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जैसा कि आप सभी को ज्ञात है। कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए ASMT 10 जारी किए जा रहे हैं ।तथा जिसमें मुख्य विषय जीएसटीR 3b और 2a का मिसमैच होना है ।इस विषय में आज हम एक चर्चा प्रस्तुत कर रहे हैं। कि जीएसटी विभाग द्वारा जारी सर्कुलर संख्या 193 /05/2023/GST/ 17.07.2023 किस रूप में वित्तीय वर्ष 2019-20 में लागू होगा।

इस सर्कुलर को जारी करने से पूर्व झारखंड उच्च न्यायालय ने जीएसटी विभाग से यह सवाल किया थाI कि जब वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए सर्कुलर संख्या 183 /15/2022/GST 27.12.2022 जारी किया जा सकता है। तो अगले वर्षों के लिए क्यों नहीं। उसी को ध्यान में रखते हुए जीएसटी विभाग ने चालाकी के साथ एक सर्कुलर संख्या 193 /05/2023/GST/ 17.07.2023 जारी किया। तथा वित्तीय वर्ष 2019-20 (1.4.2019से 31.12.2021तक)के लिए उसकी उपयोगिता के लिए जारी किया।

यह कि ASMT 10 में लिखा जाता है। कि आपका जीएसटी R 3b और 2a में आईटीसी मिसमैच है। मैं यहां स्पष्ट करना चाहता हूं । वित्तीय वर्ष 2019- 20 का वर्गीकरण हम दो भागों में करेंगे। प्रथम भाग में 1 अप्रैल 2019 से 8 अक्टूबर 2019 तक तथा दूसरा भाग 9 अक्टूबर 2019 से 31 मार्च 2020 तक का होगा। क्योंकि जीएसटी विभाग ने नियम 36(4) 9 अक्टूबर 2019(6th Amendment Rules 2019)से लागू किया था ।तथा इस नियम के अनुसार करदाता को आईटीसी लेने के लिए 20%/ 10% और 5% के नियम लागू किए गए थे।

उदाहरण से समझे यदि आपने 9 अक्टूबर 2019 के बाद टैक्स इनवॉइस के आधार पर आपकी आईटीसी ₹1,00,000 की होती थी ।और आपके 2a में यदि वह 50,000 शो करती थी ।तो नियम 36(4) के अनुसार आप केवल 50,000 का 20% अर्थात₹10,000 कुल मिलाकर₹60,000 की आईटीसी क्लेम कर सकते थे ।लेकिन सभी टैक्स प्रोफेशनल ने इस नियम का पालन नहीं किया और करना भी नहीं चाहिए था? क्योंकि एक्ट को कभी भी ओवर रूल नहीं किया जा सकता ।जिस कारण यह नियम 36(4 )करदाता पर लागू नहीं होता है।

जिस प्रकार वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2018 -19 में आईटीसी क्लेम करने के संबंध में सर्कुलर संख्या 183 /15/2022/GST 27.12.2022 जारी किया गया था। इस प्रकार सर्कुलर संख्या 193 /05/2023/GST/ 17.07.2023 में यह छूट नहीं दी गई है ।जिस कारण आपको वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में आईटीसी के संबंध में काफी विवाद होगा। क्योंकि नियम 36(4) सर्कुलर के माध्यम से लागू कर दिया गया ।लेकिन सर्कुलर एक्ट की अवहेलना नहीं कर सकता ।सर्कुलर विभाग पर बाध्यकारी हो सकता है ।लेकिन करदाता पर नहीं । हां 1 जनवरी 2022 से धारा 16( 2)(ए ए) लागू की गई ।जिसमें 2b के द्वारा ही आईटीसी क्लेम की जाएगी ।तो उन स्थिति में यहां पर आईटीसी केवल 2b के आधार पर जिसमें हमारे से संबंधित आईटीसी हमें क्लेम करनी होगी ।यह कि वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 16 (2) (एए) को जनवरी 2022 से लागू किया गया है। तो नियम 36(4 )हमारे लिए बाध्यकारी नहीं है?

