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अकाउंट्स इस समय ही नहीं पहले भी व्यापार का बहुत बडा हिस्सा था लेकिन इस समय इसमें थोड़ी समस्या है . व्यापार के इस महत्वपूर्ण हिस्से को कई जगह सिरे से ही किनारे कर दिया गया है और बहुत सी जगह इसका कारण एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है जिन्हें नहीं समझ आने के कारण सब कुछ अकाउंटेंट और स्टाफ पर छोड़ दिया जाता है और यह कहा जाता है कि हमारे एकाउंट्स तो अकाउंटेंट साहब देखते हैं  तो फिर आप को इस सच्चाई से अवगत हो जाइए कि अकाउंटेंट एकाउंट्स देखते नहीं है वो एकाउंट्स लिखते हैं , देखना तो आपको है. एकाउंट्स केवल ऑडिट के लिए नहीं बल्कि पहले आपके लिए होते हैं ऑडिट तो केवल एक प्रक्रिया है जिसका आपको पालन करना है ये कोई लक्ष नहीं है.

आप यदि निरंतर अपने एकाउंट्स पर नजर रखते हैं तो यह लेख आपके लिए नहीं है क्यों कि फिर आपको किसी सुधार की जरुरत ही नहीं है फिर भी आप इस लेख को एक बार पढ़ तो लें ज्यादा समय नहीं लगेगा पर कुछ ना कुछ तो मिलेगा ही .

आइये अपने घर में या पडौस में अब व्यापार से रिटायर हो चुके किसी सफल व्यापरी से मिलें और उन्हें बाताये कि मुझे मेरे व्यापार  के एकाउंट्स देखने का समय ही नहीं मिलता है .. फिर आप उनकी प्रतिक्रिया जानकार भी अपनी आगे की राह तय कर सकते हैं .

कम्पुटर या एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर कोई जादू नहीं है वो सिर्फ पुरानी महाजनी बहियों का इलेक्ट्रोनिक रूप है जिसकी गति बहुत तेज होती है लेकिन एंट्री तो उसमें किसी ना किसी को करनी ही होती है और किसी ना किसी को तो वह चेक करनी ही होती है और आप नियमित रूप से चेक करते हैं और गलतियां का सुधार करवाते रहते हैं तो आप व्यापार में आदर्श स्तिथि की और आगे भी कोई परेशानी नहीं आने वाली है . इस लिख को पढ़कर सभी यही करना शुरू कर दें यही इस लेख का अंतिम उद्देश्य है . अकाउंट्स की उपयोगिता केवल ऑडिट के लिए नहीं है बल्कि यह तो व्यापार का आधार है . आप नियमित अपने खाते देखते हैं तो आपके वार्षिक एकाउंट्स का 90 प्रतिशत काम तो 30 अप्रैल तक ही हो जाता है फिर बाकी में कोई ज्यादा परेशानी कैसे आ सकती है .

आइये देखें अभी हाल ही में यह समस्या कैसे ज्यादा नजर में आई है.  टैक्स ऑडिट को लेकर इस समय समाप्त हुई तारीख 30 सितम्बर कुछ निर्धारितियों के लिए काफी तकलीफ देह रही और अंतिम समय तक उनका समय अपने खाते पूरे करने और फिर उन्हें ऑडिट करवाने में ही बीता और कई बार उन्हें , उनके अकाउंटेंट और उनके ऑडिटर को देर रात तक काम कर इस जिम्मेदारी को पूरा करना पड़ा . इस वर्ष तारीख बढ़ने की कोई संभावना नहीं थी और पिछले कुछ वर्षों से तारीख लगातार बढ़ रही थी इस कारण भी इस वर्ष यह समस्या काफी गंभीर रही . साथ ही ऑडिट में भी कुछ सूचनाएं अतिरिक्त मांगी गई थी उससे भी ऑडिट में समय अधिक लगना ही था . आप में से भी कुछ लोगों को भी इस दुविधा का सामना करना पड़ा होगा . सरकार ने भी अंतिम दिन अंतिम समय 7 दिन तारीख बढ़ा दी लेकिन यह कोई इस समस्या का हल नहीं है ,आइये देखें कि भविष्य में और विशेष तौर पर इस वित्तीय वर्ष में हम क्या करें कि अब इस प्रकार की परेशानी नहीं आये तो पहले तो देखें कि यह समस्या क्या है ताकि इसका समाधान आप स्वयं ही कर सकें. देखिये कुल निर्धेरिती की संख्या में से एक बड़ी संख्या तो अपने एकाउंट्स और  ऑडिट समय से पूरा कर लेते हैं लेकिन 25 से 30 प्रतिशत करदाता  वो है जो इस समस्या से हर वर्ष ही घिरे रहते हैं . ऐसा क्यों होता है और इसका हल क्या है ? आज हम इन्हीं 25 से तीस प्रतिशत करदाताओं से संबोधित है इसके अतिरिक्त भी कर दाता इस लेख से बहुत कुछ सीख सकते हैं .

