आज हमारे बीच जीएसटी के एक बहुत बड़े विशेषज्ञ सीए बिमल जैन हैं जिनसे हम जीएसटी के बारे में और उनके स्वयं के बारे में बात करेंगे . आइये पहले सीए बिमल जैन के बारे में जान लें . सीए बिमल जैन 1994 में चार्टर्ड अकाउंटेंट बने थे और इस संमय उनके पास कम्पनी सेक्रेटरी के साथ –साथ कानून की डिग्री भी है . वे पीएचडी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स की अप्रत्यक्ष कर कानून को लेकर बनाई गई समिती के अध्यक्ष भी है और इसके अतिरिक्त सीए बिमल जैन ने जीएसटी कर कानून पर एक पुस्तक GST and Analysis (With conceptual Procedures) भी लिखी है . इसके अतिरिक्त वे और भी कई औद्योगिक एवं व्यापारिक संस्थाओं से सलाहकार के रूप में जड़ें हैं.
किसी समय में मैंने कहा था सीए बिमल जैन भारत में लगने वाले जीएसटी के पर्याय है और आप में से कई लोग इससे सहमत भी होंगे ना केवल इसलिए कि उनके पास इस विषय का अपार ज्ञान है बल्कि इसलिए कि वे इस ज्ञान को आम करदाता एवं प्रोफेशनल्स तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं. यह कार्य वे जीएसटी अनेक सेमीनार एवं उनके यू ट्यूब चैनल के द्वारा करते हैं.
सीए बिमल जैन ने भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के उस सेमीनार में मुख्य वक्ता के रूप संबोधित किया था जिसके द्वारा भारतीय कंपनी सचिव संस्थान ने “Largest Taxation Lesson” का गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था . भारत के सभी प्रोफेशनल्स के लिए यह एक गौरव का क्षण था . इस सेमीनार में 4500 से अधिक ने भाग लिए था और इससे पूर्व यह रिकॉर्ड जापान के पास था .
आइये जीएसटी गुरु के नाम से भी संबोधित किये जाने वाले सी.ए. बिमल जैन से बात करें.
सुधीर हालाखंडी- सीए बिमल जैन ! सर आपका स्वागत है . आपने जीएसटी के क्षेत्र में बहुत अधिक और सार्थक काम किया है और आपको इस विषय का एक बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता है . आपको इस उपलब्धि के लिए हम सभी की और से हार्दिक बधाई .
सीए बिमल जैन:- यह मेरा सौभाग्य है कि आप ऐसा मानते हैं . आप सभी का ऐसा मानना मेरे लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं और यही मुझे और अधिक काम करने की शक्ति भी प्रदान करता है.
सुधीर हालाखंडी : आप अपनी शिक्षा, स्कूल, कॉलेज और फिर सीए आर्टिकलशिप इत्यादि के बारे में कुछ बताइये .
सीए बिमल जैन: मैंने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई श्री जैन विद्यालय कोलकाता से की है उसके बाद मैंने वाणिज्य विषय में स्नातक सेंट जेविएर्स कॉलेज कोलकाता से किया था. मुझे सी.ए की डिग्री वर्ष 1994 में मिली था . आर्टिकलशिप मैंने H S Jain & Co., Kolkata से की थी. श्री एच .एस. जैन एक बहुत बड़े सी.ए . थे जो ICAI में वर्ष 1950 में रजिस्टर्ड हुए थे .
सुधीर हालाखंडी : बिमल सर , बहुत से प्रोफेशनल्स जीएसटी में आपकी तुलना भारत में इनकम टैक्स के एक बहुत बड़े नाम डॉक्टर गिरीश आहूजा से करते हैं. किस तरह का महसूस करते हैं आप इस तुलना से और क्या होती है आपकी प्रतिक्रया इस पर ?
