Summary: भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह संविधान 395 अनुच्छेदों, 8 अनुसूचियों और 145,000 शब्दों के साथ अब तक का सबसे लंबा राष्ट्रीय संविधान है। संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का संकल्प लिया गया है। इसमें भारतीय नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा का भी प्रावधान है। भारतीय संविधान में 25 भाग, 12 अनुसूचियाँ और 105 संशोधन शामिल हैं। अनुसूचियाँ विभिन्न प्रशासनिक व्यवस्थाओं, जैसे राज्य और केंद्र सरकार के अधिकार, न्यायिक व्यवस्था और भाषाई अधिकारों से संबंधित हैं। संविधान में नागरिकों के मूल कर्तव्यों का भी उल्लेख है, जिनका पालन प्रत्येक भारतीय नागरिक पर अनिवार्य है। इसके अलावा, भारतीय संविधान का सर्वोच्च स्थान है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी कानून इसका उल्लंघन नहीं कर सकता। संविधान, संसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत भी प्रस्तुत करता है, जिससे लोकतंत्र की संरचना और कार्यप्रणाली सुनिश्चित होती है।
भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इसको अंगीकृत किये जाने के समय, संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं और इसमें लगभग 145,000 शब्द थे, जिससे यह अब तक का अंगीकृत किया जाने वाला सबसे लंबा राष्ट्रीय संविधान बन गया। भारतीय संविधान के मुख्य पांडुलिपि पर स्वर्ण अक्षरों में भारतीय संविधान अंग्रेजी में दर्ज है ।जब हम संविधान के पृष्ठ को पलटेंगे तो उसमें चित्रकार नंदलाल बोस की कुची से बने हुए कुल 22 चित्र नजर आएंगे। भारतीय संविधान के संबंध में संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
संविधान की प्रस्तावना-
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथाउन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिएदृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वाराइस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
संविधान की प्रस्तावना 13 दिसम्बर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा सविधान सभा में प्रस्तुत की गयी प्रस्तावना को आमुख भी कहते हैं।
भारतीय संविधान की संरचना-
यह कि वर्तमान समय में भारतीय संविधान के निम्नलिखित भाग हैं-
एक उद्देशिका,
470 अनुच्छेदों से युक्त 25 भाग
12 अनुसूचियाँ,
5 अनुलग्नक (appendices)
105 संशोधन।
(अब तक 127 संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाये गये हैं जिनमें से 105 संविधान संशोधन विधेयक पारित होकर संविधान संशोधन अधिनियम का रूप ले चुके हैं। 124वां संविधान संशोधन विधेयक 9 जनवरी 2019 को संसद में अनुच्छेद 368 (संवैधानिक संशोधन)के विशेष बहुमत से पास हुआ, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण से संबंधित है। तथा 8 अगस्त 2016 को संसद ने वस्तु और सेवा कर (GST) पारित कर 101वाँ संविधान संशोधन किया।)
अनुसूचियाँ–
यह कि भारत के मूल संविधान में मूलतः आठ अनुसूचियाँ थीं परन्तु वर्तमान में भारतीय संविधान में बारह अनुसूचियाँ हैं। संविधान में नौवीं अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन 1951, 10वीं अनुसूची 52वें संविधान संशोधन 1985, 11वीं अनुसूची 73वें संविधान संशोधन 1992 एवं बाहरवीं अनुसूची 74वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा सम्मिलित किया गया।
अनुसूचियां का विवरण–
पहली अनुसूची – (अनुच्छेद 1 तथा 4) – राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन।
दूसरी अनुसूची – (अनुच्छेद 59(3), 65(3), 75(6),97, 125,148(3), 158(3),164(5),186 तथा 221)- मुख्य पदाधिकारियों के वेतन-भत्ते (10)
भाग-क : राष्ट्रपति और राज्यपाल के वेतन-भत्ते,
भाग-ख : लोकसभा तथा विधानसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, राज्यसभा तथा विधान परिषद् के सभापति तथा उपसभापति के वेतन-भत्ते,
भाग-ग : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन-भत्ते,
भाग-घ : भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के वेतन-भत्ते।
