CBIC द्वारा जारी 17 जुलाई 2022 को जारी FAQs
जीएसटी कौंसिल की 47वीं मीटिंग में जब यह तय किया गया कि पैक्ड अनाज एवं कुछ प्रकार की खाध्य सामग्री पर कर की एक नयी व्यवस्था लागु कर इन्हें जीएसटी कर के दायरे में लाया जाएगा तब से ही लगातार यह मांग उठ रही थी कि सरकार यह स्पष्ट करे कि आखिर वह कर किस प्रकार एवं किस परिस्तिथि में लगाना चाहती है .
आम करदाता के लिए ना तो जीएसटी कौंसिल का फैसले ना ही इसके बाद कर लगाने के लिए जारी अधिसूचना को समझना आसान था इसलिए CBIC ने 17 जुलाई 2022 को इस सम्बन्ध में FAQs जारी किये है जिससे इस सम्बन्ध में स्तिथि काफी स्पष्ट हो गई है. यह कर आज अर्थात 18 2022 जुलाई से लागू हो रहा है और आखिर 17 जुलाई 2022 को इस मामले पर एक FAQ जारी कर दिया गया है जिससे बहुत कुछ साफ़ हो जाता है कि आखिर सरकार कर कहाँ लगना चाहती है और अभी भी ये वस्तुएं किन हालात में कर मुक्त है.
आइए देखें क्या कहतें है ये FAQs आपकी अपनी सरल भाषा में हमने इस सम्बन्ध में पूरी स्तिथि को इन्ही FAQs में दिए हुए सवालों की मदद से समझाने का प्रयास किया है …….. यहाँ दिए गए सभी सवाल और उनके जवाब CBIC द्वारा दिए गए FAQs पर ही आधारित है और उनके साथ ही मुद्दे को समझने के लिए लेखकीय टिप्पणीयाँ भी शामिल है .
एक प्रयास है … आइये आपके सुझाव और टिप्पणियाँ इसमें और भी सुधार करेंगी .
– सुधीर हालाखंडी
मुख्य बातें
1. 25 किलो ग्राम से अधिक की पैकिंग पर जीएसटी नहीं लगेगा अर्थात 25 किलो ग्राम से अधिक की पैकिंग में अनाज इत्यादि अभी भी कर मुक्त रहेंगे.
2. यदि कोई पैक 25 किलो ग्राम से कम है और वह Pre-packed है और Legal Metrology Act, 2009 एवं उसके नियमों के तहत उस पैकेट पर या उस पर लगे लेबल पर एक Declearation देना होता है तो यह पैक कर योग्य है भले ही ऐसा कोई लेबल या डिक्लेरेशन डीलर ने लगाया हो या नहीं लगाया हो .
3. अब करदेयता के लिए ब्रांडेड और बिना ब्रांड का अंतर समाप्त हो गया है और इसकी जगह Packaged एवं Labelled के concept ने ले ली है .
4. यदि एक बड़े पैकेट में 10-10 किलो ग्राम के 10 पैकेट है तो यह वजन 100 किलोग्राम होता है लेकिन एक पैकेट का वजन 10 किलो ग्राम है अत: यह जीएसटी के दायरे में आता है .
5. यदि 25 किलो ग्राम तक के पैक को एक खुदरा व्यापारी कर का भुगतान करके खरीदता है लेकिन खुद उसे खुला बेचता है तो उसके लिए यह कर मुक्त होगा .
आइये अब विस्तार से देखें कि 17 जुलाई 2022 को जारी किये गए CBIC FAQs इस बारे में क्या कहते हैं और इसके साथ ही इसे कुछ अच्छी तरह से समझाने के लिए कुछ लेखकीय टिप्पणियाँ भी है लेकिन मूल आधार इस लेख का है जो कि इन FAQs में दिया गया है :-
1. प्रश्न :- Packaged एवं Labelled वस्तुओं को लेकर जीएसटी कर में 18 जुलाई 2022 से क्या परिवर्तन हो रहा है
उत्तर :- देखिये 18 जुलाई 2022 तक जो वस्तुएं इस परिवर्तन के दायरे में आती है जिनमें गेंहू , चावल , दालें इत्यादि भी शामिल है के सम्बन्ध में कर तब लगता था जब कि यह किसी रजिस्टर्ड ब्रांड के तहत बेचे जाते हो या ऐसी ब्रांड के तहत बेचे जाते हो जिनके अधिकार कानून के तहत उपलब्ध हो अर्थात एक स्पष्ट घोषणा के तहत जिन अधिकारों को समर्पित अथवा surrender नहीं किया है. इसके अलावा ये वस्तुएं करमुक्त थी .
