Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

आप सभी यह बात जानते होंगे कि आज के समय बैंक या कोई भी वित्तीय संस्थान किसी भी व्यक्ति को लोन सिर्फ और सिर्फ उसके सिबिल स्कोर या क्रेडिट रेटिंग के आधार पर देता है.

आप की योग्यता कितनी भी उपयुक्त हो, लेकिन सिबिल स्कोर यदि कम है तो आप नाक भी रगड़ लें, आपको लोन नहीं मिलेगा जबतक आपका सिबिल स्कोर सही नहीं हो जाता.

अब यह क्रेडिट रेटिंग या स्कोर कौन बनाता है. तो हमारे भारतवर्ष में ४ कंपनियां व्यक्तिगत क्रेडिट रेटिंग का काम करती हैं – ट्रांसयुनियन सिबिल, इक्यूफैक्स, एक्सपिरियन और सीआरपी हाईफैक्स.

इनका आधार बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर होता है और इनको आरबीआई द्वारा २००५ में बनाए गए उपनियमों का पालन करना होता है.

आरबीआई द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार इन कंपनियों को व्यक्तिगत क्रेडिट रेटिंग के आधार एवं एकत्रित की गई सूचना आदि को समय-समय पर ग्राहक को न केवल सूचित करना जरूरी है बल्कि उसके स्कोर को जानने की किन संस्थानों द्वारा प्रक्रिया की गई, यह जानकारी भी उपलब्ध करानी होती है.

इन कंपनियों द्वारा न ही कभी आधार बताया जाता है और न ही कभी सूचना उपलब्ध कराई जाती है. यदि सूचना में कोई खामी है तो उसे ठीक करने में न केवल क्रेडिट रेटिंग कंपनियों द्वारा बल्कि बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा भी महीनों लगा दिए जाते हैं. क्रेडिट रेटिंग कंपनियां सूचना ठीक करने की बजाय ग्राहक को बैंक से संपर्क करने को कहती हैं और बैंक ग्राहकों को इन कंपनियों के पास जाने की बात कहकर महीनों निकाल देते हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी कि आप जितनी बार अपना सिबिल स्कोर चेक करवाते हैं या करते हैं, उतनी ही बार आपका स्कोर कम होता है. इसके अलावा मात्र १०-१२ रुपए की ग़लती से हुई लोन चूक पर भी आपका क्रेडिट स्कोर गिरा दिया जाता है और ठीक होने में महीनों लगनें से योग्य व्यक्ति लोन नहीं मिलने से आगे नहीं बढ़ पाता.

ऐसी शिकायतों की संख्या अधिकता होने पर आरबीआई अब सख्त नियम लेकर आया है जो इन क्रेडिट कंपनियों पर २६ अप्रैल २०२४ से लागू होंगे. आरबीआई ने इसके बावत् २६/१०/२३ को सर्कुलर जारी कर २००५ के नियमों में संशोधन किया है एवं पब्लिक को सूचित किया है कि यदि इन क्रेडिट कंपनियों में शिकायत करने के बावजूद ३० दिन के अंदर ये शिकायत दूर नहीं करतीं हैं तो न केवल क्रेडिट कंपनी पर बल्कि संबंधित बैंक या संस्था पर भी १०० रुपए प्रतिदिन की पेनल्टी लगाई जावेगी और इसके अलावा ग्राहक इसकी शिकायत आरबीआई के ईमेल और टोल फ्री नंबर पर भी कर सकता है जिसमें आरबीआई संवेदनशील मानते हुए कढ़ी कार्यवाही करेगा.

