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वस्तु एंड सेवा कर जिसकी अवधारणा की नीव सबसे पहले सन २००० में अटल बिहारी सरकार के दौरान पड़ी। जब अटल जी ने चर्चा के बाद एक समिति  बनाई जिसका अध्यक्ष पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता को नियुक्त किया गया। समिति का मुख्य उद्देश्य जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए रोडमैप तैयार करना था।

तीन वर्ष पश्चात विजय केलकर के नेतृत्व में टैक्स रिफॉर्म्स पर फाइनेंस मिनिस्ट्री द्वारा गठित टास्क फोर्स ने सन २००३ में जीएसटी को लागू करने की सिफारिश की। इस रिपोर्ट में मौजूदा कर प्रणाली की जटिलताओं और जीएसटी के संभावित लाभों पर प्रकाश डाला गया। लकिन इसको अमली जामा पहनता दिखा सन २००६ मे जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 2006-07 के केंद्रीय बजट में घोषणा की कि अप्रैल 2010 से जीएसटी को लागू करने का लक्ष्य है। तदोपरांत सन २००९ केंद्र सरकार ने जीएसटी के लिए पहली चर्चा पेपर जारी किया, जिसमें इसके संभावित ढांचे और क्रियान्वयन की दिशा में विचार किया गया।

तत्कालीन यूपीए सरकार ने जीएसटी को लागू करने के लिए 115वां संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया, लेकिन राजनीतिक समर्थन की कमी के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो सका। जिसके कारण ये विधयेक अब ठन्डे बस्ते में जाता दिखा पर इसमे तेजी जब आयी जब सन २०१४ में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार सत्ता में आई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को लागू करने को प्राथमिकता दी और इसके लिए व्यापक प्रयास शुरू किए।एनडीए सरकार ने 122वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया। लोकसभा ने इसे मई 2015 में पारित कर दिया, लेकिन राज्यसभा में इसे पारित करने में समय लगा। परन्तु अगस्त 2016 में राज्यसभा ने भी 122वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कर दिया। इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और यह 101वां संविधान संशोधन अधिनियम बना।

सितंबर २०१६ जीएसटी परिषद का गठन किया गया, जिसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों को शामिल किया गया। परिषद का काम था जीएसटी दरें, कर छूट और अन्य संबंधित मुद्दों पर सहमति बनाना।GST कौंसिल में आपसी सहमति बनने के पस्चात मार्च 2017 में, केंद्र और राज्यों ने जीएसटी से संबंधित कानूनों को पारित किया। इनमें केंद्रीय जीएसटी (CGST), एकीकृत जीएसटी (IGST), और राज्य जीएसटी (SGST) कानून शामिल थे।

1 जुलाई २०१७ को आधिकारिक तौर पर, जीएसटी को पूरे देश में लागू किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मध्यरात्रि में संसद के संयुक्त सत्र में इसे लॉन्च किया। तथा इसी के साथ जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के तहत विभिन्न राज्य और केंद्रीय करों का समेकन (Replace) किया गया है। यह समेकन भारतीय कर प्रणाली को सरल और एकीकृत बनाने के उद्देश्य से किया गया था।

GST एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य आधारित कर है जिसे प्रत्येक मूल्य वृद्धि पर लागू किया जाता है। यह 1 जुलाई 2017 को भारतीय सरकार द्वारा विभिन्न उपरोक्त अप्रत्यक्ष करों जैसे वैट, सेवा कर, उत्पाद शुल्क आदि को बदलकर पेश किया गया था।यहां पर जीएसटी के अंतर्गत समाहित किए गए प्रमुख राज्य और केंद्रीय करों का विवरण नीचे दिया गया है:

केंद्रीय कर

1. केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty): वस्तुओं के निर्माण पर लगाए जाने वाला कर।

2. सेवा कर (Service Tax): सेवाओं पर लगाए जाने वाला कर।

3. केंद्रीय बिक्री कर (Central Sales Tax): एक राज्य से दूसरे राज्य में बेची जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।

4. सीवीडी (Countervailing Duty): आयातित वस्तुओं पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के बराबर लगाया जाने वाला कर।

5. एसएडी (Special Additional Duty of Customs): आयातित वस्तुओं पर विशेष अतिरिक्त शुल्क।

6. अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (Additional Excise Duty): विशेष वस्तुओं पर लगाया जाने वाला अतिरिक्त उत्पाद शुल्क।

राज्य कर

1. मूल्य वर्धित कर (Value Added Tax or VAT): राज्य के भीतर बेची जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।

2. बिक्री कर (Sales Tax): राज्य के भीतर बेची जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।

