जीएसटी एक्ट के अंतर्गत ई-कॉमर्स के संबंध में क्या व्यवस्था है इसका अनुपालन और 1 अक्टूबर 2023 से होने वाले परिवर्तन के संबंध में समीक्षा
सूचना क्रांति के युग में हम लगातार स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर के माध्यम से देश-विदेश से परिचित हो गए हैं ।और ऐसी स्थिति में व्यापार का रूप भी परिवर्तित हो रहा है। इसमें आज की तारीख में मुख्यत ई-कॉमर्स और ई-कॉमर्स ऑपरेटर अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं ।आज का हमारा विषय जीएसटी एक्ट के अंतर्गत ई-कॉमर्स के संबंध में क्या व्यवस्था है। इसमें हमें इसका अनुपालन कैसे करना है ।और 1 अक्टूबर 2023 से ई-कॉमर्स के बाजार में क्या परिवर्तन किया जा रहा है-
ई-कॉमर्स
सीजीएसटी एक्ट 2017 की धारा 2(44 )में स्पष्ट किया गया है। कि इंटरनेट के माध्यम से यदि किसी वस्तु या सेवा या दोनों का प्रयोग किया जाता है। तो इसे ई-कॉमर्स कहते हैं ।अर्थात इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से वस्तु या सेवा या दोनों की आपूर्ति से है ।
ई-कॉमर्स ऑपरेटर
सीजीएसटी 2017 की धारा 2(45 )में स्पष्ट किया गया है कि ई-कॉमर्स के व्यापार में लगे व्यक्ति को या संस्था या प्रबंध को ई-कॉमर्स ऑपरेटर कहा गया है यह तीन पक्ष के मध्य कार्य करने से संबंधित है
प्रत्येक ई-कॉमर्स लेनदेन में तीन पक्ष शामिल होते हैं
- सप्लायर
- क्रेता
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर
ई-कॉमर्स के लेनदेन के मॉडल
- जहां आपूर्ति कर्ता स्वयं ई-कॉमर्स के माध्यम से वस्तु या सेवा या दोनों की आपूर्ति कर रहा है ।ऐसी बिक्री को हम सामान्य खरीद बिक्री में मानते हैं ।और इसमें कोई अन्य पक्ष शामिल नहीं होता है जिसे हम सरल शब्दों में ई-कॉमर्स ऑपरेटर की कोई भागीदारी नहीं है ।इसलिए इस केस में जीएसटी कानून वही रहेगा जो सामान्य प्रक्रिया में है ।उदाहरण के लिए टाटा/ रिलायंस अपनी वेबसाइट के माध्यम से कई वस्तुओं की आपूर्ति कर रहे है।
- दूसरे मॉडल में सामान्य बिक्री और खरीद का एक नया बाजार प्रगति कर रहा है। जिसमें तीसरे पक्ष की भी भागीदारी शामिल है अर्थात आपूर्ति कर्ता और खरीदार के अतिरिक्त एक तीसरा पक्ष जिसे हमने ई-कॉमर्स ऑपरेटर के रूप में शामिल किया है ।जिसकी भूमिका विक्रेता के बीच संबंध बनाना और खरीददार और विक्रेता के बीच सप्लाई की चेन को जोड़ना है और अन्य आपूर्तिकर्ताओं को एक प्लेटफार्म प्रदान करना है।
उदाहरण के लिए अमेजॉन और फ्लिपकार्ट विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं का माल खरीददारों को सप्लाई चैन के रूप में करना।
ई-कॉमर्स ऑपरेटर के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन
जीएसटी एक्ट के अनुसार ई-कॉमर्स ऑपरेटर को जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्राप्त करना अनिवार्य है ।भले ही उसके द्वारा दी गई सप्लाई का मूल्य कुछ भी हो कोई भी छूट का लाभ नहीं मिलेगा ।विभिन्न सप्लायर से प्राप्त कमीशन राशि पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।
विदेशी ई-कॉमर्स ऑपरेटर के संबंध में जीएसटी रजिस्ट्रेशन
कोई भी ई-कॉमर्स ऑपरेटर जो भारत के सीमा क्षेत्र में भौतिक रूप से उपस्थित नहीं है ।उसे विदेशी ई-कॉमर्स ऑपरेटर कहा गया है। तथा भारत में काम करने के लिए उन्हें एक एजेंट नियुक्त करना होगा। जिसे अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक है ।और प्रत्येक राज्य में रजिस्ट्रेशन करना भी आवश्यक है।
जिन ई-कॉमर्स ऑपरेटर को टीसीएस एकत्रित करना आवश्यक है ।उन्हें अनिवार्य रूप से खुद को रजिस्टर्ड करना होगा और अलग से टीसीएस संग्रह संख्या प्राप्त करनी होगी ।यदि किसी ई-कॉमर्स ऑपरेटर की किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में कोई भौतिक उपस्थित नहीं है ।तो ऐसा ऑपरेटर अपने रजिस्टर्ड में ऑफिस के पते पर रजिस्ट्रेशन का आवेदन कर सकता है।
ई-कॉमर्स के अंतर्गत टीसीएस के कलेक्शन के संबंध में
जब ई-कॉमर्स ऑपरेटर ऑनलाइन मार्केट प्लस के माध्यम से आपूर्ति के शुद्ध मूल्य पर कल 1% जिसमें सीजीएसटी के रूप में 0. 5% और SGST के रूप में 0. 5% टीसीएस कलेक्ट करेगा ।कलेक्ट टीसीएस का भुगतान सरकार को अगले महीने की 10 तारीख या उससे पहले जमा करेगा।
यही टीसीएस आपूर्तिकर्ता के पोर्टल में जीएसटीआर 2a में रिफ्लेक्ट होगा ।जिसे वह स्वीकार करते हुए सप्लायर अपने कैश लेजर में रिपोर्ट करेगा।
ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा जीएसटी रिटर्न
