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आयकर कानून, 1961 के अध्याय XVII बी. (यानि धारा 192 से 206 बी.) के अधीन वेतन, ब्याज, ठेका और कमीशन इत्यादि विभिन्न प्रकार के भुगतानों पर टी०डी०एस० काटने के प्रावधान हैं। इस अध्याय में वित्त अधिनियम, 2021 (बजट) के द्वारा बढ़ाई गई नई धारा 194 क्यू. के अनुसार 1 जुलाई, 2021 से कुछ करदाताओं को माल की खरीद पर टी०डी०एस० काटना होगा।  चूँकि यह धारा 1 जुलाई, 2021 से लागू की गई है, इसलिए इस धारा के अधीन 1 जुलाई, 2021 से पहले खरीदे हुए माल पर टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी नहीं है।

टी०डी०एस० किन-2 करदाताओं को काटना होगा

उक्त धारा के अनुसार यदि किसी करदाता की पिछले वित्त वर्ष में व्यापार की कुल बिक्री/प्राप्तियाँ यानि ‘टर्नऑवर’ 10 करोड़ रु० से ज्यादा है तो उसे चालू वित्त वर्ष में माल की खरीद पर टी०डी०एस० काटना होगा।

उदाहरण के लिए यदि किसी करदाता की ‘टर्नऑवर’ वित्त वर्ष 2020-21 (यानि 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021) में 11 करोड़ रु० है तो उसे चालू वित्त वर्ष 2021-22 (यानि 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022) में माल की खरीद पर टी०डी०एस० काटना होगा। यदि किसी करदाता की ‘टर्नऑवर’ वित्त वर्ष 2020-21 में 9 करोड़ रु० है तो उसे वित्त वर्ष 2021-22 में माल की खरीद पर टी०डी०एस० नहीं काटना होगा।

वित्त वर्ष 2020-21 में किसी करदाता की ‘टर्नऑवर’ 10 करोड़ से ज्यादा होने के कारण उसने वित्त वर्ष 2021-22 में इस धारा के अधीन टी०डी०एस० काटा है और यदि वित्त वर्ष 2021-22 में इस करदाता की ‘टर्नऑवर’ 10 करोड़ से कम रहती है तो उसकी आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में इस धारा के अधीन टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी नहीं होगी।

करदाता को कितने रुपये का माल खरीदने पर टी०डी०एस० काटना होगा

किसी भी व्यक्ति, प्रोपराइट्री फर्म, हिन्दू अविभक्त परिवार, पार्टनरशिप फर्म, ‘एल०एल०पी०’, ‘एसोसिएशन ऑफ परसन’ या कंपनी आदि, जो भारत के निवासी हैं, से वित्त वर्ष के दौरान 50 लाख रु० तक का माल खरीदने पर करदाता की टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी नहीं है और वित्त वर्ष के दौरान 50 लाख रु० से ज्यादा का माल खरीदने या माल खरीदने के लिए रुपये एडवांस देने पर 50 लाख रु० से ज्यादा की रकम पर टी०डी०एस० काटना होगा।

उदाहरण के लिए यदि करदाता ने किसी एक व्यक्ति से वित्त वर्ष के दौरान 60 लाख रु० का माल खरीदा है तो 50 लाख रु० से ज्यादा की रकम यानि 10 लाख रु० पर टी०डी०एस० काटना होगा और अगर पूरे वित्त वर्ष के दौरान उस व्यक्ति से कुल 45 लाख रु० का माल खरीदा है तो टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी नहीं बनेगी।

चूँकि यह धारा 1 जुलाई, 2021 से लागू हुई है, इसलिए अगर 30 जून, 2021 तक किसी एक व्यक्ति से 50 लाख रु० से ज्यादा का माल खरीदा है तो उस पर टी०डी०एस० नहीं कटेगा। ऐसी हालत में, चूँकि 50 लाख रु० की सीमा पहले ही पूरी हो चुकी है, इसलिए 1 जुलाई, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक उसी व्यक्ति से होने वाली खरीद की पूरी रकम पर टी०डी०एस० काटना होगा। अगर 30 जून, 2021 तक किसी एक व्यक्ति से 50 लाख रु० से कम की खरीद हुई है तो 1 जुलाई, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक जब तक उसी व्यक्ति से 50 लाख रु० की खरीद पूरी नहीं हो जाती तब तक टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी नहीं बनेगी।

यदि कोई करदाता किसी एक व्यक्ति से वित्त वर्ष 2021-22 में 30 लाख रु० और वित्त वर्ष 2022-23 में 40 लाख रु० का माल खरीदता है और वह दोनों वित्त वर्षों में खरीदे हुए माल का पूरा यानि कुल 70 लाख रु० का भुगतान वित्त वर्ष 2022-23 में करता है तो करदाता की उस व्यक्ति से दोनों वर्षों में खरीदे हुए माल पर टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी नहीं बनेगी।

