बजट 2023 -व्यक्तिगत करदाताओं पर प्रस्तावित आयकर प्रावधान – एक विवेचन – सुधीर हालाखंडी की कलम से बजट -2023
बजट – 2023 एक ऐसा बजट है जो कि 2024 में होने वाले आम चुनाव के ठीक एक साल पहले पेश किया जाने वाला बजट है इसलिए करदाताओं पर कोई बोझ डाला जाएगा इसकी तो कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन आम करदाता को यह उम्मीद थी कि उसे कर से कोई राहत मिलेगी. आइये देखें कि उनको किस प्रकार की राहत मिली है और कहाँ-कहाँ निराशा हाथ लगी है. आइये देखें आयकर में हुए मुख्य परिवर्तन क्या है और इन्हें किस तरह से समझा जा सकता है.
Page Contents
- क्या है नयी कर की दरें – धारा 115BAC
- क्या फर्क आयेगा कर की परिवर्तित दरों के कारण
- विकल्प किस तरह से लेना है – धारा 115BAC(6)
- किस तरह 7 लाख रूपये की आय पर कर की राशि शून्य है -धारा 87A
- वर्तमान में 115BCA की स्तिथि क्या है ?
- धारा 44AD और 44ADA में परिवर्तन- टर्नओवर की सीमा बढाई गयी
- MSME यूनिट्स द्वारा बेचे माल या खर्चों के सम्बन्ध में देरी से राहत का उपाय –धारा 43B
- केपिटल गेन की धारा 54 और 54F में छूट की सीमा
क्या है नयी कर की दरें – धारा 115BAC
करदाताओं को राहत देने के लिए आयकर की नई दरें आयकर की धारा 115BAC के तहत घोषित की गई है. आपको याद होगा कि कर की दरों को लेकर अब तक जो वैकल्पिक स्कीम है वह इसी धारा में है लेकिन अब कर की मूल दर को वैकल्पिक बना दिया गया है और कर देयता की इस नयी स्कीम को मूल कर की दर बना दिया गया है.
कर देयता की नयी स्कीम के तहत 7 लाख रूपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा. इस स्कीम के तहत कर की दर भी कम की गई है लेकिन इस स्कीम के तहत बचत, मकान के ऋण की छूट इत्यादि को मिलाते हुए बहुत सारी छूटें हैं जो नहीं मिलती है. लेकिन विशेष तौर पर ध्यान रखें कि अभी तक इस योजना के तहत वेतनभोगी कर्मचारियों को स्टैण्डर्ड डिडक्शन की 50 हजार रूपये की छूट भी नहीं मिलती थी लेकिन अब इस बजट से घटी हुई आयकर की नयी स्कीम में जाने पर भी स्टैण्डर्ड डिडक्शन की 50 हजार रूपये यह छूट मिल जायगी और इस प्रकार वेतनभोगी करदाताओ के लिये यह कुल छूट 7.50 लाख रुपये हो जायेगी.
आइये देखने इस योजना के तहत धारा 115BAC प्रस्तावित कर की दरें क्या है :-
क्रम संख्या | कुल आय | कर की दर | कर की रकम |
1. | 3.00 लाख रूपये तक | शून्य | 0.00 |
2. | 3.00 लाख और एक रूपये से 6.00 लाख रूपये तक | 5 प्रतिशत | 15000.00 |
3. | 6.00 लाख और एक रूपये से 9.00 लाख रूपये तक | 10 प्रतिशत | 30000.00 |
4. | 9.00 लाख और एक रूपये से 12.00 लाख रूपये तक | 15 प्रतिशत | 45000.00 |
5. | 12.00 लाख और एक रूपये से 15.00 लाख रूपये तक | 20 प्रतिशत | 60000.00 |
15 लाख रूपये तक कर की राशि | 150000.00 | ||
6. | 15.00 लाख रूपये से अधिक | 30 प्रतिशत |
TAX DUE
Tax due | 150000.00 |
EC @4% | 6000.00 |
Total | 156000.00 |
इस प्रकार से इस नयी दर के अनुसार 15 लाख रूपये की कुल आय पर कर की रकम 1.56 लाख रूपये होती है.
