जी.एस.टी. में मिसमैच की समस्या
आइये पहले यह समझ लें कि यह मिसमैच की समस्या है क्या जिसको लेकर इस समय वेट डीलर्स पूरे देश में परेशान रहते है और क्या स्वरुप लेगी यह समस्या वाले जी.एस.टी. युग में .
आइये इस समस्या को एक प्रश्न और उसके उदाहरण के द्वारा के समझने का प्रयास करें
वेट में मिसमैच की समस्या
इस समय हमारे राज्य में जो वेट लागू है उसमे मिसमैच एक बहुत ही बड़ी समस्या है और जब हमारा कर निर्धारण हो जाता है तो जो कर हमारे विक्रेता नहीं जमा कराते है या हमें बेचे गए माल की विगत नियमानुसार अपने रिटर्न में नहीं देते है तो यह कर हमारे खाते में मिस मैच आ जाता है और यह कर हमसे ब्याज सहित माँगा जाता है.
– एक वेट डीलर की समस्या
क्या जी.एस.टी. के दौरान भी यह समस्या बनी रहेगी ?
यदि आपके विक्रेता आप को बेचे गए माल पर कर नहीं चुकाते है या इसकी विगत अपने बिक्री के रिटर्न में समुचित रूप से नहीं दिखाते है तो आपको यह मौक़ा मिलेगा कि आप इसमें जब यह आपके खरीद के रिटर्न में अपने आप आये तो आप इसमें संशोधन कर सकते है लेकिन यदि यह संशोधन आपके विक्रेता द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है तो यह एक मिसमैच होगा और इसे आपको एवं आपके विक्रेता को रिटर्न भरने की अंतिम तिथी के बाद सूचित कर दिया जाएगा और जिस माह में आपको सूचित किया जाता है उस माह में इस मिसमैच का निस्तारण नहीं होता है तो यह खरीददार के उस माह से अगले माह कर में जोड़ दिया जाएगा और इसे आपको जमा कराना होगा
वेट और जी.एस.टी. में मिसमैच को लेकर क्या अंतर रहेगा ?
वेट में आपने देखा होगा कि ऑनलाइन मिसमैच आने पर भी आपको बिलों के जरिये , जो कि आपको अपने विक्रेता ने दिए है , मिसमैच को दूर करने का प्रयास वाणिज्य कर विभाग या वेट विभाग द्वारा किया जाता है जिसमे कर–अधिकारी द्वारा वेरिफिकेशन की एक प्रक्रिया भी है . यह प्रक्रिया कर निर्धारण और उसके बाद तक भी चलती रहती है .
इस तरह अब सरकार मिस्मैच को लेकर लंबा इन्तजार करने को तैयार नहीं है. आइये अब समझे कि मिसमैच को लेकर जी.एस.टी. के दौरान प्रक्रिया क्या होगी ?
जिस माह में मिसमैच आयेगा उस माह का रिटर्न भरने की जो अंतिम तिथी है उसके बाद विक्रेता और क्रेता दोनों को यह सूचित किया जाएगा कि उनकी खरीद –बिक्री आपस में नहीं मिल रही है .
लेकिन इसके बाद भी क्रेता को यह क्रेडिट प्रोविजनल तौर पर स्वीकृत कर दी जायेगी और इस प्रकार इसे क्रेता के “इलेक्ट्रोनिक क्रेडिट लेजर” में क्रेडिट कर दी जायेगी जिसे वह इस समय अपने टैक्स के भुगतान में काम ले सकेंगे.
क्रेता द्वारा मांगी गई इनपुट क्रेडिट को विक्रेता द्वारा भरे गए रिटर्न से मिलाया जाएगा और यदि यह पाया कि क्रेता द्वारा चाही गई इनपुट क्रेडिट विक्रेता द्वारा अपने रिटर्न में उनको दिखाई गई क्रेडिट से अधिक है तो यह अंतर दोनों को सूचित कर दिया जाएगा.
क्रेता/प्राप्तकर्ता को यह सूचना FORM GST MIS -1 और विक्रेता /सप्लायर को यह सूचना FORM GST MIS -2 में दी जायेगी .ये फॉर्म जी.एस.टी.एन से सीधे ही क्रेता और विक्रेता को इस पोर्टल पर अपने खाते में नजर आयेंगे.
क्या होगा मिसमैच का ?
जिस माह में यह सूचना क्रेता और विक्रेता को दी जाती है उस माह में यदि यह मिसमैच ठीक नहीं होता है तो उसके अगले माह में इसे क्रेता के आउटपुट टैक्स के साथ जोड़ दिया जायेगा एवं इसकी क्रेडिट क्रेता को पुन: तब ही मिलेगी जब कि विक्रेता इसे अपने रिटर्न में दिखा दे. इस तरह से जब विक्रेता अपने रिटर्न सही करके इनपुट् क्रेडिट देगा तब यह क्रेडिट फिर से आपको मिल जायेगी .
इस समस्या से निपटने के लिए अब आपको क्या करना होगा ?
लेकिन अब आपको माल खरीदते वक्त सतर्क रहना होगा और आपके विक्रेताओं को भी प्रेरित करना होगा कि वे समय पर कर जमा कराएं और रिटर्न सही-सही भरे और इसके साथ ही आप जहाँ विक्रेता है वहाँ आप भी अपने रिटर्न सही – सही भरें ताकि आपके क्रेता किसी परेशानी में नहीं पड़े.
सुधीर हालाखंडी
Youtube:- GST By Sudhir Halakhandi
Dear Sir,
We are manufacturer and having our own w/h at four metro cities to store and sale of goods. Now we having some stock of goods of non salable on which we have paid excise duty. What will be beneficial for us if we brings our material to factory after GST or prior GST. Pl suggest.
Respected Sir,
Mera Qus hai ki JU Mane Excise12.5 % lagakar apni Branch ku other state main F Form per transfer kar diya .
Meri Branch Ki Purchase 0% Tax per hai .Ab Waha per 2 crore ka Stock hai.
ab GST ane per Tax Rate 18 % hoga .mera tu double taxation hu Gaya .
kya main us 2 Crore F Form Transfer ka IN PUT Kaise Use Karu .