3. मनोरंजन कर (Entertainment Tax): मनोरंजन गतिविधियों पर लगाया जाने वाला कर।

4. ऑक्ट्रोई और चुंगी (Octroi and Entry Tax): राज्य के भीतर वस्तुओं के प्रवेश पर लगाया जाने वाला कर।

5. लक्जरी कर (Luxury Tax): विलासिता वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर।

6. लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी कर (Taxes on Lotteries, Betting, and Gambling): लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी पर लगाए जाने वाला कर।

7. राज्य अधिभार और उपकर (State Surcharges and Cesses): विशेष उद्देश्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा लगाए जाने वाले अधिभार और उपकर।

8. खरीद कर (Purchase Tax): कुछ वस्तुओं की खरीद पर लगाया जाने वाला कर।

जीएसटी को पेश करने के मुख्य कारण हैं:

1. कर संरचना का सरलीकरण (Simplified Tax System): जीएसटी से पहले, भारत में कर संरचना बहुत जटिल थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए कई कर शामिल थे। जीएसटी ने विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एक ही कर में समेकित करके इसे सरल बनाया।

2. करों के पुनरावृत्ति प्रभाव को समाप्त करना (Elimination of Cascading Effect): पिछले सिस्टम के तहत, कर पर कर लगता था, जिससे वस्तुओं और सेवाओं पर समग्र कर बोझ बढ़ जाता था। जीएसटी ने व्यापक इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रणाली प्रदान करके इस पुनरावृत्ति प्रभाव को समाप्त कर दिया।

3. एकीकृत बाजार का निर्माण (Creating a Unified Market): विभिन्न राज्यों के अलग-अलग कर दरें थीं, जिससे देश के भीतर व्यापार में बाधाएँ उत्पन्न होती थीं। जीएसटी ने कर दरों को मानकीकृत करके और राज्य सीमाओं के पार व्यापार को आसान बनाकर एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने का प्रयास किया।

4. अनुपालन बढ़ाना और कर चोरी को कम करना (Increasing Compliance and Reducing Tax Evasion): जीएसटी प्रणाली को एक मजबूत आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से पारदर्शिता और अनुपालन बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिससे कर चोरी की संभावना कम हो सके।

5. सरकार के राजस्व मैं बढ़ोत्तरी: जीएसटी ने कर आधार को विस्तृत किया है और सरकार के कर संग्रह की दक्षता में सुधार किया है।

6. प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार: कर बोझ को कम करके और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके, जीएसटी ने भारतीय वस्तुओं और सेवाओं को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया है।

जीएसटी को पेश करने में सरकार द्वारा सामना की गई समस्याएं

1. राजनीतिक विरोध: विभिन्न राज्य सरकारें प्रारंभ में जीएसटी का समर्थन करने में अनिच्छुक थीं, क्योंकि उन्हें राजकोषीय स्वायत्तता और राजस्व में कमी का डर था। केंद्र सरकार को संभावित राजस्व हानि के लिए राज्यों को मुआवजा देने का आश्वासन देकर व्यापक बातचीत करनी पड़ी।

2. लागू करने में जटिलता: जीएसटी में परिवर्तन के लिए मौजूदा कर संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता थी, जिसमें अधिकारियों को प्रशिक्षित करना, आईटी सिस्टम को उन्नत करना और व्यवसायों को शिक्षित करना शामिल था।

3. सार्वजनिक प्रतिरोध और भ्रम: व्यवसायों और आम जनता को नई कर संरचना, दरों और अनुपालन आवश्यकताओं के बारे में भ्रम का सामना करना पड़ा। सरकार को व्यापक जागरूकता अभियानों और समर्थन तंत्रों में निवेश करना पड़ा।

4. दर समायोजन और वर्गीकरण: विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए उचित जीएसटी दरें निर्धारित करना और सटीक वर्गीकरण सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती थी। इसके लिए लागू करने के बाद भी निरंतर समायोजन और स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी।

जीएसटी के अंतर्गत नहीं आने वाली वस्तुएं

जीएसटी की व्यापक प्रकृति के बावजूद, कुछ वस्तुओं को इसके दायरे से बाहर रखा गया है:

1. पेट्रोलियम उत्पाद: कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और विमानन टरबाइन ईंधन जीएसटी के अंतर्गत नहीं आते। इन वस्तुओं पर केंद्र और राज्य सरकारें अलग से कर लगाती हैं।

2. मानव उपभोग के लिए शराब: मानव उपभोग के लिए शराब को जीएसटी से बाहर रखा गया है और इसे राज्य सरकारें कर लगाती हैं।