तीसरी अनुसूची – (अनुच्छेद 75(4),99, 124(6),148(2), 164(3),188 और 219)- विधायिका के सदस्य, मंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, न्यायाधीशों आदि के लिए शपथ लिए जानेवाले प्रतिज्ञान के प्रारूप दिए हैं।
चौथी अनुसूची – (अनुच्छेद 4(1),80(2)) – राज्यसभा में स्थानों का आबंटन राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों से।
पाँचवी अनुसूची – (अनुच्छेद 244(1)) – अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जन-जातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित उपबंध।
छठी अनुसूची- (अनुच्छेद 244(2), 275(1)) – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के विषय में उपबंध।
सातवीं अनुसूची – (अनुच्छेद 246) – विषयों के वितरण से संबंधित सूची-1 संघ सूची, सूची-2 राज्य सूची, सूची-3 समवर्ती सूची।
आठवीं अनुसूची – (अनुच्छेद 344(1), 351)- भाषाएँ – 22 भाषाओं का उल्लेख।
नवीं अनुसूची – (अनुच्छेद 31 ख ) – कुछ भूमि सुधार संबंधी अधिनियमों का विधिमान्य करण।पहला संविधान संशोधन (1951) द्वारा जोड़ी गई ।
दसवीं अनुसूची – (अनुच्छेद 102(2), 191(2))- दल परिवर्तन संबंधी उपबंध तथा परिवर्तन के आधार पर 52वें संविधान संशोधन (1985) द्वारा जोड़ी गई ।
ग्यारहवीं अनुसूची – (अनुच्छेद 243 छ ) – पंचायती राज/ जिला पंचायत से सम्बन्धित यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1992) द्वारा जोड़ी गई।
बारहवीं अनुसूची – इसमे नगरपालिका का वर्णन किया गया हैं ; यह अनुसूची संविधान में 74वें संवैधानिक संशोधन (1993) द्वारा जोड़ी गई।
संविधान में मूल कर्तव्य–
यह कि प्रत्येक भारतीय के लिए मूल कर्तव्यों को अनुच्छेद 51 ए में रखा गया है। यह कि मूल कर्तव्य, मूल सविधान में नहीं थे, 42 वें संविधान संशोधन में मूल कर्तव्य (10) जोड़े गये है। ये रूस से प्रेरित होकर जोड़े गये तथा संविधान के भाग 4(क) के अनुच्छेद 51 – अ में रखे गये हैं। वर्तमान में ये 11 हैं।11 वाँ मूल कर्तव्य 86 वें संविधान संशोधन में जोड़ा गया।
51 क. मूल कर्तव्य- भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह-
(a) संविधान का पालन करे और उस के आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का आदर करे।
(b) स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उन का पालन करे;
(c) भारत की प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
(d) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
(e) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है;
(f) हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझे और उस का परिरक्षण करे;
(g) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिस के अन्तर्गत वन, झील नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उस का संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे;
(h) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;
(i) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;
(j) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिस से राष्ट्र निरन्तर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले;
(k) यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा का अवसर प्रदान करे।
संविधान का अर्थ और व्याख्या —
ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार -संविधान को इस प्रकार परिभाषित करती है मौलिक सिद्धांतों या स्थापित मिसालों का समूह जिसके अनुसार कोई राज्य या संगठन संचालित होता है।
कोलिन्स डिक्शनरी के अनुसार -संविधान में मौलिक सिद्धांत शामिल होते हैं जिनके आधार पर कोई राज्य संचालित होता है, खास तौर पर जब इसे विषयों के अधिकारों को मूर्त रूप देने के रूप में देखा जाता है।
भारतीय संविधान यह निर्धारित करता है कि सरकार के सभी तत्व कैसे संगठित होते हैं और विभिन्न राजनीतिक इकाइयों के बीच सत्ता का बंटवारा कैसे होता है। इसमें नियम होते हैं और देश के शासन में कौन सी शक्ति का प्रयोग किया जाता है, कौन इसका प्रयोग करता है और किसके ऊपर इसका प्रयोग किया जाता है।और, सत्ता में बैठे लोगों और इस सत्ता के अधीन लोगों के बीच एक प्रकार के समझौते या अनुबंध के रूप में, संविधान नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है, तथा उन उपायों को परिभाषित करता है जो सत्ता में बैठे लोगों पर नियंत्रण रखते हैं।