इस समय अर्थात बजट में प्रस्तावित दरों से पूर्व इस योजना के तहत कर की दर क्या है यह भी देख लें :-
क्रम संख्या | कुल आय | कर की दर | कर की रकम |
1. | 2.50 लाख रूपये तक | शून्य | 0.00 |
2. | 2.50 लाख से 5.00 लाख रूपये तक | 5 प्रतिशत | 12500.00 |
3. | 5.00 लाख और एक रूपये से 7.50 लाख रूपये तक | 10 प्रतिशत | 25000.00 |
4. | 7.50 लाख और एक रूपये से 10.00 लाख रूपये तक | 15 प्रतिशत | 37500.00 |
5. | 10.00 लाख और एक रूपये से 12.50 लाख रूपये तक | 20 प्रतिशत | 50000.00 |
6. | 12.50 लाख और एक रूपये से 15.00 लाख रूपये तक | 25 प्रतिशत | 62500.00 |
15 लाख रूपये की आय पर कर की कुल राशि | 187500.00 | ||
7. | 15.00 लाख रूपये से अधिक | 30 प्रतिशत |
कुल कर की रकम
Tax | 187500.00 |
EC 4% | 7500.00 |
Total | 195000.00 |
आइये देखें कि किसी एक व्यक्त को जिसकी आय 15 लाख रूपये है उसे प्रस्तावित दर और अभी की वर्तमान दर में कर का क्या फर्क होगा उसे भी देख लें:-
क्या फर्क आयेगा कर की परिवर्तित दरों के कारण
Tax Under proposed rate- New Scheme | 195000.00 |
Tax under current rates under New Scheme | 156000.00 |
Difference of Tax | 39000.00 |
और यदि यह वेतन भोगी करदाता है तो उस मामले में इस बार 50 हजार का स्टैण्डर्ड डिडक्शन भी मिलेगा और इस तरह यह लाभ 10400.00 रुपये से और बढ़ जाएगा और इस तरह यह फर्क 49400.00 रुपया हो जाएगा. यह कर जो 1.56 लाख रूपये है वह और भी घटकर 145600.00 हो जाएगा.
आइये अब देखें कि वैकल्पिक कर की दर क्या होगी :-
0 से 2.50 लाख तक | शून्य |
2.50 लाख और एक रूपये से 5.00 लाख रूपये तक | 5 प्रतिशत |
5.00लाख और एक रूपये से 10.00 लाख रूपये तक | 20 प्रतिशत |
10 लाख और एक रूपये से अधिक आय पर | 30 प्रतिशत |
आइये अब देखें कि एक वेतनभोगी करदाता का पुरानी स्कीम में कर क्या बनेगा जब कि वह अपने सभी छूटें भी लें ले.
आय | 1500000.00 |
स्टैण्डर्ड डिडक्शन | 50000.00 |
शेष आय | 1450000.00 |
मकान ऋण पर ब्याज | 200000.00 |
धारा 80C के तहत छूट | 150000.00 |
कुल आय | 1100000.00 |
कर की गणना
2.50 लाख रूपये तक | 0.00 |
2.50 लाख रुपये से 5.00 लाख रूपये तक | 12500.00 |
5.00 लाख रूपये से 10.00 लाख रूपये तक | 100000.00 |
10 लाख रूपये से 11 लाख रूपये तक | 30000.00 |
कुल कर | 142500.00 |
EC 4% | 5700.00 |
कुल कर भुगतान योग्य | 148200.00 |
टैक्स नयी स्कीम के अनुसार | 145600.00 |
यहाँ करदाता को जो कि बचत और निवेश कर सकता है उसे सोचना पडेगा कि उसे किस स्कीम के तहत कर देना है.