सीए बिमल जैन: मैं अपने आपको डॉक्टर गिरीश आहूजा से तुलना के योग्य नहीं समझता हूँ लेकिन मुझे पता लगा है कि इस तरह मेरी तुलना होती है तो मुझे ख़ुशी के साथ संतोष भी होता है. डॉक्टर गिरीश आहूजा एक बड़ा व्यक्तित्व हैं और हम सबके गुरु भी हैं.
आप अगर इजाजत दें तो उनके साथ उदयपुर में बिताये कुछ समय में मैंने क्या सीखा ये बताना चाहूंगा .
सुधीर हालाखंडी : हाँ सर. बताइए ……
सीए बिमल जैन: जब मैंने अपने प्रेजेंटेशन देने शुरू ही किये थे उस समय मुझे डॉक्टर गिरीश आहूजा के साथ उदयपुर में रुकने का मौक़ा मिला … मैंने उनसे पूछा … मैं अपने प्रेजेंटेशन बेहतर कैसे बनाऊं और इसमें किस तरह से विशेषज्ञता हासिल करूँ … उन्होंने कहा आप बिना तैयारी के स्वाभाविक तरीके से इस सम्बन्ध में अपनी प्रस्तुती दें और यही तरीका आपको सफलता देगा …. तब से यही तरीका मै अपना रहा हूँ ….. और मेरे साथी प्रोफेशनल्स और श्रोताओं को भी यह तरीका काफी पसंद आ रहा है.
सुधीर हालाखंडी: सही है सर. अब आप भी डॉक्टर आहूजा की तरह ही प्रोफेशनल्स की प्रेरणा के स्त्रोत बनते जा रहें हैं और लोग आपको जीएसटी गुरु भी कहने लगे हैं .
सीए बिमल जैन: धन्यवाद सर … और उन मित्रों को भी जो ऐसा सोचते हैं….. मैं बहुत अधिक अनुग्रहित महसूस कर रहा हूँ . धन्यवाद !
सुधीर हालाखंडी : सीए बिमल जैन ! आप अपने व्यवसायिक जीवन में आप कई बड़ी व्यावसायिक संस्थाओं एवं कम्पनियों के साथ जुड़े हैं. आपका ये व्यवसायिक सफ़र किस तरह की से शुरू हुआ और किस तरह से आप अपने व्यवसायिक सफ़र में इनसे जड़े .
सीए बिमल जैन :मेरी व्यवसायिक यात्रा सन 1994 में प्रारम्भ हुई जब मुझे सीए की डिग्री मिली और उसके साथ ही मैं Hindustan Gas & Industries Ltd (A V Birla Group) से जुडा. उसके बाद वर्ष 1996 में मैंने Hindustan Development Corporation Ltd ( R P Modi Group) में 4 वर्ष काम किया और उसके बाद में कोलकोता से देहली शिफ्ट हो गया और यहाँ मैंने दुबई की एक कंपनी Link Middle East Ltd के Country Head के रूप में 4 साल काम किया और बाद मैं Honda Motor Cycle Ltd में एक साल तक उनके Taxation Head के रूप में काम किया . इसके बाद मैं LG Electronics Ltd में चला गया और वहां All India Head –Taxation के रूप में कार्य किया .
मेरी नौकरी का सफ़र यहीं समाप्त हो गया और उसके बाद मैंने अप्रत्यक्ष कर सलाहकार के रूप अपना का शुरू किया जो कि शुरू से मेरा सपना था और उसके बाद मैं अपने इसी सपने के साथ सांस ले रहा हूँ. सौभाग्य से इसके बाद जीएसटी आया और उसके लिए मैं प्रारम्भ से ही पूरी तरह से तैयार था औउर ईश्वर की कृपा से और मित्रों के स्नेह , शुभकामनाओं और प्रेरणा से मैंने जीएसटी में हमेशा बेहतर से बेहतर किया हैं .
सुधीर हालखंडी: बिमल सर , आप कई ट्रेड एसोशिएशंस एवं चैम्बर्स जिनमें FICCI, ASSOCHAM, and PHD Chamber of Commerce भी शामिल है से भी सक्रिय रुप से जुड़ें हैं और काफी काम कर रहे हैं . आपका ये जुड़ाव किस तरह से शुरू हुआ?