यह समस्या छोटे और मझोंले उद्योग एवं व्यापार को ही है क्यों कि इनका या तो खुद का Inhouse Accounting Department नहीं होता है या होता है तो वह बहुत ही कमजोर होता है . बड़े व्यापार और उद्योग की यह समस्या ज्यादा नहीं होती है क्यों कि उनके एकाउंट्स लिखने और फिर उनको देखने के साधन और स्टाफ  अलग- अलग होते हैं.

देखिये , व्यापार के तीन मुख्य अंग होते हैं – खरीद या निर्माण , बिक्री और अकाउंट्स . हम मुख्य रूप से पहले दो पर तो ध्यान देते हैं लेकिन अकाउंट्स पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जब कि इस समय जो सरकार की सूचना तंत्र जितना अधिक विकसित है तो एकाउंट्स की और ध्यान नहीं देना हमारे लिए आने वाले समय में खतरनाक हो सकता है . यहाँ हमसे मतलब है वो कर दाता जिन्हें अपने ऑडिट करवाने में सितम्बर माह के अंतिम 15 दिन में ना सिर्फ परेशान होना पडा बल्कि कुछ जगह रातों को जागना  भी होना पडा.

देखिये आपने एक कम्पुटर खरीद लिया है , एक फुल टाइम या पार्ट टाइम अकाउंटेंट रख लिया है लेकिन आप निश्चित अंतराल के साथ अपने एकाउंट्स या सम्बंधित दस्तावेज , लेनदार, देनदार, स्टॉक , बैंक व्यवहार एवं रोकड़ शेष नहीं देखते हैं और आपके पास हर सवाल का जवाब यही है कि मेरा अकाउंटेंट जाने यह सब . मैं माल खरीदूं / बेंचू या ये सब देखता रहूँ तो मेरा कहा लिखकर रख लीजिये आने वाला समय आपका नहीं है . आप एक निश्चित समय एकाउंट्स को दीजिये क्यों कि यह आपके व्यापार का महत्वपूर्ण अंग है और व्यापार आप का ही है . मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप एकाउंट्स खुद लिखिए लेकिन क्या लिखा जा रहा है उसे तो आपको हर सप्ताह या पखवाड़े में या माह में देखना चाहिए . सप्ताह में 2 घंटे इस काम के लिए बहुत है . आप चाहे तो 15 दिन में देख लीजिये और नहीं तो एक महीने में .. और आप एक महीने में भी नहीं  देखना चाहते तो फिर आप अपने आप से पूछिए कि आप आखिर चाहते क्या हैं ? आप मान कर चलिए आने वाला समय आपके लिए असंभव स्तिथियां  लाने वाला है. सतर्क हो जाइए और आज से ही काम शुरू कर दीजिये क्यों कि यह काम मुश्किल नहीं है और धीरे – धीरे आपकी रूचि इसमें बढ़ जायेगी और इसके फायदे भी समझना शुरू हो जाएगा .

जो हो चुका वह हो गया आइये अब क्या करना है ताकि यह परेशानी अगले साल नहीं आये . तो देखिये इसका भी अध्ययन कर लेते हैं :-

1. इस समय सबसे पहला काम तो हम यह करें कि 30 सितम्बर 2022 तक की बैलेंस शीट आने वाले 1 महीने में ही बना ले. ध्यान रखें कि आपके बैंक अकाउंट में एंट्री कभी भी दिन बीत जाने के बाद नहीं होती है ना ही आप के बिक्री और खरीद के बिल लम्बे समय तक पेंडिंग नहीं रहते है . आपको 11 तारीख तक GSTR-1 भरना होता है और GSTR-3B 20 तारीख तक भरना होता है तो फिर खरीद , बिक्री , डेबिट और क्रेडिट नोट का लम्बे समय तक पेंडिंग रहने का कोई कारण ही नहीं है.