विकल्प किस तरह से लेना है – धारा 115BAC(6)
यहाँ ध्यान दें कि कर देने की नयी स्कीम के तहत ही सभी करदाता आयेंगे अर्थात यह एक डिफ़ॉल्ट स्कीम होगी. यह अब तक चल रही प्रणाली से बिलकुल उल्टा है. अब एक सवाल उठता है कि पुरानी स्कीम का विकल्प कैसे लेंगे :-
विकल्प लेने के लिए आपको देखना होगा कि क्या आपके केस में व्यापार से आय है ? यदि व्यापार से आय है तो आप केवल एक बार ही आप पुरानी स्कीम में जा सकते हैं और इसके लिए आपको आयकर रिटर्न भरने की तिथि तक एक फॉर्म भर विकल्प लेना होगा और यदि एक बार आपने पुरानी स्कीम में जाने का विकल्प ले लिया तो फिर यह आने वाले वर्षों में भी लागू होगा और आप इससे केवल किसी आने वाले वर्ष में एक बार बाहर आ सकते हैं लेकिन यदि आप इससे बाहर आ जाते हैं तो फिर उसके बाद कभी भी इस विकल्प का इस्तेमाल नहीं कर पायंगे. लेकिन किसी वर्ष में आपकी व्यापार से आय नहीं है तो फिर से आप इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकेंगे. लेकिन यदि आप की आय में व्यापार से आय नहीं है तो आप प्रत्येक वर्ष ही इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं. |
आइये व्यापार की आय वाले एक करदाता के सम्बन्ध में इस विकल्प लेने वाले प्रावधान को एक उदहारण के द्वारा समझने का प्रयास करें :-
X एक व्यापारिक करदाता है जो कि 31 मार्च 2024 को समाप्त वर्ष के लिए पुरानी कर की दर का विकल्प लेता है तो अब यह विकल्प उसके लिए आने वाले वर्षों में भी लागू रहेगा लेकिन वह चाहे तो इस वर्ष के बाद वाले किसी भी वर्ष में इस विकल्प को त्याग कर नयी कर की दर में आ सकता है लेकिन फिर X को हमेशा नयी स्कीम में ही रहना होगा. लेकिन किसी वर्ष में यदि X की कोई व्यापार या व्यवसाय से आय नहीं है तो फिर उसके लिए सभी विकल्प फिर से खुल जायेंगे. |
किस तरह 7 लाख रूपये की आय पर कर की राशि शून्य है -धारा 87A
नयी स्कीम में 7 लाख रूपये तक कोई कर नहीं है और यही इसकी बहुत बड़ी बात है तो देखिये बजट में ये किस तरह से हुआ है. इसके लिए धारा 87A में परिवर्तन प्रस्तावित है जिसके अनुसार पहले जहां यह छूट उपलब्ध है उसमें दो परिवर्तन इस शर्त पर किये गए हैं कि करदाता 115BAC के तहत नए कर दरों को मान लेता है अर्थात वह पुराने कर की दरों में जाने का विकल्प नहीं लेता है तो जो कुल आय की सीमा 5 लाख रूपये से बढ़ा कर 7 लाख रूपये प्रस्तावित है और इस धारा के तहत कर में छुट की सीमा को 12500.00 रूपये बढ़ा कर 25000.00 कर दिया गया है और 7.00 लाख रूपये पर नयी दरों के आधार पर कर की राशी 25000.00 ही होती है और इस तरह से 7.00 लाख रूपये तक कोई कर नहीं होगा. यह स्कीम आयकर कानून की धारा 115BCA में दी गई है और अब यही कानून के तहत दी गई डिफ़ॉल्ट स्कीम है और यदि किसी करदाता को पुरानी स्कीम में जाना है तो उसे ऊपर बताये गए नियम के अनुसार उसे पुरानी स्कीम में जाना होगा.