3. बिजली: बिजली और बिजली से संबंधित सेवाएं जीएसटी के तहत शामिल नहीं हैं।

4. रियल एस्टेट (आंशिक रूप से): जबकि निर्माणाधीन संपत्ति की बिक्री पर जीएसटी लागू होता है, पूर्ण और तैयार-टू-मूव-इन संपत्तियों की बिक्री पर जीएसटी नहीं लागू होता है।

GST (वस्तु एवं सेवा कर) को भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

1. विभिन्न अप्रत्यक्ष करों का समेकन

जीएसटी ने कई अप्रत्यक्ष करों को एक कर के अंतर्गत समाहित कर दिया है, जैसे:

  • केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कर: केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, और विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क।
  • राज्य सरकार द्वारा लगाए गए कर: वैट/सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, प्रवेश कर, चुंगी, और खरीद कर।

यह समेकन कर प्रणाली को सरल और अधिक प्रभावी बनाता है।

2. करों का कैस्केडिंग प्रभाव समाप्त

पुरानी कर प्रणाली में “कर पर कर” का प्रभाव था, जो वस्तुओं और सेवाओं की लागत को बढ़ाता था। जीएसटी ने इस कैस्केडिंग प्रभाव को समाप्त कर दिया, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में कमी आई।

3. एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण

जीएसटी ने एकीकृत और एक समान बाजार का निर्माण किया है, जिसमें राज्य सीमाओं के पार व्यापार करने में आसानी हो गई है। इससे व्यापार और वाणिज्य को प्रोत्साहन मिला है और देश की आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है।

4. विभिन्न कर दरों का मानकीकरण

जीएसटी ने पूरे देश में कर दरों को मानकीकृत कर दिया है, जिससे व्यापारियों और उद्यमियों के लिए कर दरों को समझना और अनुपालन करना आसान हो गया है।

5. कर चोरी और कर अपवंचना में कमी

जीएसटी की मजबूत आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रणाली ने कर चोरी और कर अपवंचना को कम किया है। इससे सरकार के कर संग्रह में वृद्धि हुई है।

6. सरल और पारदर्शी कराधान प्रणाली

जीएसटी ने कराधान प्रणाली को सरल और पारदर्शी बना दिया है। कर अनुपालन में सुधार हुआ है और करदाताओं के लिए कर अदायगी की प्रक्रिया अधिक आसान हो गई है।

7. छोटे और मध्यम उद्यमों को लाभ

जीएसटी की संरचना छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए फायदेमंद साबित हुई है। इससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हुई है और वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

8. सरल अनुपालन और रिटर्न फाइलिंग

जीएसटी ने कर अनुपालन और रिटर्न फाइलिंग को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरल बना दिया है। इससे व्यवसायों के लिए समय और लागत की बचत होती है।

जीएसटी के बाद का अप्रत्यक्ष कर संग्रह

जीएसटी लागू होने के बाद से, भारतीय सरकार के लिए राजस्व संग्रह में पारदर्शिता और समेकन आया है। यहाँ कुछ सालों के संग्रहण आंकड़े दिए गए हैं:

जीएसटी के बाद का अप्रत्यक्ष कर संग्रह
क्रमांक वित्तीय वर्ष जीएसटी संग्रह
1 2017-18 लगभग 7.41 लाख करोड़ रुपये
2 2018-19 11.77 लाख करोड़ रुपये
3 2019-20 लगभग 12.22 लाख करोड़ रुपये
4 2020-21 लगभग 11.37 लाख करोड़ रुपये
5 2021-22 लगभग 14.83 लाख करोड़ रुपये
6 2012-23 लगभग 18.1 लाख करोड़ रुपये
7 2023-24 लगभग 20.18 लाख करोड़ रुपये

निष्कर्ष

भारत में जीएसटी की शुरुआत देश की कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका उद्देश्य एक एकीकृत और कुशल बाजार का निर्माण करना है। इसके कार्यान्वयन में प्रारंभिक चुनौतियों के बावजूद, जीएसटी ने कई लाभ लाए हैं, जिनमें सरल कर संरचना, कर चोरी में कमी, और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार शामिल हैं। हालांकि, कुछ वस्तुएं अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं और उन पर केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग कर लगाती हैं।

जीएसटी के तहत विभिन्न राज्य और केंद्रीय करों का समेकन करने से भारतीय कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और एकीकृत बनाया गया है। इससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ हुआ है, क्योंकि इससे कर अनुपालन की प्रक्रिया सरल हो गई है और करों के कैस्केडिंग प्रभाव को समाप्त कर दिया गया है। जीएसटी ने पूरे देश में एक समान कर प्रणाली लागू करके भारत को एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार में बदल दिया है।

जीएसटी को भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा कर सुधार इसलिए माना जाता है क्योंकि इसने कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाया है, जिससे व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिला है और सरकार के कर संग्रह में वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप, जीएसटी ने देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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