सीए बिमल जैन : मैं इंडस्ट्री बेकग्राउंड से आया हूँ जैसा कि मैंने आपको ऊपर बताया है क्यों कि मैं अपनी पुरानी कम्पनियों , जहां मैं काम करता था, के कारण उनकी समस्याओं से वाकिफ था और दूसरा मैं उनका प्रतिनिधित्व विभिन्न सरकारी क्षेत्रों और चैम्बर्स में करता आया था और इसी कारण से विभिन्न चैम्बर्स एवं एसोशिएशंस जिनमें PHD Chamber, Assocham, FICCI, CII शामिल है ने मुझे अप्रत्यक्ष करों के लिए अपने आप से जोड़ दिया और मैंने भी कोशिश की कि मैं उनका उचित तरीके से प्रतिनिधित्व कर सकूँ. इसी कारण से मैं सरकार में भी इन समस्याओं को उचित तरीके से उठा सकता था जिससे इनका समाधान हो सके.
सुधीर हालाखंडी: सर और भी आपने बहुत सराहनीय काम किया है . बधाई !
सीए बिमल जैन : धन्यवाद ……. मैंने अपने पूरे प्रयास किये हैं.
सुधीर हालाखंडी : बिमल जी , आप एक ऐसे जीएसटी विशेषज्ञ हैं जो कि मुख्य वक्ता के रूप में सबसे अधिक जीएसटी सेमिनारों में शामिल हुए हैं और ऐसा लगातार हुआ है .
सर ! आप अपनी व्यवसायिक व्यस्ताओं के बीच समय कैसे निकाल पाते हैं.
सीए बिमल जैन: एक अच्छा सवाल है और अक्सर प्रोफेशनल्स मुझसे पूछते हैं. देखिये अगर किसी कार्य के प्रति आपका लगाव और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. जीएसटी मेरे लिए जुनून हैं और इसीलिये ये सब स्वावाभिक तरीके से हो जाता है जिससे में मेरा यह जीएसटी के ज्ञान को लोंगो में फैलाने के जुनून और मेरे व्यवसायिक कार्य के बीच अपने आप सामंजस्य बैठ जाता हैं. ये सब मेरे मित्रों का मेरे विश्वास और स्नेह ही है जिनके लिए मैं जीएसटी का ज्ञान पहुँचाने का कार्य करता हूँ और यही मेरे असली हीरो है. इसी से मेरा उत्साह भी लगातार बढ़ता है .
आपको मैं बताता हूँ कि 2017 में मैंने जयपुर में भारतीय कंपनी सस्थान का एक ऐसा जीएसटी सेमीनार मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया था जो कि गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में “Largest Taxation Lesson” रूप में दर्ज किया गया था . यह रिकॉर्ड पहले जापान के पास था .
सुधीर हालाखंडी: ये तो महान उपलब्धि थी सर !! मुझे इस अवसर के बारे में पता था और मैं इसे अपने अगले सवाल में लेने वाला था लेकिन आपने पहले ही बता दिया इसलिए चलिए इससे जुडा मेरा एक और सवाल लेते हैं . उस समय आपके मन में क्या था ? अवसर बहुत बड़ा था तो भावनाएं क्या थी आपकी ?
सीए बिमल जैन : मैंने गर्व महसूस किया!!! आप मान लीजिये जैसे मैं अपने आपको दुनिया के शीर्ष पर महसूस कर रहा था …. गिनीज बुक ऑफ़ वर्ड रिकॉर्ड …….वास्तव में यह संतोषजनक पल था … आपको भी धन्यवाद सर ……..आपने भी हमेशा ही मेरे प्रयासों को मान्यता दी है और सराहा भी है .
सुधीर हालाखंडी: सर यह भारत के सभी प्रोफेशनल्स और उनसे जुडी संस्थाओं के लिए यह एक गोरवान्वित करने वाला क्षण था ….