अब क्रेडिट रेटिंग या स्कोर देने वाली इन कंपनियों को इन नियमों का कढ़ाई से पालन करना होगा:

 1. रिजर्व बैंक के अनुसार अगर कोई ग्राहक डिफॉल्ट होने वाला है तो डिफॉल्ट को रिपोर्ट करने से पहले ग्राहक को बताना जरूरी है. लोन देने वाली संस्थाएं ई-मेल या मैसेज भेजकर सभी जानकारी शेयर करें. इसके अलावा बैंक, लोन बांटने वाली संस्थाएं नोडल अफसर रखें. नोडल अफसर क्रेडिट स्कोर से जुड़ी दिक्कतें सुलझाने का काम करेंगे.

 2. अगर क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी 30 दिन के अंदर-अंदर ग्राहकों की शिकायत का निपटारा नहीं करती है तो फिर उसे हर रोज 100 रुपये के हिसाब से जुर्माना चुकाना होगा. यानी जितनी देर से शिकायत का निपटारा किया जाएगा, उतना ही अधिक जुर्माना चुकाना होगा. लोन बांटने वाली संस्था को 21 और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का वक्त मिलेगा. 21 दिन में बैंक ने क्रेडिट ब्यूरो को नहीं बताया तो बैंक को हर्जाना देगा. वहीं बैंक की सूचना के 9 दिन बाद भी शिकायत का निपटारा नहीं किया गया तो क्रेडिट ब्यूरो को हर्जाना चुकाना होगा.

 3. केंद्रीय बैंक ने सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों से कहा है कि जब भी कोई बैंक या एनबीएफसी किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट चेक करता है तो उस ग्राहक को इसकी जानकारी भेजा जाना जरूरी है. यह जानकारी एसएमएस या ईमेल के जरिए भेजी जा सकती है. दरअसल, क्रेडिट स्कोर को लेकर कई शिकायतें सामने आ रही थीं, जिसके चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने ये फैसला किया है.

 4. रिजर्व बैंक के अनुसार अगर किसी ग्राहक की किसी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट किया जाता है तो उसे इसकी वजह बताया जाना जरूरी है. इससे ग्राहक को यह समझने में आसानी होगी कि किस वजह से उसकी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट किया गया है. रिक्वेस्ट रिजेक्ट किए जाने की वजहों की एक लिस्ट बनाकर उसे सभी क्रेडिट संस्थानों को भेजना जरूरी है.

5. रिजर्व बैंक के अनुसार क्रेडिट कंपनियों को साल में एक बार फ्री फुल क्रेडिट स्कोर अपने ग्राहकों को मुहैया कराया जाना चाहिए. इसके लिए क्रेडिट कंपनी को अपनी वेबसाइट पर एक लिंक डिस्प्ले करना होगा, ताकि ग्राहक आसानी से अपनी फ्री फुल क्रेडिट रिपोर्ट चेक कर सकें. इससे साल में एक बार ग्राहकों को अपना सिबिल स्कोर और पूरी क्रेडिट हिस्ट्री पता चल जाएगी.

 6. क्रेडिट स्कोर देने वाले क्रेडिट ब्यूरो में डेटा सुधार न होने की वजह भी बतानी होगी और क्रेडिट ब्यूरो वेबसाइट पर शिकायतों की संख्या भी बताना जरूरी है.

 7. नए नियम 26 अप्रैल 2024 से लागू होंगे. अप्रैल २३ में ही RBI ने इस तरह के नियम लागू करने की चेतावनी दे दी थी.

आम जनता अपने अधिकार और इन नियमों को जानकारी में लेते हुए शिकायत कहां और कैसे की जा सकती है, आरबीआई और इन क्रेडिट कंपनियों की वेबसाइट पर जाकर देख लें, समझ लें ताकि गलत सिबिल स्कोर को न केवल आसानी से ठीक कराया जा सकें, साथ ही वित्तीय संस्थानों तथा बैंकों से क्रेडिट स्कोर की सही जानकारी भी प्राप्त हो सकें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि क्रेडिट कंपनी किस आधार पर हमारे स्कोर का आंकलन कर रही है, हम यह जानकारी भी ले सकते हैं.

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Ads Free tax News and Updates
Sponsored
Search Post by Date
December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031