Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

आपको याद होगा कि मोदी सरकार-2 ने चुनाव के बाद प्रस्तुत बजट 2019 में एक केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर में बकायेदारों की सुविधा के लिए एक ‘विवाद से विश्वास की ओर’ योजना लागू की गई थी। समाचार यह भी मिला कि सरकार की यह योजना उम्मीद की तुलना में बहुत सफल रही है।

अभी हाल में संसद पटल पर प्रस्तुत बजट, 2020 में आयकर के बकायेदारों के लिए भी ‘विवाद से विश्वास’ की ओर नाम से एक योजना लायी गई है। इस योजना के एक ही मुख्य उद्देश्य दिखायी पड़ा कि सरकार की इच्छा है कि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर विभाग के साथ आयकर विभाग में विवाद समाप्त हो और विभाग की जो धनराशि वाद-विवाद में अटकी हुई है वह आशानुरुप बिना किसी विवाद के साथ ही वाद-विवाद में न्यायालयों में खर्च होने वाले सरकारी धन का अपव्यय रुके और विभाग भी विवादों से बचे।

लेकिन 1 जुलाई 2017 से लागू अप्रत्यक्ष कर प्रणाली ‘जी.एस.टी.’ जिसके तीन वर्ष (2017-18, 2018-19 एवं 2019-20) बीतने जा रहे हैं, विभाग और करदाता के बीच जारी नोटिसों का आदान-प्रदान से यह संकेत मिल रहे हैं कि जीएसटी में सरकार अथवा विभाग ‘विश्वास से विवाद’ की ओर बढ़ रहा है। यह हमारा कथन पढ़ने में सोचने में, अटपटा लग रहा है लेकिन आज यही महसूस होने लग रहा है।

क्योंकि 1 जुलाई 2017 से आज तक जो भी विभाग द्वारा कार्य किये जा रहे हैं अथवा पोर्टल की तकनीकी खामियां दिखायी पड़ रही हैं, वह यहीं संकेत दे रहे हैं कि जब से देश में जीएसटी लागू हुआ है तब से जीएसटीएन पोर्टल में बहुत सी तकनीकी कमियां देखी जा रही हैं, जिसमें हम यही कह सकते हैं कि पोर्टल को अधिनियम की धारा-37, 38 एवं 39 के अनुसार चलना चाहिए। परन्तु दुःखद है कि धारा-37 का तो पालन हो रहा है लेकिन धारा-38 एवं 39 का नहीं।

यह भी सत्य है कि जीएसटी परिषद के साथ वित्त मंत्रालय इन तकनीकी कमियों को मानने को तैयार नहीं थी परन्तु आज ;12 मार्च 2020 कोद्ध समाचार पत्रों के माध्यम से यह ज्ञात हुआ हुआ कि हमारी माननीया वित्त मंत्री जी ने जीएसटीएन पोर्टल कम्पनी इनफोसिस को 17 तकनीकी कमियों को बताया है। लेकिन इन कमियों में मुख्यतः जम्मू- काश्मीर के करदाताओं के भुगतान में होने वाली कमियों, आधार सत्यापन और सर्वर की कैपिसिटी बढ़ाने में अड़चन सम्बन्धित समस्याएं शामिल हैं। अन्य समस्याओं मंे मंत्रालय ने जीएसटीआर-3बी नहीं दाखिल करने वालों को ई-वे बिल निकालने की सुविधा बंद करने का साॅफ्टवेयर उपलब्ध कराने में देरी की बात उठायी, इसके लिए निर्यातकांे को उपलब्ध सूचना उपलब्ध न कराना है, साथ ही 100 करोड़ रुपये वाले व्यापारियों को आॅनलाईन ;साॅफ्टवेयर सेद्धइनवाइस जनरेट करने का मुद्दा। एक बिन्दु और भी है ‘कई अनसुझे या देर से सुलझाए गये’ मुद्दों को उठाया है। लेकिन यहां पर भी परिषद या सरकार ने धारा-38 एवं 39 की ओर कोई इशारा नहीं मिला है। जबकि पिछले 3 वर्षो में इन धाराओं के अन्तर्गत पोर्टल न चलने के कारण ही करदाताओं को सही आई.टी.सी. न मिलना, मिसमैच होना जैसा मूल समस्याएं है, की ओर कोई संकेत नहीं मिल है।