उपरोक्त तथ्यों में मेरे द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 को दो भागों में विभक्त किया गया है ।प्रथम भाग में 1 अप्रैल 2019 से 8 अक्टूबर 2019 तक आईटीसी के संबंध में सर्कुलर संख्या 183/ 15 /2022 /जीएसटी/ डेटेड/27.12. 2022 लागू होगा ।इस सर्कुलर के माध्यम से जीएसटी R 3b और 2a के मिसमैच को ठीक किया जा सकता है । और वित्तीय वर्ष 2019-20 के द्वितीय भाग 9 अक्टूबर 2019 से 31 मार्च 2020 तक के लिए नियम 36(4 )का करदाता के स्तर पर विरोध होना चाहिए। जिसके लिए प्रोफेशनल को विभाग को सूचित करना होगा ।और अपनी बात को मजबूती से रखना होगा । कि कोई भी सर्कुलर या नियम एक्ट की अवहेलना नहीं कर सकता ।जब तक की एक्ट में संशोधन ना हो ।ऐसे किसी भी नियम का पालन करने के लिए करदाता उत्तरदाई नहीं होगा?

सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 164: नियम बनाने की सरकार की शक्ति (अध्याय XXI – विविध) सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 164: नियम बनाने की सरकार की शक्ति

(1) सरकार, परिषद की सिफारिशों पर, अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बना सकती है।

(2) उप-धारा (1) के प्रावधानों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, सरकार उन सभी या किसी भी मामले के लिए नियम बना सकती है जो इस अधिनियम द्वारा निर्धारित किए जाने की आवश्यकता है, या निर्धारित किए जा सकते हैं या जिनके संबंध में प्रावधानों को नियमों द्वारा बनाया जाना चाहिए या बनाया जा सकता है।

(3) इस धारा द्वारा प्रदत्त नियम बनाने की शक्ति में नियमों या उनमें से किसी को पूर्वव्यापी प्रभाव देने की शक्ति उस तारीख से पहले की नहीं होगी जिस दिन इस अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं।

(4) उप-धारा (1) या उप-धारा (2) के तहत बनाए गए किसी भी नियम में यह प्रावधान हो सकता है कि इसका उल्लंघन करने पर दस हजार रुपये से अधिक का जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।

यह कि उपरोक्त में हमारे द्वारा स्पष्ट किया गया है। कि वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में धारा 164 के अंतर्गत नियम बनाने की शक्ति सरकार में निहित है ।लेकिन इसमें एक विशेष तथ्य है। कि अधिनियम के विरुद्ध नियमावली नहीं होगी ।जिससे स्पष्ट है। कि जब तक वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 16 जिसके द्वारा हम आईटीसी क्लेम करते हैं। उसमें संशोधन नहीं होगा। तो यह नियम 36(4) कैसे लागू होगा?जब वस्तु एवम सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 16(2)(एए ) 1 जनवरी 2022 से लागू की गई तभी से यह नियम सार्थक हो सकता था? धारा 16 (2)(एए) में 2b के द्वारा आईटीसी क्लेम की जाएगी। यदि आप गौर करें 8 अक्टूबर 2019 तक धारा 37 (1)के अंतर्गत करदाता के द्वारा टैक्स इनवॉइस/ डेविड नोट को अपलोड ,(Upload)किया जाता था ।इसके पश्चात 9 अक्टूबर 2019 से अपलोड के स्थान पर फर्निश(Furnish )शब्द को जोड़ा गया है ।यहां पर दोनों शब्द की व्याख्या जरूरी है। कि अपलोड(Upload )से आशय है। कि करदाता द्वारा अपनी जीएसटी R1 में अपने टैक्स इनवॉइस और डेबिट नोट की एंट्री की है। जिसे वह दिनांक 20वी तारीख तक दाखिल करता है। जिससे 2a जनरेट होता था ।9 अक्टूबर 2019 के पश्चात इस अपलोड वर्ड के स्थान पर फर्निश( furnish)वर्ड दिया गया है ।Furnish अर्थात प्रत्येक करदाता को धारा 37(1 )के अंतर्गत 11वीं तारीख तक अपनी जीएसटी R1 फर्निश करनी होगी। जिससे 2b जनरेट होगी। (नोटिफिकेशन संख्या 40/2021/central tax/29.12.2021 w.e.f 1.1.2022)उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है। कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में जीएसटी अधिकारियों द्वारा मुख्य बिंदु जीएसटी 3b और 2a के मिसमैच के नोटिस जारी किए जाएंगे ।इसके लिए टैक्स प्रोफेशनल को अधिकारियों को सही तरीके से व्याख्या करनी होगी और मजबूती के साथ अपना केस प्रस्तुत करना होगा ।

मुझे आशा है। कि इस आर्टिकल से आपको सहायता मिलेगी। वित्तीय वर्ष 2019-20 के मिसमैच के नोटिस में हमें क्या करना है

यह लेखक के निजी विचार है।

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मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक View Full Profile

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