सारांश: 1 नवंबर, 2024 से प्रभावी जीएसटी एमनेस्टी योजना, पात्र करदाताओं को कर राहत प्रदान करने के लिए जीएसटी अधिनियम के तहत शुरू किया गया एक राहत उपाय है। यह योजना बकाया करों के भुगतान पर केंद्रित है और वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2019-20 के लिए दंड और ब्याज से छूट प्रदान करती है। इसमें धारा 16, 128ए और 128ए के तहत प्रावधान शामिल हैं, जो इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) दावों और संबंधित राहत तंत्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं। संशोधन महत्वपूर्ण बदलावों पर प्रकाश डालते हैं, जिनमें धारा 16(4) पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला और विशिष्ट अवधि के लिए आईटीसी लाभ प्राप्त करने की समयसीमा पर अपडेट शामिल हैं। इसके अलावा, यह करदाताओं के लिए 31 मार्च, 2025 तक बकाया कर का भुगतान करके ब्याज और जुर्माने से राहत प्राप्त करने की प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करता है। इस योजना के तहत करदाताओं को बकाया करों का भुगतान करना होगा और राहत का दावा करने के लिए विशिष्ट फॉर्म दाखिल करना होगा। उदाहरण के लिए, ऐसे मामलों के लिए एसपीएल-02 का उपयोग जहां धारा 74 के तहत धोखाधड़ी के आरोप हटा दिए गए हैं, आवश्यक है। करदाताओं को मांगों के लिए DRC-07 या DRC-03 जैसे फॉर्म का उपयोग करके अपना कर भुगतान जीएसटी पोर्टल के माध्यम से जमा करना होगा। इसके अलावा, विस्तृत प्रक्रियात्मक चरण, जैसे कि एसपीएल-01 या एसपीएल-02 जमा करना, परिभाषित किया गया है, और ये फॉर्म जनवरी 2025 से उपलब्ध होंगे। लाभ के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए करदाताओं के लिए मार्च 2025 से पहले सभी कर भुगतान पूरा करना महत्वपूर्ण है। माफी योजना गलत रिफंड दावों या देर से रिटर्न दाखिल करने से संबंधित दंड से जुड़े मामलों पर लागू नहीं होती है।
यह कि धारा 128A, 16(5)और 16(6) में सामान्य जानकारी और इस एमनेस्टी स्कीम में शामिल कैसे हो? कर भुगतान(Tax Paid) की प्रक्रिया क्या हैं?
यह कि जीएसटी अधिनियम 2017 के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2019-20 के लिए एक एमनेस्टी स्कीम लाई की गई है जिससे दिनांक 1 नवंबर 2024से प्रभावी किया गया है , इस लेख के माध्यम से यह बताया गया है कि इस स्कीम का आधार नियम, शर्ते क्या है ?तथा करदाता द्वारा कर भुगतान(Tax Paid )की प्रक्रिया किस प्रकार होगी?
यह कि हाल में धारा 16 और128A के तहत जीएसटी प्रावधानों में महत्वपूर्ण अपडेट प्रस्तुत किया है, जिसमें विशेष रूप से इनपुट टैक्सक्रेडिट (ITC) के दावों और कर में राहत का प्रावधान किया गया हैं।
यह कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने धारा16(4) की वैध घोषित किया है।जिससे जीएसटी विभाग इनपुट टैक्स क्रेडिट की नियमावली को बढ़ावा मिला है।
यह कि धारा 16(5) ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक के आईटीसी दावों के लिए 30 नवंबर, 2021 की समय सीमा निर्धारित की।
यह कि धारा 16(6) में निर्धारित किया गया है, कि यदि रद्द किया गया जीएसटी पंजीकरण बाद में बहाल किया जाता है, तो करदाता वित्तीय वर्ष के बाद 30 नवंबर या निरस्तीकरण की तारीख से 30 दिनों तक आईटीसी पुनः प्राप्त कर सकता है। ये संशोधन धारा 73 और 74 के तहत जीएसटी कार्यवाही में धारा 16 को अपडेट किया गया है और लागू करने की अनुमति देते हैं।
यह कि धारा 128A वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए ब्याज और दंड पर राहत प्रदान करती है। तथा पात्रता के लिए 31 मार्च, 2025 तक पूर्ण कर भुगतान और धारा 73 के तहत मांगों से संबंधित अपीलों को वापस लेना आवश्यक किया है। यह कि करदाता धोखाधड़ी के अंतर्गत मांग (धारा 74) को नियमित मांग (धारा 73) में संशोधित करने वाले अपीलीय निर्णय प्राप्त करने की तिथि से छह महीने के भीतर फॉर्म एसपीएल-02 (SPL 02)का उपयोग करके राहत आवेदन दायर कर सकते हैं।
यह कि धारा 128ए में कुछ दंड शामिल नहीं हैं, जिनमें देरी से दाखिल करने के लिए दंड शामिल हैं। प्रक्रियागत प्रस्तुतियाँ और अपील के लिए एसपीएल फॉर्म(SPL FORM)प्रदान किए हैं, जबकि कई डिमांड नोटिसों के लिए अलग-अलग आवेदन की आवश्यकता होगी।
यह कि धारा 128A राहत में हाल ही में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16(5), 16(6) और 128ए के तहत किए गए संशोधनों का सार निम्न बिन्दुओं की माँगों को शामिल नहीं किया गया है।