हमारा भारतीय संविधान देश का सबसे महत्वपूर्ण – या सर्वोच्च – कानून है। कोई भी अन्य कानून इसके साथ टकराव नहीं कर सकता; न ही सरकार ऐसा कुछ कर सकती है जो इसका उल्लंघन करता हो। यह हमें संवैधानिक सर्वोच्चता के महत्वपूर्ण विषय पर ले आता है।संवैधानिक लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक हैं।
संसदीय संप्रभुता का मतलब था कि संसद के सदस्य अपनी पसंद के कोई भी कानून पारित कर सकते है – जब तक सही प्रक्रिया का पालन किया जाता था, तब तक संविधान का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। न्यायालयों के पास मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून की जांच करने और उसे खारिज करने का अधिकार है । भारतीय संविधान में ऐसे अधिकार निहित है।
भारतीय संविधान की सर्वोच्च स्थिति महत्वपूर्ण है। इसका शीर्षक “संविधान की सर्वोच्चता” है और कहता है: यह संविधान गणराज्य का सर्वोच्च कानून है; इसके साथ असंगत कानून या आचरण अमान्य है, और इसके द्वारा लगाए गए दायित्वों को पूरा किया जाना चाहिए।
इसका अर्थ यह है कि कोई भी कानून जो भारतीय संविधान का उल्लंघन करता है, या कोई भी आचरण जो इसके साथ टकराव करता है, उसे अदालतों द्वारा चुनौती दी जा सकती है तथा उसे खारिज किया जा सकता है।और यह इसलिए संभव है, क्योंकि संवैधानिक लोकतंत्र में जहां कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का समुचित बंटवारा होता है, वहीं न्यायालय स्वतंत्र होते हैं और केवल कानून और संविधान के अधीन होते हैं।
संविधान द्वारा शक्तियों के पृथक्करण का प्रावधान- –
यह कि संविधान द्वारा देश में शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत प्रतिपादित किया है जिसमें व्यवस्थापिका द्वारा नियम और कानून का निर्माण करना,, कार्यपालिका द्वारा व्यवस्थापिका द्वारा बनाए गए नियम और कानून का पालन करना और कराना तथा न्यायपालिका द्वारा व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित नियम और कानून तथा कार्यपालिका द्वारा उनका क्रियान्वयन का मूल्यांकन करना है, जिस देश में एक सुव्यवस्थित व्यवस्था कायम की गई है जिसका श्रेय भारतीय संविधान को दिया गया है।
संविधान, से समाज को कई तरह से लाभ है?
यह कि संविधान समाज को अधिकतम लाभ प्रदान करता है जैसे-
1. संविधान, देश की राजनीतिक व्यवस्था को रूपरेखा देता है. यह सरकार की संरचना, शक्तियों और ज़िम्मेदारियों को तय करता हैI.
2. संविधान, देश के शासन के लिए नियम और विनियम तय करता है. यह बताता है कि सरकार के सभी तत्व कैसे काम करते हैं और विभिन्न राजनीतिक इकाइयों के बीच सत्ता का बंटवारा कैसे होता हैI
3. संविधान, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है. इसमें मौलिक अधिकारों के बारे में बताया गया है. जैसे, समानता का अधिकार, भाषा और विचार प्रकट करने की आज़ादी, शोषण के ख़िलाफ़ अधिकार, आस्था और अंतःकरण की आज़ादी, आदिI
4. संविधान, सरकारों को दिशा दिखाता हैI
5. संविधान, देश को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता हैI.
सार–
भारतीय संविधान की व्याख्या और इसकी विशेषताओं का व्याख्यान करना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है ।संविधान के निर्माताओ ने उस समय विभिन्न देश के संविधानों का अध्ययन करने के उपरांत ही नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए सभी को समान अधिकार, भाषा ,धर्मनिरपेक्ष आदि को समाहित करते हुए निर्मित किया था ।आज भारतीय संविधान की स्थापना का दिवस है। हम सबको मिलकर इस संविधान दिवस की उपलब्धियां और विशेषताओं का सामान्य जन में प्रचार और प्रसार करना चाहिए, ताकि प्रत्येक भारतीय नागरिक अपने अधिकारों के साथ साथ मूल कर्तव्य के प्रति भी सचेत रहे ।इन्हीं शब्दों के साथ भारत माता की जय, वंदे मातरम, जय हिंद।