सीए बिमल जैन : निश्चित रूप से …हमनें यह किया …हमारा भारत यह कर सकता है….ये बिलकुल उसी तरह से था जैसे किसी खेल या प्रतियोगिता में कोई विश्व रिकॉर्ड बनता है.
सुधीर हालाखंडी : बिमल सर आप सभी प्रोफेशनल्स के लिए प्रेरणा के स्रोत रहें है जीएसटी पर आपका बोलना बिलकुल सरल , स्वाभाविक और पूर्ण रूप से नियंत्रित होता है . मेरा पूछना यह है कि कभी तो यह क्षण भी आया था किसी सेमीनार में सब कुछ वैसा नहीं हुआ जैसा आपने सोचा था …… इन क्षणों में आपने क्या किया … और कैसे सम्हाला आपने !!!
सीए बिमल जैन : आपको सच बताऊँ …...ये स्वाभाविक है कि इस तरह के क्षण हरेक की जीवन में आते ही हैं.. ऐसा एक बार मेरे साथ ऐसा हुआ था …… प्रेजेंटेशन ठीक वैसा नहीं हुआ जैसा मैंने प्लान किया था … उस दिन मैं घर आया तो काफी दुखी था ….मेरी पत्नी ने पूछा क्या हुआ ? मैंने उन्हें कारण बताया और आप मानिए उन्होंने जो कहा मुझे ना सिर्फ उसने मुझे आगे के लिए राह सुझा दी बल्कि मजबूत भी बनाया … आपको बताता हूँ उन्होंने क्या कहा ….. सचिन तेंदुलकर भी हर पारी में शतक नहीं बना पाते हैं…… आपने अपने बेहतरीन प्रयास किये होंगे .. जो कि मुझे पता है आपने किये ही है … ध्यान रखिये ये परिस्तिथियाँ आती है आपको भविष्य के लिए और भी बेहतर करने के लिए प्रेरित करने को .. आप इन्हें नकारत्मक ना लें … भविष्य में अपने आपको साबित करने के लिए इन्ही क्षणों को आधार बनायें .
मेरा सन्देश भी सभी दोस्तों के लिए यही है भविष्य में अपने आपको विजेता साबित करने के लिए इन्ही क्षणों को आधार बनाये.
सुधीर हालाखंडी : धन्यवाद शैफाली गिरधरवाल ! बिमल सर के लिए अच्छे सवाल के लिए .
सीए बिमल जैन: अच्छा…ये सवाल शैफाली का था …वो एक अच्छी जीएसटी विशेषज्ञ है और स्ववाभिक वक्ता भी …. मेरी शुभकामनाएँ हैं उन्हें .
सुधीर हालाखंडी : अब सर आपके लिए है मेरा वास्तविक जीएसटी सवाल जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है . जिस तरह से भारत में जीएसटी लगाया गया है और अभी तक चला है क्या आप उससे संतुष्ट है ?
सीए बिमल जैन:जीएसटी भारत में बहुत उत्साह और उम्मीद के साथ लाया गया था और इसका उद्देश्य यह था कि भारत के अप्रत्यक्ष करों के साथ समस्याएं बरसों से जुडी है वे हल हो जायेंगी . जीएसटी लाने के साथ उम्मीद यह थी कि अब भारत की यह कर व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों के मुकाबले बराबर होगी . एक पुराने सिस्टम से नए सिस्टम में आना थोड़ा मुश्किल तो हमेशा ही होता है और यह परिवर्तन प्रारम्भ में थोड़ी अव्यवस्था एवं परेशानी भी लाता है लेकिन यह थोड़े समय के लिए ही होता है और इसका लाभ भविष्य में एक बेहतर व्यवस्था के रुप में मिलता है.
अभी तक का जीएसटी का सफ़र कई कारणों से मुश्किल रहा है . अभी तक जीएसटी कानून में लगातार परिवर्तन होते रहे हैं और जिस तरह से जीएसटी को अब तक स्थिर हो जाना चाहिए वैसे यह हो नहीं पाया है . हम अभी तक भी एक आदर्श जीएसटी पाने के रास्ते में ही हैं.