यदि कोई करदाता किसी एक व्यक्ति से वित्त वर्ष 2021-22 में 30 लाख रु० खरीदता है और वित्त वर्ष 2021-22 में ही माल खरीदने के लिए 40 लाख रु० एडवांस भी देता है जिसके बदले में उसे माल की डिलीवरी वित्त वर्ष 2022-23 में प्राप्त होती है। चूँकि इस करदाता ने वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 70 लाख रु० दिये हैं और पहले 50 लाख रु० के भुगतान पर टी०डी०एस० काटने की आवश्यकता नहीं है, इसलिए करदाता की 20 लाख रु० पर टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी बनेगी।

टी०डी०एस० कब और किस दर से काटना होगा

माल की खरीद का, भुगतान करते समय या बहीखाते में जमाखर्च करते समय, इन दोनों कार्यों में से जो भी कार्य पहले होगा, उस समय 0.1 प्रतिशत की दर (यानि 100 रु० पर 10 पैसे) से टी०डी०एस० काटना होगा।  हमारी राय में जी०एस०टी० सहित माल का जो कुल खरीद मूल्य बनता है, उस पर टी०डी०एस० काटना चाहिये। अगर विक्रेता के पास पैन न० नहीं है या उसका पैन मान्य नहीं रहा है तो टी०डी०एस० 5 प्रतिशत की दर से काटना होगा।

आपको स्मरण ही होगा कि पिछले साल 1 अक्टूबर, 2020 से आयकर कानून, 1961 में धारा 206 सी. (1 एच.) बढ़ाई गई थी जिसके अनुसार बिक्री की रकम प्राप्त करते समय कुछ करदाताओं की टी०सी०एस० वसूल करने की जिम्मेदारी भी बनाई गई थी। उस धारा के दूसरे प्रोविजो के अनुसार माल की जिस खरीद पर क्रेता की टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी है, उस पर विक्रेता की टी०सी०एस० वसूल करने की जिम्मेदारी नहीं है। दूसरे शब्दों में, किसी विक्रेता की धारा 206 सी. (1 एच.) के अधीन टी०सी०एस० वसूल करने की जिम्मेदारी तभी बनेगी जब क्रेता की माल की खरीद पर टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी न बनती हो। इसलिए जिन करदाताओं की धारा 194 क्यू. के अनुसार माल की खरीद पर टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी बनती है, उन्हें टी०डी०एस० अवश्य काटना चाहिए, भले ही विक्रेता ने अपने बिल में टी०सी०एस० पहले से ही लगा रखा हो।

इसके अतिरिक्त 30 जून, 2021 तक खरीदे हुए माल पर क्रेता की टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी तो नहीं है किन्तु विक्रेता अगर 30 जून तक बेचे गये माल की बिक्री रकम 30 जून, 2021 के बाद वसूल करता है तो विक्रेता की धारा 206 सी. (1 एच.) के अधीन टी०सी०एस० वसूल करने की जिम्मेदारी बन सकती है।

काटे गये टी०डी०एस० को कब तक जमा करवाना होगा

धारा 194 क्यू. के अधीन माल की खरीद पर काटे गये टी०डी०एस० को भी ब्याज, कमीशन या ठेके आदि पर काटे गये टी०डी०एस० की तरह ही, जिस माह में टी०डी०एस० काटा गया  है, उससे अगले माह की 7 तारिख तक और मार्च महीने में काटा जाने वाला टी०डी०एस० 30 अप्रैल तक जमा करवाना होगा।

काटे गये टी०डी०एस० की तिमाही स्टेटमैंट/रिटर्न भी भरनी होगी और टी०डी०एस० के सर्टिफिकेट भी निर्धारित समय तक बना कर देने होंगे।

निम्न हालात में माल की खरीद पर टी०डी०एस० काटने की जिम्मेदारी नहीं है

1. आयकर कानून, 1961 की किसी अन्य धारा के अधीन टी०डी०एस० काटा गया है।

2. धारा 206 सी. के अधीन स्क्रेप और लकड़ी आदि पर टी०सी०एस० वसूल किया गया है।

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  • सुनील कुमार गुप्ता, 123 ग्रीन स्कवेयर मार्केट, हिसार

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Author Bio

'टैक्समैन' द्वारा 2004 से लेकर 2013 तक और उसके बाद 2014 से 2017 तक 'लैक्सिस नैक्सिस' द्वारा हर वर्ष प्रकाशित 'आयकर कैसे बचायें' क View Full Profile

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