आयकर कानून में हिंदू अभिवाजित परिवार पर एक स्वतंत्र इकाई के रूप में कर निर्धारण होता है आयकर अधिनियम में हिंदू अभिवाजित परिवार को परिभाषित नहीं किया गया है परन्तु इसका अर्थ हिन्दुओ के अभिवाजित परिवार से है हिन्दू लॉ के अनुसार हिंदू अभिवाजित परिवार से आशय उन सभी व्यक्तियों से है जो एक ही पूर्वज के वंशज हो इसमें इनकी पत्नियां तथा अविवाहित पुत्रियां भी शामिल होती है (परन्तु इसमें वह लोग शामिल नहीं है जो परिवार की सम्पत्ति का विभाजन होने पर संयुक्त परिवार से अलग हो गए हो )
एक अविवाहित सहभागी जिसे संयुक्त परिवार की सम्पत्ति के विभाजन पर अपना भाग प्राप्त होता है अभिवाजित परिवार तब तक नहीं बना सकता है जब तक उसका विवाह न हो जाये विवाह के पश्चात् यह सम्पत्ति संयुक्त परिवार की हो जायेगी जिसमें वह तथा उसकी पत्नी सदस्य होंगे
हिन्दू लॉ के अनुसार दो संप्रदाय है
मिताक्षरा संप्रदाय – यह बंगाल और असम को छोड़कर समस्त भारत में लागू होता है इसके अनुसार पुत्र को जन्म लेते ही अपने पिता के पूर्वजो की सम्पत्ति में अधिकार प्राप्त हो जाता है तथा वह कभी भी विभाजन की मांग कर सकता है परन्तु पिता के व्यक्तिगत परिश्रम से प्राप्त सम्पत्ति पिता की ही रहती है तथा ऐसी सम्पत्ति से प्राप्त आय को पिता को अपनी कुल आय में शामिल करना होगा
दायभाग संप्रदाय – यह केवल बंगाल और असम में ही लागू होता है इसके अनुसार पुत्र को पूर्वजो की सम्पत्ति में अपने पिता की मृत्यु के बाद ही अधिकार मिलता है तथा पिता को अपने जीवन काल में पूर्वजो की सम्पत्ति को बेचने दान करने अथवा किसी प्रकार भी हस्तांतरण करने का अधिकार होता है
परिवार का कर्ता – परिवार का सबसे बड़ा पुरुष सदस्य परिवार का कर्ता होता है यदि वह अपना कर्ता बनने का अधिकार छोड़ देता था तो परिवार का कनिष्ठ पुरुष सदस्य कर्ता बन सकता है कर्ता के लिए परिवार के साथ एक ही घर में रहना जरूरी नहीं है बल्कि जरूरी यह है कि वह परिवार के सारे मामलों की देखभाल करता हो
हिंदू अभिवाजित परिवार के सदस्यों को वेतन – हिंदू अभिवाजित परिवार अपने सदस्यों को (कर्ता सहित) वेतन का भुगतान कर सकता है बशर्तें उसने परिवार की आय कमाने के लिये सेवा की हो वरना यह कटौती नहीं दी जाती है कर्ता को परिवार की आय कमाने के लिये कार्य करने के फलस्वरूप दिया गया वेतन स्वीकृत व्यय तभी माना जायेगा जबकि वेतन वास्तविक रूप में दिया गया हो तथा अत्यधिक न हो
पूंजी बनाने का विकल्प – हिंदू अभिवाजित परिवार के लिये पूंजी बनाने का सबसे बेहतर तरीका है कि वसीयत से मिली परिसंपत्तियों को एच.यू.एफ में शामिल कर लिया जाये यदि कोई पुश्तैनी जायदाद बेची जाती है तो उससे मिली रकम को भी एच.यू.एफ को ट्रांसफर किया जा सकता है तथा उपहार लेकर भी हिंदू अभिवाजित परिवार के लिये पूंजी बनाई जा सकती है
हिंदू अभिवाजित परिवार द्वारा निवेश – हिंदू अभिवाजित परिवार को आयकर की धारा 80 C के अंतर्गत किये गए निवेश या भुगतान पर छूट मिलती है जिससे हिंदू अभिवाजित परिवार का कर दायित्व कम किया जा सकता है
पैतृक संपत्ति वाले को लाभ – ऐसे लोग जिनके पास पैतृक संपत्ति है या जिन्हें परिसंपत्तियां वसीयत में या विरासत में मिली हैं, वे हिंदू अभिवाजित परिवार का फायदा उठा सकते हैं
हिंदू अभिवाजित परिवार के सदस्य को परिवार से प्राप्तियां – हिंदू अभिवाजित परिवार के सदस्य को परिवार से जो धनराशि मिलती है वह उसकी कुल आय में शामिल नहीं की जाती है मगर यह राशि परिवार की आय में से ही दी जानी चाहिये
वह आय जो हिंदू अभिवाजित परिवार की आय नहीं मानी जाती है
1 परिवार के किसी सदस्य द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रयत्नों से यदि कोई आय प्राप्त की जाती है तो ऐसी आय उस सदस्य की कुल आय में शामिल की जायेगी
2 पिता के व्यक्तिगत प्रयत्नों से प्राप्त सम्पत्ति पर भी पिता पर व्यक्ति के रूप में कर निर्धारण होगा पिता यदि इस निजी सम्पत्ति को अपने बालिग पुत्र को उपहार में दे दे तो भी वह पुत्र की निजी आय होगी ऐसी आय भी परिवार की आय नहीं मानी जायेगी
3 पति की मृत्यु के बाद पत्नी को एकल स्वामी के रूप में प्राप्त सम्पत्तियों से आय को पत्नी को अपनी कुल आय में शामिल करना होगा तथा ऐसी आय परिवार की आय नहीं मानी जायेगी
4 यदि कोई सदस्य अपना व्यक्तिगत व्यापर करता है तो ऐसे व्यापर की आय पर उस सदस्य पर व्यक्ति के रूप में कर निर्धारण होगा भले ही उसने परिवार के कोष से लोन लेकर व्यापर किया हो
5 यदि हिन्दू अभिवाजित परिवार का कोई सदस्य अपनी निजी सम्पत्ति को परिवार की सम्पत्ति में परिवर्तित कर देता है तो इस परिवर्तित सम्पत्ति से होने वाली आय सदस्य की आय होगी तथा हिंदू अभिवाजित परिवार की आय में इस परिवर्तित सम्पत्ति से होने वाली आय को शामिल नहीं किया जायेगा
6 परिवार के सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत रूप से किसी साझेदारी में व्यापर करने से होने वाली आय परिवार की आय नहीं मानी जायेगी
Thank u Rajul Bhai
Artical is vry good