इस समय तक जीएसटी को लेकर विधीशास्त्र ही पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाया है और ना उसके विभिन्न प्रावधानों के बारे में विस्तार से चर्चा हो पाई है . रिटर्न भरने के साथ अन्य प्रक्रियाएं अभी भी उस तरह से लागू नहीं हो पाई है जिस तरह प्रारम्भ में उनकी कल्पना की गई थी . इन सभी में अभी सतत सुधार की प्रक्रिया ही चल रही है .
इसलिए मैं यह नहीं कह सकता कि मै पूरी तरह से संतुष्ट हूँ पर इसका एक दूसरा पक्ष भी है कि हमारा देश आर्थिक और भोगोलिक रूप से विविधताओं से भरा देश है और करदाता भी इसी तरह बटें हुए है और सरकार को इन सभी का ध्यान रखना होता है जो कि सरकार के लिए एक बहुत ही मुश्किल काम है और हम यदि इस पक्ष को ध्यान में रखें तो जीएसटी का सफ़र भारत में एक हद तक संतोषजनक रहा है .
अब आप इस सम्बन्ध में मेरी राय को इस तरह से समझें कि मैं भारत में जिस तरह से जीएसटी लागू हुआ है उससे मैं पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हूँ लेकिन यदि मैं भारत की करदाताओं की आर्थिक और भोगोलिक रूप से विविधताओं को ध्यान में रखूं तो आप यह समझे कि सरकार के लिए यह मुश्किल काम था कि उन सभी की आवश्यकताओं का बराबर ध्यान रख सके तो फिर मैं कह सकता कि एक दर्जे तक यह सफर संतोषजनक रहा है .
सुधीर हालाखंडी :- सीए बिमल जैन , जीएसटी की प्रक्रियाएं प्रारम्भ से ही काफी सख्त और उलझी हुई रही हैं और करदाता एवं कर सलाहकार दोनों ही इनसे परेशान रहें हैं .
आपकी क्या राय है इस बारे में .
सीए बिमल जैन : निश्चित रूप से जीएसटी की प्रारम्भिक मुश्किल भी थी और असंतोषप्रद भी थी लेकिन इसका कारण यह था कि अधिकांश करदाता इस तकनीकी से उस तरह से बहुत अधिक परिचित नहीं थे जिस प्रकार से उन्हें होना चाहिए. आम करदाता के लिए जीएसटी से जुड़ी ऑनलाइन प्रक्रिया को विशेष रूप से रिटर्न भरने से सम्बंधित थी को अपना लेना या उसका पालन करना आसान नहीं था . एक बार और ध्यान रखें कि हमारे देश में जीएसटी थोड़ी जल्दबाजी में लगाया गया कि करदाताओं और सलाहकारों को इसकी तैयारी का इतना समय भी नहीं मिला कि वे एक पहले से चल रहे सिस्टम से नए सिस्टम में आ सके.
इस सम्बन्ध में हम अभी अभी सीखने की प्रक्रिया में हैं और समय बीतने के साथ इसमें हमें सफलता जरुर मिलेगी और इसके साथ ही जीएसटी एक सरल एवं अच्छी कर प्रणाली बन जाएगा.
सुधीर हालाखंडी : सर, अब कुछ जीएसटी नेटवर्क के बारे में बात कर लें. क्या यह नेटवर्क ही समस्या का मूल कारण है ?
सीए बिमल जैन: हाँ जीएसटी नेटवर्क एक समस्या तो है ही … लेकिन आप यह ध्यान रखे कि वे भी क्या कर सकते हैं जब नियम इतने तेजी से बदले गए हैं. एक सॉफ्टवेर को परिवर्तन के साथ प्रोग्राम बनाने के लिए निश्चित संमय तो जरुरी होता ही है .
