अब 5 साल बाद इस तरह के स्पष्टीकरण से पशु आहार में प्रयुक्त मुख्य सामग्री को करयोग्य बना कर पशु आहार की लागत तो बढ़ा ही दी गयी है क्यों कि इस पर लगे हुए कर की इनपुट क्रेडिट भी नहीं मिलेगी क्यों कि कर मुक्त माल के सम्बन्ध में प्रयुक्त की सामग्री पर इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती है इसलिए कई स्तिथियों में पशु आहार के कर मुक्ती का उद्देश्य ही इस स्प्ष्टीकरण के बाद समाप्त हो जाता है .
पशु आहार की कर मुक्ती को औचित्यपूर्ण बनाने के लिए इस सर्कुलर के द्वारा जारी व्यवस्था पर सरकार को एक बार फिर से विचार करना चाहिए और विवादों से बचने लिए लिए इन बाय प्रोडक्ट्स को अर्थात दाल मिलों के बचे हुए छिलके/ चुरी/खांडा को करमुक्त घोषित कर दिया जाए