18 जुलाई 2022 से इसमें से ब्रान्डेड का सन्दर्भ हटा लिया गया है और इसकी जगह Pre-packaged and Labelled वस्तुओं पर कर लगाया गया है जिन पर Legal Metrology Act 2009 के प्रावधान लागु होते हैं .
उदाहरण के लिए 18 जुलाई 2022 तक इन वस्तुओं जैसे दालें , अनाज – चावल , गेंहू , आटा इत्यादि पर 5 % की दर से कर लगता था जब कि वे ब्रांडेड हो और एक तय वजन के पैकेट में ( Unit Container ) में बेचे जाते थे लेकिन अब 18 जुलाई 2022 से इन वस्तुओं पर कर तब लगेगा जब कि वे Pre-packaged and Labelled हों और उनपर Legal Metrology Act 2009 के प्रावधान लागू होते हों . इसके अलावा यह प्रावधान दही , लस्सी आदि पर भी लागू होगा.
यह एक परिवर्तन है जिसके तहत इन वसुओं पर कर लगाते समय ब्रांडेड के सन्दर्भ की जगह Pre-packaged and Labelled का सन्दर्भ लिया गया है .
यह जवाब FAQs के सवाल नम्बर 1 में दिया गया है .
2. प्रश्न :- दालें , आटा , अनाज इत्यादि पर Pre-packaged and Labelled की धारणा के तहत जीएसटी कर का दायरा क्या रहेगा ?
उत्तर :-FAQs के सवाल नम्बर 2 में Pre-packaged and Labelled को समझाया गया है .यहाँ Pre-packaged का अर्थ वही होगा जो कि Legal Metrology Act, 2009 की धारा 2 (l) में दिया है . Pre-Packaged Commodity जिस पैकेज में पैक की गई है उस पर या उस पर लगे लेबल पर Legal Metrology Act 2009 और उसके नियमों के तहत Declaration लिखना जरुरी है.
यहाँ हम आगे देखेंगे कि यदि कोई वस्तु पहले से पैक है और उसके पैकेट पर या उस पर लगे लेबल पर Legal Metrology Act, 2009 और उसके तहत बने नियमों के अंतर्गत एक डिक्लेरेशन लिखना है लेकिन बेचने वाले ने उस वस्तु के पैक पर या उस पर लगे लेबल पर यह डिक्लेरेशन नहीं लिखा है तब भी वह वस्तु कर योग्य हो जायेगी .
आइये देखें कि Legal Metrology Act 2009 की धारा 2(1) Pre-packaged Commodity के बारे में क्या कहती है :-
Section 2(1) Pre-packaged Commodity means a commodity which without the purchaser being present is placed in a package of whatever nature, whether sealed or not, so that the product contained therein has a predetermined quantity.
धारा 2(1) प्री-पैकेज्ड वस्तु का अर्थ एक ऐसी वस्तु है, जो बिना क्रेता के मौजूदगी के एक पूर्व निर्धारित मात्रा में एक पैकेट में पैक की जाती है चाहे वह पैकेट सील्ड हो या नहीं.
किसी भी सप्लाई में दो गुण/विशेषताएं होने पर उस पर 18 जुलाई 2022 से जीएसटी लागू हो जाएगा :-
1. यह पहले से पैक्ड है अर्थात prepacked होनी चाहिए एवं
2. इस के साथ Legal Metrology Act 2009 के तहत एक डिक्लेरेशन उसके पैकेट पर या उस पर लगे लेबल पर लगाना जरुरी हो.
