फायनेन्स मिनिस्ट्री की टैक्स रिसर्च युनिट के द्वारा दिनांक 3 अगस्त 2022 को सर्कुलर नम्बर 179/11/2022 के माध्यम से एक क्लेरिफिकेशन जारी किया गया |
♦ इस सर्कूलर में यह कहा गया है कि दलहन की मीलिंग के दौरान निर्मित होने वाले बाय-प्रोडक्ट्स जैसे कि छिलका, खंडा एवं चूरी पर जीएसटी लागू है अथवा नहीं। इस संबंध में प्राप्त हुए रिप्रजेन्टेशन के तारतम्य में क्लेरिफिकेशन जारी किये जा रहे हैं।
♦ इस क्लेरिफिकेशन में यह कहा गया है कि छिल्का, खंडा एवं चूरी 2302 एचएसएन के अंतर्गत आते हैं, जिसमें कि अनाज (cereals) एवं लेगुमिनस प्लान्ट्स (अनाज एवं दलहन के प्लान्ट्स) की शिफ्टिंग, मीलिंग या अन्य कार्य से प्राप्त होने वाले ब्रान, शार्प्स एवं अन्य अवशेष, चाहे वह गोली या टिकिया के रूप में हो अथवा नहीं, यह सभी 2302 एचएसएन में सम्मिलित हैं।
♦ एचएसएन क्रमांक 2302 में दर्शाई गई वस्तुओं में से कुछ वस्तुएं अधिसूचना क्र. 02/2017 सेन्ट्रल टैक्स (रेट) दिनांक 28.06.2017के अंतर्गत करमुक्त हैं तथा कुछ वस्तुएं अधिसूचना क्र. 01/2017 सेन्ट्रल टैक्स (रेट) दिनांक 28.06.2017 के अंतर्गत करयोग्य हैं।
♦ यह सर्कूलर इस बात पर आधारित है, कि दाल मिलों के बाय प्रोडक्टस सीधे केटलफीड के रूप में उपयोग में नहीं लिये जाते हैं, अतः यह अधिसूचना क्र. 02/2017 की प्रविष्टि क्र. 102 के अंतर्गत करमुक्त माल नहीं होकर अधिसूचना क्र. 01/2017 की प्रविष्टि क्र.103-ए के अंतर्गत करयोग्य हैं।
♦ उपरोक्त सर्कूलर जारी होने से स्थिति स्पष्ट होने के बजाय उद्योगपतियों एवं व्यवसाईयों के मध्य भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है।
♦ दलहन से निर्मित होने वाली दालों (सेपरेटेड पल्सेस) के अतिरिक्त अन्य बाय-प्रोडक्ट् जैसे कि छिलका, खंडा एवं चूरी, जीएसटी एक्ट लागू होने के पूर्व कमर्शियल टैक्स एक्ट एवं वेट एक्ट के अंतर्गत पिछले 20-25 वर्षों से लगातार करमुक्त थीं।
♦ जीएसटी लागू होने के पश्चात् भी सभी उद्योगपति एवं व्यापारीगण इसे अधिसूचना क्र. 02/2017 की प्रविष्टि क्र. 102 के अंतर्गत करमुक्त मानकर व्यवसाय कर रहे थे।
♦ जीएसटी विभाग द्वारा भी छिलका, खंडा एवं चूरी को करमुक्त मानकर ही जीएसटी ऑडिट आदि की कार्यवाही की जा रही थी।
♦ किन्तु अचानक ही जारी इस सर्कूलर ने उद्योगपतियों एवं व्यवसाईगण के मध्य भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी है।
♦ सर्कूलर की यह परिकल्पना वास्तविकता से पूर्णतः विरूद्ध है, कि यह बाय-प्रोडक्ट्स सीधे पशुओं के आहार के लिये उपयोग में नहीं लिये जाते हैं।
उपरोक्त विषय में मेरी व्यक्तिगत विवेचना निम्ननानुसार है, इस संबंध में मेरा आपसे यह निवेदन है कि छिल्का, खंडा एवं चुरी की करमुक्ति के बारे में अपने कर सलाहकार, चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट, एडव्होकेट से सलाह करके ही कोई निर्णय लेवें।
दलहन से दालों की मिलिंग के दौरान दालो के अलावा तीन प्रकार के बाय-प्रोडक्टस जैसे की छिल्का, खंडा, चूरी निकलते हैं।
छिल्का:- दाल मिलर्स एवं व्यवसाईयों के द्वारा बिक्रीत किये जाने वाला छिल्का अधिसूचना क्रमांक 02/2017 की प्रविष्टी क्रमांक 102 के अंतर्गत हस्क ऑफ पल्सेस के रूप में पूर्णतः करमुक्त है।
खंडा:- दाल (सेपरेटेड पल्सेस) के निर्माण के दौरान जो दालें टूट जाती है या खंडित हो जाती है, उसको सामान्य भाषा में खंडा कहा जाता है, अतः खंडा भी दाल की श्रेणी मे आता है अतः 25 किलो से उपर की पैकिंग वाली सभी दालें ;जिसमें खंडित दालें भी शामिल है | अधिसूचना क्र. 02/2017 की प्रविष्टि क्र. 45 के अंतर्गत दिनांक 28.06.2017 से आज दिनांक तक करमुक्त है।
