जीएसटी अनुपालन करने मे करदाताओं एवं कर विशेषघ्यों दोनों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।जीएसटी कानून एवं जीएसटी पोर्टल मे निरंतर होने वाले बदलावों के साथ सामंजस्य रख पाना बहुत ही मुश्किल है । इस कारण वश कई बार करदाता या कर सलाहकार गलतिया कर बैठते हैं , जिसके कारण करदाताओं को अतिरिक्त कर,ब्याज या पेनाल्टी देना पड़ता है ।
ऐसे ही कुछ आम गलतिया जो अक्सर जीएसटी अनुपालन मे होती है , उसका हम यहाँ जिक्र करेंगे ।
1. कांटैक्ट सूचना सही नहीं देना : कई बार करदाता अपनी ईमेल , मोबाइल नंबर देने के बजाय अपने कर सलाहकार का ईमेल एवं मोबाइल न. दे देते हैं। इस कारण डिपार्टमेंट की सूचना , नोटिस इत्यादि आपको नहीं आकर वह आपके सलाहकार को जाएंगी। अगर सलाहकार ने इस डिजिटल सूचना का संघ्यान नहीं लिया तो आपका नुकसान हो सकता है । अच्छा होंगा की आपकी संपर्क सूचना अपनी ही दे । कर सलाहकारों ने भी इसका ध्यान रखना चाहिए की करदाता का पंजीयन करते समय वे करदाता के ही ईमेल एवं मोबाइल नंबर दे ।
2. व्यापार / उद्योग / सेवा के सभी स्थानों की सूचना नहीं देना : ये प्रायः देखा गया है की करदाता कई बार अपने सभी कार्यालयों , गोदामों , शाखाओं इत्यादि की जानकारी नहीं देते। यह नियमों का तो उलंघन है ही , यहाँ से होने वाले कारोबार को अतिरिक्त कारोबार भी माना जा सकता है । पंजीयन के उपरांत होने वाले कोई भी बदलाव की जानकारी अवगत करना बहुत जरूरी है ।
3. पार्टनर्स /संचालको मे होने वाले बदलाव की जानकारी समय पर नहीं देना : फ़र्मों या कंपनीयों मे पार्टनर्स या संचालकों मे बदलाव हो सकते हैं , जिसकी समय पर जानकारी देना जरूरी है।
4. व्यापार न होने पर जीएसटी रिटर्न नहीं भरना : जीएसटी प्रावधानों के अंतर्गत आपको नील ( nil ) रिटर्न भरना भी जरूरी है । रिटर्न कालावधि मे आपका कुछ भी टर्नओवर नहीं हुआ तो भी आपको रिटर्न भर्ना है। अन्यथा लेट फीस एवं पेनाल्टी भर्ना पड़ेंगा ।
5. गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट ( ITC ) ले लेना : आईटीसी लेने के लिए कुछ नियम है। जैसेकी कर इन्वाइस का होना,माल की डेलीवेरी होना, सप्लाइ करने वाले ने कर का भुगतान करना, समय पररिटर्न भरना इत्यादि। कुछ वस्तुओं पर आईटीसी नहीं ले सकते जैसे की- कार खरीदी, खानेपीने का खर्च , कन्स्ट्रकशन इत्यादि। आईटीसी लेतेसमय आपको इनचीजों का ध्यान रखना होंगा अन्यथा आपको ब्याज सहित कर का भुगतान करना पड़ेंगा ।
6. जीएसटी रिर्वस चार्ज का भुगतान नहीं करना : कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान सेवा लेने वाले या माल खरीदने वाले को रिर्वस चार्ज के अंतर्गत करना होता है-जैसे की गूड्स ट्रांसपोर्ट सेवा , किसानों से रुई खरीदी इत्यादि । आप इसका क्रेडिट लेसकते हैं , इसलिए समय पर भुगतान कर देनेसे आप ब्याज , पेनाल्टी से बच जाएंगे।
7. जीएसटी नंबर कैन्सल करने पर फ़ाइनल रिटर्न (फॉर्म न.10) नहीं भरना : पहले जीएसटी के अंतर्गत २० लाख तक छूट दी गयीथी, वह बादमे माल बिक्री केलिए ४० लाख कर दी गई । इस कारण , या व्यापार बंद करने के कारण जीएसटी नंबर रद्द करना पड़ता है। ऐसी स्थिति मे पंजीयन रद्द करने के पश्चात आपको फ़ाइनल रिटर्न फॉर्म १० मे दाखिल करना होता है । अन्यथा आपको लेट फीस २०० रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देना पड़ेंगा( अधिकतम १००००)।
8. रिटर्न्स मे छूटप्राप्त वस्तुओं / सेवाओं का उल्लेख नहीं करना : रिटर्न्स मे छूट प्राप्त (एकजंपटेड) जैसे की कई तरह के अनाज की बिक्री , गूड्स ट्रांसपोर्ट एजन्सि द्वारा दी गयी सेवा ( जिसपर रिर्वस चार्जलगता हो ) ऐसी सप्लाइ की भी जानकारी देना अनिवार्य है अन्यथा यह माना जाएंगा की आप ने यह जानकारी छुपाई है ।
9. निर्यात सप्लाइ को डोमेस्टिक सप्लाइ मे बता देना : अगर आपने निर्यात बिक्री को घरेलू बिक्री बता दी तो आपको आईटीसी या आईजीएसटी का रिफ़ंड लेने मे दिक्कत हो जाएंगी।
10. साइन बोर्ड/नेम बोर्ड़ पर जीएसटीएन नंबर नहीं लिखना : कई करदाता अपने कार्यालयों,व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बाहर लगे बोर्ड्स पर जीएसटीएन नंबर नहीं लिखते जो की नियमों उलंघन है। इसके अलावा कार्यालय के अंदर पंजीयन सर्टिफिकेट भी दर्शाना जरूरी है।
ये कुछ गलतियाँ है जिस से कि थोड़ी सी सावधानी से बचा जा सकता है , एवं अतिरिक्त कर , ब्याज , लेट फीस एवं पेनाल्टी से होने वाली आर्थिक हानि को भीबचाया जा सकता है।
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GOOD WORK DONE