2. हर माह अपनी खरीद , बिक्री , डेबिट नोट , क्रेडिट नोट इत्यादि को उसके अगले माह की अंतिम तिथि तक मिला लें . किसी पार्टी का पेमेंट बैंक में आया है तो उसे या तो तुरंत खाते में एन्टर करें या फिर जैसे ही भुगतान प्राप्त हो उसे अपनी एक डायरी या रजिस्टर में लिखे लें कि यह किसका भुगतान आया है . अपने अकाउंटेंट के लिए एक साप्ताहिक भुगतान , प्राप्तियों एवं खरचे की डायरी या रजिस्टर रखें जिससे वे आपके बैंक अकाउंट में तुरंत एंट्री कर सके. इस समबन्ध में समस्या तब आती है जब आप साल के अंत में अपने बैंक अकाउंट को मिलान करने की कोशिश करते हैं और उस वक्त तक किसका भुगतान आया है उसमें से कुछ नाम भूल जाते हैं . जिस समय भुगतान आता है उस समय सबको याद रहता कि किस पार्टी का भुगतान आया है और यदि उसी समय लिख लिया जाए तो यह समस्या आसानी से हल हो सकती है . अकाउंटेंट और फर्म के साझेदार और स्वामी के बीच सुचना का समय पर आदान प्रदान नहीं होने से इस तरह के भुगतान और प्राप्ति के एंट्रीज़ सस्पेंस या Name Pending के नाम से कर बैंक बैलेंस मिला लिया जाता है और फिर साल ख़त्म होने के बाद खाते मिलाने के जब लेनदारों और देनदारों के खाते मिलाने के प्रयास किये जाते है तो ये एंट्रीज़ बहुत समय लेती है . आप अपने लेनदार या देनदार से उसका खाता मंगाकर मिलान करने का प्रयास करते हैं तो उसमें ज्यादा सफलता इसलिए नहीं मिलती कि उसके यहाँ भी यदि आप वाली ही दुविधा है तो फिर वह यह उम्मीद करता है कि आप उसे खाते की सही – सही कॉपी दें और इसी उलझन में काफी समय निकल जाता है .

3. अपने मासिक खर्चों का एक एस्टीमेट बना लें . जो खर्च बैंक से होते है उनमें तो कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन जो खर्चे रोकड़ होते हैं उनके लिए आपको बैंक से समय से रोकड़ निकलना होता है और इसके अभाव में ये खर्चे करने के लिए आपको दुसरे स्त्रोत तलाशने पड़ते हैं जिससे भी आपके खाते देरी से फाइनल हो पाते हैं . आइये देखें कि इसके लिए आपको करना क्या है . देखिये अपने किये गए खर्चो को तुरन्त अपनी Account Books में बुक करें और इसमें ज्यादा देरी नहीं करें . अपनी पिछली दो साल की बैलेंस शीट को ध्यान से देखें और अपने अभी के टर्नओवर के हिसाब से अगले माह होने वाले खर्चों का हिसाब लगा लें और उस हिसाब से बैंक से केश का इंतजाम करें. इस सम्बन्ध में होता यह है कि जब खाते समय से नहीं बनते है तो आपके खर्चे का भुगतान व्यापार के अलावा अन्य स्त्रोतों से हो जाता है क्यों कि देखिये खर्चे तो होते ही है लेकिन खर्च करने वाली रकम पर यह तो लिखा नहीं होता है कि यह रकम व्यापार से आई है या कहीं और से और इस तरह से आपके यहाँ Minus Cash की स्तिथि आती है जो कि एक गंभीर समस्या है और आप साल के बाद इस समस्या से जूझने की कोशिश करते हैं तो फिर आपके खाते और ऑडिट दोनों ही देरी से पूरे होते है और यदि आप इस साल ऑडिट में बहुत देरी कर गए या अभी तक करवा ही नहीं पाए तो फिर अगले साल भी आपको इसी स्तिथि से गुजरना होगा . यह स्तिथि हमेशा आपके लिए मानसिक तनाव का कारण बनेगी जो बाद के समय में आपके स्वास्थ पर भी बुरा असर डालेगी . यह स्वास्थ पर असर शारीरिक भी हो सकता है, मानसिक भी और वित्तीय भी . फिर क्यों ना हम समय से ही संभल जाएँ और इसमें ज्यादा श्रम भी नहीं लगता है जिसे मै आगे आपको समझा दूंगा.