A. यह कि धारा 16(4):- माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 16(4) वैध है और जीएसटी एक्ट में आईटीसी (ITC)पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।
B. यह कि धारा 16(5):- वित्त वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए आईटीसी का लाभ उठाने की नियत तारीख 30 नवंबर 2021 है।
C. यह कि धारा 16(6):- जहां पंजीकृत व्यक्ति का पंजीकरण धारा 29 के तहत रद्द कर दिया जाता है और बाद में पंजीकरण रद्द करने को निरस्त कर दिया जाता है, उक्त व्यक्ति को इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का हकदार होगा –(a) वित्तीय वर्ष या वार्षिक रिटर्न के बाद नवंबर के 30 वें दिन तक जो भी पहले हो या
(b) पंजीकरण रद्द करने के आदेश की तारीख से तीस दिनों के भीतर पंजीकरण रद्द करने की तारीख से पंजीकरण रद्द करने तक लंबित सभी रिटर्न के लिए।
धारा 16 (4), 16 (5) और 16 (6) के उपरोक्त संशोधनों का उपयोग जीएसटी की किसी भी कार्यवाही में किया जा सकता है जैसे धारा 73, और 74 आदि।
D. यह कि धारा 128 A: ब्याज और जुर्माने से राहत केवल वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए लागू कीगई हैं। जिसकी शर्तें निम्न प्रकार हैं
a. यह कि 31.03.2025 तक मांगे गए कर(Tax )की पूरी राशि का भुगतान हो।
b. यह कि धारा 73 के तहत जारी मांग के लिए और
c. यदि कोई अपील की गई है तो उसे पहले वापस ले लिया जाना चाहिए।
कर निम्नलिखित मामलों में देय
क्रम संख्या | विषय | निर्धारित फॉर्म |
1. | धारा 73 के अंतर्गत नोटिस जारी किया गया लेकिन आदेश नहीं हुआ। | SPL 01 |
2. | धारा 73 के अंतर्गत आर्डर जारी हो किया गया ,लेकिन अपील अथॉरिटी द्वारा धारा 107 या 108 में आदेश पारित नहीं किया गया। | SPL 02 |
यह कि जहां अपीलीय प्राधिकरण, न्यायाधिकरण, न्यायालय द्वारा धोखाधड़ी आदि के आरोप स्थापित न किए जाने के कारण धारा 74 से 73 में परिवर्तन होता है, तो आदेश के संचार की तिथि से छह महीने के भीतर धारा 128 A लागू करने के लिए एसपीएल-02(SPL 02)में आवेदन किया जाएगा।
यह कि नियम 164(6) ब्याज और जुर्माना पहले ही भुगतान किया जा चुका है – बशर्ते कि जहां ऐसा ब्याज और जुर्माना पहले ही भुगतान किया जा चुका है, उसका कोई रिफंड उपलब्ध नहीं होगा। अर्थात जैसा है वैसे के आधार पर।
धारा 128 A के तहत कर का भुगतान:-
यह कि कर का भुगतान उक्त आदेश द्वारा बनाई गई डेबिट प्रविष्टि के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक देयता रजिस्टर में राशि जमा करके किया जाना चाहिए।
A. यह कि करदाता जब जीएसटी पोर्टल पर अपना खाता लॉगिन करेगा, तो उसमें मांग पत्र डीआरसी 07 (DRC 07) के माध्यम से मांग जमा करने का प्रावधान किया गया है ।इसलिए करदाता को डिमांड में जाकर अपने लेजर से डिमांड में कर(Tax )को जमा करना होगा ।
B. यदि किसी करदाता ने डिमांड को त्रुटिवश डीआरसी 03(DRC 03)के माध्यम से कर जमा कर दिया है, उस स्थिति में उसे पहले डीआरसी 03 ए (DRC 03 A)का प्रयोग करते हुए उस मांग में संशोधन करना होगा, तभी इस स्कीम में भाग लिया जा सकता है।
C. यदि धारा 73 के अंतर्गत नोटिस जारी किया गया है तो करदाता डीआरसी 03(DRC 03)के माध्यम से कर की मांग को जमा कर सकता है।
टिप्पणी यह कि इस स्कीम में भाग लेने के लिए 31 मार्च 2025 से पूर्व यह कर जमा होना चाहिए ,अर्थात करदाता को पहले कर का पूर्ण भुगतान करना होगा उसके पश्चात ही 31 मार्च 2025 तक SPL01/SPL 02 द्वारा इस स्कीम में ब्याज और पेनल्टी से राहत प्राप्त की जा सकती है।
धारा 128A इन पर लागू नहीं होती है –
a. गलत रिफंड की मांग
b. रिटर्न देर से दाखिल करने पर ब्याज, जुर्माना
c. देरी से दाखिल करने पर शुल्क
E. प्रक्रिया में प्रयुक्त फॉर्म –
फॉर्म SPL-01/02: करदाता द्वारा दाखिल किया जाएगा, (यदि कई आदेश/नोटिस जारी किए हैं, तो सभी के लिए अलग अलग SPL 01/02 अप्लाई होगे)
↓
फॉर्म SPL-03: अधिकारी द्वारा यदि आपत्ति है
↓
फॉर्म SPL-04: करदाता द्वारा आपत्ति का जबाव
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फॉर्म SPL-05: यदि प्रॉपर ऑफिसर द्वारा स्वीकार किया जाता है,
↓
फॉर्म SPL-07: प्रॉपर ऑफिसर द्वारा अस्वीकार
↓
SPL-06 में अपील प्रस्तुत करने का विकल्प है,जो
मांग SPL-07 के विरुद्ध होगी।
टिप्पणी
A. यह कि SPL 01/ 02 जनवरी 2025 में जारी होने की घोषणा की गई है।(8.11.2024 की एडवाइजरी के मुताबिक)
B. यह कि करदाता को पहले कर जमा करना होगा।
यह लेखक के निजी विचार हैं।