करमुक्त वस्तुओं पर जीएसटी में कोई कर नहीं लगता है तो फिर सामान्य सोच यह है कि जब कोई कर नहीं तो फिर पेनाल्टी भी नहीं होगी और इसीलिये कर मुक्त वस्तुओं जैसे गेहूं , चावल , जौ , ज्वार , मक्का , बाजरा, दालें , सहित कुछ अन्य कृषि उत्पाद एवं अन्य वस्तुएं जो कि जीएसटी में करमुक्त है , के परिवहन के समय लापरवाही हो जाती है जो कि कभी -कभी मुश्किल का कारण बन सकती है और फिर यह मार्च का महीना है तो वसूली के टारगेट भी रहते हैं इसलिए चेकिंग भी ज्यादा होती है. आप कर मुक्त वस्तुओं के परिवहन के समय भी सतर्क रहें और कानून का पालन करे . कुछ विशेष परिस्तिथियों में ये वस्तुएं करयोग्य है तो वहां तो कानून का पालन हो जाता है लेकिन करमुक्त होने पर भी सावधानियां रखना जरुरी है.
आइये आज इन पर चर्चा करें कि करमुक्त माल के परिवहन के दौरान क्या दस्तावेज साथ होने चाहिए नहीं तो माल करमुक्त होते हुए भी पेनाल्टी लग सकती है और यह भ्रम भी दूर कर लें कि चूँकि माल करमुक्त है इसलिए “जब कर ही नहीं है तो पेनाल्टी” कैसे लगेगी ? ये मान लीजिये कि जीएसटी एक थोड़ा सा अनोखा कानून है इसलिए सावधानी जरुरी है.
सबसे पहले तो यह ध्यान रख लें कि जीएसटी करमुक्त माल के लिए ई – वे बिल की जरुरत नहीं होती है और यदि आप बड़े डीलर हैं और ई – इन्वोसिंग की सीमा में आते हैं करमुक्त माल पर ई -इन्वोसिंग की जरुरत भी नहीं होती है . लेकिन करमुक्त माल के साथ बिल ऑफ सप्लाई साथ होना चाहिए और उसमें भी चाही गयी सूचनाएं पूरी तरह से दर्ज होनी चाहिए .
कर मुक्त माल यदि समुचित बिल ऑफ़ सप्लाई के बिना परिवहन हो रहा है तो फिर उस पर निम्न प्रकार से पेनाल्टी लग सकती है :-
जीएसटी कानून की धारा 129 के अनुसार यदि करमुक्त माल का परिवहन बिना वांछित दस्तावेजों के हो रहा है तो ऐसे माल को सीज किया जा सकता है और यदि डीलर स्वयं पेनाल्टी का भुगतान करने के लिए आगे आता है तो माल की कीमत का 2 प्रतिशत और 25 हजार रूपये दोनों में से जो कम हो की पेनाल्टी लगेगी और माल छोड़ दिया जाएगा .
इसी प्रकार से जब डीलर पेनाल्टी के भुगतान करने के लिए सामने नहीं आता है तो माल की कीमत का 5 प्रतिशत और 25 हजार रूपये दोंनों में से जो भी कम हो की पेनाल्टी लगेगी और यदि पेनाल्टी का भुगतान नहीं होता है तो माल नहीं छोड़ा जाएगा.
यहाँ हम केवल एक ही कर कानून सीजीएसटी की बात कर रहे हैं लेकिन यदि हम एसजीएसटी को जोड़ते हुए बात करें तो यह पेनाल्टी दोहरी हो जाती है .
इसलिए कर मुक्त माल को भी एक स्थान से दुसरे स्थान भेजते समय ध्यान रखें कि बिल ऑफ़ सप्लाई दुरुस्त हो और माल भी उसी के अनुसार हो और ऐसा नहीं होगा तो माल रास्ते में रोका जा सकता है और पेनाल्टी भी लग सकती है . माल रास्ते में रुकना ही अपने आप में एक परेशानी का कारण है और यदि ऐसा होता है और उसके बाद पेनाल्टी भी लगती है तो यह इस समय कम मार्जिन पर हो रहे व्यापार के लिए और भी परेशानी का सबब बन सकता है इसलिए सतर्क रहें , सावधान रहें और कानून का अच्छी तरह से पालन करें.
आइये देखें कि करमुक्त माल एवं वस्तुओं का बिल बनाते समय किन -किन बातों का ध्यान रखें:-
1. करमुक्त माल के लिए टैक्स इनवॉइस नहीं बल्कि बिल ऑफ सप्लाई जारी होगा.
2. बिल ऑफ इनवॉइस पर विक्रेता का नाम , पता , जीएसटी नंबर लिखें होने चाहिए.
3. बिल ऑफ सप्लाई पर बिल नम्बर होने चाहिए.
4. बिल ऑफ सप्लाई पर बिल जारी होने की तारीख होनी चाहिए.
5. बिल ऑफ सप्लाई में क्रेता का नाम , पता एवं यदि जीएसटी में रजिस्टर्ड है तो जीएसटी नम्बर .
6. बिल ऑफ सप्लाई पर माल का एचएसएन कोड (जहां जरुरी है ) होना चहिये.
7. माल का विवरण.
8. माल की कीमत.
9. सप्लायर अथवा उसके अधिकृत प्रतिनिधि के दस्तखत अथवा डिजिटल दस्तखत .