4. चलिए इस समय एक उदाहरण के जरिये समझ लें कि समस्या क्या है और इसका समाधान क्या है  :-

मान लीजिये आपके सहायक को 30 दिनों में आपको 1000 किलो माल आपके यार्ड से पैकिंग कर आपके गोदाम में रखना है जिसे कि आपका खरीददार 30 दिन बाद आपके यहाँ से उठा लेगा . आपने सहायक को यह बात बता दी और बस !! 30 दिन बाद जब आपका खरीददार आया तो पता लगा कि अभी केवल 300 किलो ही माल पैक हुआ है . अब आपका खरीददार लौट जाता है तो आप समस्या क्या हुई इसे सोचने की जगह अपने सहायक को डांट कर अपना फर्ज पूरा कर लेते हैं. आप चाहे तो देख सकते हैं कि हुआ क्या था . आपके सहायक ने खरीददार के आने की तारीख नोट कर कर ली जो अभी एक माह दूर थी तो सोचा अभी तो समय है हो जाएगा और फिर आखिरी सप्ताह में वो चेता और पैकिंग शुरू की तो उसकी जो क्षमता थी उससे भी ज्यादा काम कर 7 दिन में 300 किलो माल पैक कर दिया . बस यहीं गलती हुई लेकिन आप कहेंगे कि इसमें मैं क्या कर सकता हूँ उसका काम तो उसे ही करना था लेकिन यदि आप 7 दिन बाद चेक कर लेते कि कितना काम हुआ और हर सात दिन में ऐसा ही करते जिसमें सिर्फ आपको 10 मिनिट का समय लगता  तो अंत समय में ना तो उसे क्षमता से अधिक काम करना पड़ता ना ही आपको निराश होना पड़ता. यदि हर रोज 30-40 किलो माल पैक किया जाता तो यह काम बिना दुविधा के हो जाता .

आप देखना क्यों नहीं चाहते हैं ? आखिर व्यापार तो आपका ही है .

अब आप कहेंगे माल की खरीद और बिक्री में तो ऐसा मैं कभी होने ही नहीं देता हूँ और ना ही कभी ऐसा हुआ है तो फिर एक सवाल उठता है कि आप एकाउंट्स के मामले में ऐसा क्यों होने देते हैं और फिर अंत में एक संकट खडा हो जाता है.

आप हर सप्ताह 2 घंटे एकाउंट्स और अपने अकाउंटेंट  को दीजिये और हर माह चेक कीजिये कि आपने अकाउंटेंट को आपसे क्या जरुरत है , आपके बैंक लेनदार , देनदार , रोकड़ इत्यादि सब ठीक है अगले महीने रोकड़ की कितनी जरुरत रहेगी , जिन लोंगों से पैसे आये है उन्हें सही से  जमा  लिखे है   जिन्हें पैसे दिए हैं उनके नाम भी सही से लिख दिए गए हैं . आपके व्यापार  में आप किसी से क्या मांगते हैं और क्या किसको देना होता है यह सबको पता रहता है क्यों कि इसके बिना व्यापार हो ही नहीं सकता लेकिन साल के अंत में आप यह सब देखना शुरू करें तो फिर समस्या आनी ही है . आप एक बार हर सप्ताह अपने देनदार और लेनदार की लिस्ट लेकर देख लें कि बहुत बड़ा फर्क तो नहीं है . 100 लोगों की की लिस्ट को देखने में ज्यादा से ज्यादा 10 मिनिट लगते हैं यह भी पहले सप्ताह में . बाद में तो यह समय और भी कम होता जाता है . आपने X एंड कम्पनी को 10 लाख रूपये देने है और आपको यह पता भी है और 2-3 दिन से आप इसके इंतजाम में भी लगे हैं उनका फोन भी आ रहा है .अब आप एक दिन लिस्ट देख रहे हैं वहां इस कंपनी को देना 20 लाख आ रहा है तो आपको समझ आ जाएगा कोई एंट्री कहीं और हो गई है और तुरंत गलती का सुधार हो जाएगा . साल ख़त्म होने के बाद या ऑडिट की तारीख के आस पास देखेंगे तो हो सकता है कि अंतर मिले ही नहीं या हो सकता है कि बैलेंस शीट में गलत ही चला जाए. साल ख़त्म होने के बाद  ऐसे मामलों में X एंड कंपनी से खाते मंगाने से भी ज्यादा फायदा नहीं होगा क्यों कि हो सकता है वह भी आपने खाते की कॉपी का इन्तजार कर रहा हो .

