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कैश लेनदेन कम से कम हो और उनकी ज्यादा से ज्यादा रिपोर्टिंग हो, इसके लिए सरकार ने आयकर विभाग के माध्यम से कैश लेनदेन पर लगाम विभिन्न प्रावधानों के अनुपालन से किया है.

फिर भी प्रायः यह देखने में आया है कि कैश का उपयोग व्यापार में धड़ल्ले से किया जा रहा है. इसी लेनदेन को ध्यान में रखते हुए आयकर विभाग द्वारा हाल में ही किए गए सर्च और सर्वे कार्यवाही के आधार पर ३ क्षेत्रों को चिन्हित किया है, जिस पर करदाता को सम्हलकर चलना जरूरी है अन्यथा पड़ सकते हैं लेने के देने.

तो वह तीन क्षेत्र है:

१. हास्पिटल लेनदेन पर नजर:

मरीज जो अस्पताल में इलाज के लिए आता है, उससे ज्यादातर अस्पतालों में बैंकिंग चैनल से कम – कैश में ज्यादातर पेमेंट लिया जाता है. बिल कम के बनाकर अस्पताल ऊपरी पैसे कैश में मरीज से जमा करवा लेता है.

अभी हाल में ही सोनी टीवी के धारावाहिक कथा अनकही में मां अपने बच्चे के इलाज के लिए कैश १.०३ करोड़ रुपए अस्पताल में जमा करती हुई दिखाई गई है.

सच्चाई यही है कि स्वास्थ्य के मामले में व्यक्ति कहीं से भी कैश इंतजाम कर अस्पताल में जमा कराता है और अस्पताल वाले इसका फायदा उठाते हुए भरपूर कैश लेनदेन करते हैं.

अब आयकर विभाग अस्पतालों के लेनदेन पर न केवल बारीकी से नजर रख रहा है बल्कि मरीजों से मिलकर जानकारी एकत्रित कर रहा है कि अस्पताल में कितने पैसे का लेनदेन हुआ और अस्पताल के रिकार्ड में कितना चढ़ा है. इसलिए अब यह आवश्यक है कि सभी अस्पताल कैश लेनदेन में सावधानी बरतें.

२. होटल में स्थित मैरिज हाल या बैनक्युट हाल:

आयकर विभाग के अनुसार मेरिज गार्डन या हाल या बैंक्युट हाल जो लगभग सभी होटलों में स्थित है, वहां रिकॉर्ड में कुछ और चढ़ाया जाता है और कैश लेनदेन के माध्यम से अक्सर ज्यादा होता है.

ऐसे में आयकर अधिकारी ग्राहकों से या खुद ग्राहक बनकर पता लगा रहे हैं कि शादी ब्याह, कांफ्रेंस, समारोह, आदि में जगह किराए पर देने के नाम पर कितना कैश और कितना रिकॉर्ड पर लेनदेन हो रहा है.

सभी व्यक्ति या व्यापार जो समारोह आदि में अपनी जगह किराए पर देते हैं, केटरिंग करते हैं या फिर इवेंट मैनेजमेंट कार्य में संलग्न है, फिलहाल आयकर के रेडार पर है.

३. छोटे शहरों में कैश लेनदेन:

हमारे देश में छोटे शहर बहुत है और यहां पर आज भी डिजिटल लेनदेन के प्रति जागरूकता न केवल कम है बल्कि लोग आनलाइन लेनदेन से फ्राड के कारण डरते भी है.

प्रायः छोटे शहरों में व्यापार कैश में ही होता है और इसलिए अब आयकर विभाग की नजर छोटे शहरों के व्यापारियों पर ज्यादा फोकस्ड रहेगी ताकि कैश लेनदेन के माध्यम से टैक्स चोरी को पकड़ा जा सके.

साफ है छोटे शहरों के व्यापारियों को अब ज्यादा सतर्कता और नियमों के अनुपालन के आधार पर ही व्यवसाय आगे बढ़ाना होगा अन्यथा इस समय वे विभाग की फोकस लिस्ट में हैं.

उपरोक्त ३ क्षेत्र इस समय कैश लेनदेन अत्यधिक होने के कारण आयकर के आंकलन दायरे में सबसे ऊपर है, लेकिन एक ज्वलंत प्रश्न सरकार के समक्ष रखना बहुत जरूरी है कि कैश पर नजर क्यों?

हमारी अर्थव्यवस्था में आज भी ५०% निम्न मध्यम वर्ग या गरीब श्रेणी में आते हैं और इनके लिए कैश लेनदेन आसान होता है. कैश लेनदेन रोकने के लिए अनुपालनों की भरमार होने के कारण व्यापारी कैश को रिकॉर्ड पर नहीं लेता है.

साफ है सरकार सभी लेनदेन के साथ कैश लेनदेन पर नजर रखे तथा डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करें, समझ आता है लेकिन व्यापारी को कैश लेनदेन से न रोकें जिससे वह सारे लेनदेन को रिकॉर्ड पर ला सकें. फिलहाल उपरोक्त ३ क्षेत्रों में काम कर रहे व्यापारी ध्यान रखें इसी में सबकी भलाई है.

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