इन दोनों शर्तों के पूरे होने पर ही जीएसटी लागू होगा अर्थात यदि सिर्फ एक ही शर्त लागू है तो जीएसटी नहीं होगा . यदि एक वस्तु पहले से पैक्ड है लेकिन Legal Metrology Act 2009 के तहत उस पर घोषणा या Declaration का लेबल लगाने की आवश्यकता नहीं है तो फिर केवल एक ही शर्त पूरी हुई है और इस प्रकार से इस स्तिथि में जीएसटी लागू नहीं होगा .
आइये यहाँ देखें कि Legal Metrology Act 2009 के तहत जो खाद्यान जैसे चावल , गेंहू आते है उन पर यह कानून तभी लागू होता है जब कि pre-packed पैकेट का वजन 25 किलो तक हो अर्थात यदि वजन 25 किलोग्राम से अधिक है तो जीएसटी लागू नहीं होता है.
Legal Metrology Act, 2009 और उसके तहत बनाये गए नियमों के तहत यह डिक्लेरेशन वस्तु के निर्माता, पैकर, निर्माण अथवा पैकिंग की माह एवं वर्ष , वजन और कीमत इत्यादि लिखना होता है .
3. प्रश्न :- Legal Metrology Act 2009 के तहत जो अपवाद दिए हैं उनका इस कर देयता पर क्या असर पडेगा ?
उत्तर :- Legal Metrology rules 2011 3(a) के अनुसार 25 KG या 25 लीटर से अधिक की पैकिंग पर घोषणा या डिक्लेरेशन लगाने का प्रावधान नहीं है अत: इन पैकिंग पर जीएसटी लागू नहीं होगा अर्थात अब भी 25 KG या 25 लीटर से अधिक की पैकिंग करमुक्त होगी. यह कर 25 KG या 25 लीटर तक की पैकिंग पर ही लगेगा .
आइये इसे एक उदाहरण के जरिये समझने का प्रयास करें :-
Pre-packaged आटे का एक पैकेट जो कि 25 किलो ग्राम का है उस पर जीएसटी लगेगा लेकिन 30 किलो ग्राम का पैकेट अभी भी करमुक्त रहेगा.
यहाँ आप यह ध्यान दें कि यहाँ ब्रांडेड और बिना ब्रांड का अंतर अब समाप्त हो गया है इसलिए अब यदि ब्रांडेड आटा 30 किलोग्राम के पैक में है जो 18 जुलाई 2022 से पूर्व करयोग्य था वह भी अब कर मुक्त हो जाएगा .
इस प्रकार से CBIC द्वारा जारी किये गए FAQs में स्पष्ट तौर पर यह बताया गया है कि एक पैकेट जिसमें गेहूं या दालें या आटा है और इसका वजन 25 किलों ग्राम से ज्यादा है तो यह Pre-Packaged एवं Labelled वस्तुओं की श्रेणी में नहीं आयेगे और इस प्रकार से यह अभी भी करमुक्त रहेंगे.
4. प्रश्न :- आइये एक उदहारण के लिए स्तिथि देखें :- एक बड़ा पैकेट है जिसके अन्दर 10 – 10 किलोग्राम के 10 पैकेट है तो क्या इन पर जीएसटी लागू होगा ?
उत्तर:- CBIC द्वारा 17 जुलाई 2017 को जारी FAQs में सवाल नम्बर 4 में यह स्पष्ट किया गया है कि इस प्रकार 10-10 किलो ग्राम के 10 पैकेट को एक बड़े पैकेट में बंद कर दिया जाता है तो भी जीएसटी के दायरे में यह आ जाएगा.
यदि 50 किलोग्राम चावल का एक ही पैकेट है तो उस पर यह कर नहीं लगेगा क्यों कि 25 किलो ग्राम के ऊपर यह कर लागु नहीं होता है .
5. प्रश्न :- यहाँ जीएसटी किस stage या पड़ाव पर लगेगा ? क्या निर्माता से थोक व्यापारी को बेचते समय जीएसटी लगेगा ? क्या थोक व्यापारी से खुदरा व्यापारी को बेचते समय जीएसटी लगेगा ?