वर्तमान में 115BCA की स्तिथि क्या है ?
यह योजना वर्तमान में भी है लेकिन यह कोई बहुत अधिक लोकप्रिय नहीं है और इस बजट में वित्तमंत्री महोदया का पूरा जोर इस स्कीम की और अधिक से अधिक करदाताओं को आकर्षित करने का लग रहा था. अब इस योजना के तहत कर की दर काफी कम की गई है और आय की सीमा को 5 लाख रूपये से बढ़ा कर 7 लाख रूपये कर दिए जाने से इस योजना के प्रति कर दाताओं का रुझान बढेगा लेकिन इसका एक दुष्प्रभाव यह होगा कि करदाताओं की अनिवार्य बचत करने की आदत पर विपरीत प्रभाव पडेगा. इसलिए अब हमें यह मान लेना चाहिए कि सरकार ने बचत को कर से जोड़ने का विचार अब छोड़ दिया है.
इसका फायदा यह होगा कि अब करदाता के हाथ में अधिक पैसा आयेगा और वह अधिक खरीद करेगा तो सरकार को अप्रत्यक्ष कर के रूप में अधिक कर मिलेगा. पुरानी कर दर की स्कीम की और जाने के विकल्प भी खुले रहेंगे लेकिन जिन करदाताओं की व्यापार से आय है उनके लिए यह विकल्प बहुत सीमित होगा और बार- बार नहीं मिलेगा.
यहाँ एक सवाल उठता है कि कर बचाने के लिए किये गए निवेश एक बहुत बड़ी सुरक्षा का आधार थे और हमारे देश में जहां सामाजिक सुरक्षा के मौके कम है वहां इस आधार की बहुत अधिक जरुरत थी लेकिन अब लगता है सरकार की निगाह में इसकी कोई जरुरत नहीं है.
अब किस करदाता को इस नई घोषित कर प्रणाली में जाना होगा या फिर बचत आधारित पुरानी कर प्रणाली में यह उनकी अपनी आय और उस पर बनने वाले कर के आधार तय होगा लेकिन यह तय है कि अब यह घटी हुई दरों की स्कीम पहले से ज्यादा लोकप्रिय होगी.
धारा 44AD और 44ADA में परिवर्तन- टर्नओवर की सीमा बढाई गयी
डिजीटल और बैंकिग ट्रांजेक्शन को और बढ़ावा देने के लिए आयकर की धारा 44AD- व्यापार 44ADA – प्रोफेशन के लिए अनुमानित आय की सीमा के टर्नओवर की लिमिट 2 करोड़ रूपये और 50 लाख रूपये से बढ़ा कर 3 करोड़ रूपये और 75 लाख रूपये किया गया है लेकिन इस बढ़ोतरी का लाभ तभी मिलेगा जब कि करदाता की रोकड़ बिक्री या प्राप्ति कुल टर्नओवर के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं हो. इसका लाभ उन्ही करदाता को मिलेगा जिनकी बिक्री या प्राप्तियां बैंकों के जरिये होती है.
यदि किसी करदाता की रोकड़ में प्राप्तियां 5 प्रतिशत से अधिक है तो फिर 44 AD और 44ADA में पुरानी सीमाएं अर्थात 2 करोड़ रूपये एवं 50 लाख रूपये की सीमा ही लागु होगी.