ई-कॉमर्स ऑपरेटर को हर महीने अपनी जीएसटी R 1 और जीएसटी 3b दाखिल करनी होगी ।इसके अलावा ई-कॉमर्स ऑपरेटर को जीएसटी आर 8 नामक एक इलेक्ट्रॉनिक स्टेटमेंट भी जमा करना होगा ।जिसमें पिछले कैलेंडर माह के दौरान टीसीएस के साथ-साथ सप्लायर द्वारा वितरित वस्तु या सेवा या दोनों की आपूर्ति का विवरण शामिल होगा ।जीएसटी आर 8 संबंधित कैलेंडर बनाकर 10 दिन के भीतर जमा करना होगा।
ई-कॉमर्स ऑपरेटर को वित्तीय वर्ष के अंत के बाद 31 दिसंबर तक जीएसटी 9b में वार्षिक विवरण दाखिल करना आवश्यक है ।जिसमें लेनदेन हुआ है। और टीसीएस पर आधारित किया गए कर का विवरण दर्ज होगा।
डिजिटल अर्थव्यवस्था में जीएसटी से संबंधित कुछ परिवर्तन किया जा रहे हैं इसके संबंध में कई अधिसूचनाएं जारी की गई है जो 1 अक्टूबर 2023 से प्रभावित होगी जिसका विवरण निम्नलिखित है
सीबीआई सी ने ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से आपूर्ति करने वाले व्यक्तियों के लिए अनिवार्य जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता को माफ कर दिया है ।इसके संबंध में अधिसूचना संख्या 34/ 2023/ सेंट्रल टैक्स /डेट 31 जुलाई 2023 के द्वारा इस अधिसूचना के अनुसार निम्न शर्तों को जोड़ा गया है
- ऐसा व्यक्ति गुड्स की सप्लाई इंटर स्टेट सप्लाई नहीं करेगा।
- ऐसे व्यक्ति के पास आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत एक स्थाई खाता संख्या होनी आवश्यक है ।अर्थात उसे व्यक्ति के पास PAN होना आवश्यक है
- ऐसा व्यक्ति एक से अधिक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से आपूर्ति नहीं करेंगे।
- ऐसा व्यक्ति ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से सप्लाई करने से पहले सामान्य पोर्टल पर आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत जारी PAN, व्यवसाय के स्थान का पता और स्टेट घोषित करेंगे या केंद्र शासित प्रदेश जिसमें वह व्यक्ति आपूर्ति करना चाहता है। जो जीएसटी पोर्टल पर सत्यापन के अधीन है।
- ऐसे व्यक्तियों को घोषित स्थाई खाता संख्या PAN के सफल सत्यापन पर जीएसटी पोर्टल द्वारा एक एनरोलमेंट नंबर प्रदान किया जाएगा।
- यदि ऐसा व्यक्ति जीएसटी अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन की अनुमति चाहता है । जो एनरोलमेंट संख्या जारी की गई थी ।वह वेध नहीं होगी।
- ऐसे व्यक्ति को किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में एक से अधिक एनरोलमेंट नंबर नहीं दिए जाएंगे।
ई-कॉमर्स ऑपरेटर के द्वारा सप्लाई की जाने वाली आपूर्ति के संबंध में पालन की जाने वाली प्रक्रिया इसके संबंध में अधिसूचना संख्या 36/2023/ सेंट्रल टैक्स /दिनांक 4 अगस्त 2023 द्वारा स्पष्ट किया गया है।
इस अधिसूचना के अनुसार-
- उक्त व्यक्ति के द्वारा ई-कॉमर्स ऑपरेटर किसी भी इंटर स्टेट सप्लाई की अनुमति नहीं देगा।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर धारा 52 की उप धारा 1के अंतर्गत स्रोत पर कर कटौती करेगा और धारा 52 की उप धारा 3 के अंतर्गत सरकार को भुगतान करेगा।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर जीएसटी पोर्टल पर जीएसटी आर 8 में उसे व्यक्ति का विवरण दाखिल करेगा ।जिसकी आपूर्ति उसके द्वारा की गई है
अपंजीकृत व्यक्तियों द्वारा ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से की गई सप्लाई के संबंध में प्रक्रिया अधिसूचना संख्या 37 /2023/ केंद्रीय कर /दिनांक 4 अगस्त 2023 के अंतर्गत
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर अपंजीकृत व्यक्ति की सप्लाई तब तक नहीं करेगा ।जब तक जीएसटी पोर्टल द्वारा उसे एनरोल्ड नहीं किया जाएगा।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर उसे अपंजीकृत व्यक्ति की सप्लाई को इंटर स्टेट नहीं करेगा।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर उसे अपंजीकृत व्यक्ति की सप्लाई पर धारा 52 उप धारा 1 के अंतर्गत स्रोत पर कर कटौती नहीं करेगा।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर उसेअपंजीकृत व्यक्ति की सप्लाई का विवरण जीएसटी R8 में विवरण प्रस्तुत करेगा।
निष्कर्ष आधुनिक भारत में ई-कॉमर्स आधुनिक व्यवसाय का अंग बन गया है ।जिसमें ई-कॉमर्स ऑपरेटर को जीएसटी एक्ट के अंतर्गत जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है ।तथा जीएसटी एक्ट के सभी नियमों को अनुपालन करना अनिवार्य है ।ताकि उन्हें भविष्य में कोई परेशानी ना हो।
यह विचार लेखक के निजी विचार हैं।