देखिये समस्या दोनों तरफ से थी . एक तो सरकार की और से कि नियम बहुत तेजी से और निरंतर बदले …. दूसरा जीएसटी नेटवर्क में हार्डवेयर की समस्या भी थी . इसीलिये अभी जीएसटी कौंसिल की 39 वीं मीटिंग में जीएसटी नेटवर्क की क्षमता को 1.50 लाख डीलर्स से बढ़ा कर 3.00 लाख डीलर्स तक बढाने का फैसला किया गया है . आइये हम कुछ अच्छा होने की उम्मीद करें.
सुधीर हालाखंडी : लेकिन सर आप यह तो मानेंगे कि जो भी समस्या है वह सरकार और सेवा प्रदाता के बीच है लेकिन इसके लिए डीलर्स और प्रोफेशनल को परेशान होना पड़ रहा है और यह तो सही नहीं हैं
सीए बिमल जैन: आप बिलकुल सही कह रहें है ….. सरकार को इस बारे में पहले से सक्रीय होकर योजना बनानी चाहिए थी …मैं सहमत हूँ आपसे लेकिन मेरा जवाब जीएसटी नेटवर्क को लेकर था .
सुधीर हालाखंडी : लेकिन सर आप करदाता के लिए तो जीएसटी नेटवर्क और सरकार दोनों एक ही बात है .
सीए बिमल जैन: हाँ बिलकुल …
सुधीर हालाखंडी : बिमल सर, जीएसटी में लेट फीस को लेकर भी काफी असंतोष है .. आपका क्या विचार है सरकार को इसे डीलर्स को रिफंड कर देना चाहिए .
सीए बिमल जैन : निश्चित रूप से सर . सरकार को उन डीलर्स की लेट फीस माफ़ ही नहीं करनी चाहिए थी जिन्होंने रिटर्न भरे ही नहीं थे जब कि कानून का पालन करने वाले डीलर्स ने तो लेट फीस के साथ रिटर्न भर दिए थे . अब जब सरकार ने रिटर्न नहीं भरने वालों को लेट फीस से छूट दे दी थी तो फिर जिन डीलर्स ने ईमानदारी के साथ लेट फीस का भुगतान करते हुए रिटर्न पहले ही भर दिए उनका कानून के प्रति विश्वास को बनाये रखने के लिए लेट फीस लौटा देनी चाहिए .
सुधीर हालाखंडी: यह भेदभाव तो है ही सर …..
सीए बिमल जैन :- सही है सर … इसीलिये यह जो लेट फीस वसूल की गई है वह लौटा देनी चाहिए .
सुधीर हालाखंडी: सर ऐसे रिवर्स चार्ज के बारे आपका क्या विचार है जिसका कोई वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ता है . एक राय यह भी है कि इसे हटा लेना चाहिए क्यों कि यह डीलर्स पर बेवजह ही प्रक्रियाओं का बोझ बढाता है. आपका क्या विचार है सर ?
सीए बिमल जैन : मैंने भी सुना है कि इस तरह की मांग की जा रही है लेकिन इस बारे में मेरा यह कहना है यह हर रिवर्स चार्ज गैर वित्तीय प्रभाव नहीं रखता है क्यों जहाँ करमुक्त एवं ऐसी सप्लाई जो कि कर योग्य ही नहीं है वहां रिवर्स चार्ज से सरकार को राजस्व प्राप्त होता है अत: इसको पूरी तरह से तब तक हटाना सरकार के लिए मुश्किल है जब तक कि उनके राजस्व प्राप्ति के लक्ष प्राप्त नहीं हो जाते हैं .
सुधीर हालाखंडी : सर मैंने भी कई बार लिखा है कि सरकार को ऐसा रिवर्स चार्ज हटा देना चाहिए जिसका कोई वित्तीय प्रभाव राजस्व पर नहीं पड़ता है .
सीए बिमल जैन : हाँ सर …. मैंने देखा है … और इस बारे में सम्बंधित अधिकारियों से बात भी की है …उनका उत्तर यह है .. मैं उनके उत्तर से संतुष्ट भी हूँ .… जब तक जीएसटी में राजस्व संबंधी लक्ष प्राप्त नहीं हो जाते … इस बारे में कुछ नहीं हो सकता .