उत्तर :- जीएसटी समान्य प्रकिया जो जीएसटी में कर देने की है उसके अनुसार ही लगेगा अर्थात जब निर्माता एक थोक व्यापारी को माल बेचेगा तब भी जीएसटी लगेगा और जब थोक व्यापारी एक खुदरा व्यापारी को माल बेचेगा तब भी जीएसटी लगेगा और इसके बाद जब खुदरा व्यापारी ……. जिस तरह जीएसटी में कर देयता की चैन चलती है उसी तरह से कर देना होगा. हर बिक्री पर खरीद पर चुकाए गए कर का इनपुट जीएसटी के कानून में जिस तरह से मिलता है उसी तरह से मिलेगा.
कम्पोजीशन डीलर्स भी उसी तरह कर देंगे जैसे नियमित रूप से देते है . कर देयता एवं कम्पोजीशन की टर्नओवर की जो सीमा है उसमें भी यह टर्नओवर जैसे जीएसटी के नियमों के अनुसार जुड़ता है वैसे ही जुड़ेगा .
6. प्रश्न :- मान लीजिये एक खुदरा व्यापारी 25 किलोग्राम का एक पैक खरीदता है और उसे खोल कर अलग -अलग वजन कर (Loose) बेचता है क्या उसे कर का भुगतान करना होगा ?
उत्तर :- इसका जवाब FAQs के सवाल नम्बर 6 के जवाब में दिया गया है यदि एक खुदरा व्यापारी इस तरह का एक बार कर योग्य माल खरीद कर Loose बेचता है तो यह Pre-packaged एवं Labelled की श्रेणी में नहीं आता है इस प्रकार इस ख़ुदरा व्यापारी को इस बिक्री पर कर नहीं देना होगा और उसकी यह बिक्री कर मुक्त होगी .
आप सोचिये इससे सरकार के कर पर यही फर्क पडेगा कि उसे ख़ुदरा व्यापारी के मार्जिन पर कर नहीं मिलेगा क्यों कि इसके पहले का कर तो मिल चुका होगा और चूँकि खुदरा व्यापारी की बिक्री यहाँ कर मुक्त होगी तो उसे भी यहाँ इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगी . लेकिन यदि ख़ुदरा व्यापारी यदि कम्पोजीशन डीलर है तो फिर इस बिक्री पर 1% कर कम मिलेगा.
प्रश्न 7 :-यदि इस तरह की सप्लाई यदि Industrial Consumers Industrial Consumers को उपभोग के लिए की गई है तो क्या इस पर भी कर लगेगा ?
उत्तर :- Legal Metrology Act 2009 के प्रभाव से Legal Metrology rules 2011 के रूल 3 (c) के द्वारा इन सप्लाई को बाहर रखा गया है अत: इन पर यह कर नहीं लगेगा .
प्रश्न 8 :- X एक चावल मिल का मालिक है और वह अपना चावल 20 किलो ग्राम की पैकिंग में बेचता है लेकिन वह Legal Metrology Act 2009 के तहत घोषणा – Declaration तब भी नहीं करता है जब कि उसे ऐसा करना उस कानून के तहत जरूरी था . क्या उसे कर देना होगा ?
उत्तर :- हाँ , यदि Legal Metrology Act 2009 कानून के तहत डिक्लेरेशन देना जरुरी है लेकिन विक्रेता ऐसा नहीं करता है तब भी वह इस कर के दायरे में आता है और उसे कर देना होगा .
FAQs के सवाल नम्बर 7 में दिया गया यह जवाब बहुत ही महत्वपूर्ण है और यहाँ आपको Label का महत्त्व भी समझ आ जाएगा जो कि डीलर्स को काफी भ्रम में डाल रहा है .
कोई माल Prepacked है और Legal Metrology Act 2009 के तहत इस माल के पैकेट पर या उस पर लगे लेबल पर एक Declaration जिसमें माल के निर्माता , पैकर , वस्तु का वजन , खुदरा कीमत इत्यादि शामिल है इसी कानून के तहत बनाए नियमों के अनुसार लगाया जाना जरुरी है तो यह Pre-packaged and Labelled हो जायेगा और यदि किसी डीलर ने ऐसा लेबल नहीं लगाया है तब भी उसे जीएसटी तो देना ही होगा.
