Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

जैसा आप सभी जानते हैं सरकार ने अंकीयकरण [डिजीटलाईजेशन] पर पूरा जोर लगा [ फोकस ] रखा है उसी का परिणाम है कि आजकल शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी  बैंकिंग लेनदेन काफी होने लग गये हैं। इसलिये बैंकिंग प्रणाली [सिस्टम] में  जितना ज्यादा सुधार होगा वह सभी के हित में रहेगा।

मैं इस रचना [पोष्ट] के माध्यम से एक महत्वपूर्ण छोटे प्रशासनिक प्रकार के सुधार मामले की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ  – जो निश्चित रूप से आम जनता को राहत प्रदान करेगा, अगर इसे लागू किया जाता है तो बैंकिंग क्षेत्र को भी निश्चितरूप से  लाभ होगा।

जैसा आप सभी प्रबुद्ध जानते हैं कि आज से ३८ साल पहले बैंकों में नामांकन की सुविधा नहीं थी। इसलिये उसी समय से शेयरों  वगैरह में निवेश के अलावा बचत खाता हो अथवा आवर्ती या सावधि वगैरह सभी खाते भी अपने विश्वसनीय पारिवारिक सदस्य या साझेदार वगैरह के साथ संयुक्त नाम से रखने की प्रथा चालू हुयी। तब से लेकर आजतक अर्थात इन बीते सालों में  हमने जो अनुभव किये या दूसरे शब्दों में समय-समय पर जो लाभ परिलक्षित हुये उसके चलते ही आज भी हम अपने सहयोगियों को, अपने उत्तराधिकारियों को संयुक्त नाम में ही सभी तरह के निवेश के साथ-साथ बचत खाता, आवर्ती या सावधि वगैरह सभी खाते भी संयुक्त नाम में रखने की सलाह देते हैं।

अब आपके ध्याननार्थ संयुक्त नाम में रखे जाने की परम्परा आज भी  निम्न लाभों के चलते कारगर साबित हो रही है –

१) संयुक्त खाते में जैसा निर्देशित रहता है उसी अनुरूप खाता संचालित होता है इसलिये आप पूरी निश्चिन्तता से रह सकते हैं।

२) साधारणतया संयुक्त खाता में संयुक्त नाम सारे भरोसेमंद वालों के ही होते हैं इसलिये खाता संचालन सुविधापूर्वक होता रहता है।

३) साधारणतया इस तरह के खातों में किसी एक को भी संचालन का पूरा अधिकार निर्देश में लिखा दिया जाता है ताकि जो भी उपलब्ध हो वह उसे संचालित कर लेता है।

४) आजकल अनेक बैंकों में अपनी शाखा के अलावा अन्य शाखा में केवल खाताधारक ही खाता का संचालन कर सकता है।इस हालत में संयुक्त खाता बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो रहा है।

५) इस तरह के खातों में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि किसी कारण से किसी धारक की मृत्यु हो जाय तो भी खाता चालू रखा जा सकता है अर्थात मृत्यु प्रमाणपत्र दे उस धारक का नाम हटवा दिया जाता है।

६) आज-कल संयुक्त नाम से खाता होने के बावजूद सभी खाताधारक मिलकर नामांकन भी अंकित करा रहे हैं।इस तरह से खाता रखने पर भी बहुत ही युक्तिसंगत तर्क हैं जिसे हम नजर अंदाज नहीं कर सकते।

आजकल अनेक कारणों के चलते, उदाहरण के लिये साझेदारी वाले खातों के मामलों में, संयुक्त खाते में खाताधारक अपना क्रम बदलने ( ट्रांसपोजिशन ) के लिये जब बैंकों से आग्रह करते हैं तब उचित दिशा निर्देश के अभाव के साथ-साथ कम्प्यूटर प्रणाली (साफ्टवेयर ) में  सुविधा न होने के कारण  बैंक अधिकारी असमर्थता जता देते हैं। जबकि शेयरों वगैरह में क्रम परिवर्तन की सुविधा उपलब्ध है ।

यह सही है कि आयकर अपने नियमानुसार संयुक्त खातों में प्रथम धारक को ही जिम्मेदार कहिये या उत्तरदायी मानता है। इसलिये संयुक्त खाता धारकों को क्रम-परिवर्तन कराने के पहले इस बिन्दु पर अवश्य सोच लेना उचित रहेगा क्योंकि बैंक भी हमेशा अपने नियमानुसार के अलावा आयकर नियमानुसार पहले नामित जमाकर्ता (पहले धारक के पैन आदि का उल्लेख करते हुए) से जुड़ी जानकारी आईटी अधिकारियों आदि को अग्रेषित करेगा। अतः बैंक हो या आयकर विभाग प्रथम धारक से ही सभी तरह की जानकारी हो या सूचना का आदान-प्रदान करेगा।

मेरा सुझाव है कि बैंक खाता खोलने के फॉर्म में उपयुक्त शब्दों के साथ एक और खंड शामिल करें, जिसमें नामों के क्रम-परिवर्तन के अनुरोध की अनुमति हो ताकि इस मूल आदेश के आधार पर वे भविष्य में संयुक्त खाताधारकों से आने वाले ऐसे अनुरोधों पर विचार कर सकें। साथ-साथ इस तरह के अनुरोध का सम्मान करने के लिये बैंक खाता खोलने के फॉर्म में एक और खण्ड, अपने  वित्तीय सुरक्षा के लिए, संयुक्त आवेदकों से सभी नुकसानों, लागतों, दावों, कार्यों, मांगों, जोखिमों, शुल्कों, खर्चों, क्षति आदि के खिलाफ खुद को हानिरहित रखने के लिए क्रम-परिवर्तन का अनुरोध करने वाले संयुक्त आवेदकों से क्षतिपूर्ति की मांग हेतु जोड़ सकता है और सभी आवेदक व्यक्तिगत तौर पर भी क्षतिपूर्ति के लिये उत्तरदायी होंगे, इसका भी स्पष्ट उल्लेख हो।

उपरोक्त सभी तथ्यों को ध्यान में रख अब निवेदन यही है कि केन्द्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) को सकारात्मक रूख अपनाते हुए क्रम परिवर्तन की सुविधा वाली  प्रक्रिया को तत्काल आधार पर ले, बैंकों को उचित दिशा निर्देश जारी करे।और  दिशा निर्देश में सब तरह के संशोधन की भी गुंजाइश रखे क्योंकि एक बार जब इस क्रम बदलने ( ट्रांसपोजिशन ) प्रक्रिया को प्रणाली [ सिस्टम ] में समावेश कर लिया जाता है, तभी इसके निहितार्थ का अंदाजा लगाया जा सकता है।

आशा करता हूँ आप सभी प्रबुद्ध पाठक स्वयं के हित में इस मामले को सभी स्तरों पर व्यक्तिगत रूप से उठाएंगे साथ ही साथ अपने से सम्बन्धित सभी मंचों पर रखेंगे ताकि उपयुक्त क्रम बदलने ( ट्रांसपोजिशन ) वाली प्रक्रिया से सम्बन्धित  दिशा निर्देश बिना किसी देरी के जारी हो सके।

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Search Post by Date
July 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031