ध्यान रखने कि एकाउंट्स भी आपके व्यापार का एक अहम् हिस्सा है और हर सप्ताह आपका 1 या 2 घंटे का समय आपके एकाउंट्स को बिलकुल सही कर सकता है और आपको और आपके अकाउंटेंट को आखिरी समय में आने वाली परेशानी से बचा सकता है .एक सप्ताह में 1 या 2 घंटे कोई बड़ी बात नहीं है . बस यह माने कि एकाउंट्स आपके व्यापार का एक अहम् हिस्सा है . आपके पास हर सप्ताह समय नहीं है तो आप 15 दिन में या एक माह में भी चेक कर सकते हैं लेकिन इसके बाद चेक करना बेकार है क्यों कि इसके बाद आपको बहुत सी महत्वपूर्ण सुचनाए याद ही नहीं रहेगी.

आइये देखें आपको क्या देखना है . ध्यान रखें कि मैं यह कह रहा हूँ कि आपको देखना है करना नहीं है लेकिन देखना यह है कि जो आपको देखना है वह सूचना तैयार  भी है या नहीं और क्यों कि आपने पहले कभी देखा ही नहीं है इसलिए पहले सप्ताह आपको यह सब मिले ही नहीं या अधूरा ही मिले लेकिन अगले सप्ताह आपको एक बेहतर स्तिथि मिलेगी और 4 सप्ताह में सब कुछ सुधार की और होगा और फिर यह एक रूटीन हो जाएगा :-

क्र. स

विवरण
1. सबसे पहले बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट देखें और बैलेंस मिला ले . अगर यह बैलेंस मिल रहा है आप मान कर चलिए शुरुआत तो ठीक है .
2. अपनी बिक्री का खाता देख लें और देखें कि अब तक की बिक्री का आंकडा आपके एस्टीमेट के अनुसार है . इसका प्रिंट लेकर कुछ बिल मिला कर देख लें 100 में से कोई भी 15 बिल चेक करें .
3. इसी तरह खरीद को चेक करें. कुछ खरीद के बिल भी इसी तरह से चेक करें जैसे बिक्री के बिल किये है,
4. लेनदार और देनदार की लिस्ट पर एक नजर डाल लें और देखें कि आपके अनुमान और जानकारी के अनुसार कोई बड़ी गलती नजर तो नहीं आ रही है और आ रही है तो अकाउंटेंट को तुरंत बता कर सही करवाए  .
5. पिछले महीने की खरीद और GSTR-3 B के फर्क की रिपोर्ट देख लें कि वह उपलब्ध भी है कि नहीं . यदि नहीं तो बनाने को बोले और उस अनुसार आपको स्टाफ की आपके विक्रेता से बात हो गई . इस काम में ज्यादा देरी आपको परेशान कर सकती है . जीएसटी में करेक्शन के लिए अब  30 नवम्बर तक का समय मिलता है लेकिन इतने समय तक इन्तजार कर अंत में परेशानी में पड़ने की जरुरत क्या है ?
6. आपको अब बहुत सी सूचनाओं की जरुरत है और इसके बिना अब काम नहीं हो सकता . आइये देखें कि सूचना के अभाव में क्या हो सकता है,

यदि आपका पिछले वर्ष 1 करोड़ रूपये  से अधिक था तो इस वर्ष के प्रारम्भ में आप व्यक्तिगत या हिन्दू अविभाजित परिवार से व्यापार करते हैं तो आप टीडीएस के दायरे में आते हैं कितने आश्चर्य की बात है कि लम्बे समय तक आपको पता ही नहीं लगता है . बहुत सी निजी वित्तीय कम्पनियों को दिए हुए ब्याज पर भी टीडीएस काटना होता है और यदि यह आपको ही नहीं हो पाता है . पार्टनरशिप फर्म के केस में यह 1 करोड़ की सीमा भी नहीं होती है. और भी बहुत सी सूचनाएं आपको होनी चाहिए और इसके लिए आप अपने सीए और कर सलाहकार से बराबर मिलते रहें लेकिन यदि आप केवल साल में एक बार ऑडिट रिपोर्ट साइन करने ही जाते हैं तो फिर इस आदत को बदल दीजिये .