चुरी या चुन्नी :. चुरी या चुन्नी से तात्पर्य यह है कि दालो के निर्माण के दौरान छिलका एवं खंडा दोनों चक्की में पिस जाने से बारीक होने से एक साथ मिल जाते हैं तथा उन्हें पृथक नहीं किया जा सकता है इन दोनों का मिश्रण चुरी अथवा चुन्नी कहलाता है |
- दलहन दाल चुन्नी भूसी छील्का खंडा इत्यादि कमर्शियल टैक्स एक्ट वेट एक्ट तथा जीएसटी एक्ट के अंतर्गत पिछले 20-25 वर्षों से कर मुक्त की श्रेणी में ही आते हैं |
- 18 जुलाई 2022 के पूर्व सभी प्रकार की अनरजिस्टर्ड ब्रांडेड दालें भी कर मुक्त थी |
- 18 जुलाई 2022 के पश्चात 25 किलो तक की भरती की प्री-पैकेज्ड एवं लेबल्ड दालों पर 5% की दर से कर लगाया गया है तथा 25 किलो से अधिक की भर्ती की दालों पर कर से मुक्ति को बरकरार रखा गया है।
- चुरी अथवा चुन्नी भी सीधे ट्रेडर्स के माध्यम से पशुआहार के रूप में उपयोग में लेने हेतु बेचा जाता रहा है तथा गौशाला में गौशाला के मालिक के द्वारा इसे पशु आहार के रूप में गायों और भैंसों को खिलाया जाता रहा है |
- इस प्रकार यह भी सीधे पशुआहार के रूप मे उपयोग होती है एवं इसे पशु आहार मानकर जीएसटी लागू होने की दिनांक से 3 अगस्त 2022 कर मुक्त मालो के रूप में बेचा जाता रहा है |
- जबकि 3 अगस्त 2022 को अचानक जारी किए गए सर्कुलर में लिखा है कि यह सीधे पशुआहार के रूप मे उपयोग नहीं होती है अतः इन वस्तुओं पर 5% की दर से कर देय होगा |
- यद्यपि सर्कुलर में यह राहत दी गई है कि इन बाय-प्रोडक्ट्स को 1 जुलाई 2017 से कर योग्य नहीं माना जा कर 3 अगस्त 2022 से कर योग्य माना जाएगा |
दाल मीलों के बाय-प्रोडक्ट्स पर करमुक्ति का लाभ लेने हेतु उठाये जाने वाले कदम
- अब दाल मिल मालिक यदि दालों के बाय-प्रोडक्ट पर कर से मुक्ति का लाभ चाहते हैं तो उनके पास अब केवल एक विकल्प शेष रहता है, कि वे अपनी मीलों में इन बाय-प्रोडक्ट की फरदर प्रोसेसिंग हेतु जरूरी मशीनरी स्थापित करते हुए बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेण्डर्ड) शासकीय मानकों के अनुसार बाय-प्रोडक्ट्स शुद्धता एवं न्यूट्रीशन वैल्यू बढ़ाने हेतु आवष्यक इनग्रेडीयंट जैसे कि मिनरल मिक्सचर, केलसाईड पावडर, मोलासिस, प्रोटीन, कैल्शियम, नमक, गुड़ (जेगरी) इत्यादि मिलाकर निर्मित होने वाले कैटल फीड का केटलफीड के रूप में ही विक्रय करें, तभी उन्हें कर से मुक्ति प्राप्त होगी |
- यहां यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि उपरोक्त केटलफीड निर्माण का कार्य वास्तविक रूप से किया जाकर निर्मित होने वाले केटलफीड के सम्बन्ध मे शासकीय लेबोरेट्री से उक्त निर्मित वस्तु के केटलफीड होने के सम्बन्ध मे सर्टिफिकेट प्राप्त कर लेना चाहिए ताकि भविष्य मे निर्मित वस्तु के करमुक्त होने के सम्बन्ध मे प्रमाण प्रस्तुत किया जाकर लिटिगेशन को टाला जा सकें।
Sir,
The circular is constitutionally invalid. Read my detailed Article titled “No Reversal of ITC on Goods Lost during Manufacturing Process: pub. in Tax Guru site on 6.1.2022 based on rule 42 & HC case law of ARS Steels & Alloy International Pvt. Ltd. v. State Tax Officer (2021) 35 J.K.Jain’s GST & VR 12, which covers by-Products also.. For further details, refer magazine (2022) 37 J.K.Jain’s GST & VR, page R-3.
CA Om Prakash Jain s/p J.K.Jain, Jaipur
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