आइये देखें आखिर Legal Metrology Act 2009 के तहत Label क्या है :-
Section 2(f) of the Legal Metrology Act 2009:- Label means any written , marked , stamped, printed or graphic matter affixed to or appearing upon any Pre-Packaged commodity .
लेबल का अर्थ है कोई भी लिखित, चिह्नित, मुहर लगी, मुद्रित या ग्राफिक सामग्री जो किसी पूर्व-पैकेज्ड वस्तु पर चिपका दी गई है या उस पर दिखाई दे रही हो।
यह तो Label की Legal Metrology Act, 2009 के तहत एक एक परिभाषा है लेकिन इस परिभाषा का जीएसटी कर देयता में कोई महत्त्व नहीं है. इसका जवाब FAQs के 8 नम्बर के सवाल के जवाब में दिया गया है जिसके अनुसार यदि कोई वस्तु पहले से पैक है और उसमें 20 किलोग्राम वजन है लेकिन उसमें Legal Metrology Act, 2009 के तहत डिक्लेरेशन नहीं किया है तब भी जीएसटी का भुगतान करना होगा. इस प्रकार यदि आप लेबल लगाते हैं या नहीं इसका कर देयता से कोई सम्बन्ध नहीं है.
इसे और भी अच्छी तरह से समझना हो तो आप इस FAQs का सवाल नम्बर 2 देखिये और इसके अनुसार इस नए प्रावधान के अनुसार जीएसटी निम्नलिखित दो शर्तों के पूरे होने ही जीएसटी लगेगा :-
1. यदि यह Pre- Packaged है एवं
2. एक Declaration उस पर Legal Metrology Act, 2009 और उसके नियमों के अनुसार लगा होना चाहिए .
यदि कोई माल Pre- Packaged है लेकिन इसके साथ उसके पैकेट पर या उस पर लगे किसी लेबल पर कुछ सूचनाओं के साथ Legal Metrology Act, 2009 और उसके नियमों के अनुसार एक डिक्लेरेशन लगाना जरुरी है तब यह जीएसटी कानून के अनुसार Pre-Packaged and Labelled कहलायेगा और इस पर कर लगेगा चाहे डीलर ने ऐसा कोई डिक्लेरेशन लगाया हो या नहीं.
जीएसटी के करमुक्त नोटिफिकेशन में Pre-packaged and Labelled की एक Defination दी गई है जिसमें Pre-packaged तो Legal Metrology Act, 2009 से लिया गया है लेकिन Label की defination वो नहीं है जो हमने Legal Metrology Act 2009 की धारा 2 (f) से ली थी . आइये देखें हाल ही में जारी Notification No. 7/22 दिनांक 13 जुलाई में Pre-packaged and Labelled की Definition देखें तो इससे पूरी बात स्पष्ट हो जायेगी :-
The Expression Pre-packeged and Labelled means a Pre-packeged commodity as defined in clause (l) of section 2 of the Legal Metrology Act, 2009 (1of 2010) where the packege in which the commodity is Pre-packeged or a label securely affixed thereto is required to bear the declaration under the provision of the Legal Metrology Act 2009 ((1of 2010) and the rules made thereunder.
प्री-पैकेज्ड एंड लेबल्ड का अर्थ है एक प्री-पैकेज्ड कमोडिटी, जैसा कि लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 (2010 का 1) की धारा 2 के क्लॉज (एल) में परिभाषित है, जहां वह पैकेज जिसमें कमोडिटी पहले से पैक की गई है या एक लेबल जो सुरक्षित रूप से चिपका हुआ उस पर Legal Metrology Act, 2009 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधान के तहत घोषणा को लगाना आवश्यक है।
while doing trading of food grains like dhan,wheat, cereal in whole sale manners should Traders has to pay gst
इतने गूढ़ विषय की अपने इतने विस्तार से व्याख्या की है, ये प्रशंसनीय है.
ब्रांडेड के स्थान पर सभी लेबल्ड को कराधान के नेट में लाने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं हो पाया. कुछ प्रकाश डाल पाएं तो कृपा होगी.
धन्यवाद