मेरठ केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर सीजीएसटी आयुक्तलय ने रुपए 1000 करोड़ की आईटीसी की चोरी पकड़ी।
मेरठ सीजीएसटी आयुक्तालय ने फर्जी तरीके से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने वाले सिंडिकेट, जो 232 फर्जी फर्मों के नेटवर्क के जरिये काम को अंजाम देता था, का भंडाफोड़ किया, 3 गिरफ्तार
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति में दिनांक 7 मार्च 2024 को मेरठ सीजीएसटी आयुक्त ने फर्जी तरीके से 1000 करोड रुपए से अधिक के इनपुट टैक्स (आईटीसी) का भंडाफोड़ किया है जिसका सारांश निम्न प्रकार है-
मेरठ स्थित केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) आयुक्तालय मेरठ की कर चोरी रोधी शाखा ने अक्तूबर 2023 में एक ऐसे सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है । जिसने माल की आपूर्ति के लिए 232 फर्जी कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल जारी कर 1,048 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का फर्जी दावा किया था। इन फर्मों के माध्यम से लगभग 5842 करोड़ रुपए मूल्य गुड्स की सप्लाई की गई।
सिंडिकेट द्वारा अपराध की आय रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले पांच बैंक खातों को अस्थायी रूप से अटैच किया गया है।
वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में बताया कि फर्जी कंपनी बनाने और पैसे निकालने के लिए फर्जी चालान बनाने में अपराधी और साजिशकर्ता होने के आरोप में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इन शेल कंपनियों के नाम पर फर्जी बिलों के जरिए आपूर्ति दिखाए गए सामान की कुल कीमत करीब 5,842 करोड़ रुपये है।
सीजीएसटी आयुक्तालय मेरठ ने गहन जांच-पड़ताल विभिन्न विश्लेषणात्मक उपकरणों जैसे ई-वे कॉम्प्रिहेंसिव पोर्टल, अद्वैत (एडवांस एनालिटिक्स इन इनडायरेक्ट टैक्सेशन) और बिजनेस इंटेलिजेंस एंड फ्रॉड एनालिटिक्स (बीआईएफए)E-way Comprehensive Portal, Advait and Business Intelligence and Fraud Analytics (BIFA) के माध्यम से की गई थी।
जांच से पता चला कि इन 232 फर्जी फर्मों का संचालन मास्टरमाइंड प्रवीण कुमार द्वारा किया जाता था, जिसने सभी फर्जी फर्मों के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल किया था। इनमें से 91 कंपनियाँ बनाने और प्रबंधित करने के लिए इस्तेमाल किये गये एक मोबाइल नंबर के अलावा कुमार के कब्जे से 10 और मोबाइल फोन और तीन लैपटॉप जब्त किए गए थे।
जांच के दौरान, यह पता चला कि पूर्ण विकसित मनी चेंजर कंपनियों (एफएफएमसी)‘Full Fledged Money Changer Companies’ (FFMCs) का इस्तेमाल आईटीसी को फर्जी तरीके से पारित करने से पैसे को पार्क/रूट करने के लिए किया गया था। आगे की जांच में दो एफएफएमसी(FFMCs) से लगभग 1,120 करोड़ रुपये की थोक खरीद का पता चला।
हालाँकि, तलाशी के दौरान उक्त विदेशी मुद्रा के आगे निपटान/प्राप्ति का कोई रिकॉर्ड बरामद नहीं हुआ है। चालान जारी करने वाली कोई भी फर्म अस्तित्व में नहीं पाई गई।
हालाँकि, फर्जी चालान के बल पर आईटीसी का लाभ उठाने वाली दो लाभार्थी फर्में मौजूद पाई गईं। इन लाभार्थी फर्मों की आगे की जांच से पता चला कि नकली खरीद को वास्तविक साबित करने के लिए, उन्होंने केवल विदेशी मुद्रा की बिक्री और खरीद में लगी दो विदेशी मुद्रा कंपनियों से संबंधित दो खातों में भुगतान किया, और वस्तुओं/सेवाओं की आपूर्ति में सौदा नहीं किया।
हालाँकि, नकली आईटीसी के विभिन्न लाभार्थियों ने कथित तौर पर अपनी नकली खरीद को सही ठहराने के लिए इन खातों में धन हस्तांतरित किया है। इन फर्जी लेनदेन को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किए गए खाते सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 83 के तहत अस्थायी रूप से अटैच किए गए थे।
सिंडिकेट द्वारा आय को जमा करने के लिए इस्तेमाल किए गए पांच बैंक खातों को अस्थायी रूप से जब्त/प्रतिबंधित किया गया है। फर्जी फर्मों के निर्माण/बिना किसी अंतर्निहित वस्तुओं/सेवाओं की आपूर्ति के फर्जी चालान तैयार करने/विभिन्न लाभार्थियों को फर्जी आईटीसी देने/जीएसटी की चोरी से उत्पन्न लाभ को बरकरार रखने में अपराधी और साजिशकर्ता होने के आरोप में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।आगे की जांच जारी है।
उपरोक्त विषय वित्त मंत्रालय भारत सरकार की प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित हैं।
यह लेखक के निजी विचार है।