सुधीर हालाखंडी : लेकिन जो डीलर्स रिवर्स चार्ज की इनपुट क्रेडिट ले लेते हैं उसमें तो राजस्व का कोई दखल ही नहीं हैं …..
सीए बिमल जैन : जी सर ….लेकिन यहाँ कुछ प्रक्रिया संम्बन्धी परेशानियां है …
सुधीर हालाखंडी :- अच्छा सर ! अब गंभीर सवालों से एक ब्रेक लेते हैं . सर ! कोमल के क्या हाल है ? वो अभी आपके ऑफिस में है या वह आप द्वारा रचित एक काल्पनिक पात्र थी ? कोमल की रोचक कहानी के बारे में कुछ बताइये सर हमारे पाठकों को.
सीए बिमल जैन : कोमल ….. ओह सर ! आपको भी याद है ? लीजिये मैं आपको कोमल के बारे में बताता हूँ …. कोमल अब काफी अच्छा का कर रही है और अब वो जीएसटी की काफी हद तक विशेषज्ञ बन गई है .
यह मेरा बनाया हुआ एक काल्पनिक पात्र था जिसको मैंने जीएसटी की प्रारम्भिक मुसीबतों से लड़ता हुआ अपना एक ऑफिस स्टाफ बताया था ऐसे पात्र उस समय हर ऑफिस में थे और मैंने इस पात्र के माध्यम से अपने सेमीनार में यह बाताया था हमने जीएसटी की प्रारम्भिक अवस्था में हमने जीएसटी और उससे जुडी प्रक्रियाएं को किस प्रकार से सीखा. इस काल्पनिक पात्र कोमल को मैंने कई बार अपने सेमीनार में काम में लिया .
जीएसटी की प्रक्रियाओं में लगे हमारे, आपके और सभी प्रोफेशनल्स के ऑफिस में काम कर रहे कोमल जैसे सहायकों को मैं बधाई देता हूँ कि उन्होंने किस खूबसूरती से जीएसटी की कठिन प्रक्रियाओं को समझा, सीखा और उनका पालन करने में हमारी सहायता की .
सुधीर हालाखंडी : आइये अब फिर से जीएसटी से जुड़े एक गंभीर मुद्दे पर लौटते हैं. राजस्थान में AAR का एक फैसला आया है कंपनी डाइरेक्टर्स के वेतन से जुडा हुआ . मुझे पता है कि आप इससे सहमत नहीं हैं लेकिन कृपया हमारे पाठकों को इस फैसले के बारे में कुछ् बताइये ? यह मुद्दा काफी ताजा है और महत्वपूर्ण भी है .
सीए बिमल जैन : यदि कम्पनी और डाइरेक्टर्स के बीच मालिक और कर्मचारी का सम्बन्ध है और डाइरेक्टर के वेतन पर आयकर की धारा 192 के तहत टी.डी.एस. की कटौती की जा रही है तो इस वेतन पर किसी भी प्रकार से जीएसटी नहीं बनता है.
इसके अतिरिक्त जीएसटी कानून की अधिसूची III की प्रविष्टी संख्या 1 के तहत भी एक कर्मचारी द्वारा अपने नियोक्ता को दी जाने वाली सेवाएं सप्लाई ना तो माल की सप्लाई है ना ही सेवाओं की .
यदि डाइरेक्टर को दिया गया मेहनताना आयकर की धारा 194J के तहत आता है तो इस पर जीएसटी देय होता है लेकिन वह भी रिवर्स चार्ज के रूप में अधिसूचना संख्या 13/2017 (CT-Rates) dated 28-06-2017 के तहत आता है.
इसके अतिरिक्त कोई और सेवा डाइरेक्टर के द्वारा दी जाती है जो कि उसकी डाइरेक्टर के रूप में दी हुई सेवा नहीं है तो उस पर स्वयम डाइरेक्टर को जीएसटी का भुगतान सामान्य जीएसटी कानून के तहत करना है अर्थात यह RCM के तहत नहीं है . इसकी लिए जीएसटी कानून की धारा में दी गई थ्रेशोल्ड लिमिट का भी ध्यान देना होगा.