MSME यूनिट्स द्वारा बेचे माल या खर्चों के सम्बन्ध में देरी से राहत का उपाय –धारा 43B
छोटे उद्योगों ( माइक्रो एवं स्माल ) को प्राप्त होने वाले भुगतान में देरी की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए उन्हें किये जाने वाले भुगतान की छूट खर्चों में तभी ली जा सकेगी जब कि उनको इनके लिए बने कानून के तहत निर्धारित समय अवधि में भुगतान कर दिया जाए अन्यथा ऐसे खर्चों की छूट भुगतान के आधार पर मिलेगी. MSMED कानून 2006 के तहत यदि कोई लिखित अनुबंध हो तो भुगतान अधिकत्तम 45 दिन में किया जा सकता है और यदि कोई अनुबंध भुगतान के सम्बन्ध में नहीं है तो फिर यह भुगतान 15 दिन में हो जाना चाहिए और यदि ऐसा नहीं है तो फिर इसका खर्च तभी मिलेगा जब कि इसका भुगतान कर दिया जाए यानि भुगतान समय पर नहीं होने पर व्यापरिक प्रणाली की जगह रोकड़ प्राणाली के तहत खर्च को आयकर के तहत माना जाएगा.
ध्यान रखें कि इसका प्रावधान धारा 43B में किया गया है लेकिन इस भुगतान के साथ रिटर्न भर देने की तिथि तक भुगतान कर देने का विकल्प या अपवाद नहीं लागु होगा इसलिए यह प्रावधान जहां विक्रेताओं को राहत ला सकता है लेकिन क्रेताओं के लिए यह बड़ी परेशानी का कारण साबित होने वाला है लेकिन कुछ भी हो इससे वितीय अनुशासन तो बढेगा ही.
देखिये इसे एक उदहारण के जरिये समझ लीजिये कि यदि किसी व्यापारी ने माइक्रो या स्माल यूनिट से कोई माल 10 लाख रूपये में 1 फरवरी को खरीदा और उसका भुगतान 31 मार्च तक भी नहीं किया है तो उसे इस 10 लाख रूपये का खर्चा नहीं मिलेगा तो यह उसकी आय में जुड़ जाएगा और फिर इसकी छूट तब मिलेगी जब कि इसका भुगतान कर दिया जाएगा तो अब मान कर चलिए कि इन यूनिट्स को किये जाने वाला भुगतान समय पर करना ही होगा.
अपने विक्रेता को समय पर भुगतान हो यही व्यापार की आदर्श स्तिथि है और MSMED Act 2006 भी यही कहता है लेकिन फिर भी माइक्रो या स्माल यूनिटस को भुगतान की समस्या तो रहती ही है. देखें इस प्रावधान से क्या सुधार होता है.
केपिटल गेन की धारा 54 और 54F में छूट की सीमा
मकान या किसी अन्य संपति (लॉन्ग टर्म ) के बेचे जाने पर केपिटल गेन के सम्बन्ध में छुट लेने के सम्बन्ध में क्रमश: धारा 54 और धारा 54F के तहत छूट पाने के लिए रिहायशी मकान में निवेश की सीमा अब असीमित की जगह 10 करोड़ रूपये तय कर दी गई है और इससे अधिक रकम नयी रिहायशी सम्पति में निवेश होने पर 10 करोड़ रूपये से सम्बंधित छूट ही मिलेगी. इस तरह बड़ी सम्पति की बिक्री पर छूट अब सीमित हो जाएगी लेकिन इस प्रभाव आम करदाता पर इसलिए नहीं पडेगा कि यह रकम बहुत बड़ी है इसलिए इससे प्रभावित करदाता भी कम ही होंगे.
हमने यहाँ आयकर कानून में होने वाले कुछ मुख्य परिवर्तनों को लिया है जो कि सीधे -सीधे व्यक्तिगत करदाताओं को प्रभावित करता है लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है जिसे आगे किसी लेख में शीघ्र ही. आज बस इतना ही.
बजट में प्रत्यक्ष करों और अप्रत्यक्ष करों को लेकर बहुत कुछ हो ऐसा नहीं है लेकिन कोई कर दाताओं पर नया बोझ नहीं डाला गया है यही बहुत राहत की बात है और जो करदाता नयी कर स्कीम में कर देना चाहेंगे उन्हें तो लाभ है ही. यही इस बजट की सबसे बड़ी बात है.