भारत में 1999 में शेयर की फिजिकल ट्रेडिंग बंद करते हुए पूरी प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिक रूप दिया गया, जिसमें फिजिकल शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखना भी शामिल था और इसके लिए डीमेट खाता बनाया गया.
हम आप आज के समय शेयर को भी बैंकों में जमा पैसे की तरह डीमेट खाते से उपयोग कर सकते हैं. नेट बैंकिंग की तरह डीमेट खाता भी लाग इन आईडी और पासवर्ड से चलता है और इसी तरह हमारा शेयर ट्रेडिंग आकंउट भी चलता है.
डिजिटल रुप में सहुलियत तो बहुत है लेकिन उतनी सावधानी भी जरूरी है.
कोविड काल में शेयर बाजार में भारी उछाल और निवेश के विकल्पों की कमी के कारण लोगों का शेयर बाजार की तरफ आकर्षित होना स्वाभाविक ही था.
और शेयर बाजार ने भी इसका भरपूर फायदा उठाते हुए कई कंपनियों को पैसे उगाहने में मदद की, साथ ही लाखों नए डीमेट खाते और शेयर ट्रेडिंग आकंउट खुल गए. न केवल लोग अपनी जमा पूंजी का निवेश शेयर बाजार में जमकर करने लगे, बल्कि कई शेयर एक्सपर्ट, ट्रेडिंग, ब्रोकर और डीमेट की दुकानें आनलाइन सोशल मीडिया पर खुल गई.
यही से शुरू हुआ शेयर बाजार में एक नए तरीके से धोखाधड़ी का कारोबार.
शेयर बाजार में धोखाधड़ी कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी हमने अनुभव किया है कि फर्जी डिमेट खातों के माध्यम से निवेश का घोटाला, फिर हाल में ही एक प्रतिष्ठित ब्रोकर कंपनी द्वारा डीमेट खाते में रखे शेयर को बिना शेयरधारकों से पूछे गिरवी रख देना. आज भी शेयरधारक अपने शेयर वापसी और नुकसान भरपाई की सालों बाद भी राह देख रहे हैं.
यह देश की विडम्बना ही तो है कि इतने सारे नियम कानून, नियामक एजेंसियों, सरकारी हस्तक्षेप के बावजूद व्यापक स्तर पर धोखाधड़ी हो रही है और लोगों के पास निवेश के विकल्प नहीं है.
हाल में ही देश की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म जेरोधा के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ ने ब्लॉग में लिखा है, “जब हमें नुकसान होता है तब हम किसी की भी सलाह मान लेते हैं. बाजार में बहुत सारे सलाहकार हैं जो निवेशक की मदद करते हैं. इनके बीच ही ऐसे कई धोखेबाज भी हैं जो सोशल मीडिया पर मार्केट एक्सपर्ट होने का दावा करते हैं और किसी निवेशक का शिकार करने की फिराक में रहते हैं.”
*मार्केट एक्सपर्ट या सलाहकार बनकर ये धोखेबाज आपकी मदद के नाम आपके डीमैट अकाउंट का लॉग-इन डिटेल्स ले लेंगे.*
इसके बाद ये आपके अकाउंट में गैर-वास्तविक ट्रेड्स का उपयोग करके एक नुकसान पैदा कर देते हैं और आपके पैसे को किसी अन्य ट्रेडिंग अकाउंट में भेज देते हैं.
इससे आपके लिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि आपके अकाउंट में घोटाला हो चुका है.
सावधानी और ध्यानपूर्वक काम करना ही बचने का तरीका
1. निवेशक इसलिए ठगे जाते हैं, क्योंकि वे अपने अकाउंट का लॉग इन डिटेल्स दूसरों को दे देते हैं.
2. निवेशक के ट्रेडिंग अकाउंट से पैसे निकालने के लिए इलिक्विड ऑप्शंस या पेनी स्टॉक का इस्तेमाल करके फर्जी नुकसान दिखाया जा सकता है.
3. जैसे अपने बैंक खाते से जुड़े लॉगिन डिटेल्स हम किसी के साथ शेयर नहीं करते, वैसे ही अपने ट्रेडिंग खाते के लॉग-इन पासवर्ड भी शेयर नहीं करने चाहिए.
4. डीमैट अकाउंट से छेड़छाड़ का एक दूसरा तरीका फिशिंग फ्रॉड है.
5. आप आधिकारिक ब्रोकर वेबसाइटों और ऐप के अलावा कहीं भी लॉग इन डिटेल्स न भरें.
6. कभी भी अपने लॉगिन डिटेल्स किसी के साथ शेयर ना करें.
7. अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग नहीं समझते हैं, तो उसमें कभी ट्रेड न करें, भले ही कोई आपसे कुछ भी कहे.
8. यदि आपको ऑप्शंस की समझ है, तो यह जान लें कि जब इलिक्विड ऑप्शंस का ट्रेज होता है, तो आप उसकी फेयर वैल्यू इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी का इस्तेमाल करके लिक्विड स्ट्राइक और उसकी अंडरलाइंग को बदल सकते हैं और यहीं धोखाधड़ी होती है.
9. अगर आपने किसी ऐसे व्यक्ति को अपने खाते की डिटेल्स दी है, जिसने इस तरह से आपका नुकसान किया है तो इसकी शिकायत आप पुलिस से कर सकते हैं.
10. आखिर में सावधानी ही सुरक्षा है और बिना आपकी जानकारी के कोई भी लेनदेन अमान्य होगा. साथ ही पैसे लेनदेन की सीमा जरूर तय करें ताकि कोई भी अधिकृत व्यक्ति आपके खाते में एक तय सीमा से ज्यादा का लेनदेन न कर सकें.
डिजिटल युग में हम आनलाइन कार्यों से नहीं बच सकते लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं होना चाहिए कि हम अपनी जमापूंजी आनलाइन फ्राड में लुटवाते रहे और सिस्टम को कोसते रहे.
हजारों बेरोजगार लोग आनलाइन हम और हमारे लेनदेन पर नजर रख रहे हैं और छोटी सी असावधानी हमारे लिए नुकसान कारक हो सकती है.
तो शेयर बाजार में सतर्क रहे, सावधान रहें.