सुधीर हालाखंडी: जीएसटी की धारा 16(4) और 36(4) में जो प्रावधान दिए हैं वे भी डीलर्स के लिए एक बड़ी समस्या बन चुके है. ये परेशानियां वर्तमान कानून की इन दोनों धाराओं के तहत जो प्रावधान है का परिणाम है. आपके विचार में जीएसटी की प्रक्रियाओं के पालन में अनुशासन लाने के लिए ये प्रावधान जरुरी है या आप सरकार को इन प्रावधानों में कुछ लचीलापन लाने की सलाह देंगे ताकि कर दाताओं की समस्याएँ कुछ कम हो सके.
सीए बिमल जैन : इन दोनों प्रावधानों ने तो जीएसटी को भानुमती का पिटारा बना दिया … कानून बनने से पहले उससे संम्बंधित नियम बनाकर लागू कर दिए गए हैं …..…. जीएसटी को एक सरल और अच्छा कर बनाने की जगह एक मजाक बना दिया ….नियम 36 (4) तो जीएसटी कानून के ही विरुद्ध है …. …सरकार को यह सब करने से पहले रिटर्न फ़ाइल करने का लागू होने एवं जीएसटी कानून की धारा 43A के लागू होने का इन्तजार करना चाहिए था.
आपने अभी कर व्यवस्था में अनुशासन की बात की …. सर मैं इससे सहमत हूँ लेकिन यह अनुशासन चाहिए कानून निर्माताओं के लिए ….
इस सम्बन्ध में आप मेरे आधिकारिक You Tube चेनल पर इस विषय पर मेरा हाल ही में जारी वीडिओ देखिये. इसके अतिरिक्त भी जीएसटी से जुड़े विभिन्न विषयों पर आप मेरे YouTube चेनल पर उपयोगी वीडिओ देख सकते हैं .
सर, जिस तरह से आप जीएसटी पर अच्छा काम कर रहें है …. उसी तरह मैं भी मेरी तरफ से जीएसटी को एक सरल और अच्छा कर बनाने के लिए प्रारम्भ से ही प्रयत्नशील हूँ.
सुधीर हालाखंडी : सर, आप बहुत ही सराहनीय काम कर रहें है और मेरी जानकारी में बहुत से पाठक आपके YouTube चेनल पर लगे जीएसटी विडियो से लाभन्वित हो रहें है . आपका प्रत्येक विडियो अपने आप में जीएसटी से जुडी जानकारी से भरा होता है . आपके ये विडियो जीएसटी सम्बन्धी जानकारी को प्रोफेशनल्स और आम करदाता में तीव्र गति से पहुचाने का एक विश्वसनीय जरिया हैं. आप प्रोफेशनल्स और करदाता के हित में एक बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहें है .
सीए बिमल जैन : धन्यवाद सर. आपके सभी पाठकों से मेरा निवेदन है कि वे इस प्रक्रिया को और भी उपयोगी बनाने के लिए अपनी सुझाव एवं प्रतिक्रया मेरे YouTube चेनल पर अवश्य दें.
सराहना के लिए एक बार फिर से धन्यवाद सर !
सुधीर हालाखंडी- मेरा पाठको से निवेदन हैं कि वे सीए बिमल जैन का YouTube चेनल अवश्य देखें और इसपर अपनी प्रतिक्रिया एवं सुझाव अवश्य दें और इस चेनल को Like और Subcribe भी करें.
सीए बिमल जैन : धन्यवाद सर..
सुधीर हालाखंडी- सीए बिमल जैन सर. आपके साथ यह बातचीत काफी सार्थक रही और इस लम्बी बातचीत के लिए समय देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद !
सीए बिमल जैन :- इस लम्बी और सार्थक बातचीत के लिए इस अनूठे प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई और आपके पाठकों का भी अभिनन्दन !
सुधीर हालाखंडी-: धन्यवाद सर .