7. आप अपने सीए या कर सलाहकार के भेजे गए मेसेज पढ़े और उसमें से काम की चीजें याद रखें . अगर मेसेज अंग्रेजी में आते हैं और आपको पढने में कोई तकलीफ होती है तो अपने बच्चों की मदद लीजिये . आजकल तो बहुत से सीए और कर सलाहकार सरल हिन्दी में मेसेज भेजते हैं उनका फायदा उठाइए . यह लेख भी तो इसीलिये हिंदी में लिखा गया है .

लेकिन कई बार यह कहा जाता है यह तो हमारे अकाउंटेंट ने पढ़ कर समझ लिया होगा. इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है . अपने व्यवसाय स्थल पर अब अपना ऑफिस टाइम तय कीजिये और उसके अनुसार कार्य कीजिये सब ठीक हो जाएगा.

8. सोशल मीडिया पर एकाउंट्स , कर् कानून- जीएसटी आयकर  , व्यापार  करने के तरीके इत्यादि पर बहुत सी जानकारी उपलब्ध हैं आपको इनमें रूचि उत्पन्न करनी पड़ेगी . सब समस्याओं के हल उपलब्ध है लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि माइनस केश का कोई इलाज कहीं नहीं है , निर्धारित समय तक आपने जीएसटी की क्रेडिट नहीं ली है तो उसका भी कोई इलाज नहीं है और भी कई लाईलाज समस्याएँ है जो केवल समय पर सचेत नहीं होने के कारण आती है तो फिर मान लीजिये समय का बहुत महत्त्व है और आपको सब काम अब अंतिम  निर्धारित समय पर नहीं बल्कि उससे पहले करना होगा.
9. अपने सीए और कर सलाहकार से मालुम कीजिये कि आपके जीएसटी के रिटर्न उनके पास  समय पर जाते हैं या नहीं . यदि हर बार वे अंतिम दिन ही जा पाते है तो फिर आप उन्हें क्या देख पाते होंगें ? अपने स्टाफ द्वारा तैयार हर दस्तावेज को एक बार देख लीजिये. देखिये कुछ समय बाद उनका भेजने का समय और गुणवत्ता में सुधार हो जाएगा लेकिन इसके लिए आपको भी अपने स्टाफ को सूचनाएं समय पर उपलब्ध करानी होगी.
10. क्या एकाउंट्स को लेकर आपके यहाँ से केवल जीएसटी के रिटर्न ही भरे जा रहे हैं !!!! चेक कर लें ये बहुत बड़ी मुसीबत बन सकती हैं . देखिये कई बार जो एकाउंट्स ऑडिट के लिए सितम्बर में तैयार किये है तो आपके एकाउंट्स अगले साल की अगस्त और सितम्बर की Entries उसी सॉफ्टवेर में होती है   और उसमें कई बार एकाउंट्स अधूरे होने के कारण खरीद और बिक्री तो ठीक होती है लेकिन बाकी सब कुछ पता नहीं क्यों पेंडिंग होता है तो प्रॉफिट 60 लाख और रोकड़ शेष 74 लाख होता है और ऐसे में कोई स्पॉट जांच आ जाए तो ? बस आगे आप अपने आप ही सोच लीजिये . ज्यादा मत सोचिये बस थोड़ा नियमित हो जाइए . अकाउंटेंट अकाउंट लिखता है आप एकाउंट्स देख लीजिये . बस !
11. मैं एकाउंट्स कैसे देखूं ? मुझे कम्पुटर चलाना थोड़े ही आता है . आप कोशिश कीजिये … किसी बच्चे की मदद लीजिये .. 7 दिन किसी इंस्टिट्यूट को ज्वाइन कर लीजिये 45 मिनिट रोज .. बस या अपने सीए और अकाउंटेंट की मदद लीजिये . एकाउंट्स देखने के लिए तो बस 2 घंटे की ट्रेनिंग बहुत है बाकी समय तो आपको एक्सपर्ट बना सकता है . शुरुआत कीजिये बस शुरुआत की ही जरुरत है . कम्पुटर तो एक खिलोना है मोबाइल की तरह … आप मोबाइल चलाना भी तो सीखने हैं .. बस अब शुरू कर दीजिये.

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