सत्यता इसमें भी है कि आर-2 एवं आर-3 के एक्टिवेट न होने के चलते विभाग लगातार नियम 36(4) एवं धारा-16(4) के नोटिस भेजने लगा है और धारा-50 के नोटिस ‘ग्राॅस एमाउंट’ पर ब्याज के नोटिस भेज रहा है। तो क्या यह ‘विश्वास से विवाद’ की ओर जीएसटी नहीं बढ़ रहा है? या फिर सरकार की यह भी योजना हो सकती है कि पहले विवाद बढ़ने दो फिर जीएसटी में ‘विवाद से विश्वास योजना’ को लागू कर विश्वास पैदा कर लेंगे।

आपको बता दें कि जनवरी माह में ‘कर जानकारी’ और अन्य संगठन ‘एसोसिएशन आॅफ टैक्स पेयर्स एंड प्रोफेशनल्स’ माननीय प्रधान मंत्री एवं वित्तमंत्री जी को पत्र के माध्यम से इन समस्याओं से अवगत करवा चुकी है।

अब बात करें नये रिटर्न फाॅर्मस् की, पोर्टल पर भी नये प्रस्तावित रिटर्न फाॅर्मस् प्रेक्टिस के लिए अपलोड कर दिये गए हैं। जैसा कि जनवरी 2020 से ही यह समाचार मिल रहा है कि जीएसटी परिषद करदाताओं को अपने मासिक एवं त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने के लिए जीएसटीएन पोर्टल पर नये फाॅर्म अपै्रल 2020 से एक्टिवेट करने जा रही है। इस विषय पर ‘कर जानकारी’ के दिसम्बर माह के अंक में विस्तार से प्रक्रिया समझाते हुए एक लेख हमारे संपादक अधिवक्ता संतोष कुमार गुप्ता ;कानपुरद्ध का प्रकाशित भी हुआ था।

जीएसटी परिषद की नये प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। परन्तु मन में एक प्रश्न भी उभर कर आ रहा है। कि इन नये फाॅर्मो की क्या आवश्यकता पड़ गई? जुलाई 2017 से जब देश में जीएसटी लागू हुआ था, उस समय जो फाॅर्म जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2 एवं जीएसटी आर-3बी पोर्टल पर अपलोड करते हुए करदाताओं को अपलोडेट रिटर्न फाॅर्म दाखिल करने के लिए कहा गया था, ‘क्या अब सरकार स्वयं मान रही है कि प्रारम्भिक दौर में जो रिटर्न फाॅर्म जारी किये गये थे, वह उचित नहीं थे?’ जब सरकार ने मान ही लिया तो फिर प्रारम्भ के दौर में अपलोडेट रिटर्न फाॅर्म ठीक नहीं थे तो फिर करदाताओं को एक्ट की धारा-16(4), 62 एवं नियम 36(4) के नोटिस क्यों भेजे जा रहे हैं, और फिर करदाताओं को आई.टी.सी. ब्लाॅक क्यों की जा रही है? जब त्रुटि सरकार की है तो जबावदेही करदाताओं की क्यों? अब बात रही कि नये रिटर्न फाॅर्मस् की तो क्या नये लागू होने वाले रिटर्न फाॅर्म क्या एक्ट की धाराएं-37, 38 एवं 39 के अन्तर्गत ही लागू किये जा रहे हैं?

फिर प्रश्न यह भी उठ रहा है कि जुलाई 2017 से लागू पुराने रिटर्न फाॅर्मस् पर अभी तक कार्य किया और सीखा तो अब पुनः नये रिटर्न फाॅर्मस् पर कार्य करना फिर से सीखना होगा,

इसको सरकार की असफलता ही कहा जाना चाहिए। लेकिन सरकार कभी भी अपनी असफलता नहीं मानती।

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Ads Free tax News and Updates
Sponsored
Search Post by Date
February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728