Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

सरकार के लिए बजट 2022 इस दशक का सबसे चुनौतिपूर्ण होने जा रहा है क्योंकि सरकार की गिरेबान इस बार चारों तरफ से जकड़ी हुई है. आइए समझे:

1. महामारी को नियंत्रित करने पर जोर लगाना और पैसे का जुगाड़ करना

महामारी को नियत्रंण करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं, सुविधाओं और वेक्सीनेशश की उपलब्धता के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने की दरकार है और इसके लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था करना जरूरी ही नहीं, देश की मजबूरी भी है.

2. बढ़ती मंहगाई से मुकाबला

बढ़ते खाने पीने की चीजों के दाम को नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति पर ध्यान देना होगा और इसके लिए खेती, किसानी, पैदावार की तरफ ज्यादा बजटीय प्रावधान करना समय की मांग है.

राष्ट्रीय सांख्यकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 4.05 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने 1.87 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई बढ़ने से दिसंबर में खुदरा महंगाई में भी तेज इजाफा हुआ है. इसे नियंत्रित करना प्रमुख चुनौती है.

3. ब्याज दर में कमी करना

पिछले डेढ़ साल से बढ़ती मंहगाई दर के कारण आरबीआई की मौद्रिक समिति ने ब्याज दर को नहीं छेड़ा और जस का तस बनाए रखा है. आगे भी इसमें बदलाव के विकल्प नहीं दिख रहे हैं और इस कारण ब्याज सब्सिडी का बोझ सरकार पर तो बढ़ ही रहा है, साथ ही बैंकों की स्थिति भी तकलीफ से गुजर रही है. बैकिंग क्षेत्र बहुत ही तंग रास्ते से गुजर रहा है और सरकारी मदद के बिना कभी भी ढह सकता है.

बजट 2022 होगा इस दशक का सबसे चुनौतिपूर्ण

4. बढ़ता राजकोषीय घाटा और उधारी पर चलती अर्थव्यवस्था

भारत समेत कई विकासशील देश आज उधारी के जाल में बुरी तरह फंसे हुए हैं. आज हमारी जीडीपी वृद्धि दर अच्छी होने के कारण हमारी रेंटिंग बरकरार है और हम इस जाल में उलझनें के बावजूद निकलने की गुंजाइश बाकी है, लेकिन इसके लिए राजकोषीय घाटे को कम करना होगा.

आप हैरान होंगे कि वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार का राजकोषीय घाटा 16.6 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 7.1 फीसदी होगा।

राज्यों का राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी के अपेक्षाकृत कम स्तर पर रहने का अनुमान है।

इस तरह केंद्र एवं राज्यों का सामान्य राजकोषीय घाटा जीडीपी के करीब 10.4 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.

जून 2022 से राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति की मियाद खत्म होने के बाद राज्यों का घाटा किस स्तर पर होगा, यह कहना मुश्किल होगा लेकिन घाटा बढ़ना तो तय है.

 इस नियंत्रित करने के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने होते हैं लेकिन फिर तकलीफ आम जनता भुगतती है. पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के बढ़ते दाम इस बात की सच्चाई है.

कहने का मतलब साफ है इस बार सरकार चारों तरफ से घिरी है और सबको साधते हुए एक संतुलित बजट लाना इस दशक में सबसे चुनौतिपूर्ण प्रतीत होता है. सरकार के विषय विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, थिंक टेंक, आदि ने आम जनता के लिए क्या रखा है वो अब तक छप भी चुका होगा और अब इंतजार सिर्फ बजट पिटारा खुलने का है.

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Ads Free tax News and Updates
Sponsored
Search Post by Date
February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728